श्री पद्मावती जी अभिषेक
आसन शुद्धि जल से करें
पद्मावती देवी की स्थापना
दोहा:-
धरणेन्द्र पद्मावती के स्वामी सिर पर पारस नाम विराजे।
रतन जड़ित मनोहर आसन परिवार सहित आय विराजे॥
मन्त्र- ॐ ह्रीं पद्मावती स्थापयामि।
1. जलाभिषेक
शुद्ध शीतल प्रासुक जल भर, कुम्भ कलशनेन्वहन करूं।
पारस प्रभु की शासन देवी,धरणेन्द्र प्रिया का स्मरण करूं।
मन्त्र -ॐ आं क्रौं ही धरणेन्द्र भार्या पद्मावती दैव्ये पद्म कटनी, पाताल वासिनी, चतुर्थ भुजा वली त्रि लोचनी, पार्श्वनाथ की यक्षी देवी मम्सर्व जीवा रोग शौक भय पीड़ा व्यन्तरी कृत बाधा उपसर्ग विनाशनाय हूं फट्घेघे जलाभिषेकं समर्पयामि स्वाहा।
अर्घ्य - उदकचंदन .......पद्मावतीमहंयजे॥
मन्त्र - ॐ ह्रीं पदावमती देवी अर्घ्य समर्पयामि स्वाहा।
2. इक्षुरसइख
तुरन्त पिलवा कर माता, सुवर्ण कलश भर कर लाऊँ।
मधुर रस प्राप्ति हेतु माता, धरणेन्द्र प्रिया का स्मरण करूं॥
मन्त्र- ॐ आं क्रौं ही इक्षु रस अभिषेकं समर्पयामि स्वाहा।
अर्घ्य - उदकचंदन .......पद्मावतीमहंयजे॥
अर्घ्यं- ॐ हीं पद्मावती देवी अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
3. घृताभिषेक
उत्कृष्ट घृत रस ले कर माता, सुवर्ण कलश भर कर लाऊँ।
मनो कामना पूर्ण हो वे माता, धरणेन्द्र प्रिया का स्मरण करूँ॥
मन्त्र - ॐ आं क्रौं ह्रीं घृताभिषेकं समर्पयामि स्वाहा।
अर्घ्य - उदकचंदन ...... पद्मावतीमहंयजे।।
अर्घ्यं - ॐ ह्रीं पद्मावती देवी अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
4. दुग्धाभिषेक
अमृत सम दुग्ध ले कर माता, रजत कलश भर कर लाऊँ।
सुख सम्पत्ति पाने की इच्छा, धरणेन्द्र प्रिया का स्मरण करूँ॥
मन्त्र - ॐ आं क्रौं ह्रीं दुग्धाभिषेकं समर्पयामि स्वाहा।
अर्घ्य - उदकचंदन ..... पद्मावतीमहंयजे॥
मन्त्र - ॐ हीं पद्मावती देवी अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
5. दधिअभिषेक
दधि सम उज्ज्वल जीवन पाने, सप्त धातु कलश भर कर लाऊँ।
सुख सम्पत्ति पाने की इच्छा, धरणेन्द्र प्रिया का स्मरण करूँ॥
मन्त्र - ॐ आं क्रौं ह्रीं इक्षु दधि अभिषेक समर्पयामि स्वाहा।
अर्घ्य - उदकचंदन ..... पद्मावतीमहंयजे।।
मन्त्र - ॐ ह्रीं पद्मावती देवी अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
6. सर्वोषधिअभिषेक
जी इख गो रस केशर चन्दन, रतन कलश भर कर लाऊँ।
लोग शोक भय दूर कर न काज, धरणेन्द्र प्रिया का स्मरण करूँ।
मन्त्र - ॐ आं क्रौं ह्रीं सौंषधि अभिषेकं समर्पयामि स्वाहा।
अर्घ्य - उदकचंदन ...... पद्मावती महं यजे।।
मन्त्र - ॐ हीं पद्मावती देवी अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
7. चंदनलेपन
केशर चन्दन घिस कर लाऊँ, देवी के चरण ले पकराऊँ।
रोग शोक भय दूर करन काज, धरणेन्द्र प्रिया का स्मरण करूँ॥
मन्त्र -ॐ ह्रीं चंदनं लेपन करोमि।
8. पुष्पांजली
गुलाब चम्पा चमेली के पुष्प लाऊँ,पद्मावती देवी के चरण चढ़ाऊँ।
सर्व शान्ति हेतु तुझे प्रसन्न करूँ,माता धरणेन्द्र देवी का सुमरन करूँ॥
मन्त्र -ॐ हीं सुमन पुष्प वृष्टि करोमि।
9. आरती
जग मग जग मग ज्योति जले निश दिन माँ के मन्दिर में।
अन्तर में सम्यक्ज्ञान जगा दे आरती उतारूँ घृत दीपक से॥
मन्त्र - मंगल आरती अवतरण करोमि।
10. चारकलश
शीतल मिष्ट सुगंधित प्रासुक जल,चतुर्थ कलश भर कर लाऊँ।
चारों गतियों में उपसर्ग निवारण,धरणेन्द्र प्रिया का स्मरण करूँ॥
मन्त्र -ॐ आं क्रौं ह्रीं चतुर्थ कलश अभिषेक गृहणं करोमि।।
अर्घ्य - उदकचंदन ...... पद्मावतीमहंयजे।।
मन्त्र - ॐ ह्रीं पद्मावती देवी अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
11. मंगलकलश
सुगन्धित कलश कपूर चन्दन केशर मिश्रित, ताम्र कलश भर कर लाऊँ।
अखण्ड सौभाग्य मिले जीवन भर, धरणेन्द्र देवी का स्मरण करूँ।
मन्त्र - ॐआंक्रौंह्रींमंगलकलशसुगन्धीजलकलशअभिषेकसमर्पयामिस्वाहा।
अर्घ्य - उदकचंदन ...... पद्मावतीमहंयजे।।
मन्त्र - ॐह्रींपद्मावतीदेवीअर्घ्यंसमर्पयामिस्वाहा।
12.शान्ति धारा महादेवी
ॐ नमो भगवते, त्रि भुवन वशं करी, सर्वा भरण भूषिते पद्मासने पद्म नयने पद्म गन्धिनी, पद्म प्रभो, पद्म कासनी, पद्म वासिनी, पद्म हस्तो,
श्रीं ह्रीं कुरु २ हृदय मम कार्य कुरु २, मम सर्व शान्ति कुरु २ ।मम सर्व राज वश्यं कुरु २।सर्व लोक वश्यं कुरु २, मम सर्व श्री वश्यं कुरु २, मम सर्व भूत पिशाच प्रेत रोधं कुरु २, हर हर सर्व रोगं छिन्द २, सर्व विघ्ना छिन्द २, सर्व डाकिनी भयं छिन्द २, सर्व शाकिनी भयं छिन्द २,
श्रीपाश्व जिन पादों भोज ,भ्रंगि नमो दत्ताय देवी नमः।।
13.अथ पद्मावती(शांतिधारा)दंडक स्तोत्रम्
ॐ नमो भगवते त्रिभुवन वश करी सर्वा भरण भूषिते, पद्मासेन पद्मनयने।पद्म गन्धिनी पद्म प्रभे।पद्म कोसनी पद्म वासिनी पद्म हस्ते।
श्रीं ह्रीं कुरु मम कुरु हृदय कार्य कुरु-कुरु।मम सर्व शान्ति कुरु-कुरु।
मम सर्व राजव कुरु-कुरु।सर्व लोक वश्य कुरु कुरु।मम सर्व स्त्री वश्य कुरु-कुरु।मम सर्व भूत पिशाच प्रेतरोधं कुरु कुरु।मम सर्व स्त्री वश्य कुरु-कुरुं।मम सर्व भूत पिशाच प्रेत रोध कुरु-कुरु।हर हर सर्व रोगों छिन्द 2 भिन्द 2, सर्व विध्नान छिन्द 2 भिन्द 2 सर्व विष छिन्द 2 भिन्द,सर्व क्रूर भव छिन्द 2 भिन्द।सर्व-शाकिनी छिन्द 2 भिन्द।
श्रीपार्श्व जिन पादों भोज भृगिन मोदत्ताय देवी नम: ॐ हां ही हूं ह्रौं हःस्वाहा।
सर्व जन राय स्त्री पुरुष वयँ, सर्व वश्यम 2।ओं आं क्रों ह्रीं ऐं क्लीं ह्रीं देवी पद्मावती त्रि पुर काम साधनी दुर्जन मति विनाशिनी त्रैलोक्य क्षोभिनी श्रीपार्श्वनाथोप सर्ग हरणी क्लीं ब्लू मम दुष्टान हन हन मम सर्व कार्याणि साधय साधय हं फट्स्वाहा।
ओं आं क्रौं ह्रीं ऐं क्लीं द्यों पद्मदेवी।मम सर्व जग द्वयश्य कुरु-कुरु सर्व विध्याननाशय 2 ।पुर क्षोभ कुरु-कुरु ह्रीं सर्व फट्स्वाहा।
ओं आं कों प्रों हूं ह्रीं क्लीं ब्लूस।हम्ल्यूं पद्मावती सर्व पुरजना क्षोभय 2 मम पादयो पतये 2 ।आकर्षिणी ह्रीं नम: ओं ह्रीं आं अर्ह मम पापं फट दह दह हन हन हचपच पाचय पाचय ह भं भीक्ष्वी हं स म वं।भवभयह: ।क्षां क्षीं क्षू क्षें क्षैं क्षं क्षःओं ह्रां ही हूं हे है हों ह्रौं हूं: द्रां द्रीं द्रावय द्रावय नमोर्हते भगवते श्रीमते ठ: ठ: मम श्री रस्तु पुष्टि रस्तु कल्याण मस्तु स्वाहा।
ॐ हीं श्री पद्मावती देव्यै मम इच्छित फल प्राप्तिं कुरु कुरु नमः (स्वाहा)
ॐ आं क्रौं ह्रीं अरुण वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वा युध वाहन वधू चिह्न सपरिवार नमोऽस्तु २त्रिलोचनी, चतुर्थ भुजा वाली पद्म कटनी धरणेन्द्र भार्या पारस प्रभु की यक्षी देवी मम सर्व यज मान........ ध्येषय सर्वोपि मृत्यु दुष्ट गृह पीड़ा भूत व्यन्तर पिशा चडाकिनी बाधा रोग शोक सर्व कष्ट हराय शान्ति कराय शान्ति धाराकरोमि स्वाहा।