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प्रश्नोत्तरी-१
प्रश्न १- जैनधर्म का मूल मंत्र क्या है?
उत्तर- जैनधर्म का मूल मंत्र णमोकार महामंत्र है।
प्रश्न २- इस मंत्र से कितने मंत्रों की उत्पत्ति हुई है?
उत्तर- इस मंत्र से ८४ लाख मंत्रो की उत्पत्ति हुई है।
प्रश्न ३- इस मंत्र में किसको नमस्कार किया गया है?
उत्तर- इस मंत्र में पंचपरमेष्ठियों को नमस्कार किया गया है।
प्रश्न ४- परमेष्ठी कितने होते हैं उनके नाम बताइये?
उत्तर- परमेष्ठी पांच होते है- अरहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय व साधु ।
प्रश्न ५- अरहंत परमेष्ठी का लक्षण बताओ?
उत्तर- जिन्होनें चार घातिया कर्मों का नाश कर दिया, जो ४६ गुण सहित और १८ दोष रहित हैं वह अर्हन्त परमेष्ठी हैं।
प्रश्न ६- जैनदर्शन के अनुसार परमात्मा कौन बन सकता है?
उत्तर- जैन दर्शन के अनुसार व्यक्ति अपने कर्मों का नाश करके स्वयं परमात्मा बन सकता है ।
प्रश्न ७- परमात्मा की कितनी अवस्थाएँ हैं नाम बताएं ?
उत्तर- परमात्मा की दो अवस्थाएं है-जीवन्मुक्त अर्थात् अर्हन्त अवस्था तथा देहमुक्त अर्थात् सिद्ध अवस्था ।
प्रश्न ८- अर्हन्त कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर- अर्हन्त दो प्रकार के होते हैं- विशेष पुण्य सहित अरिहंत जिनके कल्याणक महोत्सव मनाए जाते हैं तीर्थंकर कहलाते हैं और शेष सर्वसामान्य अर्हन्त कहलाते हैं, इन्हें केवली भी कहते हैं।
प्रश्न ९- अतिथि किसे कहते हैं शास्त्रीय भाषा में समझाइये?
उत्तर- संयम का विनाश न हो इस विधि से जो आता है वह अतिथि हैं अथवा जिनके आने की कोई तिथि नहीं वह अतिथि है।
प्रश्न १०- उत्कृष्ट अर्थात् विशिष्ट अतिथि कौन हैं उनके सत्कार से कौन सी गति मिलती हैं?
उत्तर- उत्कृष्ट अर्थात् विशिष्ट अतिथि मुनि-आर्यिकादि हैं उनके सत्कार से उत्तमगति की प्राप्ति होती है।
प्रश्न ११- भारतीय संस्कृति में अतिथि को किस रूप में स्वीकार किया गया है?
उत्तर- भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवरूप से स्वीकार किया गया है।
प्रश्न १२- अंकविद्या का प्रादुर्भाव कब हुआ?
उत्तर- आज से करोड़ो वर्ष पूर्व युग की आदि में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने इस विद्या को अपनी सुन्दरी पुत्री को सिखाकर अंकविद्या को प्रादुर्भूत किया ।
प्रश्न १३- अनादि निधन का क्य अर्थ है?
उत्तर- जो प्रकृति की भांति शाश्वत है जिसको न तो किसी ने बनाया और न ही नष्ट कर सकता है वह अनादि निधन है।
प्रश्न १४- अक्षय किसे कहते है?
उत्तर- जो कभी नष्ट नहीं होता है वह अक्षय है।
प्रश्न १५- अक्षीण ऋद्धि किसको प्रगट होती है तथा इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर – अक्षीण ऋद्धिधारी मुनियों को प्रकट होती है, इस ऋद्धि के प्रभाव से उन्हें दिया गया आहार अक्षय हो जाता है और चक्रवर्ती का समूह भी जीम ले तो भी खत्म नहीं होता है।
प्रश्न १६- अकृत्रिम का अर्थ बताइये?
उत्तर- जो किसी के द्वारा निर्मित न किया गया हो वह अकृत्रिम है।
प्रश्न १७- तीन लोक में कितने अकृत्रिम जिनमंदिर एवं अकृत्रिम जिनप्रतिमाएं है?
उत्तर- तीन लोक में आठ करोड़ छप्पन लाख सत्तानवे हजार चार सौ इक्यासी जिनमंदिर तथा नव सौ पच्चीस करोड़ त्रेपन लाख सत्ताइस हजार नव सौ अड़तालीस जिनप्रतिमा है।
प्रश्न १८- जैनधर्म में किसकी प्रधानता है?
उत्तर- जैनधर्म अहिंसा प्रधान धर्म है।
प्रश्न १९- अहिंसा धर्म का अर्थ जैन मान्यतानुसार बताइये ?
उत्तर- बाहर में किसी भी छोटे बड़े जीव को मन, वचन, काय से किसी भी प्रकार पीड़ा नहीं पहुंचाना, उसका दिल नहीं दुखाना तथा अंतरंग में राग द्वेष रूप परिणामों से निवृत्त होकर साम्यभाव से स्थित होना अहिंसा है।
प्रश्न २०- अंकुरारोपण का क्या तात्पर्य है?
उत्तर- विधि विधान पूर्वक जौ, चना आदि सप्त उत्तम धानों को मिट्टी के कुंड में रोपण करना अंकुरारोपण है।
प्रश्न २१- जीव किसे कहते हैं तथा उसके कितने भेद है?
उत्तर- जिसमें जानने और देखने की शक्ति विद्यमान है वह जीव है उसके तीन भेद हैं- अंतरात्मा, बहिरात्मा व परमात्मा ।
प्रश्न २२- अंतरात्मा का लक्षण बताइये?
उत्तर- जो आत्मा और शरीर को भिन्न-२ समझकर आत्मा को ज्ञान स्वरूप, अविनाशी और शरीर को अचेतन, नाशवान समझता है तथा शरीर से आत्मा को पृथक करने का उपाय करता है वह अंतरात्मा है।
प्रश्न २३-आचार्य अकलंक देव किसके पुत्र थे?
उत्तर- आचार्य अकलंक देव राजा लघुहत्व के ज्येष्ठ पुत्र थे।
प्रश्न २४- धर्मरक्षार्थ आचार्य अकलंक देव ने क्या किया?
उत्तर- धर्मरक्षार्थ आचार्य अकलंक देव ने ब्र्रह्मचर्य व्रत ले जिनदीक्षा ली और अनेक ग्रन्थों की रचना की तथा राजा हिमशीतल की सभा में बौद्ध गुरू को परास्त किया जिसकी ओर से तारादेवी शास्त्रार्थ करती थी इससे जिनधर्म की महती प्रभावना हुई।
प्रश्न २५- उनके द्वारा रचित किन्हीं तीन ग्रन्थों के नाम बताइये?
उत्तर- तत्त्वार्थराजवार्तिक, अष्टशती व स्वरूप सम्बोधन।
प्रश्न २६- संसारी जीव के कितने भेद हैं?
उत्तर- संसारी जीव के दो भेद है- त्रस व स्थावर।
प्रश्न २७- त्रस और स्थावर जीव की परिभाषा बताओ?
उत्तर- दो इन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय तक के जीव त्रस और एकेन्द्रिय जीव स्थावर कहलाते हैं।
प्रश्न २८- स्थावर जीव के कितने भेद है?
उत्तर- स्थावर जीव के ५ भेद है- पृथ्वीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक ।
प्रश्न २९- अग्निकायिक जीव की परिभाषा बताओ?
उत्तर- अग्नि ही जिनका शरीर हो वह अग्निकायिक जीव हैं।
प्रश्न ३०- तीर्थंकर कितने होते हैं दूसरे तीर्थंकर कौन हैं?
उत्तर- तीर्थंकर २४ होते हैं दूसरे तीर्थंकर भगवान अजितनाथ हैं।
प्रश्न ३१- पाप कितने होते हैं नाम बताइये?
उत्तर- पाप पांच होत है- हिंसा, झूठ, चोरी, कशील एवं परिग्रह।
प्रश्न ३२- अणुव्रत किसे कहते है?
उत्तर- पांचो पापो के अणु अर्थात् एकदेशरूप त्याग को अणुव्रत कहते है।
प्रश्न ३३- अणुव्रतों के नाम बताते हुए अचौर्याणुव्रत की परिभाषा बताएं?
उत्तर- अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य व परिग्रह प्रमाण यह पांच अणुव्रत हैं जिसमें किसी का रखा, भूला, पड़ा, अथवा बिना दिया अुआ धन आदि द्रव्य नहीं लेना और न ही किसी को उङ्गाकर देना अचौर्याणुव्रत है।
प्रश्न ३४- अणुव्रत लेने से किस गति का बन्ध नहीं होता है?
उत्तर- अणुव्रत लेने से मनुष्यगति, तिर्यंचगति व नरकगति का बन्ध नहीं होता केवल देवगति का बन्ध होता है।
प्रश्न ३५- जीव का लक्षण बताइये?
उत्तर- जीव का लक्षण उपयोग है तथा जिसमें ज्ञान दर्शन रूप भावप्राण व इन्द्रिय, बल, आयु, स्वासोच्छ्वास रूप द्रव्यप्राण पाये जावें वह जीव है।
प्रश्न ३६- अजीव किसे कहते है?
उत्तर- जिसमें ज्ञान दर्शन रूप भावप्राण व इन्द्रिय, बल, आयु, श्वासोच्छ्वास रूप द्रव्यप्राण नहीं पाये जाते वह अजीव है।
प्रश्न ३७- द्रव्य कितने होते है नाम बताएं?
उत्तर- द्रव्य छ: होते है- जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश व काल।
प्रश्न ३८- चौदहवें तीर्थंकर भगवान अनंतनाथ का जन्म कहां हुआ तथा उनके माता-पिता का क्या नाम था?
उत्तर- चौदहवें तीर्थंकर भगवान अनंतनाथ का जन्म् अयोध्या में हुआ, उनकी माता जयश्यामा व पिता सिंहसेन थे।
प्रश्न ३९- अनुप्रेक्षा किसे कहते हैं इसका दूसरा नाम क्या है?
उत्तर- किसी बात का पुन:-२ चिन्तवन करते रहना अनुप्रेक्षा है इसका दूसरा नाम वैराग्य भावना है।
प्रश्न ४०- बाहर भावनाओं के नाम बताइये?
उत्तर- अनित्य, अशरण, संसार, एकत्व, अन्यत्व, अशुचि, आस्रव, संवर, निर्जरा, लोक, बोधिदुर्लभ और धर्म से बारह भावनाएं है।
प्रश्न ४१- अनेकान्त किसे कहते हैं?
उत्तर- जाप्यन्तर भाव को अनेकांत कहते है।
प्रश्न ४२- अठारहवें तीर्थंकर भगवान अरहनाथ के माता-पिता एवं जन्मस्थान का नाम बताइये?
उत्तर- अठारहवें तीर्थंकर भगवान अरहनाथ के माता-पिता महारानी मित्रसेना व राजा सुर्दशन तथा जन्मस्थान हस्तिनापुर है।
प्रश्न ४३- अघ्र्य किसे कहते हैं?
उत्तर- जल, चन्दन आदि आङ्गों द्रव्यों को मिलाकर बना हुआ द्रव्य अघ्र्य कहलाता है।
प्रश्न ४४- ज्ञान के कितने प्रकार है नाम बताएं?
उत्तर- ज्ञान आठ प्रकार का है- मति, श्रुत, अवधि, मन:पर्यय, केवलज्ञान, कुमति, कुश्रुत, कुअवधि ।
प्रश्न ४५- अवधिज्ञान का लक्षण बताइये?
उत्तर- द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की मर्यादा लिये हुए रूपी पदार्थ का इन्द्रियादिक की सहायता बिना जो ज्ञान होता है वह अवधिज्ञान है।
प्रश्न ४६- अवधिज्ञान के कितने भेद हैं परिभाषा सहित बताएं?
उत्तर- अवधिज्ञान के दो भेद है- गुणप्रत्यय, भवप्रत्यय। जिस ज्ञान के उत्पन्न होने में भव ही निमित्त होता है वह भवप्रत्यय अवधिज्ञान है तथा जो अवधिज्ञान व्रत, नियम आदि के द्वारा अवधिज्ञानावरण कर्म के क्षयोपशम से होता है वह गुणप्रत्यय अवधिज्ञान है।
प्रश्न ४७- काल के कितने भेद हैं नाम बताइये?
उत्तर- काल के दो भेद हैं- अवसर्पिणी, उत्सर्पिणी।
प्रश्न ४८- उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी में क्या अन्तर है?
उत्तर- जिसमें जीवों की आयु, ऊंचाई, संपदा, सुख आदि बढ़ते जावे वह उत्सर्पिणी तथा जिसमें घटते जावें वह अवसर्पिणी है।
प्रश्न ४९- कल्पकाल की परिभाषा बताइये, वह कितने सागर का है?
उत्तर- अवसर्पिणी व उत्सर्पिणी को मिलाकर एक कल्पकाल होता है यह बीस कोड़ाकोड़ी सागर का है।
प्रश्न ५०- अवसर्पिणी के भेद बताइये?
उत्तर- अवसर्पिणी काल के छ: भेद है- सुषमा-सुषमा, सुषमा, सुषमा-दुषमा, दुषमा सुषमा, दुषमा और अतिदुषमा ।
प्रश्न ५१- असंज्ञी किसे कहते है?
उत्तर- मनरहित जीव को असंज्ञी कहते हैं।
प्रश्न ५२- साधु परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते हैं? नाम बताये?
उत्तर- साधु परमेष्ठी के २८ मूलगुण होते है- ५ महाव्रत, ५ समिति, ५ इन्द्रियविजय, ६ आवश्यक व सात शेष गुण।
प्रश्न ५३- सात शेष गुणों के नाम बताइये?
उत्तर- सात शेष गुणों के नाम है- अस्नान, भूशयन , वस्त्रत्याग, केंशलोच,एक बार लघु भोजन, दांतोन का त्याग व खड़े होकर आहार गृहण करना।
प्रश्न ५४- अस्नान का क्या अर्थ है?
उत्तर- स्नान का त्याग करना अस्नान गुण है।
प्रश्न ५५- अष्टमूलगुण किसे कहते है?
उत्तर- मद्य, मांस, मधु और पांच उदुम्बर फलों का त्याग करना ही अष्टमूल गुण है।
प्रश्न ५६- इन अष्टमूलगुणों को कौन ग्रहण करता है?
उत्तर- इन अष्टमूलगुणों को श्रावक ग्रहण करता है।
प्रश्न ५७- सागार धर्मामृत के अनुसार अष्टमूलगुण कौन-कौन से है?
उत्तर- सागार धर्मामृतानुसार- मद्य, मांस, मधु त्याग, पांच उदुम्बर फलों का त्यग, देवदर्शन, जल छानकर पीना और जीव दया पालन ये अष्टमूलगुण है।
प्रश्न ५८- षट्क्रियाओं के नाम बताइये?
उत्तर- षट्क्रियाएं है- असि, मषि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प।
प्रश्न ५९- असि क्रिया का लक्षण बताइये?
उत्तर- तलवार, धनुष आदि शस्त्र विद्या में निपुण होना असि क्रिया है।
प्रश्न ६०- कषाय के कितने भेद-प्रभेद है?
उत्तर- कषाय के मूल चार भेद है- क्रोध, मान, माया, लोभ, पुन: प्रत्येक कषाय में एक-२ के अनन्तानुबन्धी, अप्रत्याख्यान प्रत्याख्यान व संज्वलन के भेद से कुल १६ भेद हैं।
प्रश्न ६१- अनन्तानुबन्धी कषाय की परिभाषा बताइये?
उत्तर- जहां पर पदार्थों के प्रति मेरे-तेरेपन की या इष्ट-अनिष्टपने की जो वासना जीव में देखी जाती है वह अनन्तानुबंधी कषाय है।
प्रश्न ६२- अनन्तानुबन्धी कषाय का वासना काल कितना है?
उत्तर- अनन्तानुबन्धी कषाय का वासनाकाल छ: महीना है।
प्रश्न ६३- अन्र्तमुहूर्त का लक्षण बताएं?
उत्तर- एक आवली को ग्रहण कर असंख्यात समयों की आवली में असंख्यात समय हुए। यहां मुहूर्त में से एक समय निकालने पर शेष काल का प्रमाण भिन्न मुहूर्त उसमें भी एक समय निकलने पर शेष काल का प्रमाण अन्तर्मुहूर्त है।
प्रश्न ६४- असंयम किसे कहते है?
उत्तर- चौदह भेदरूप जीवघात से और अट्ठाईस इन्द्रिय विषयों से विरत नही होने को असंयम कहते हैं।
प्रश्न ६५- कर्म किसे कहते है?
उत्तर- जो आत्मा को परतन्त्र करता है, दुख देता है, संसार परिभ्रमण कराता है वह कर्म है।
प्रश्न ६६- कर्म के मूल भेद कौन से हैं परिभाषा लिखो?
उत्तर- कर्म के मूल भेद दो है- द्रव्यकर्म व भावकर्म। पुद्गल के पिण्ड को द्रव्यकर्म और उसमें जो फल देने की शक्ति है वह भावकर्म है।
प्रश्न ६७- आठ कर्मों के नाम बताइये इनमें से कौन से कर्म घातिया एवं कौन से अघातिया है?
उत्तर- आठ कर्मों के नाम है- ज्ञानावरण, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र व अंतराय जिसमें वेदनीय, आयु , नाम व गोत्र अघातिया कर्म तथा शेष घातिया है।
प्रश्न ६८- अर्हन्त भगवान के लक्षण में अशोकवृक्ष का वर्णन कहाँ आता है?
उत्तर– अर्हन्त भगवान के ४६ गुणों में अष्ट प्रातिहार्य में अशोकवृक्ष का वर्णन आता है।
प्रश्न ६९- अशोक का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर- जो शोक रहित हो वह अशोक है।
प्रश्न ७०- अस्ति काय किसे कहते है?
उत्तर- जो अस्ति-विद्यमान हो अर्थात् सत लक्षण वाला हो उसे अस्ति कहते हैं और बहु प्रदेशों को काय कहते है।
प्रश्न ७१- अस्तिकाय कितने होते हैं नाम बताइए?
उत्तर- अस्तिकाय पांच होते है- पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल।
प्रश्न ७२- असत्य का लक्षण बताइए?
उत्तर- मर्मच्छेदी परूष वचन, उद्वेगकारी कटु वचन, वैरोत्पादक, कलहकारी, भयोत्पादक तथा अवज्ञाकारी वचन तथा हास्य, भीति, लोभ, क्रोध, द्वेष इत्यादि कारणों से बोले जाने वाले वचन असत्य है।
प्रश्न ७३- अहंकार किसे कहते है? इनके पर्यायवाची नाम भी बताइये?
उत्तर- कर्मों के द्वारा निर्मित जो पर्याय हैं और निश्चयनय से आत्मा से भिन्न हैं उसमें आत्मा का जो मिथ्या आरोप हैं वह अहंकार है, मद, घमण्ड इसके पर्यायवाची नाम है।
प्रश्न ७४- अहमिन्द्र किसे कहते है?
उत्तर- ‘‘मैं इन्द्र हूँ ’’ इस प्रकार विचारने वाले, वैभवादि में हीनाधिकतारहित अहमिन्द्र है।
प्रश्न ७५- इनका निवास स्थान कहां है?
उत्तर- इनका निवास स्थान सोलह स्वर्ग से ऊपर है।
प्रश्न ७६- क्या यह कभी पृथ्वी पर आते है?
उत्तर- नहीं, यह पृथ्वी पर कभी नहीं आते हैं सदैव अपने विमान में रहते हुए तत्त्वाचर्या में लीन रहते है।
प्रश्न ७७- अहमिन्द्र कितने भवावतारी होते है?
उत्तर- अहमिन्द्र एक भवावतारी होते है।
प्रश्न ७८- अष्टद्रव्य के नाम बताइए?
उत्तर- अष्टद्रव्य के नाम है- जल, चन्दन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, दीप, धूप, फल।
प्रश्न ७९- भगवान ऋषभदेव ने किस पर्वत से मोक्ष प्राप्त किया? वर्तमान में वह पर्वत कहां है?
उत्तर- भगवान ऋषभदेव ने कैलाशपर्वत (अष्टापद) से मोक्ष प्राप्त किया, वर्तमान में यह पर्वत भारत की सीमा से बाहर तिब्बत में है।
प्रश्न ८०- अष्टसहस्री ग्रन्थ की रचना किसने की?
उत्तर- अष्टसहस्री ग्रन्थ की रचना आचार्य समन्तभद्र ने की ।
प्रश्न ८१- विद्वानों की भाषा में अष्टसहस्री को किस नाम से सम्बोधित किया जाता है?
उत्तर- विद्वानों की भाषा में इसे कष्टसहस्री कहकर सम्बोधित किया जाता है।
प्रश्न ८२- अष्टसहस्री की हिन्दी टीका किसने की?
उत्तर- अष्टसहस्री की हिन्दी टीका पूज्य गणिनी ज्ञानमती माताजी ने की ।
प्रश्न ८३- अमावस्या किसे कहते है?
उत्तर- राहुबिम्ब के द्वारा एक-२ कलाओं के आच्छादित हो जाने पर जिस मार्ग में चन्द्रमा की एक ही कला दिखती हैं वह दिवस अमावस कहलाता है।
प्रश्न ८४- शाश्वत जन्मभूमि का नाम बताइये?
उत्तर- शाश्वत जन्मभूमि अयोध्या है।
प्रश्न ८५- वर्तमान चौबीसी में अयोध्या में कौन-२ से तीर्थंकर जन्में?
उत्तर- वर्तमान चौबीसी में अयोध्या में ५ तीर्थंकर जन्में श्री आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनन्दन, सुमतिनाथ व अनंतनाथ।
प्रश्न ८६- मर्यादा पुरूषोत्तम रामचन्द्र की जन्मभूमि एवं निर्वाण भूमि बताइये?
उत्तर- मर्यादा पुरूषोत्तम रामचन्द्र की जन्मभूमि अयोध्या एवं निर्वाण भूमि मांगीतुंगी है।
प्रश्न ८७- अनुयोग किसे कहते है, इसके कितने भेद है?
उत्तर- जैनागम चार भागों में विभक्त हैं जिसे अनुयोग कहते है- प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग वद्रत्यानुयोग ।
प्रश्न ८८- अनुयोगद्वार किसे कहते है?
उत्तर- वस्तु का कथन करने में जिन अधिकारों की आवश्यकता होती है उसे अनुयोगद्वार कहते है।
प्रश्न ८९- अनंगशरा किसकी कन्या थी?
उत्तर- अनंगशरा चक्रधर नगर के चक्रवर्ती त्रिभुवनानंद की पुत्री थी।
प्रश्न ९०- तपस्या के प्रभाव से उसे कौन सी पर्याय मिली?
उत्तर- तपस्या के प्रभाव से ईशान स्वर्ग में देवी हुई।
प्रश्न ९१- विशल्या किसकी पुत्री थी? उसमें क्या विशेषता थी?
उत्तर- विशल्या राजा द्रोणमेघ की पुत्री थी उसके स्नान के जल से बड़े-२ रोग दूर हो जाते थे।
प्रश्न ९२- लक्ष्मण की अमोघ शक्ति किसके प्रभाव से दूर हुई?
उत्तर- लक्ष्मण की अमोघ शक्ति विशल्या के तप के प्रभाव से दूर हुई।
प्रश्न ९३- अयोध्या नगरी कौन से प्रदेश में स्थित है?
उत्तर- अयोध्या नगरी उत्तर प्रदेश में स्थित है।
प्रश्न ९४-गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी का जन्म कौन से प्रदेश और कौन से प्रांत में हुआ?
उत्तर- गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी का जन्म उत्तरप्रदेश व अवधप्रांत में हुआ।
प्रश्न ९५- अतिशय किसे कहते है?
उत्तर- सर्वसाधारण प्राणियों में नही पाई जाने वाली अद्भुत या अनोखाी बात को अतिशय कहते है।
प्रश्न ९६- तीर्थंकर भगवान कितने से सहित होते है?
उत्तर- तीर्थंकर भगवान ३४ अतिशयों से सहित होते है।
प्रश्न ९७- अन्तराय किसे कहते है?
उत्तर- जो कर्म जीव के गुणों में बाधा डालता है उसको अन्तरायकर्म कहते हैं।
प्रश्न ९८- अन्तराय के कितने भेद हैं?
उत्तर- अन्तराय के ५ भेद हैं- दान, लाभ, भोग, उपभोग व वीर्य।
प्रश्न ९९- दिगम्बर जैन साधु-साध्वी की आहारचर्या में बाल, चीटीं आदि का आ जान क्या कहलाता है?
उत्तर- दिगम्बर जैन साधु-साध्वी की आहारचर्या में बाल, चींटी आदि का आ जान अन्तराय है।
प्रश्न १००- अचेतन की परिभाषा लिखो?
उत्तर- जिस गुण के निमित्त से द्रव्य जान जाए पर जान न सके वह अचेतनत्व गुण है।
प्रश्न १०१- आचार्य अकम्पन के संघ में कितने मुनि थे?
उत्तर- आचार्य अकम्पन के संघ में ७०० मुनि थे।
प्रश्न १०२- रक्षाबन्धन पर्व कब से प्रारम्भ हुआ?
उत्तर- हस्तिनापुर में बलि आदि चार मंत्रियों द्वारा अकम्पन्नाचार्यादि सात सौ मुनियों पर आए उपसर्ग को विष्णुकुमार मुनिराज ने दूर किया तब से रक्षा बंधन पर्व प्रारम्भ हुआ।
प्रश्न १०३- यह पर्व किसकी स्मृति में किस तिथि को मनाया जाता है?
उत्तर- यह पर्व रक्षा की स्मृति में श्रावण शुक्ला पूर्णिमा को मनाया जाता है।
प्रश्न १०४- अकालमृत्यु किसे कहते हैं?
उत्तर- विषपान, वेदना, रक्तक्षय, तीव्रक्षय , शस्त्रघात, संक्लेश की अधिकता, आहार:श्वासोच्छ्वास के रूक जाने से आयु क्षीण होने पर जो मरण होता है वह अकालमरण है।
प्रश्न १०५- इसका दूसरा शास्त्रीय नाम क्या है?
उत्तर- इसका दूसरा शास्त्रीय नाम कदलीघात मरण है।
प्रश्न १०६- दान किसे कहते हैं?
उत्तर- स्व और पर के अनुगृह के लिए अपना धन आदि वस्तु का देना दान कहलाता है।
प्रश्न १०७- दान के कितने भेद है?
उत्तर- दान के ४ भेद है- औषधिदान, शास्त्रदान, अभयदान व आहारदान।
प्रश्न १०८- अभयदान की परिभाषा बताओ?
उत्तर- उत्तम आदि पात्रों को धर्मानुकूल वसतिका में ठहराना अथवा नई वसतिका बनवाकर साधुओं के लिए सुविधा करवाना अभयदान है।
प्रश्न १०८- इस दान से क्या फल मिलता है?
उत्तर- इस दान के प्रभाव से प्राणी निर्भय होकर मोक्षमार्ग के विघ्नों को दूर करके निर्भय मोक्षपद प्राप्त कर लेते हैं।
प्रश्न १- द्रव्य कितने है?
उत्तर- द्रव्य छह है- जीव, पुद्गल , धर्म, अधर्म, आकाश और काल।
प्रश्न २- आकाश द्रव्य किसे कहते है?
उत्तर- जीवादि छहों द्रव्यों को अवकाश (स्थान) देने में समर्थ द्रव्य को आकाश द्रव्य कहते हैं।
प्रश्न ३- आकाश द्रव्य के कितने भेद है?
उत्तर- आकश द्रव्य के २ भेद है- लोकाकाश और अलोकाकाश
प्रश्न ४- लोकाकाश किसे कहते है?
उत्तर- जितने आकाश प्रदेशों में जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म और काल द्रव्य पाया जाय उसे लोकाकाश कहते हैं।
प्रश्न ५- अलोकाकाश किसे कहते है?
उत्तर- लोकाकाश के चारों तरफ अलोकाकाश है।
प्रश्न ६- आकाश द्रव्य रूपी है अथवा अरूपी?
उत्तर- आकाश द्रव्य अरूपी है।
प्रश्न ७- दस धर्म कौन-२ से है?
उत्तर- (१) उत्तम क्षमा (२) मार्दव (३)आर्जव (४) शौच (५) सत्य (६) संयम (७) तप (८) त्याग (९) आकिञचन्य (१०) ब्रह्मचर्य।
प्रश्न ८- आकिंचन्य धर्मस किसे कहते हैं ?
उत्तर- परिग्रह का पूर्ण रूप से त्याग करने को आकिञचन्य धर्म कहते है।
प्रश्न ९- अकिन्चन कौन कहलाते है?
उत्तर- जो भव्य जीव संसार शरीर और भोगों से विरक्त होकर गृह का त्याग कर देते हैं वे ही महासाधु अविंâचन कहलाते है।
प्रश्न १०- आप्त कौन है?
उत्तर- जो क्षुधा, तृषादि अट्ठारह दोषों से रहित ‘वीतराग’ सर्वज्ञ और हितोपदेशी हैं वे ही सच्चे आप्त- देव है।
प्रश्न ११- आप्त को किन-किन नामों से जान जाता है?
उत्तर- आप्त को अर्हंत, तीर्थंकर, जिनेन्द्र, भगवान, ईश्वर, आदि अनेक नामों से जान जाता है।
प्रश्न १२- अट्ठारह दोष कौन से है?
उत्तर- (१)क्षुधा (२) तृषा (३) रोग (४) शोक (५) जन्म (६) मरण (७) बुढ़ापा (८) भय (९) गर्व (१०) राग (११) द्वेष (१२) मोह (१३) चिन्ता (१४) अरति (१५) निद्रा (१६) विस्मय (१७) पसीना (१८) खेद।
प्रश्न १३- आगम किसे कहते है?
उत्तर- सच्चेदेव (आप्त) के द्वारा कहा हुआ प्रत्यक्ष, अनुमान आदि प्रमाणों से विरोध रहित जीवादि तत्त्वों का प्रतिपादन करने वाले शास्त्र को आगम कहते है।
प्रश्न १४- आगम को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर- आगम को जिनवाणी भी कहते है।
प्रश्न १५- सप्तपरमस्थान के नाम बताओ?
उत्तर-(१)सज्जाति (२) सदृगृहस्थ (३) पारिव्राज्य (४) सुरेन्द्रता (५) साम्राज्य (६) आर्हन्त्य (७) परिनिर्वाण।
प्रश्न १६- ‘आर्हन्त्य’ परमस्थान का क्या लक्षण है?
उत्तर- स्वर्ग से अवतीर्ण हुए अर्हन्त परमेष्ठी को जो पंचकल्याणक रूप सम्पदाओं की प्राप्ति होती है उसे ‘आर्हन्त्य’ परम स्थान कहते है।
प्रश्न १७- संस्थानविचय धर्मध्यान के कितने भेद है?
उत्तर- संस्थान विचय धर्मध्यान के ४ भेद हैं- (१) पिण्डस्थ (२) पदस्थ (३) रूपस्थ (४) रूपातीत।
प्रश्न १८- पिण्डस्थ ध्यान में कितनी धारणाएं है?
उत्तर- पिण्डस्थ ध्यान में पाँच धारणांए है- (१) पार्थिवी (२) आग्नेयी (३) श्वसना (४) वारूणी (५) तत्त्वरूपवती
प्रश्न १९- आग्नेयी धारणा का मतलब क्या है?
उत्तर- कर्मों को जलाने की प्रक्रिया आग्नेयी धारणा है।
प्रश्न २०- सम्यग्दर्शन के दो भेद कौन से है?
उत्तर- (१) निसर्गज (२) अधिगमज
प्रश्न २१- सम्यग्दर्शन के तीन भेद कौन से है?
उत्तर- (१) औपशमिक (२) क्षायिक (३) क्षायोपशमिक
प्रश्न २२- सम्यग्दर्शन के दस भेद बताओ?
उत्तर- (१) आज्ञा (२) मार्ग (३) उपदेश (४) सूत्र (५) बीज (६) संक्षेप (७) विस्तार (८) अर्थ (९) अवगाढ़ (१०) परमावगाढ़ ।
प्रश्न २३- आज्ञा सम्यक्तव किसे कहते है?
उत्तर- दर्शन मोह के उपशांत होने से ग्रन्थ श्रवण के बिना केवल वीतराग भगवान की आज्ञा से ही जो तत्त्व श्रद्धान होता है उसे आज्ञा सम्यक्तव कहते हैं।
प्रश्न २४- आचार्य परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते है?
उत्तर- आचार्य परमेष्ठी के ३६ मूलगुण होते है।
प्रश्न २५- वे कौन-कौन से है?
उत्तर- १२ तप, १० धर्म, ५ आचार, ६ आवश्यक और ३ गुप्ति ये ३६ मूलगुण आचार्य परमेष्ठी के है।
प्रश्न २६- आचार किसे कहते है?
उत्तर- अपनी शक्ति के अनुसार निर्मल किए गए सम्यग्दर्शनादि में जो यत्न किया जाता है उसे आचार कहते है।
प्रश्न २७- आचार के कितने और कौन से भेद है?
उत्तर- आचार के पाँच भेद है-
(१) दर्शनाचार (२) ज्ञानाचार (३) चारित्ताचार (४) तपाचार (५) वीर्याचार
प्रश्न २८- परमेष्ठी कितने और कौन से है?
उत्तर- परमेष्ठी पाँच है- (१) अरिहंत (२)सिद्ध (३) आचार्य (४) उपाध्याय (५) साधु।
प्रश्न २९- आचार्य परमेष्ठी किस कहते है?
उत्तर- जो पंचाचारों का स्वयं आचरण करते है और अन्यों से कराते हैं तथा छत्तीस गुणों से सहित होते हैं वे आचार्य परमेष्ठी कहलाते है।
प्रश्न ३०- आचार्यों के भेद कौन से है?
उत्तर- गृहस्थाचार्य, प्रतिष्ठाचार्य, बालाचार्य, निर्यापकाचार्य, एलाचार्य इतने प्रकार के आचार्यो का कथन आगम में पाया जाता है।
प्रश्न ३१- दिगम्बर जैन साधु के कितने मूलगुण होते है?
उत्तर- दिगम्बर जैन साधु के २८ मूलगुण होते है।
प्रश्न ३२- अट्ठाईस मूलगुण कौन से है?
उत्तर- ५ महाव्रत, ५ समिति, ५ इन्द्रिय विजय, छह आवश्यक और शेष सात गुण मिलाकर २८ मूलगुण है।
प्रश्न ३३- ५ महाव्रत कौन से है?
उत्तर- (१) अहिंसा (२) सत्य (३) अचौर्य (४) ब्रह्ममर्य (५) अपरिग्रह।
प्रश्न ३४- ५ समिति के नाम बताओ?
उत्तर- (१) ईर्यासमिति (२) भाषा समिति (३) एषणा समिति (४) आदान निक्षेपण समिति (५) प्रतिष्ठापना समिति।
प्रश्न ३५- ५ इन्द्रिय विजय बताओ?
उत्तर- स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु, कर्ण इन पाँचों इन्द्रियो का वश करना ५ इन्द्रिय विजय है।
प्रश्न ३६- छह आवश्यक कौन से है?
उत्तर- (१) समता (२) वन्दना (३) स्तव (४) प्रतिक्रमण (५) प्रत्याख्यान (६) व्युत्सर्ग
प्रश्न ३७- साधु के शेष सात गुण कौन से है?
उत्तर- (१) स्नान का त्याग (२) भूमि पर शयन (३) वस्त्र त्याग (४) केशों का लोच (५) दिन में एक बार लघु भोजन (६) दांतोन का त्याग (७) खड़े होकर आहार ग्रहण । ये शेष सात गुण है।
प्रश्न ३८- नाम कर्म की कितनी प्रकृतियां है?
उत्तर- नाम कर्म की ८३ प्रकृतियाँ है।
प्रश्न ३९- आतप नाम कर्म का लक्षण क्या है?
उत्तर- जिसके उदय से पर को आताप करने वाला शरीर हो उसे आतप नामकर्म कहते है।
प्रश्न ४०- आतप नाम कर्म का उदय किसमें पाया जाता है?
उत्तर- सूर्य के बिम्ब में स्थित पृथ्वीकायिक बादर जीव के आतप नाम कर्म का उदय होता है।
प्रश्न ४१- ज्योतिषी देव कितने प्रकार के होते है?
उत्तर- ज्योतिषी देव पाँच प्रकार के होते है- (१) सूर्य (२) चन्द्रमा (३) गृह (४) नक्षत्र (५) तारा।
प्रश्न ४२- इन्हें ज्योतिष्क देव क्यों कहते है?
उत्तर- इनके विमान चमकीले होने से इन्हें ज्योतिष्क देव कहते है।
प्रश्न ४३- आठ कर्म के नाम बताओ?
उत्तर- (१) ज्ञानावरण (२) दर्शनावरण (३) वेदनीय (४) मोहनीय (५) आयु (६) नाम (७) गोत्र (८) अंतराय ।
प्रश्न ४४- ‘आत्मख्याति’ टीका किस आचार्य ने लिखी?
उत्तर- श्री अमृतचंद सूरि ने ‘आत्मख्याति’ टीका लिखी ।
प्रश्न ४५- किस ग्रन्थ पर यह टीका लिखी?
उत्तर- समयसार ग्रन्थ पर यह टीका लिखी।
प्रश्न ४६- आत्मा का लक्षण क्या है?
उत्तर- जिसमें चेतना गुण पाया जाय वह आत्मा है।
प्रश्न ४७- आत्मा के कितने भेद है?
उत्तर- आत्मा के ३ भेद हैं- (१) अंतरात्मा (२) बहिरात्मा (३) परमात्मा ।
प्रश्न ४८- जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर कौन है?
उत्तर- जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ है।
प्रश्न ४९- आदिनाथ भगवान को किन-किन नामों से जान जाता है?
उत्तर- आदिनाथ भगवान को आदिब्रह्मा, पुरूदेव, वृषभदेव, ऋषभदेव, युगादि पुरूष, विधाता आदि अनेक नामों से जान जाता है।
प्रश्न ५०- भगवान आदिनाथ का जन्म कब हुआ?
उत्तर- जब तृतीय काल में चौरासी लाख वर्ष पूर्व, तीन वर्ष साढ़े आठ मास प्रमाण काल शेष रह गया था तब भगवान आदिनाथ का जन्म हुआ।
प्रश्न ५१- भगवान ऋषभदेव का जन्म कहाँ हुआ?
उत्तर- भगवान ऋषभदेव का जन्म् शाश्वत तीर्थ अयोध्या में हुआ।
प्रश्न ५२- भगवान आदिनाथ्ज्ञ के माता-पिता का नाम बताओ?
उत्तर- भगवान आदिनाथ की माता का नाम महारानी मरूदेवी और पिता का नाम महाराजा नाभिराय था।
प्रश्न ५३- भगवान आदिनाथ का विवाह किसके साथ हुआ ?
उत्तर- भगवान आदिनाथ का विवाह यशस्वती और सुनन्दा नाम की कन्याओं के साथ हुआ।
प्रश्न ५४- भगवान आदिनाथ के कितने पुत्र एवं कितनी पुत्रियां थी?
उत्तर- भगवान आदिनाथ के भरत बाहुबली आदि १०१ पुत्र और २ पुत्रियां थी।
प्रश्न ५५- भगवान ऋषभदेव के प्रथम पुत्र एवं पुत्रियों का नाम बताओ?
उत्तर- भगवान ऋषभदेव के प्रथम पुत्र ‘भरत’ एवं ब्राह्मी, सुन्दरी पुत्रियां थी।
प्रश्न ५६- भगवान ने कौन सी षट् क्रियायें प्रजा को बताई?
उत्तर- (१) असि, (२) मसि, (३) कृषि (४) वाणिज्य (५) शिल्प (६) कला ये षट् क्रियायें प्रजा को बताई।
प्रश्न ५७- भगवान ऋषभदेव ने मोक्ष कहाँ से प्राप्त किया ?
उत्तर- भगवान ऋषभदेव ने वैâलाश पर्वत से मोक्ष प्राप्त किया ।
प्रश्न ५८- ‘आदेय’ नाम प्रकृति का लक्षण बताओ?
उत्तर- जिसके उदय से कांति सहित शरीर प्राप्त हो उसे आदेय कहते है।
प्रश्न ५९- आनुपूर्वी नाम कम्र का लक्षण बताओ?
उत्तर- जिसके उदय से विग्रह गति में मरण से पहले के शरीर के आकार से आत्मा के प्रदेश बने रहे अर्थात् पहले शरीर के आकार का नाश न हो उसे ‘आनुपूर्वी’ कहते है।
प्रश्न ६०- आनुपूर्वी नाम कर्म के कितने और कौन से भेद है?
उत्तर- आनुपूर्वी नाम कर्म के चार भेद है- (१) नरकगत्यानुपूर्वी (२) तिर्यंचगत्यानुपूर्वी (३) मनुष्यगत्यानुपूर्वी (४) देवगत्यानुपूर्वी
प्रश्न ६१- आप्तमीमांसा ग्रन्थ की रचना किसने की?
उत्तर- आप्तमीमांसा ग्रन्थ की रचना आचार्य श्री समन्तभद्र स्वामी ने की ।
प्रश्न ६२- आप्तमीमांसा ग्रन्थ का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर- आप्तमीमांसा ग्रन्थ का दूसरा नाम ‘देवागम’ स्तोत्र है।
प्रश्न ६३- आयु कर्म का लक्षण क्या है?
उत्तर- जो जीव को उस- उस स्थान में –पर्याय में रोके उसे आयु कर्म कहते है।
प्रश्न ६४- आयु कर्म के कितने और कौन से भेद है?
उत्तर- आयु कर्म के ४ भेद है- (१) नरकायु (२) तिर्यंचायु (३) मनुष्यआयु (४) देवायु ।
प्रश्न ६५- ‘प्राण’ कितने होते है?
उत्तर- प्राण दस होते है। – ५ इन्द्रिय, ३ बल, आयु और श्वासोच्छवास।
प्रश्न ६६- पाँच इन्द्रियां कौन सी है?
उत्तर- (१) स्पर्शन (२) रसना (३) घ्राण (४) चक्षु (५) कर्ण।
प्रश्न ६७- तीन बल कौन से है?
उत्तर- (१) मनबल (२) वचन बल (३) काय बल
प्रश्न ६८- आराधना किसे कहते है?
उत्तर- जिनेन्द्र देव की अष्ट द्रव्य से पूजा, जिनवाणी की पूजा और गुरूओं की पूजा करना आराधना है।
प्रश्न ६९- आराधना के कितने भेद है?
उत्तर- आराधना के ४ भेद है- (१) दर्शन (२) ज्ञान (३) चारित्र (४) तप
प्रश्न ७०- आर्जव धर्म का लक्षण क्या है?
उत्तर- मन, वचन, काय की सरलता का नाम आर्जव धर्म है।
प्रश्न ७१- मायाचारी से कौन सी गति मिलती है?
उत्तर- मायाचारी से तिर्यंच गति मिलती है।
प्रश्न ७२- ध्यान के कितने और कौन से भेद है?
उत्तर- ध्यान के ४ भेद है- (१) आर्त ध्यान (२) रौद्रध्यान (३) धर्मध्यान (४) शुक्ल ध्यान
प्रश्न ७३- ध्यान किसे कहते है?
उत्तर- एक विषय में चित्तवृत्ति को रोकना ध्यान है।
प्रश्न ७४- कौन से ध्यान संसार के कारण है?
उत्तर- आर्त और रौद्र ध्यान संसार के कारण है।
प्रश्न ७५- कौन से ध्यान मोक्ष के हेतु हैं।
उत्तर- धर्मध्यान और शुक्ल ध्यान मोक्ष के हेतु हैं।
प्रश्न ७६- आत्र्त ध्यान का लक्षण बताओ?
उत्तर- पीड़ा से उत्पन्न हुए ध्यान को आत्र्तध्यान कहते है।
प्रश्न ७७- आत्र्त ध्यान के कितने और कौन से भेद है?
उत्तर- आत्र्त ध्यान के ४ भेद है- (१) इष्ट वियोगज (२) अनिष्ट संयोगज (३) वेदनाजन्य (४) निदानज
प्रश्न ७८- आर्य किसे कहते है?
उत्तर- जो गुणों या गुणवालों के द्वारा माने जाते हैं वे आर्य कहलाते है।
प्रश्न ७९- आर्य के कितने कौन से भेद है?
उत्तर- आर्य के दो भेद है- (१) ऋद्धि प्राप्तआर्य (२) ऋद्धि रहित आर्य।
प्रश्न ८०- ऋद्धि रहित आर्य के कितने भेद है?
उत्तर- ऋद्धि रहित आर्य के पांच भेद है- (१) क्षेत्रार्य (२) जात्यार्य (३) कर्मार्य (४) चारित्रार्य (५) दर्शनार्य ।
प्रश्न ८१- क्षेत्रार्य किसे कहते है?
उत्तर- काशी कौशल आदि उत्तम देशों में उत्पन्न हुओं को क्षेत्रार्य कहते है।
प्रश्न ८२- जात्यार्य किसे कहते है?
उत्तर- इक्ष्वाकु, ज्ञाति, भोज आदिक उत्तम कुलों में उत्पन्न हुओं का जात्यार्य कहते है।
प्रश्न ८३- कर्मार्य कितने प्रकार के है?
उत्तर- कर्मार्य तीन प्रकार के है- (१) सावद्य कर्म आर्य (२) अल्पसावद्य कर्मार्य (३) असावद्य कर्मार्य।
प्रश्न ८४- अल्प सावद्य कर्मार्य के कितने भेद है?
उत्तर- अल्प सावद्य कर्मार्य के छ: भेद है- असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, विद्या और शिल्प
प्रश्न ८४- चारित्रार्य कितने प्रकार के है?
उत्तर- चारित्रार्य २ प्रकार के है- (१) अधिगत चारित्रार्य (२) अनधिगत चारित्रार्य
प्रश्न ८५- दर्शर्ना कितने प्रकार के है?
उत्तर- दर्शनार्य दस प्रकार के है- (१) आज्ञा (२) मार्ग (३) उपदेश (४) सूत्र (५) बीज (६) संक्षेप (७) विस्तार (८) अर्थ (९) अवगाढ़ (१०) परमावगाढ़ रूचि के भेद से।
प्रश्न ८६- भरत क्षेत्र में कितने आर्यखण्ड है?
उत्तर- भरत क्षेत्र में एक आर्यखण्ड है।
प्रश्न ८७- जम्बूद्वीप में कुल कितने आर्यखण्ड है?
उत्तर- जम्बूद्वीप में कुल ३४ आर्यखण्ड है।
प्रश्न ८८- ढाई द्वीप में कितने आर्यखण्ड है?
उत्तर- ढाई द्वीप में १७० आर्यखण्ड है।
प्रश्न ८९- षट् काल पिरवर्तन कहाँ होता है?
उत्तर- षट् काल परिवर्तन भरत क्षेत्र एवं ऐरावत क्षेत्र के आर्यखण्ड में होता हैं।
प्रश्न ९०- षट् काल परिवर्तन के नाम बताओ?
उत्तर- (१) सुषमा-सुषमा (२) सुषमा (३) सुषमा दुषमा (४) दुषमा सुषमा (५) दुषमा (६) दुषमा-दुषमा
प्रश्न ९१- वर्तमान में कौन सा काल चल रहा है?
उत्तर- वर्तमान में दुषमा नाम का पंचम काल चल रहा है।
प्रश्न ९२- चतुर्विध संघ किसे कहते है?
उत्तर- मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका ये चतुर्विध संघ कहे जाते है।
प्रश्न ९३- आर्यिकाओं के कितने मूलगुण होते है?
उत्तर- आर्यिकाओं के भी मुनि के समान २८ मूलगुण होते है।
प्रश्न ९४- आर्यिकाओं के कौन से मूलगुण में मुनियों से अन्तर है?
उत्तर- आर्यिकाएं बैठकर आहार लेती है और २ साड़ी मात्र परिग्रह रखती हैं ये दो मूलगुण में अन्तर है।
प्रश्न ९५- आर्यिकाओं को कौन सा गुणस्थान होता है?
उत्तर- आर्यिकाओं को पंचम गुणस्थान होता है।
प्रश्न ९६- आर्यिकाएं किस रूप में महाव्रती कही जाती है?
उत्तर- आर्यिकाएं उपचार से महाव्रती कही जाती है।
प्रश्न ९७- आर्यिकाएं ऐलक की अपेक्षा श्रेष्ठ वैâसे है?
उत्तर- ग्यारहवीं प्रतिमा धारी ऐलक लंगोटी में ममत्व सहित होने से उपचार महाव्रत के योग्य नहीं है किन्तु आर्यिका एक साड़ी मात्र धारण करने पर भी ममत्व रहित होने से उपचार महाव्रत के योग्य है अत: ऐलक से श्रेष्ठ है।
प्रश्न ९८- मुनियों में प्रमुख कौन है?
उत्तर- आचार्य मुनियों में प्रमुख हैं।
प्रश्न ९९- आर्यिकाओं में प्रमुख कौन है?
उत्तर- आर्यिकाओं में प्रमुख ‘गणिनी’ है।
प्रश्न १००- कल्पवृक्ष कितने प्रकार के होते है? उनके नाम बताओ?
उत्तर- कल्पवृक्ष १० प्रकार के होते है- (१) पानांग (२) तूर्यांग (३) भूषणांग (४) वस्त्रांग (५) भोजनांग (६) आलयांग (७) दीपांग (८) भाजनांग (९) मालांग (१०) ज्योतिरंग ।
प्रश्न १०१- ‘आलयांग’ नाम का कल्पवृक्ष क्या प्रदान करता है?
उत्तर- ‘आलयांग’ नाम का कल्पवृक्ष स्वस्तिक, नंद्यावर्त आदि सोलह प्रकार के दिव्य भवनों को प्रदान करता है।
प्रश्न १०२- कल्पवृक्ष पृथ्वीकायिक है या वनस्पति कायिक?
उत्तर- कल्पवृक्ष पृथ्वीकायिक है।
प्रश्न १०३- प्रायश्चित्त तप के कितने भेद है नाम बताओ?
उत्तर- प्रायश्चित्त तप के ९ भेद है- (१) आलोचना (२) प्रतिक्रमण (३) तदुभय (४) विवेक (५) व्युत्सर्ग (६) तप (७) छेद (८) परिहार (९) उपस्थापना
प्रश्न १०४- आलोचना किसे कहते है?
उत्तर- प्रमाद से लगे दोषो को गुरू के पास जाकर निष्कपट रीति से कहना, आलोचना है।
प्रश्न १०५- सात प्रकार की आलोचना कौन सी है?
उत्तर- (१) दैवसिक (२) रात्रिक (३) ईर्यापथिक (४) पाक्षिक (५) चातुर्मासिक (६) सांवत्सरिक (७) उत्तमार्थ।
प्रश्न १०६- आलोचना के २ भेद कौन से है?
उत्तर- (१) ओधालोचना (२) पदविभागी आलोचना
प्रश्न १०७- आलोचना के १० अतिचार बताओ?
उत्तर- (१) आकंपित (२) अनुमानित (३) यद्दृष्ट (४) स्थूल (५) सूक्ष्म (६) छन्न (७) शब्दाकुलित (८) बहुजन (९) अव्यक्त (१०) तत्सेवी।
प्रश्न १०८- आवर्त किसे कहते है?
उत्तर- सामायिक में दोनों हाथों को जोड़कर दायें से बायें घुमाना आवर्त है।
प्रश्न १०९- एक कायोत्सर्ग में कितने आवर्त होते है?
उत्तर- एक कायोत्सर्ग में १२ आवर्त होते है।
प्रश्न ११०- आवर्त के कितने भेद है?
उत्तर- मन, वचन, काय की अपेक्षा आर्वत के ३ भेद है।
प्रश्न १११- श्रावक की षट् आवश्यक क्रियायें कौन सी है?
उत्तर- (१) देव पूजा (२) गुरूपास्ति (३) स्वाध्याय (४) संयम (५) तप (६) दान ।
प्रश्न ११२- साधुओं की छह आवश्यक क्रियायें कौन सी है?
उत्तर- (१) समता (२) वन्दना (३) स्तव (४) प्रतिक्रमण (५) प्रत्याख्यान (६) व्युत्सर्ग
प्रश्न ११३- तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किससे होता है?
उत्तर- तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध कराने वाली सोलह कारण भावनाएं है।
प्रश्न ११४- आवश्यकापरिहाणि भावना का क्या अर्थ है?
उत्तर- छह आवश्यक क्रियाओं का सावधानी से पालन करना आवश्यकापरिहाणि भावना है।
प्रश्न ११५- सोलह कारण भावनाओं के नाम बताओ?
उत्तर- (१) दर्शन विशुद्धि (२) विनय सम्पन्नता (३) शीलव्रतेष्वनतिचार (४) अक्षीक्ष्णज्ञायोपयोग (५) संवेग (६) शक्तितस्त्याग (७) शक्तितस्तप (८) साधु समाधि (९) वैयावृत्य करण (१०) अर्हन्तभक्ति (११) आचार्य भक्ति (१२) बहुश्रुत भक्ति (१३) प्रवचन भक्ति (१४) आवश्यक अपरिहाणि (१५) मार्ग प्रभावना (१६) प्रवचन वत्सलत्व।
प्रश्न ११६- भवनवासी एवं व्यंतर वासी देवों के निवास स्थान कहा है?
उत्तर- भवनवासी एवं व्यंतरवासी देवों के निवास स्थान रमणीय तालाब, पर्वत वृक्षादिकों पर द्वीप समुद्रो के ऊपर है।
प्रश्न ११७- इन देवों के निवास स्थान के कितने भेद है?
उत्तर- ३ भेद है- (१) भवन (२) भवनपुर (३) आवास
प्रश्न ११८- रत्नप्रभा पृथ्वी के कितने भाग है?
उत्तर- रत्नप्रभा पृथ्वी के ३ भाग है- (१) खरभाग (२) पंक भाग (३) अब्बहुल भाग ।
प्रश्न ११९- ऋद्धियों के कितने भेद है?
उत्तर- ऋद्धियों के आठ भेद है- (१) बुद्धिऋद्धि (२) विक्रिया ऋद्धि (३) क्रिया ऋद्धि (४) तपऋद्धि (५) बल ऋद्धि (६) औषधि ऋद्धि (७) रस ऋद्धि (८) क्षेत्र ऋद्धि ।
प्रश्न १२०- रस ऋद्धि के कितने भेद है?
उत्तर- रस ऋद्धि के ६ भेद है।
प्रश्न १२१- आशीर्विष रस ऋद्धि का लक्षण क्या है ?
उत्तर- जिस शक्ति से दुष्कर तप से युक्त मुुनि के द्वारा ‘मर जाओ’ इस प्रकार कहने पर जीव सहसा मर जावे। ऐसी शक्ति, होती है उसे आशीर्विष रस ऋद्धि कहते है।
प्रश्न १२२- जैनों के आश्रम के कितने भेद है?
उत्तर- जैनों के आश्रम के चार भेद है- (१) ब्रह्मचारी (२) गृहस्थ (३) वानप्रस्थ (४) भिक्षुक ।
प्रश्न १२३- ब्रह्मचर्य आश्रम किसे कहते है?
उत्तर- जहाँ कुमार काल में प्रवेश कर अर्थात् गुरूकुल आदि में रहकर यज्ञोपवीत संस्कार से सुसंस्कृत होकर शास्त्रों का अभ्यास करता है वह ब्रह्मचर्य आश्रम है।
प्रश्न १२४- गृहस्थ आश्रम में गृहस्थों के छह आर्यकर्म कौन से है?
उत्तर- (१) इज्या (२) वार्ता (३) दत्ति (४) स्वाध्याय (५) संयम (६) तप ।
प्रश्न १२५- इन षट् कर्मों में तत्पर गृहस्थ कितने प्रकार के है?
उत्तर- दो प्रकार के होते है- (१) जाति क्षत्रिय (२) तीर्थ क्षत्रिय ।
प्रश्न १२६- जाति क्षत्रिय कौन है?
उत्तर- चार वर्णों में से क्षत्रिय वर्ण में जन्म लेने वाले जाति क्षत्रिय है।
प्रश्न १२७- तीर्थ क्षत्रिय कौन है?
उत्तर- तीर्थंकर, नारायण, चक्रवर्ती आदि तीर्थ क्षत्रिय कहलाते है।
प्रश्न १२८- वानप्रस्थ आश्रम किसे कहते है?
उत्तर- जो दिगम्बर रूप को धारण न करके खंडवस्त्र को धारण करते हैं अर्थात् क्षुल्लक, ऐलक अवस्था में रहते हैं वे वानप्रस्थ कहलाते है।
प्रश्न १२ ९- भिक्षुक किसे कहते है?
उत्तर- भगवान अर्हंत देव की दिगम्बर अवस्था को धारण करने वाले भिक्षु कहलाते है।
प्रश्न १३०- भिक्षु कितने प्रकार के होते है?
उत्तर- भिक्षु के ४ भेद है- (१) अनगार (२) यति (३) मुनि (४) ऋषि
प्रश्न १३१- आसन से क्या मतलब है?
उत्तर- ध्यान के समय प्रयोग करने की क्रिया आसन है।
प्रश्न १३२- आसन कितने प्रकार के है?
उत्तर- पद्मासन, अर्धपआसन, वङ्काासनस, वीरासन, सुखासन, कमलासन, कायोत्सर्ग ये ध्यान के योग्य आसन माने गए है।
प्रश्न १३३- आसादना किसे कहते है?
उत्तर- जैसे का तैसा नही कहना बल्कि जीव आदि तत्त्वों पर शंका करना आसादना है।
प्रश्न १३४- ‘आस्तिक्य’ का लक्षण बताओ?
उत्तर- सर्वज्ञ वीतराग देव द्वारा प्रणीत जीवादिक तत्त्वों में रूचि होने को आस्तिक्य कहते है।
प्रश्न १३५- तत्त्व कितने होते है?
उत्तर- तत्त्व सात होते हैं- (१) जीव (२) अजीव (३) आस्रव (४) बंध (५) संवर (६) निर्जरा (७) मोक्ष
प्रश्न १३६- आश्रव का लक्षण बताओ?
उत्तर- आत्मा में शुभ-अशुभ कर्मों का आना आस्रव है।
प्रश्न १३७- साम्परायिक आस्रव किसको होता है?
उत्तर- कषाय सहित योग वाले जीवो को साम्परायिक आस्रव होता है।
प्रश्न १३८- ईर्यापथ आस्रव किसको होता है?
उत्तर- कषाय सहित वाले जीवों के ईर्यापथ आस्रव होता है।
प्रश्न १३९- साम्परायिक आस्रव के कितने, कौन से भेद है?
उत्तर- साम्परायिक आस्रव के ३९ भेद है- ५ इन्द्रिया, ४ कषाय, ५ अव्रत और २५ क्रियायें
प्रश्न १४०- आस्रव के २ भेद कौन से है?
उत्तर- (१) द्रव्यास्रव (२) भावास्रव
प्रश्न १४१- द्रव्यास्रव किसे कहते है?
उत्तर- ज्ञानावरणादि कर्मों के योग्य जो पुद्गल आता है उसे द्रव्यास्रव कहते है।
प्रश्न १४२- भावास्रव किसे कहते है?
उत्तर- आत्मा के जिस परिणाम से पुद्गल द्रव्य कर्म बनकर आत्मा में आता है उस परिणाम को भावास्रव कहते है।
प्रश्न १४३- ‘आहार’ किसे कहते है?
उत्तर- तीन शरीर और छह पर्याप्तियों के योग्य पुद्गलों के ग्रहण करने को ‘आहार’ कहते है।
प्रश्न १४४- आहार के भेद बताओ?
उत्तर- आहार के ४ भेद है- (१) कर्माहारादि (२) खाद्यादि (३) कांजी आदि (४) पानकादि।
प्रश्न १४५- कर्माहारादि से क्या-२ लेना?
उत्तर- (१) कर्माहार (२) नोकर्माहार (३) कवलाहार (४) लेप्याहार (५) ओजाहार (६) मानसाहार
प्रश्न १४६- खाद्यादि से क्या-२ आता है?
उत्तर- अशन, पान, भक्ष्य या खाद्य, लेह्य, स्वाद्य ।
प्रश्न १४७- कांजी आदि से क्या लेना?
उत्तर- कांजी, आंवली या आचाम्ल, बेलड़ी, एकलटाना।
प्रश्न १४८- पानकादि से क्या लेना?
उत्तर- स्वच्छ, बहल, लेवड़, अलेवड़, ससिक्थ, असिक्थ
प्रश्न १४९- नवधा भक्ति के नाम बताओ?
उत्तर- (१) पड़गाहन (२) उच्चासन (३) पादप्रक्षालन (४) पूजन (५) नमस्कार (६) मनशुद्धि (७) वचनशुद्धि (८) कायशुद्धि (९) आहार जल शुद्धि।
प्रश्न १५०- दाता के सात गुण कौन से है?
उत्तर- (१) श्रद्धा (२) भक्ति (३) विज्ञान (४) सन्तोष (५) शक्ति (६) अलुण्धता (७) क्षमा ।
प्रश्न १५१- आहारक किसे कहते है?
उत्तर- जो जीव औदारिक, वैक्रियिक और आहारक इन शरीरों में से उदय को प्राप्त हुए किसी एक शरीर के योग्य शरीर वर्गणा को तथा भाषा वर्गणा और मनोवर्गणा को नियम से ग्रहण करता है, वह आहारक कहा गया है।
प्रश्न १५२- अनाहारक किसे कहते है?
उत्तर- तीनों शरीरों और छह पर्याप्तियों के योग्य पुद्गलों रूप आहार जिनके नही होता, वह अनाहारक कहलाते है।
प्रश्न १५३- शरीर के कितने भेद है? नाम बताओ?
उत्तर- शरीर के ५ भेद है- (१) औदारिक (२) वैक्रियक (३) आहारक (४) तैजस (६) कार्माण।
प्रश्न १५४- आहारक शरीर किसे कहते है?
उत्तर- छठे गुणस्थानवर्ती मुनि के द्वारा सूक्ष्म पदार्थों को जानने के लिए अथवा संयम की रक्षा, तीर्थ वन्दना हेतु, अन्य क्षेत्र में मौजूद केवली या श्रुत केवली के पास भेजने के लिए मुनि के मस्तक से जो एक हाथ का सफेद रंग का पुतला निकलता है उसे आहारक शरीर कहते है।
प्रश्न १५५- आहारक शरीर की जघन्य एवं उत्कृष्ट स्थिति कितनी है?
उत्तर- अन्तर्मुहूत मात्र है।
प्रश्न १५६- समुद्घात किसे कहते है?
उत्तर- मूल शरीर को न छोड़कर तैजस-कार्माण रूप उत्तरदेह के साथ-साथ जीव प्रदेशों के शरीर से बाहर निकलने को समुद्घात कहते है।
प्रश्न १५७- समुद्घात के कितने भेद बताओ?
उत्तर- समुद्घात के ७ भेद है- (१) वेदना (२) कषाय (३) वैक्रियक (४) मारणातिक (५) तैजस (७) आहारक (८) केवली।
प्रश्न १५८- पर्याप्ति किसे कहते है?
उत्तर- गृहीत आहार वर्गणा का खल रस भाग आदि रूप परिणमाने की जीव की शक्ति के पूर्ण हो जाने को पर्याप्ति कहते है।
प्रश्न १५९- पर्याप्ति के भेद बताओ?
उत्तर- पर्याप्ति के छह भेद है- (१) आहार (२) शरीर (३) इन्द्रिय (४) श्वासोच्छवास (५) भाषा (६) मन।
प्रश्न १६०- एकेन्द्रिय जीवों के कितनी पर्याप्ति होती है?
उत्तर- एकेन्द्रिय जीवों के प्रारम्भ की ४ पर्याप्ति होती है- आहार, शरीर इन्द्रिय, श्वासोच्छवास।
प्रश्न १६१- दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय चार इन्द्रिय और असंज्ञी पाचेन्द्रिय जीवों के कितनी पर्याप्ति होती है?
उत्तर- इन जीवों के मन रहित पाँच पर्याप्ति होती है। संज्ञी जीवों में मन सहित छह पर्याप्तियां होती है।
प्रश्न १६२- संज्ञा किसे कहते है?
उत्तर- वाञछा को संज्ञा कहते है। जिसके निमित्त से दोनों ही भवों में दारूण दुख की प्राप्ति होती है उस वांछा को संज्ञा कहते है।
प्रश्न १६३- संज्ञा कितने प्रकार की होती है?
उत्तर- संज्ञा चार प्रकार की होती है- (१) आहार (२) भय (३) मैथुन (४) परिग्रह
प्रश्न १६४- आदेय नाम कर्म का लक्षण बताओ?
उत्तर- जिस कर्म के उदय से कांति सहित शरीर हो उसे आदेय नाम कर्म कहते है।
प्रश्न १६५- आबाधा काल किसे कहते है?
उत्तर- कर्म का बंध हो जाने के पश्चात् वह तुरंत ही उदय में नहीं आता, बल्कि कुछ काल पश्चात् परिपक्व दशा को प्राप्त होकर ही उदय में आता है। इस काल को आबाधा काल कहते है।
(१) तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ के रचियता का नाम
*उत्तर* आ.उमास्वामी महाराज
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(२) सहस्रनाम के रचीयता का नाम
*उत्तर* आ.जिनसेन स्वामी
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(३) स्वंभूस्तोत्र के रचियता का नाम
*उत्तर* आ. समंतभद्र स्वामी
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(४) रत्नकरण्ड श्रावकाचार ग्रंथ के रचियता का नाम
*उत्तर* आ.समंतभद्र स्वामी
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(५) पुरुषार्थसिद्धि उपाय के रचियता का नाम
*उत्तर* आ.अमृतचंद्र स्वामी
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(६) सर्वार्थसिद्धि ग्रंथ के रचियता का नाम
*उत्तर* आ. पूज्यपाद स्वामी
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(७) जिन सरस्वती ग्रंथ के रचियता का नाम
*उत्तर* मुनि श्री प्रशांत सागर जी
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(८) द्रव्यसंग्रह ग्रंथ के रचियता का नाम
*उत्तर* आ नेमीचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती
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(९) भक्तांबर स्तोत्र के रचियता का नाम
*उत्तर* आ मानतुंग स्वाम
(१) तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ के रचियता का नाम
*उत्तर* आ.उमास्वामी महाराज
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(२) सहस्रनाम के रचीयता का नाम
*उत्तर* आ.जिनसेन स्वामी
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(३) स्वंभूस्तोत्र के रचियता का नाम
*उत्तर* आ. समंतभद्र स्वामी
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(४) रत्नकरण्ड श्रावकाचार ग्रंथ के रचियता का नाम
*उत्तर* आ.समंतभद्र स्वामी
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(५) पुरुषार्थसिद्धि उपाय के रचियता का नाम
*उत्तर* आ.अमृतचंद्र स्वामी
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(६) सर्वार्थसिद्धि ग्रंथ के रचियता का नाम
*उत्तर* आ. पूज्यपाद स्वामी
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(७) जिन सरस्वती ग्रंथ के रचियता का नाम
*उत्तर* मुनि श्री प्रशांत सागर जी
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(८) द्रव्यसंग्रह ग्रंथ के रचियता का नाम
*उत्तर* आ नेमीचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती
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(९) भक्तांबर स्तोत्र के रचियता का नाम
*उत्तर* आ मानतुंग स्वामी