*तीर्थंकरों में समानता असमानता*
घाति कर्मों के क्षय होने से होनेवाला केवलज्ञान, केवलदर्शन, वीतरागता और अनंतवीर्य गुण-सभी तीर्थंकरों में एक समान होते हैं ।
घाति कर्मों के क्षय के बाद तीर्थंकर नामकर्म उदय में आता है, उस कर्म के उदय से चार, कर्मक्षय से ग्यारह और देवकृत 19 अतिशय अर्थात् 34 अतिशय सभी तीर्थंकरों के एक समान होते हैं ।
तीर्थंकर परमात्मा के मुख्य 12 गुण, 4 अतिशय-ज्ञानातिशय, वचनातिशय, पूजातिशय और अपायापगमातिशय तथा अशोक वृक्ष आदि आठ प्रतिहार्य सभी तीर्थंकरों के एक समान होते हैं ।
● सभी तीर्थंकर के च्यवन आदि पाँच कल्याणक होते हैं ।
सभी तीर्थंकरों के च्यवन समय माता को 14 स्वप्न दर्शन, जन्म समय इन्द्रों द्वारा प्रभु का मेरुपर्वत पर जन्माभिषेक, दीक्षा समय इंद्र आदि का आगमन, शिबिका रचना, दीक्षा बाद इंद्र द्वारा तीर्थंकर परमात्मा के बाएँ स्कंध पर देवदूष्य रखना, केवलज्ञान बाद समवसरण, आदि की रचना करना व निर्वाण के समय इंद्रों का आगमन आदि सभी तीर्थंकरों में एक समान होते हैं ।
*असमानता :-* सभी तीर्थंकरों का आयुष्य एक समान नहीं होता है । ऋषभदेव प्रभु का 84 लाख पूर्व वर्ष तथा महावीर प्रभु का 72 वर्ष ही था ।
● ऋषभदेव प्रभु की ऊँचाई 500 धनुष थी जबकि महावीर प्रभु की ऊँचाई 7 हाथ थी ।
● ऋषभदेव प्रभु का छद्मस्थकाल 1000 वर्ष था, महावीर प्रभु का 12.5 वर्ष ही था ।
● सभी तीर्थंकरों का वर्ण एक समान नहीं होता है ।
● सभी तीर्थंकरों के कर्म एक समान नहीं थे, अतः उपसर्ग आदि एक समान नहीं हुए ।
🙏🏽🙏🏼जय जिनेन्द्र सुप्रभात