आर्यिका रत्न 105 ज्ञेयश्री माताजी ससंघ* के पावन सानिध्य में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व (दस लक्षण महापर्व) के पांचवे दिवस गुरुमा ज्ञेयश्री माताजी के मुखारविन्द उत्तम सत्य धर्म पर विशेष प्रवचन श्रवण करने का धर्म लाभ मिला

गुरुमा ने कहा कि गुरुमा ने दस धर्मो में शुरू में चार दिवस चार कषायों के विसर्जन का उपदेश दिया है

जब कषायों का हो जाता है विसर्जन

तब पुण्य का होता है सर्जन

जो लोभ करना छोड़ देता है वह सत्य धर्म को अंगीकार कर लेता है

संग्रहव्रति चींटियों में भी पाई जाती है पक्षियों में भी पाई जाती है चीटियाँ एक एक दाना शक्कर का लाकर संग्रह कर लेती है पक्षी एक एक दाना संग्रह कर लेते है लेकिन संग्रह इतना ही करते है जितनी जरूरत है

हर जीव के अंदर एक न एक अच्छाई ओर एक न एक बुराई होती ही है

दुनिया मे सत्य बोलने वाले भी है और असत्य बोलने वाले भी है

दिगम्बर मुनि सत्यव्रत धारी भी होते है सत्य महाव्रत का पालन करने के लिये अहिंसा महाव्रत का पालन करना पड़ता है

मुनीराज का कार्य है साधना करना, तपस्या करना, चारीत्र धर्म का पालन करना, जिनवाणी का रसपान करना अहिंसा का पालन भी करते है सत्यमहाव्रत का भी पालन करते है

अहिंसा के बिना सत्य नही रह सकता है और सत्य के बिना अहिंसा नही रह सकती है

*सत्यमेव जयते*

सत्य की हमेशा जीत होती है

आगम के अनुसार पंचम काल के अंत तक मुनीराज होते रहेंगे लेकिन एक मत ऐसा भी आ गया कि जो कहता है कि पंचम काल मे मुनि नही होते है

जो शेरनी का दूध होता है वह स्वर्ण पात्र में ही ठहरता है अगर उसे तांबे के पात्र चांदी के पात्र एल्मुनियम के पात्र या मिट्टी के पात्र में रख दिया तो वह बर्तन फुट जाएगा उसके टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे

इसी प्रकार सत्य सम्यक द्रष्टि के ह्रदय में ठहरता है मिथ्या द्रष्टि उसे पचा नही सकता है

घोड़े को बादाम नही पचती है, गधे को घी नही पचता है और पापियों को सत्य नही पचता है

हमेशा सत्य का ही अवलंबन लेना चाहिये झूठ कभी नही बोलना चाहिये

सत्य के आगे नाग हार बन गया और शूली सिंहासन बन गई

सत्यम कंठस्य भूषणम सत्य कंठ का आभूषण है

असत्य नर को वानर बना देता है और सत्य वानर को नर बना देता है

लोग कहते है हमे झूठ पसंद नही है में पूछता हूं कि झूठ बोलना पसंद नही है या झूठ सुनना पसंद नही है झूठ बोलना तो खूब पसंद है लेकिन झूठ सुनना पसंद नही है

दुनियां में कोई स्कूल पाठशाला नही है जहां बच्चो को झूठ बोलना सिखाती है बच्चो को झूठ बोलना हम ही सिखाते है

एक झूठ छिपाने के लिये आदमी सो झूठ का सहारा लेता है

असत्य के साथ जीने से अच्छा है सत्य के साथ मरना

आचार्य श्री ने कहा कि ऐसा सत्य भी नही बोलना चाहिये कि किसी के प्राण चले जाये और ऐसा असत्य भी नही बोलना चाहिये कि किसी की जीवन लीला समाप्त हो जाये

धर्म की रक्षा के लिये असत्य भी बोला जाए तो वह सत्य ही है उसका दोष नही लगता है लेकिन धन कमाने के लिये किसी को लूटने के लिये बोला असत्य पाप है उसका दोष लगता ही है

हमे हमेशा सोच समझ कर बोलना चाहिये

प्रारम्भ में जिनेंद्र अभिषेक,शांतिधारा नित्य नियम पूजन पर्व पूजन गुरु पूजन एवम चित्र अनावरण दीप प्रज्वलन पाद प्रक्षालन शाश्त्र भेट आदि मांगलिक क्रियाएं सम्पन्न हुई

*दोपहर 3 बजे से 4.30 तक-* तत्वार्थ शुत्र पर विशेष प्रवचन

*सायंकाल 6 बजे से 6.30:-* तक संघस्थ ब्रह्नचारिणी काजल दीदी द्वारा श्रावक प्रतिक्रमण

*6.30 से 7.15:-*गुरुमा  द्वारा विशेष मंत्रो का उच्चारण ॐ ध्वनि,तीर्थराज सम्मेद शिखर जी का ध्यान

*7.15 से 8.30:-* तक श्री जी एवम गुरुमा की संगीतमय आरती, तदुपरांत स्वाध्याय प्रवचन

आदि कार्यक्रम सम्पन्न होंगे


*गुरु चरणों मे नमन......*🙏

*आयोजक:- दिगम्बर जैन समाज 

*सहयोगी:-  महिला मंडल