(4) *जानकारी*


 *यदि आप 45 वर्ष से अधिक हैं, तो यह हैल्थ पोस्ट आपके लिए है-*


*⭕ दो चीजें चैक करते रहो-*

(1) अपना बी०पी० 

(2) अपना ब्लडशुगर लेवल।


*⭕ अपने भोजन में 3 चीजें कम करें*-

(1) नमक 

(2) चीनी 

(3) स्टार्च वाली वस्तुएं।


*⭕ अपने भोजन में 4 चीजें बढ़ायें*-

(1) हरी सब्जियां 

(2) बीन्स 

(3) फल 

(4) सूखे मेवे (प्रोटीन)।


*⭕ तीन बातों को भूलने की आवश्यकता*-

(1)अपनी उम्र 

(2)अपना भूतकाल 

(3) अपनी इच्छाएं।


*⭕ आपके पास 4 चीजें होनी चाहिए, यह मायने नहीं रखता है कि आप कमजोर हैं या मजबूत-*

(1) मित्र, जो आपसे वास्तविक प्यार करें।

(2) आपकी फिक्र(care) करने वाला परिवार। 

(3) सकारात्मक सोच। 

(4) घर में अपना कक्ष।


*⭕ 5 चीजें आपके स्वास्थ्य के लिए आवश्यक-*

(1) नियमित अंतराल पर व्रत

(2) मुस्कराहट/हंसी 

(3) टहलना/व्यायाम/प्राणायाम 

(4) वजन में कमी 

(5) सामाजिक/परोपकारी कार्य।


*⭕ 6 बातें आपको नहीं करनी हैं-*

(1) तीव्र भूख लगने तक खाने की प्रतीक्षा। 

(2) तीव्र प्यास लगने तक पानी पीने की प्रतीक्षा।

(3) तेज नींद न आने तक शैय्या पर जाने का इंतजार।

(4) खूब थक न जाने तक आराम करने की प्रतीक्षा।

(5) जब  बीमार पड़ जाए, तब  मैडीकल चैक अप कराने की प्रतीक्षा।

(6) जब तक समस्याओं से घिर न जाए, तब तक ईश्वर को याद करने की प्रतीक्षा।


अपना ख्याल रखें तथा उन्हें भी फारवर्ड करें, जिनके आप शुभचिंतक हैं। यदि आप इन्हें अपनायेंगे तो यह आपके लिए बहुत लाभदायक होंगे। 


*आपका शरीर ही मंदिर है, इसकी देखभाल अवश्य करें।*


*शुभ 🙏स्नेह 🙏वंदन*

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(5) *जानकारी*


*खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ*


आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े होकर भोजन करने का रिवाज चल पडा है लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमें नीचे बैठकर ही भोजन करना चाहिए । खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ तथा पंगत में बैठकर भोजन करने से जो हानि होती हैं वे निम्नानुसार है👇


(१) यह आदत असुरों की है । इसलिए इसे ‘राक्षसी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।


(२) इसमें पेट, पैर व आँतों पर तनाव पड़ता है, जिससे गैस, कब्ज, मंदाग्नि, अपचन जैसे अनेक उदर-विकार व घुटनों का दर्द, कमरदर्द आदि उत्पन्न होते हैं । कब्ज अधिकतर बीमारियों का मूल है ।


(३) इससे जठराग्नि मंद हो जाती है, जिससे अन्न का सम्यक् पाचन न होकर अजीर्णजन्य कई रोग उत्पन्न होते हैं ।


(४) इससे हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे हृदयरोगों की सम्भावनाएँ बढ़ती हैं ।


(५) पैरों में जूते-चप्पल होने से पैर गरम रहते हैं । इससे शरीर की पूरी गर्मी जठराग्नि को प्रदीप्त करने में नहीं लग पाती ।


(६) बार-बार कतार में लगने से बचने के लिए थाली में अधिक भोजन भर लिया जाता है, फिर या तो उसे जबरदस्ती ठूँस-ठूँसकर खाया जाता है जो अनेक रोगों का कारण बन जाता है अथवा अन्न का अपमान करते हुए फेंक दिया जाता है ।


(७) जिस पात्र में भोजन रखा जाता है, वह सदैव पवित्र होना चाहिए लेकिन इस परम्परा में जूठे हाथों के लगने से अन्न के पात्र अपवित्र हो जाते हैं । इससे खिलानेवाले के पुण्य नाश होते हैं और खानेवालों का मन भी खिन्न-उद्विग्न रहता है


(८) हो-हल्ले के वातावरण में खड़े होकर भोजन करने से बाद में थकान और उबान महसूस होती है । मन में भी वैसे ही शोर-शराबे के संस्कार भर जाते हैं ।


।।। श्री निम्बार्क ज्योतिष शोध संस्थान ।।।


 बैठकर (या पंगत में) भोजन करने से लाभ


(१) इसे ‘दैवी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।


(२) इसमें पैर, पेट व आँतों की उचित स्थिति होने से उन पर तनाव नहीं पड़ता ।


(३) इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है, अन्न का पाचन सुलभता से होता है ।


(४) हृदय पर भार नहीं पड़ता ।


(५) आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होने में मदद मिलती है । इसीलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ-पैर धोने की परम्परा है ।


(६) पंगत में एक परोसनेवाला होता है, जिससे व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार भोजन लेता है । उचित मात्रा में भोजन लेने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है व भोजन का भी अपमान नहीं होता ।


(७) भोजन परोसनेवाले अलग होते हैं, जिससे भोजनपात्रों को जूठे हाथ नहीं लगते । भोजन तो पवित्र रहता ही है, साथ ही खाने-खिलानेवाले दोनों का मन आनंदित रहता है ।N


(८) शांतिपूर्वक पंगत में बैठकर भोजन करने से मन में शांति बनी रहती है, थकान-उबान भी महसूस नहीं होती ।

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