पद्मावती माता की आरती (तर्ज - माईन-माईन.... )
पार्श्व प्रभु की शासन यक्षी, जय पद्मावती माता ।
दीप लिये हम आरती करते, दो भक्तों को साता ॥
बोलो पद्मावती की जय, बोलो अंबे माँ की जय...
क्षेत्र आपके मात बहुत से, हुमचा दिल्ली काशी।
धर्मतीर्थ में तुमको पूजें, नर-नारी वनवासी ॥
नागयक्ष की आप प्रिया हो - 2, भुवन वासिनी माता... दीप..
बोलो पद्मावती की जय... ।। 1 ।।
गुप्ति गुरु ने धर्मतीर्थ पे, तुमको मात बिठाया।
अष्ट धातु में चौबीस बाहु, रूप तेरा मन भाया ।
गोद भरें श्रृंगार कराये - 2, तुमको ध्यायें माता... दीप...
बोलो पद्मावती की जय....।।2 ॥
नवरात्रि वा शुक्रवार या पर्व बड़े जब आयें ।
तब दरबार लगा माँ तेरा,भक्ति नृत्य रचायें ॥
'आस्था' भाव सहित हर प्राणी - 2,
तेरे दर पर आता.. दीप..
बोलो पद्मावती की जय.... ॥ 3 ॥