यक्ष - यक्षिणी की आरती
(तर्ज - माईन माईन... )
चौबीस जिन के यक्ष यक्षिणी धर्म प्रभाव बढ़ायें । घृत कपूर का दीपक ले हम, आरती करने आये ॥ बोलो यक्ष-यक्षी की जय - 2... ॥ घृत...॥
कुसुम श्याम कुमार यक्ष ये, सेवक सब जिनवर के । गरुड व गोमुख, विजय, वरुण भी, यक्ष हैं ये प्रभुवर के ॥ श्री सर्वाण्ह यक्ष धरणेन्द्र - 2, सम्यग्दृष्टि कहाये.. | धर्मतीर्थ पर यक्ष-यक्षिणी, प्रभु के साथ बिठाये ॥ 1 ॥ बोलो यक्ष-यक्षी की जय - 2... ॥ घृत... ॥ शासन देवी है मनोवेगा, ज्वाला मालिनी माता । गांधारी और महामानसी, चक्रेश्वरी महामाता ॥ श्री महाकाली बहुरूपिणी -2, कुष्मांडी मनभाये । पद्मावती व सर्व देवियाँ, सबके कष्ट मिटायें ॥ 2 ॥ बोलो यक्ष-यक्षी की जय - 2... ॥ घृत...॥ विजय वीर मणिभद्र व भैरव, अपराजित यक्षेश्वर । घंटाकर्ण आदी यक्षों के, जिन प्रभु हैं परमेश्वर ॥ क्षेत्रपाल व यक्ष-यक्षिणी- 2, समवशरण में जाये । श्रद्धा से सम्मान करो नित, जिन आगम बतलाये || 3 || बोलो यक्ष-यक्षी की जय - 2... ॥ घृत... ॥
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