*!! प्रेम और वसंत !!*
*!! प्रेम और वसंत !!*
*!! प्रेम और वसंत !!*
एक आदमी था। वह जीवन से बड़ा निराश हो गया था। हर घड़ी उदास रहता था, उसे लगता था कि वह दुनिया में अकेला है। उसे कोई प्यार नहीं करता।
वसंत का मौसम आया......
तरह-तरह के फूल खिल उठे। उनकी महक से चारों ओर आनंद छा गया, लेकिन वह आदमी अपने कमरे में ही बंद रहा।
एक दिन अचानक एक लड़की उसके कमरे के किवाड़ खोलकर अंदर आई। उस आदमी को गुमसुम देखकर सहम उठी।
बोली......"आप इतने उदास क्यों हैं?"
आदमी ने कहा....
"मुझे कोई प्यार नहीं करता। मैं इस दुनिया में अकेला हूं।"
लड़की ने कहा....
"यह तो बड़ी बुरी बात है कि आपको कोई प्यार नहीं करता पर यह बताइए कि आप किस-किसको प्यार करते हो?"
आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया।
लड़की बोली....
"आप बाहर आइए। देखिए आपके दरवाजे पर कितना प्यार बिखरा पड़ा है। आप चाहें तो भर-भर हाथों बटोर सकते हैं।"
इतना कहकर उस लड़की ने उस आदमी का हाथ पकड़ा और उसे कमरे के बाहर लाकर हंसते-हंसते फूलों के बीच खड़ा कर दिया।
वह बोली....
"आप प्यार चाहते हैं। लीजिए, जितना चाहिए, इनसे ले लीजिए। देखिए, ये कितने बढ़िया साथी हैं। खुशी-खुशी प्यार देते हैं, पर बदला नहीं चाहते। क्यों है न?"
इन शब्दों को सुनकर उस आदमी का जैसे नया जन्म हो गया।
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