*उत्तम संयम धर्म*
आर्यिका रत्न श्रमणी105ज्ञेयश्री माताजी ससंघ* के पावन सानिध्य में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व (दस लक्षण महापर्व) के छटवे दिवस गुरुमा के मुखारविन्द उत्तम संयम धर्म पर विशेष प्रवचन श्रवण करने का धर्म लाभ मिला
गुरुमा ने कहा कि जो सत्य धर्म को समझ लेता है वह संयम धर्म को पाने का अधिकारी हो जाता है,संयम का मतलब होता है नियंत्रण यानी वश में करना अपनी पांचों इन्द्रियों को वश में करना अपने मन को वश ने करना ही उत्तम संयम धर्म है
जो संयम से भरा होता है वह हल्का होता है जो असंयम से भरा होता है वह भारी हो जाता है
असंयमी व्यक्ति को न खाने का ज्ञान होता है न पीने का ज्ञान होता है न सोने का ज्ञान होता है
वैराग्य भावना में कहा गया है कि जो संसार विषय सुख होता तीर्थंकर क्यो त्यागे,काहें को शिव साधन करते संयम सो अनुरागे
जिसको संयम पालना होता है वे एन केन प्रकेन अपनी व्यवस्था कर लेते है
पहले के लोग जब भी व्यापार हेतु बाहर जाते थे तो अपना भोजन साथ लेकर जाते थे
जो अपनी इन्द्रियों को वश में कर लेता है उसे किसी प्रकार का भय नही होता है असंयमी व्यक्ति ही भयभीत रहता है
संयमी व्यक्ति ही मोक्ष पद पाने का अधिकारी है असंयमी को कभी भी मोक्ष की प्राप्ति नही होती है
आचार्य श्री ने कहा कि किसी की निंदा करना बहुत सरल है प्रसंसा करना बहुत कठिन है
कुछ लोग निंदा करने के लिये ही जिंदा है
संयम का मतलब होता है अपने मन को वश में करना,मर्यादा में रहना,रात्रि में भोजन नही करना,होटल पर नही खाना
लोग कहते है कि मंदिर में चमत्कार नही है भैया चमत्कार तो हमारे संयम में होता है मंदिर जी मे बिना मर्यादा के प्रवेश करना असंयम है फिर चमत्कार कैसे सम्भव है मंदिर में कल भी चमत्कार था आज भी चमत्कार है मंदिर की शुद्धता खत्म होने पर सारे अतिशय खत्म हो जाते है
मर्यादा सिर्फ खाने का नाम ही संयम नही है मर्यादा में रहना भी संयम है
संयम के साथ जो आनंद है वही असली आनन्द है
वही पुस्तक गन्दी होती है जिस पर कवर नही चढ़ा होता है जिसके उपर कवर चढ़ा होता है वह पुस्तक गन्दी नही होती है
दिगम्बर मुनिराज के उपर तो संयम धर्म का कवर चढ़ा हुआ है वे कभी भी असंयमी नही होते है
प्रारम्भ में जिनेंद्र अभिषेक,शांतिधारा नित्य नियम पूजन पर्व पूजन गुरु पूजन एवम चित्र अनावरण दीप प्रज्वलन पाद प्रक्षालन शाश्त्र भेट आदि मांगलिक क्रियाएं सम्पन्न हुई
*दोपहर 3 बजे से 4.30 तक-* तत्वार्थ शुत्र पर विशेष प्रवचन
*सायंकाल 6 बजे से 6.30:-* तक संघस्थ ब्रह्नचारिणी काजल दीदी द्वारा श्रावक प्रतिक्रमण
*6.30 से 7.15:-* गुरुमाश्री द्वारा विशेष मंत्रो का उच्चारण ॐ ध्वनि,तीर्थराज सम्मेद शिखर जी का ध्यान
*7.15 से 8.30:-* तक श्री जी एवम गुरुमा श्री की संगीतमय आरती, तदुपरांत स्वाध्याय प्रवचन
आदि कार्यक्रम सम्पन्न होंगे
*गुरु चरणों मे नमन......*🙏
*आयोजक:- दिगम्बर जैन समाज
*सहयोगी:- महिला मंडल