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<h1>भजन-3 </h1>
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<br >भजन-3 <br >
चरणों में तेरे आके बैठी हूं मैं सर झुकाके <br >
अर्जी सुनो हमारी <br >
ओ मां मेरी जिनवाणी .........<br >
चरणों में तेरे आके..........<br >
जिनवाणी रस से भरी है वो जिनवाणी माता<br >
विद्या की देवी है तू मां ,तूने कर्मों को काटा <br >
ज्ञान दिया है तुमने सबको ,तुम हो भाग्य विधाता<br >
मेरे सांसों की सरगम ,करती हूं तुमको ही अर्पण <br >
अर्जी सुनो हमारी ......<br >
ओ मां मेरी जिनवाणी..... <br >
<br /> <br >
</p>
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भजन-90
आनंद स्रोत बह रहा मन क्यों उदास है
अचरच है जल में रहकर भी मछली को प्यास है
उठ ज्ञान चक्षु खोल दे देख तो जरा
जिसकी तूझे तलाश है वो तेरे पास है
अचरज हे जल में ......
कुछ तो समय निकाल आत्मा शुद्धि के लिए
ना
नर जन्म का उद्देश्य ,ना केवल विनाश है
अचरज है जल में........
भोगो की वासनाओ से दूषित है मन तेरा
प्रभु का स्मरण नहीं तुझे इस में आस है
अचरज। है जल में.........
भजन -३
🌹🌹🌹🌹
तर्ज: एक तेरा साथ
🌹🌹🌹
एक णमोकार महामंत्र सुखकारा है -२
जिनवाणी का सार करे, पाप से छुटकारा है
मंगलमय सुखकारा है।-२
१) चार धातीया कर्मोका नाशकर जो अरिहंत मोक्ष पाते है
फिर अधातीया चहुकर्म नाशकर जो सिद्ध मोक्ष पाते है
उन्ही को नमस्कार किया मंत्र के ही द्वारा है ।
मंगलमय सुखकारा है.....
२) छत्तीय मुलगूण आचार्य है धरते और नायक कहलाते है
करते स्वयंसाधन उवज्झाय संघमें और मार्ग बतलाते है।
बनता अविकार-२ जिनका नाम जिन उच्चारा है।
मंगलमय सुखकारा है .....
३) अठ्ठाईस मुलगुण साधु है। पालते दिगम्बर रुपधारी शिवराह के राही वंदन है जिनराई
जो निजपर के हितकारी
नैया मझधार- २ एक तू ही किनारा है।
मंगलमय सुखकारा है......
4.भक्ति के स्वर...
🌹🌹🌹🌹🌹
* भजन ४*
🌹🌹🌹🌹
तेरे मन्दिर के आगे, मेरा घर एक बन जाये
जब खिड़की खोलू तो तेरा दर्शन हो जाये
हाथों में कलस को लेकर तेरा नवन कराऊँगा
थाली में द्रव्य को लेकर तेरी पूजा रचाऊँगा
तेरे पावन चरणों में मेरा जीवन रिवल जाये
तेरे मन्दिर के आगे...
तेरी महिमा गाऊँगा, तुझे भुल न पाऊँगा
हर शाम सुबह तेरी, माला को फेरूँगा
बस प्रभू मेरा तुम से, एक परिचय हो जाये
तेरे मन्दिर के आगे...
तेरी भक्ति को करके, महापुण्य कमाऊंगा
हर सुख दुःख के पल में, तेरी आरती गाऊँगा
तेरी कृपा दृष्टि से मेरा दीपक जलजाये
तेरे मन्दिर के आगे...
तेरा ज्ञान मुझे मिल जाये, तेरे ध्यान से मन लग जाये
तेरी भक्ती के आश्रय से मुक्ति मुझ को मिल जाये
तेरे पद के पारस से, मेरा भाग्य जग जाये
तेरे मन्दिर के आगे...
मन भी तेरे चरणों में तन भी तेरे चरणो में
जीवन तेरे चरणों में, साँसे टूटे चरणों में
मेरे दिल के भगवान मुझे दिल से मिल जाये
तेरे मन्दिर के आगे...
5.भक्ति के स्वर...
* भजन ५*
मुझे तुमने गुरुवर बहुत कुछ दिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया
बचपन से देखा था मैने ये सपना बनूंगा किसी का कभी मैं भी अपना
चरणों में तेरे ये पूरा किया है
तेरा शुक्रिया..
मुझे है सहारा तेरे आशीषों का
ये भेष दिगम्बर, तेरी कोशिशों का
मिला मुझको जो कुछ तुम्ही से मिला है
तेरा शुक्रिया.......
.नयनों में हरदम है तस्वीर तेरी
तूने बनाई है तकदीर मेरी
कड़ी धूप में, जैसे छाया किया है
तेरा शुक्रिया...
तूने बताई है, मुक्ति की युक्ति
सुबह शाम गुरुवर करूँ तेरी भक्ति
तुने ही जीने के काबिल किया है तेरा शुक्रिया..
6.भक्ति के स्वर...
🌹🌹🌹🌹
* भजन ६ *
हे प्रभू तव अर्चना में, भेंट अर्पण क्या करें
ये है तन मन और जीवन, अब समर्पण क्या करे
भाव की कलियाँ संजोकर, यह पुजारी आया है..
द्रव्य की थाली नहीं यह दिल में अरमा लाया है
दे दिया सर्वस्व तुझको, अब समर्पण क्या करें
हे प्रभु तव अर्चना मे...
मैं पुजारी तेरा जिनवर तू है मेरा आशियाँ
छोड़ कर सारे जहाँ को आ गया तेरे यहाँ
तार दे इस भव से प्रभुवर आज हम विनंती करे
हे प्रभु तव...
दिल है एक केशर की थाली, भाव की केशर भरी
ज्ञान की ज्योति जलाकर, आरती तेरी करी
तार दे इस भव से प्रभुवर आज हम विनती करें
हे प्रभुवर तब...
भक्ति के स्वर...
🌹🌹🌹🌹
भजन
जीवन का रहस्य
जीवन है दिपक की ज्योत, कब बुझ जाए रे ।
घटना दुर्घटना कब क्या घट जाए रे ।
मन्दिर में न गया कभी, प्रभु भजन न किया कभी,
बीते यू ही वर्ष कई- २, णमोकार को जपा नही,
स्वाध्याय को किया नहीं,
मुक्ति की मंजिल तू कैसे पाए रे जीवन है.. ॥१॥
गुरुओं से ये दूर रहा, कषायों से भरपूर रहा,
अभिमान में चूर रहा- २, यह मन कितना मैला है,
तन मिट्टी का चोला है
, मिट्टी का यह चोला कब मिट जाए रे जीवन ॥२॥
अस्थिर जग की माया है, मिटने वाली काया है,
सुख दुःख इसकी छाया है-२, क्यों इसमें भरमाया
कहाँ-कहाँ से लाया है,
तेरी ये माया, तेरे साथ न जाए रे-जीवन है.. ३ ॥
ठाट पडा रह जाएगा, कोई काम न आएगा,
कोई साथ न जाएगा-२, क्यों तू मद में फूल रहा,
क्यों अपने को भूल रहा,
आतम का यह पंछी, कब उड़ जाए रे जीवन.. ॥ ४ ।।
बीच गली में छोड़ेंगे, धन के पीछे दौड़ेगें,
अपने से ना जोड़ेगे - २,रिश्ते-नाते तोड़ेगें,
जग की ये लीला, तू जान न पाए रे जीवन...॥५॥
अंत में होगी चला-चली, रोकेगी न रामकली,
मुरझाएगी हृदय कली-२ ले जाएगा काल बली,
सुनी होगी सभी गली,
कर्मों का फंदा, तू काट न पाये रे-जीवन है ॥६॥
8.भक्ति के स्वर...
🌹🌹🌹🌹
* भजन ८*
बड़ा दुःख पाया गुरुमाँ चरणों को छोड़ के
रो रोके बुलावे बेटा आओ गुरुमाँ दौड़ के
भूल को मेरी गुरुमाँ माफ कर देवों ना - २
हालत बुरी है मेरी, दया कर देवों ना - २
और न सताओं अपने मुखड़े को मोड़ के रो रो.
मुझे न पता था कभी ऐसा दुख पाऊँगा - २
तुझको भुलाकर दर दर ठोकरे खाऊँगा
चरणो में बैठा गुरुजी, मेरे हाथों को जोड के रो-रो..
साथी भी झूठे सारे धोखा मै खाया हूँ
तुझको भुलाके गुरुमाँ चैन एक पल न पाया हूँ
आँखे खुली अब मोरी सबको टटोल के । रो-रो..
गुरु और शिष्य का रिश्ता अनोखा
बाकी तो जग है सारा धोखा ही धोखा
पानी पिला दो गुरुमां ज्ञेय श्री बोल के । रो-रो..
भक्ति के स्वर...
भजन
पीछी रे पीछी इतना बता तूने कौन सा काम किया है
गुरुवर ने खुश होकर के हाथों में थाम लिया है
तेरी किस्मत सबसे अच्छी गुरुवर ने अपनाया
गुरुवर तुझसे प्यार करे क्यों, कोई जान न पाया
गुरुवर की कृपा होने से जग में नाम किया है
गुरुवर ने.............
मोर पंख से बनी है पीछी, सुन्दरता दर्शाती
अपने कोमल पंखो से जीवों के प्राण बचाती
पीछी और कमण्डल का कैसा संजोग मिला है
गुरुवर ने...............
जैसे अपनाया पीछी को मुझको ही अपना लो
मुझको अपनी पीछी समझकर अपने गले लगालो
तेरा मेरा का भेद अनोखा, पीछी से जान लिया
गुरुवर ने..............
भक्ति के स्वर...
🌹🌹🌹🌹
* भजन -१० *
सांसो की टुटी माला अपने हुए पराये
गुरुदेव के वचन तब रह - २ के याद आये
कुछ पुण्य के उदय से नरतन मुझे मिला था
तरने को पार भव से ये ही तो सिलसिला था
जैसे रतन को पाकर-२ सागर में डाल आये
गुरुदेव.................
हर जीव के भ्रमण की लम्बी है एक कहानी
जायेंगे एक दिन सब राजा हो या भिखारी
आये विदा की बेला-२ कोई न रोक पाये
गुरुदेव.............
जाता है वक्त मानों, यामें सफर तू करले
बहती है ज्ञान गंगा गागर तू अपनी भर ले
बीता हुआ समय ये फिर लौट कर न आये
गुरुदेव..................
भक्ति के स्वर...
* भजन ११**
कर सेवा गुरु चरणन की युक्ति यही भव तरणन की
गुरु की महिमा है भारी वेग करें भव जल मारी
विपदा हरे ये तन मन की युक्ति....
मन की दुविधा दूर करें, ज्ञान भक्ति भरपूर भरे
भेद कहे शुभ तन मन की युक्ति....
गुरु तो दयालु होते है मन के मैल को धोते है
मोह हटावे विषयन की
युक्ति....
भेद भ्रम सब मिटा दिया, घट में दर्शन करा दिया
ऐसी लीला दर्शन की
युक्ति...
गुरु चरणों में झुक जाओ, भक्त कहे नित गुण गाओ करूँ बन्दना चरणन की
युक्ति...
भक्ति के स्वर...
* भजन १४**
तर्ज : मैने चूडी जो खनकाई
मैने ज्योति तेरी जलाई, सारी दुनिया देखन आई
मेरे मन में तू ही बसा, ओ गुरुवर आ जा दर्श दिखा
तुम्ही हो दिल में मेरे, तुम्ही नैंनो में मेरे
तुम्हीं हो मन मंदिर में ओ गुरुवर
मैने आरती तेरी गाई सारी दुनियां देखन आई
मेरे मन......
तुम्हीं हो ज्ञान के सागर, तुम्ही करुणा के सागर
तुम्हीं दुखियों के सहारे ओ गुरुवर मैनें भक्ति ऐसी रचाई, सारी दुनियां देखन आई
मेरे मन.... ।
कांटो पे तुम चलते हो, फुलों से तुम खिलते
सदा हसते रहते हो ओ गुरुवर
मैने प्रीत है तुमसे लगाई, सारी दुनियां देखन आई
मैने मन...
भक्ति के स्वर...
* भजन १५*
तर्ज संसार है एक नदियां :
मुझे ऐसा वर दे दो गुणगान करूँ तेरा
इस बालक के सिर पे गुरु हाथ रहे तेरा
सेवा नित तेरी करूँ तेरे द्वार पे आऊँ
मैं चरणों की धूलि को नित शीश लगाऊँ मैं
चरणामृत पाकर के नित्य कर्म करूँ मेरा
इस बालक के सिर पे गुरु हाथ रहे तेरा...
भक्ति और शक्ति दो, अज्ञान को दूर करो
अरदास करूँ गुरुवर, अभिमान को चूर करो
नही द्वेष रहे मन में रहे बास गुरु तेरा
इस बालक...
विश्वास हो ये मन में तुम साथ ही हो मेरे
तेरे ध्यान में सोऊँ मैं सपनों में रहो मेरे
चरणों से लिपट जाऊँ तुम ख्याल करो मेरा
इस बालक..
मेरे यश कीर्ति को गुरु मुझसे दूर रखो
इस मन मंदिर में तुम भक्ति भरपूर भरो
तेरी ज्योति जगे मन में नित ध्यान धरूँ तेरा
इस बालक..
भक्ति के स्वर...
* भजन १6
:
- (भला किसी का कर ना सको तो.)
जानेवाले एक संदेशा, गुरुवर से तुम कह देना
भक्त तुम्हारा याद में रोये उसको दर्शन दे देना
जिसको गुरुवर दर पे बुलाएं किस्मत वाले होते हैं
जो उनसे कभी मिल ना पायें छुप छुप कर वो रोते है
जितनी परीक्षा ली है मेरी और किसी का मत लेना
भक्त तुम्हारा....
तुने कौन सा पुण्य किया है, दर पे तुझे बुलाया है
मैने कौन सा पाप किया है, दिल से मुझे भुलाया है
एक बार मुझे दर पे बुला ले इतनी कृपा कर कह देना
भक्त तुम्हारा...
मुझको ये विश्वास है दिल में, मेरा बुलावा आएगा
गुरुवर मुझको दर्शन देकर अपने पास बिठाएगा
उनसे जाकर इतना कहना मेरा भरोसा टूटे ना
भक्त तुम्हारा...
कहना उनसे मन मंदिर में मैंने उन्हें बिठाया है
गुरु रूप से वीर प्रभु को, अब तो मैने पाया है
आशा केवल एक यही है मुक्ति मार्ग दिखला देना
भक्त तुम्हारा...
भक्ति के स्वर...
* भजन १6
:
- (भला किसी का कर ना सको तो.)
जानेवाले एक संदेशा, गुरुवर से तुम कह देना
भक्त तुम्हारा याद में रोये उसको दर्शन दे देना
जिसको गुरुवर दर पे बुलाएं किस्मत वाले होते हैं
जो उनसे कभी मिल ना पायें छुप छुप कर वो रोते है
जितनी परीक्षा ली है मेरी और किसी का मत लेना
भक्त तुम्हारा....
तुने कौन सा पुण्य किया है, दर पे तुझे बुलाया है
मैने कौन सा पाप किया है, दिल से मुझे भुलाया है
एक बार मुझे दर पे बुला ले इतनी कृपा कर कह देना
भक्त तुम्हारा...
मुझको ये विश्वास है दिल में, मेरा बुलावा आएगा
गुरुवर मुझको दर्शन देकर अपने पास बिठाएगा
उनसे जाकर इतना कहना मेरा भरोसा टूटे ना
भक्त तुम्हारा...
कहना उनसे मन मंदिर में मैंने उन्हें बिठाया है
गुरु रूप से वीर प्रभु को, अब तो मैने पाया है
आशा केवल एक यही है मुक्ति मार्ग दिखला देना
भक्त तुम्हारा...
भजन_१७
🌹🌹🌹🌹🌹
स्वर्ग से सुन्दर सपनों से प्यारा है गुरु माँ तेरा द्वार
बना रहे हे आशीष आपका आये तुम्हारे द्वार
गुरू माँ का द्वार न छूटे चरण की छाँव न छूटे
स्वर्ग से सुन्दर...........
मात-पिता तुम मेरे सच्चे मित्र हमारे
सारी दुनिया छोड़ी आये तुम्हारे द्वारे
कहाँ मिलेगी इतनी ममता इतना राज दुलार
गुरु माँ का द्वार न...........
स्वर्ग से सुन्दर......
भाव से भीगी कलियाँ मां चरणों में आते
अपना लो या ठुकरा दो शरण तुम्हारी आए
कहां मिलेगा ऐसा वात्सल्य , ऐसा आशीर्वाद
गुरू माँ का द्वारा..........
स्वर्ग से सुन्दर........
fgभजन -20
वो पुण्य कहाँ से लाऊँ जो पाप को मिटा दे
ओ मुक्ति जाने वाले कोई रास्ता बता दे
मैने मोह राग करके, तन को सदा सजाया
फिर देखो इसने मुझको कितना सदा रुलाया
माना खता है मेरी ऐसी तो ना सजा दे
ओ मुक्ति.....
रहने दो मुझको अपने चरणों की धूल बनकर
आयेगा वक्त वो भी महकूगाँ फूल बनकर
जो नहीं गंवारा तो द्वार से हटा दे ओ मुक्ति....
मैंने मन से तुमको पुजा दिले में सदा बसाया
अपना समझ के तुझको दिल से सदा लगाया
माना कि पापी मैं हूँ ऐसी तो ना सजा दे
ओ मुक्ति...
भजन 21
संसार के सागर में मिलते ना किनारे है
आ जाओ मेरे गुरुवर हम तेरे सहारे है
गम से भरी दुनिया में कोई नही अपना है
अरमान अधूरे है टूटा एक सपना है
हमको भी सहारा दो, हम भी बे सहारे है संसार...
जीवन का लम्बा सफर राहों में अंधेरा है
आँखो में भरे आँसू, दुःख दर्द ने घेरा है
दुख दूर करो गुरुवर, हम भी दुखियारे है
संसार...
कहते है तेरे दर पर तकदीर संवरती है
जो डूबने वाली है, वह नाव उभरती है
दर दर पे भटकते है, तकदीर के मारे है
संसार...
* भजन 22
अरिहंत देव स्वामी, शरण तेरी आये - २
दुःखसे है व्याकुल, कर्मों के सताये
निज कर्म काट करके, आप सिद्ध हो गये हो
तारण तरण तुम्हीं हो, जिनवाणी बताये - २
अरिहंत देव...
शक्ति है तुझमें ऐसी, कर्म काटने की
छोड़ कर तुम्हें हम किसकी शरण जाएँ-२
अरिहंत देव....
मझदार में पड़ी है, प्रभुजी नाव मेरी
भव पार तुम लगा दो, आशा ले के आये - २
अरिहंत देव...
तारा है तुमने उनको, जिसने भी पुकारा
हम भी पुकारते है, तुमसे लौ लगाये - २
अरिहंत देव..
भजन 23
* गाड़ी खड़ी रे खड़ी रे तैयार चलो रे भाई मोक्षपुरी
सम्यग्दर्शन टिकट कटालो, सम्यक् ज्ञान सवारो
सम्यक् चारित्र की महिमा से आठो कर्म उबारो गाडी....
अगर बीच में अटके तो, स्वार्थ सिद्धि को जाओगे
तैंतीस सागर की एक कोटि, पूरब वियोग पाओगे
फिर नर भव से ही यह गाड़ी तुमको लेकर जायेगी
मुक्ति वधू से मिलन तुम्हारा निश्चित ही करायेगी
गाडी खड़ी...
भव सागर का सेतु लाँघ कर, यह गाडी ही जाती है
जिसने अपना ध्यान लगाया, उसको ही पहुँचाती है
यदि चुके तो फिर अनन्त भव, धर धर के पछताओगे
मोक्षपुरी के दर्शन से तुम वंचित ही रह जाओगे
गाडी खड़ी..
भजन 24
भवसागर में दुख न मिलता, तेरी शरण में आता क्यों ?
शरण में आकर सुख न मिलता, तेरी शरण में आता क्यों ?
सच कहता हूँ मेरे भगवन् ! नहीं प्रेम से आया हूँ
। विपदाओं ने हमको भेजा, व्यथा सुनाने आया हूँ ॥
गर्मी जिसको नहीं सताती, वृक्ष के नीचे जाता क्यों?
शरण में आकर सुख न मिलता, तेरी शरण में आता क्यों ?
भव..
तुम तो सुख के सागर भगवन् ! दो बूँद मिल जायेगी ।
जानेवाली अंतिम श्वांसे, कुछ पल को रुक जायेगी।
नदियों में यदि जल न होता, हंस बैठने आता क्यों ?
शरण में आकर सुख न मिलता, तेरी शरण में आता क्यों ?
भव.. ....
जो कुछ तुमको सुना रहा हूँ, वह मेरी मजबूरी है।
जो कुछ करना चाहो भगवन् ! करना बहुत जरूरी है ।
दूध यदि माँ नहीं पिलाये, बच्चा रुदन मचाता क्यों ?
शरण में आकर सुख न मिलता, तेरी शरण में आता क्यों ?
भव.. ......
भीख नहीं मैं माँग रहा हूँ, नाहीं कोई भिखारी हूँ ।
स्वामी सेवक को देता है, मैं तो भक्त पुजारी हूँ ॥
जितना नीर लुटाता बादल, उतने ऊपर जाता क्यों?
शरण में आकर सुख न मिलता, तेरी शरण में आता क्यों ?
भव.. ......
भवसागर में दुख न मिलता, तेरी शरण में आता क्यों?
शरण में आकर सुख न मिलता, तेरी शरण में आता क्यों ?
* भजन 25*
बाजे कुण्डलपुर में बधाई कि नगरी में वीर जन्में कि नगरी में वीर जन्मे महावीर जी
जागे भाग है त्रिशला माँ के-२ कि त्रिभुवन के नाथ जन्मे-२ महावीर...
शुभ घड़ी जन्म की आई- २ कि स्वर्ग से देव आए महावीर...
तेरा न्वहन करे मेरु पर- २ कि इन्द्र जल भर लाए - २ महावीर...
तुझे देवियाँ झुलाने पलना- २ कि मन में मग्न होके-२ महावीर...
तेरे पलने में हीरे मोती- २ कि डोरियों में लाल लटके - २ महावीर...
तेरे पिता लुटायें मोहरे-२ खजाने सारे खुल जाएँगे-२ महावीर...
हम दर्शन को तेरे आए-२ कि पाप सारे कट जाऐंगे-२ महावीर...
भजन 26
हे गुरु विरागसागर दृग बोधि हमे वर दो
मेरी इस काया को अपने रंग में रंग दो
जीवन की साँसो पर, आवाज तुम्हारी है
गुलशन की धड़कन में खुश्बु तेरी प्यारी है
मुरझाए गुल में तुम गुण की खुश्बू भर दो
हे गुरु विरागसागर...
अपने मन मंदिर में एक जगह बनाई है
उसमें तेरी गुरुवर तश्वीर लगाई है
आशिष रहे मुझ पर इजहार यही कर दो
हे गुरु विरागसागर...
हमने सारा जीवन कर डाला है अर्पण
तेरी छाया में अब गुजरे सारा जीवन
देकर आशीष हमें मेरी और नजर कर दो
हे गुरु विरागसागर...
हर कदम पे काँटे है, दुनियाँ विष ज्वाला है
तू रक्षक है मुझको, अमृत का प्याला है
चैतन्य किरण देकर, मुझकों मुझमें भर दो
हे गुरु विरागसागर...
द्वय चरणों को छूकर जो शरणा पाते है
वो सेवा कर तेरी भव से तिर जाते है
मुझे मरण समाधि दे तुम अजर अमर कर दो दे
हे गुरु विराग...
भजन 27
तेरे ध्यान में गुणगान में तेरी राह में मेरी है लगन गुरु को नमन - ४
है पुनीत मंगलमय सदा- २ नहिं राग द्वेष कभी कदा- २
हो दयालु तुम हो कृपालु तुम मेरा मिटा दो भव भ्रमण गुरु को नमन्...
मृदुता भरे जिनके बचन- २ निज में सदा करते रमण- २
निज का करें निज से मिलन, निज में जो रहते है मगन
गुरु को नमन्
जिनका हृदय गंभीर है-२, अतिवीर है अतिधीर है-२ अतिशांतमय वैराग्यमय कहता यही सारा चमन
गुरु को नमन.....
तेरे नाम से तिरते सभी-२ नहि शूल मिलते है कभी-२
शुभ धाम तुम गुणधाम तुम देना समाधि सा मरण
गुरु को नमन्...
भजन 28
और नहीं इस दिल में क्या है
मुझको सम्यक दरश दिला दो मेरा मुझको भान करा दो प्रेम के सागर विराग सागर - २
भोग विषय में अटक गया हूँ अपने पथ से भटक गया हूँ मुझको नैतिकता सिखला दो शिक्षा सागर विराग सागर...
पूजा करना सीख न पाया श्रुत पढ़ने में ध्यान न लाया मुझको कर्तव्य तुम सिखला दो
ज्ञान के सागर - २ विरागसागर....
तूने सबकी बिगड़ी बनाई,
अन्तर दृष्टि को खुलवाई
मेरी अन्तर्दृष्टि खुला दो
अंतर सागर,विराग सागर
तेरे चरणों को हृदय लगाऊँ अपने उर में तुम्हें बसाऊँ
मेरा मरण समाधि करा दो
प्यार के सागर विरागसागर
भजन 29
तर्ज : नजर के सामने...
गुरु चरण में गुरु शरण में कौन रहता है-२ वो है हमऽ
श्रद्धा क्या होती है ये गुरु चरणों में जानो
प्राणो से भी प्यारे तुम गुरुवर को ही मानो
सर्व अर्पण सदा कर ज्ञेय नमन्ऽऽऽ
गुरु शरण में....
संयम समता सौरभ लहराती है चेहरे पर
ज्ञान सरलता सुंदर लहराती जिनके अंदर
जिनकी मूरत में है, वीतरागी नयन-ऽऽऽ
गुरु शरण मे...
गुरु आशीष मिले जब तो सब कुछ मिल जाता है
चरणों को पाकर उर कमलों सा खिल जाता है
अब तो रहना हमें गुरु चरण में मगनsss
गुरु शरण में...
फुलों जैसी वाणी जो लगती है मनुहारी
खुश्बू बिखराती है हे जग में सबसे न्यारी
ज्ञान वर दो हमें बोधि की दो किरण.... गुरु...
उर में द्वय चरणों को रखना है गुरुवर के अब..
अंत समय जीवन का क्या मालूम आ जाए कब...
गुण विशाखा करुँ हो समाधी मरण..ऽऽ
गुरु शरण मे...
भजन 30
तर्ज आपके प्यार मे हम..
आपके ज्ञान से हम उभरने लगे
मुक्ति की राह में हम चलने लगे
हे गुरो दो शुभाशीष है तुम्हें नमन
आपके द्वय चरण में ज्ञेय नमन
आपने जो दिया है हमको गुरु
भूल पायेगे हम न तुमको गुरु
हम दर्द तुम हम राह तुम तुम जान हो मेरी
तुमसे ही हम पाते धरम तुम शान हो मेरी
आपके ज्ञान से कर्म दहकने लगे..
आपका हम न एहसान भुला पायेंगे
आपकी भक्ति में हम घुल जायेंगे
तुमको नमन तुम हो परम तेरा ही दास हूँ
हरपल जहाँ रहता यहाँ तेरे ही पास हूँ..ऽऽ
आपके ज्ञान से कर्म दहकने लगे.....२
आपकी याद में हम संभल जायेंगे
आपके इक इशारे में सुधर जायेंगे
ब्रम्हा तुम्ही शंकर तुम्ही तुम ही गुरु मेरे
तेरे ही तो आशीष से दिखता वो पार्श्व है
आपके ज्ञान से कर्म दहकने लगे...... ३
भक्ति के स्वर...
* भजन 31 *
आया कहाँ से कहाँ है जाना
ढूँढ़ ले ठिकाना चेतन ढूँढ़ ले ठिकाना
सब कुछ तो जाना निज को न जाना
कैसा ज्ञानधारी तूने आपा न पहचाना
एक दिन तेरा गोरा तन ये माटी में मिल जाएगा
कुटूंब कबीला खड़ा रहेगा कोई बचा न पाएगा
नही चलेगा कोई बहाना ढूँढ़ ले ठिकाना...
बाहर सुख को खोज रहा है क्यों बनता दीवाना रे
आतम ही सुख धाम है चेतन निज को भूल न जाना रे
सारे सुखों का यही है खजाना
ढूँढ़ ले ठिकाना...
जब तक तन में सांस चलेगी
सब तुझको अपनाऐंगे
जब न रहेंगे प्राण ये तन में देख इसे घबड़ायेगे
कही तो तुझको पड़ेगा जाना
ढूँढ़ ले ठिकाना....
सद्गुरु जगा रहे है चेतन सुन भव से तर जाऐगा
सम्यकदर्शन ज्ञान से चेतन दुख सारा मिट जायेगा
सच्चे सुखों का यही है खजाना ढूँढ़ ले ठिकाना...
.. भजन 32
** तर्ज इतनी शक्ति हमें...
हम किसी को न अपना बनाएँ
अपने अस्तित्व में ही समाएँ
मेरा दामन दुःखो से भरे ना
इसलिए गीत गुरु के ही गाएँ...
हम किसी को न
कर्म ऐसे करें हम हमेशा
उजडा जीवन ये बन जाए गुलशन
दर्द खुशियाँ बने सब हमारा
ऐसा हो जाये मेरा हृदय मन
भूल जाएँ न अपना नगर हम लो हमेशा गुरु से लगाएँ
हम किसी को न...
रिश्ते नाते है मतलब के सारे
ये नहीं बन सके सहारे
हमने देखा है, सब कुछ लुटाके
बन सके है न कोई हमारे
करके उपकार हम सबके ऊपर
सबके अपकार को भूल जाएँ
हम किसी को न .......
हमने जिसको भी अपना बनाया
धोखा हमने उसी से है खाया
इसलिए पर न अपना बनाओ
जिससे सारी पलट जाये काया
अपनी मंजिल को पाने बढ़े हम खुद को खुद से ही खुद में रमाएँ
हम किसी को न...
भजन 33
कर तु प्रभु का ध्यान ओ बाबा कर तू प्रभु का ध्यान
भेज घट में भगवान बाबा निज घट में भगवान
कांटो में भी जीवन तेरा फूलों सा खिल जायेगा
खोज रहा है जिसको तू वह पलभर में मिल जायेगा
खुद को तू पहिचान बाबा २......... कर तू
कभी किसी का दिल दुख जाये ऐसे बोल कभी मत बोल
घावों पर मल्हम बन जाये ऐसे बोल बडे अनमोल
कहलाता यह ज्ञान बाबा २........
मात पिता गुरुजन कर आदर धर्म मार्ग पर चलो सदा
गुरुजन की नित सेवा करना श्रावक का कर्तव्य कहा पाओगे
सम्मान बाबा.. .......२ कर तू
जिसको अपना कहा आज तक हुआ कभी न वह अपना
जिसकी खातिर जिया आज तक वह निकला सुंदर सपना
क्यों तू करे गुमान बाबा.. २ कर तू
राग द्वेष भावों के कारण भवसागर में डूब रहा
गवाँ रहा भोगों में जीवन मन फिर भी न उब रहा
क्यों बनता नादान बाबा..२ ....... कर तू
हिंसा झूठ कुशील परिग्रह चोरी ये मत पाप करो
पाप विनाशक धर्म प्रकाशक णमोकार का जाप करो
हो सम्यक श्रद्धान बाबा... २ कर तू
भजन 34
* गुरुदेव तुम्हें अपनी आँखो में छुपा लेंगे
तुम दुर रहो कितने हो-२, हम पास बुला लेगें
तुमको ही अपना माना, तुमको ही अपना जाना
अब और कही मेरा, गुरुदेव ना ठिकाना
तेरे लिए हे गुरुवर, दुनियाँ को जला देगें
तुम दूर...
तुमने ही किया रोशन, तन मन अशुद्ध चेतन
अब खिल गया है मेरा, जैसे गुलाब जीवन
चरणों का दर्श पाके, दुनियाँ को भुला देंगे
तुम दूर....
तुम जिदंगी से बढ़कर, मेरे लिए हो गुरुवर,
हर शब्द - २ मेरा तेरे लिए हो गुरुवर
तेरा ही नाम लेकर अमरत्व भी पा लेगें
तुम दूर...
तुम हो गुणों के सागर, हम शिष्य है अकिंचन
भावों की अंजुलि से करता रहूँगा अर्चन
जब तक न आप मुझको मुझसे ही मिला देगें
तुम दूर...
तुमसा न कोई दाता, माता पिता न भ्राता
न तुमसी कोई पूजा, तू भाग्य का विधाता
पत्थर की नाव अपनी, साहिल से लगा देगें
तुम दूर...
* भजन 35
जिदंगी में सदा मुस्कुराते रहो
फासले कम करो, दिल मिलाते रहो
दर्द कैसा भी हो आँख नम न करो-२
जख्म का दिल में कोई भी गम न करो -२
इक सितारा बनो जगमगाते रहो फासले कम...
बाँटना है अगर बाँट लो हर खुशी-२
आए तुमको नजर न कोई भी दुखी - २
दो खुशी लो खुशी खिलखिलाते रहो
फासले कम... -
वक्त अनमोल है खो न देना कभी-२
बाग में फूल से महकते रहना सभी - २
गम की बातें ये दिल सें भूलाते रहो
फासले कम...
हैं अंधेरा जहाँ में बहुत ही गहन २
रौशनी दिल इसे कर सूके न सहन - २
खुद जलो दूसरों को जलाते रहो फासले कम...
जी रहे जिदंगी नींद में ही यहाँ - २ मोह की नींद से हम उठे ना यहाँ - २
तोड़कर मोह जागो जगाते रहो फासले कम...
भक्ति के स्वर...
भजन 36
* ध्याया है गुरु को ध्याऊँगा हर दम
मरके भी दिल से तुमको चाहेंगे हम
तुम ही मेरे गुरुवर हो तुम ही मेरे गुरुवर हो..ऽऽ
तुम मन में आते हो तो, दीपक जल जाते है
गुल खिलने लगते हैं, दिल महका जाते हो
तेरे बिना ये जीवन, सुना सुना लगता है
तू अगर हो दिल में सौना सौना लगता है
ध्याया है...
गुरुवर के आशीष में वह स्वर्ग समाया है
जिसमें सुख ही सुख है, कंचन सी काया हो
गुरु गुण मैं गाऊँगा, सब कुछ पा जाऊँगा
पाकर चरण रज को, गुरु का हो जाऊँगा
ध्याया है...
हे गुरु ना तू दिल में, सब जगह अँधेरा है
तू परम दिवाकर है, तुझसे ही सबेरा हो
अर्पण ये है जीवन, पाऊँगा मैं चेतन धन
मिले तेरा आशीष तो मिल जाता अपनापन
ध्याया है....
तेरे चरणों आकार सब कुछ मिल जाता है
मेरा मुरझाया दिल, खुद ही खिल जाता है
दूर मुझको मत करना, ज्ञान की किरण वरना
तेरे ही चरण रहके, अब समाधि से मरना
ध्याया है.....
भजन 37
तर्ज : दूल्ह का चेहरा...
गुरुवर मेरा जीवन कर दो सावन - २
"बंदन लाखों बार करो मन को पावन हो हो
आपसे हमको मिले सम्मान है गुरुवर
आपसे हमको मिले सत् ज्ञान हे गुरुवर
आपने हमको दिया गुणगान हे गुरुवर
आपकी हम बन गये पहिचान हे गुरुवर
गुरु मिलते ही मिलजाता है अपनापन - २
बंदन लाखों..... -
आप ही भूपर दिखे हो देवता गुरुवर
आपके चरणों को हरदम पूजता गुरुवर •
आप से मिलता है हमको ज्ञान हे गुरुवर
'आप का हम नित करे बहुमान हे गुरुवर
गुरुवर की मुद्रा में दिखता है भगवान - २
बंदन लाखो....
आप ही सच्चे धरम की शान हो गुरुवर
आप ही मेरे लिए भगवान हो गुरुवर
आप से मेरा यहाँ निर्वाण हो गुरुवर
गुरु बिन कभी न मिलता जग में ज्ञान सधन - २
बंदन..
हे गुरु दोनों चरण उर में रखूँ हरदम
आपके चरणों में निकले ध्यान करते दम
आप से पाकर समाधि नाश हूँ आधि
तेरे चरणों की रज को करता बंदन- २
भजन -१
हे वीर तुम्हारे द्वारे पर एक दरश भिखारी आया है,
प्रभु दर्शन भिक्षा पाने को दो नयन कटोरी लाया है |
1) नहीं दुनिया में कोई मेरा है आफत् ने मुझको घेरा ,
प्रभु एक सहारा तेरा है जग ने मुझको ठुकराया है।
हे वीर.........
2) मेरी बीच भंवर मे नैय्या है तुही एक खिवैया है ,
लाखों को ज्ञान सिखाया तुमने, भव सिन्धु से पार उतारा है |
है वीर............
3) धन दौलत की कछु चाटू नहीं, घर बार छुटे परवाह नहीं,
मेरी इच्छा तेरे दर्शन की, दुनिया से चित्त अकुलाया है |
है वीर.............
आपस में प्रीति व प्रेम नहीं, अब तुम बिन हमको चैन नहीं,
अब तुम आकर दर्शन दो, वर्धमान रूप में पाया है
हे वीर..............
भजन -12
तर्ज :- जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिडिया
श्री वर्धमान सागर जी के चरण कमल से होता ज्ञान सवेश हे वंदन गुरू को मेरा -2
जो बिना स्वार्थ की कठिन तपस्या करते पल पल पल है
जो आतम में ही रह रहते नहीं रखते कोई विकल्प है जिनके तप को देख के भागा कर्मों का भी डेरा। हे वंदन गुरू को मेरा -2.
महावीर से पिता है जिनके जिनवाणी सी माता 2 जिनके चरण कमल को पाकर काटे कर्म असाता ऐसे माता-पिता को पाया जिनका मुक्ति है डेरा हे वंदन गुरु को मेरा 2
3) हे महाव्रती सयंमधारी ये वीतरागी अधिकारी हमको भी पार लगाओ यह विनय है तुमसे हमारी अंधकार में पड़े हुए हम कर दो ज्ञान सवेरा हे वंदन गुरू को मेरा
|
भजन
DATE
बड़ा दुःख पाया गुरु चरणो को छोड़ के रो रो बुलावे बेटा आओ भूल तो मेरी गुरु माफ कर देवो ना हालत बुरी है मेरी दया कर देवो ना और ना सताओ अपने मुखड़े को मोड़ के रो रो बुलावे गुरु दौड के
बड़ा दुःख पाया
मुझे ना पता था कभी ऐसा दुःख पाऊगा तुझको भुलाकर दर दर ठोकरे मे चरणो में बैठा गुरुजी तेरे कर जोड़ के खाऊंगा
रो रो बुलावे
बड़ा दुःख
साभी भी छुटे सारे धोखा मे खाया हूँ तुझको भुला के गुरु चैन नही पाया हूँ आँखे खुली अब मेरी सबको टटोल के
रो रो बुलावे
बड़ा दुःख
गुरु और शिष्य का रिश्ता अनोखा बाकी तो जग है सारा धोखा ही धोखा प्याली पिला दे गुरु श्री ओम बोल के
रोम रोम बुलावे
बड़ा दुःख
।
-
भजन
DATE
मुझे ऐसा वर दे दो गुणगान करू तेरा इस बालक के सिर पे गुरु हाथ रहे तेरा मुझे ऐसा वर दे दो
सेवा नित तेरी करूँ तेरे द्वार पे आऊं मे, चरणो की धुलि को निज शीश लगाऊँ मे निज- शीश लगाऊँ में
चरणामृत पाकर के, नित कर्म कर मेरा इस बालक के
भक्ति और शक्ति दो अज्ञान अरदास करू गुरुवर, अभिमान को चूर करो अभिमान को चर कसे
दूर करो
को
नही द्वेष रहे मन मे, रहे वास गुरु तेरा इस बालक के
विश्वास हो ये मन मे, तुम साथ ही हो मेरे मे मे सोऊ, सपनो मे रहो मेरे सपनो मे रहो मेरे तेरे ध्यान
चरणो मे लिपट जाऊ, सपनो मे रहो मेरे को इस बालक क
मेरे यश कीर्ति को, गुरु मुझसे दूर रखो इस मन मन्दिर मे तुम भक्ति भरपूर भरो भक्ति भरपूर भरो
तेरी ज्योत जगे मन मे नित ध्यान धरू तेरा इस बालक के
I
Iभजन
DATE
मुझे ऐसा वर दे दो गुणगान करू तेरा इस बालक के सिर पे गुरु हाथ रहे तेरा मुझे ऐसा वर दे दो
सेवा नित तेरी करूँ तेरे द्वार पे आऊं मे, चरणो की धुलि को निज शीश लगाऊँ मे निज- शीश लगाऊँ में
चरणामृत पाकर के, नित कर्म कर मेरा इस बालक के
भक्ति और शक्ति दो अज्ञान अरदास करू गुरुवर, अभिमान को चूर करो अभिमान को चर कसे
दूर करो
को
नही द्वेष रहे मन मे, रहे वास गुरु तेरा इस बालक के
विश्वास हो ये मन मे, तुम साथ ही हो मेरे मे मे सोऊ, सपनो मे रहो मेरे सपनो मे रहो मेरे तेरे ध्यान
चरणो मे लिपट जाऊ, सपनो मे रहो मेरे को इस बालक क
मेरे यश कीर्ति को, गुरु मुझसे दूर रखो इस मन मन्दिर मे तुम भक्ति भरपूर भरो भक्ति भरपूर भरो
तेरी ज्योत जगे मन मे नित ध्यान धरू तेरा इस बालक के
I
IIII
DATE
प्रार्थना
1
हमको मन की शक्ति देना मन विजय करे से पहले खुद की जय जय करे
दुसरो की जय
1) भेदभाव अपने दिल से साफ कर सके दूसरो से भूल हो तो माफ कर सके झूठ से बचे रहे सच का दम भरे दुसरो की जय हमको मन की शक्ति देना
मुश्किले पड़े तो हम पर इतना कर्म कर साथ दे तो धर्म का चले तो धर्म पर खुद पे हौसला रखे वदी से ना डरे दुसरो की जय हमको मन की शक्ति देना
2
DATE
भजन
भज कुण्डलपुर मे बधाई
के नगरी मे वीर जन्म की आई शुभ घड़ी ओ जी ओ के त्रिभुवन के नाथ ओ तुझे देवियाँ झुलावे पलना ओ जी ओ के नगरी से वन पहुॅचे महावीर जी भज कुण्डलपुर मे जन्मे महावीर जी जन्मे महावीरजी
ओ तेरे पलने मे हीरे मोती ओ जी ओ के डोरियो मे लाल लटके महावीर जी भज कुण्डलपुर मे
ओ तेरा नवन करे मेरू पर ओ जी ओ इन्द्र जल भर लाये महावीर जी
T
भज कुण्डलपुर मे
ओ अब ज्योति तेरी जागे ओ जी ओ के सूर्य चाँद झुक जाये मधवीर जी
भज कुण्डलपुर मे
1
DATE
जिनवाणी स्तुति
।
म्हारी मां जिनवाणी... भारी तो जय जयकार म्हारी मां जिनवाणी घे चरणा मे राखी लीजो भव सागर तारी दीजो कर दीजो इतनो उपकार थारी तो जय जयकार
कुंद- कुंद सा थारा बेटा
दु:खड़ा सब जगरा मेटा राज्यो समय को सार थारी तो जय
हो
शरणा जो तेरी आये भवसागर से तिर जाये ही है तारणहार भारी तो जय
तू
घे गणधर किन्नर गुण गाते मुनिवर जो ध्यान लगाते आतम की महिमा अपार थारी तो जय
म्हारी मांमां
"भजन
DATE ।
कभी प्यासे को पानी पिलाया नही बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा कभी गिरते हुए को उठाया नही बाद आंसू बहाने से क्या फायदा मै मन्दिर गई पूजा आरती की पूजा करते हुए ये ख्याल आ गया कभी मा बाप की सेवा की ही नहीं सिर्फ पूजा ही कर लू तो क्या फायदा मै मंदिर गई गुरुवाणी सुनी
गुरुवाणी सुनकर यह ख्याल आ गया जैन कुल मे हुआ जैनी बन ना सका सिर्फ जैनी कहलाने से क्या फायदा मै काशी बनारस मथुरा गया गंगा नहाते हुए यह ख्याल आ गया तन को धोया मगर मन को धोया नही सिर्फ गंगा नहाने से क्या फायदा मैने दान किया मैने जप तप किया
दान देते हुए यह ख्याल आ गया कभी भुखे को भोजन कराया नही दान लाखो का देदू क्या फायदाफायदा
DATE
भजन
ठामो अरिहंतान
णमो सिद्धान
नमो आइरियाण
णमो उज्झायाण
णमो लोए सव्व साहूण
ि
- 1 मंत्र नवकार हमे प्राणों से प्यारा 2 ये वो जहाज ९९९९९९ जिसने लाखो को वारा
अरिहंतो को नमन हमारे अशुभ करम का हरन करे सिद्धो के सुमिरन से आत्मा, सिद्ध क्षेत्र को गमन करे भव - 2 मे नही आना दुबारा
स
विवाद मंत्र नवकार
मित्राणा आचार्यों के आचारों से निर्मल निज आचार करे उपाध्याय का ध्यान घरे हम सामायिक सौ बार को नमन हमारा करे सर्व साधु
मंत्र नवकार
।
1
DATE
भजन (मिलता है सच्चा सुख केवल
मिलता है सच्चा सुख केवल, भगवान तुम्हारे चरणों मे थे विनती है पल पल क्षण क्षण, रहे ध्यान तुम्हारे ही चरणो मे
चाहे बैरी कुल संसार बने, चाहे जीवन मुझ पर भार बने चाहे मौत गले का हर बने, रहे ध्यान तुम्हारे ही चरणो मे मिलता है
संकट ने मुझको घेरा हो, चाहे चारो और अंधेरा हो पर मन ना मेरा डगमग हो, ध्यान तुम्हारे ही चरणों मे
मिलता है.
चाहे अग्नि ने मुझको जलना हो चाँहे कांटो पर भी चलना हो चाहे छोड़ के देश निकलता हो, रहे ध्यान तुम्हारे ही चरणो मे मिलता है.
जिव्हा पर तेरा नाम रहे, तेरी याद सुबह शाम रहे बस काम यह आठो याद रहे, ध्यान तुम्हारे ही चरणो मे मिलता है.
|
।
भजन
DATE
।
गुरुदेव तुम्हारे उपकारो को कभी भुला न पायेंगे याद तुम्हारी जब जब आये अपना शीश झुकायेंगे -
गुरु
ने हमको अपना बनाया द्ववारे अपने बुला लिया
अंधकार मे भटक रहे थे
द्वीप ज्ञान का जला
श्रद्धा से कर गुरु वन्दना
दिया
याद तुम्हारी
शुभाशीष हम पायेंगे
गुरुदेव
सुख मे दुख मे धुप हाव मे गुरु ने हरदम साथ दिया अंगुली पकड़ी चलना सिखाया
हरपल अपना हाथ दिया
जब-2 रोकेगी बाधाये
गुरुवर हमे चलायेंगे ।
याद तुम्हारी
गुरुवरगुरुवर
भजन (बाबुल की दुआए बैती
अय गुरुवर हमे बताओ तो, किसलिए हो मुहँ मोड़ चले, दो हमे सहारा चरणो का अब किसके सारे छोड़ चले । 1
जो जान मिला गुरुवर तुमसे, हम दिल से उसे अपनायेंगे मर जायेंगे, मिट जायेंगे पर, उसे भूला पायेंगे हम हृदय सुमन लिए राह मे खड़े क्यो नजरे आप मोड चले
दो ऐसा आर्शीवाद गुरु, जीवन भर तुम्हे भूला ना सके जिस भूमि पर कदम पड़े तेरे भूमि मस्तक के लगा सक मेरे मन की कोमल कली को क्यों गुरुवर आप मोड़ चले ।
बिरसे दिग. बिन्दु गुरु पद पर, बन शब्द विदाई होते समय हृदय की गति ना रुक जावे, गुरुवर विदाई होते समय कदमो मे बिहाये हम आँखे किसलिए बिलखता छोड़ चले 17
क्या स्नेह अनूठा बन्धन है इस त्याग राग की डगर मे गुरुवर तेरी अमृत वाणी से वाणी से खुशबु फैली थी नगरी मे कुछ समय और रुक जावो गुरू क्यों हमसे नाता तोड़ चले TTTT
भजनभजनभजनभजनभजनभजनभजन
भजनभजन
DATE
सूरज तपे तपे रे माटी, दिपक जले जले रे बाती तुझको तपना होगा - 2 मोह तजना होगा 2
I
।
तप ही तो माटी को गागर बनाये गागर मे सागर सहज ही समाये भाटी का अर्पण समर्पन जब घेगा मुक्ति रमा का वरण जब ही होगा तुझको तपना होगा - 2 मोह तजना होगा - 2
2 अग्नि के तप से मै हो जाऊँ कुन्दन तप से ही मिटते है जन्मो के बेधन तप के बिना तेरा निश्चित पतन है तप ही तो मुक्ति का अन्तिम जतन है तुझको तपना होगा - 2 मोह तजना होगा - 2
लप याने इच्छाओ को शान्त करना तप याने विषयो से मन को हटाना लप याने खुद मे ही खुद को ही पाना तप याने आत्मा को निर्मल बनाना तुझको तपना होगा - 2 मोह तजना होगा - 2
3
●
DATE
५ लप मे ही जीवन का सत्य समाया तप ने ही जीवन को मोक्ष दिलाया यशवन्त को बर्धमान बनाया शील महाशील अर्पूवसागर बनाया तुझको तपना होगा - 2 तुझको मोह तजना
होगा- 2
।
7
भाजन
DATE
इस जन्म मे
अपनी - 2 करनी का
सही परभव. मे मिलता है, फल सबको मिलता है
ना
1) एक फूल वह है जो वेदी पर चढ़ता है एक फूल वह है जो अर्थी पर चढ़ता है दोनो ही फूल एक ही गुलशन में खिलते है अपनी अपनी
2) एक पत्थर वो है जिसकी मूरत बनती है एक पत्थर वो है जो सड़को पर बिछता है पत्थर दोनो एक ही खान से निकले है अपनी अपनी
एक मोती वो है जो माला मे गूंथता है एक मोती वो है जो धरती पर गिरता है मोती दोनो एक ही सीप मे मिलता है अपनी- अपनी
45
एक भाई वो है जो तीर्थकर बनता है एक भाई वो है जो नरको मे जाता है
भाई दोनो एक है क्या अन्तर दिखता है
अपनी- अपनी
|
।
भजन (जिया कब तक उलझेगी DATE |
जिया कब तक उलझेगा संसार विकलयो मे कितने भव बीत गये, संकल्पो विकल्पों मे
उड़ उड़ के यह चेवन गति-2 मे जाता है पापो में लिप्त सपा भव - 2 दुःख पाता है
किय
निज तो न सुहाता है पर ही मन भाता है यह जीवन बीत रहे झूठे विकल्पों मे
जिया कब तक
2) तु कौन कहा बना है और क्या है नाम तेस आया है किस घर से, जाना किस गांव अरे अन्तर मुख धे जा तु संसार विकल्पो से जिया कब तक
3) यदि अवसर चुका तो यह नरभव कठिन है मध किस गति मे जायेगा नरभव पाया भी तो जिनकुल नही पायेगा अब गिनती जन्मो मे, अब गिनती विकल्पों मे
भव - भव पछताये
जिया कब तक उलझेगाउलझेगा
भजन
DATE
जीवन के किस भी पड़ भे
वैराग्य उपज सकता है संसार मे रहकर प्राणि संसार को तज सकता है
2) कही दर्पण विरक्ति कही मृतक देख वैरागी विन कारण दीक्षा लेता, वो पूर्व जनम का त्यागी
आत्मा तो अजर अमर है इस आयु गिने इस वन की
वैसा ही जीवन बनता जैसी धार । चिंतन की वही सबको समझा पाता, जो स्वयं समझ सकता है
शास्त्रो मे सुने थे जैसे वैसे ही देखे गुरुवर तेजस्वी परम तपस्वी उपकारी गुरुवर जी जिनकी मृदू वाणी सुनकर हर प्रश्न सुलझ सकता हैहै
भजन ( ना कजरे की धार) DATE 1
ना मन मे कोइ विकार ना तन पे कोई श्रृंगार करते सबका उद्धार, तुम्ही तो परम दिगम्बर हो दी मन मे ज्योति जलाय, सुपथ पे दिया चलाया हम तेरे चरणो मे आये, सिया चरणो का आधार तुम्ही लो मेरे गुरुवर हो ।
तेरे चरण जहाँ पड़ जाय वो धरा स्वर्ण बन जाये तेरी नजर जहाँ पड़ जाय वो मिट्टी सोना बन जाये जब चले लु उड़े खुशबू, केशर की उड़े फुहार तुम्ही तो 1
J जो मुनिवरों की जोड़ी एक हीरा और एक मोति जो इनके दर्शन कर ले मिलती है नयी एक ज्योति । कैसा संयम कैसी करुणा, मै बेदू बारम्बार
तुम्ही तो
भजन
DATE
ne
गुरुवर आज मेरी कुटिया मे आये है चलते फिरते दर्शन पाये है | गुरुवर |
1
अत्रो अतो तिष्ठो तिष्ठो भुमि ने शुद्धि गुरु ने बताये है
श्रावक चंदन चौक पुराये है । गुरुवर ||
प्रासुक जल से चरण परवारे है गंधोदक से भाग्य सिराये है
मिशि भोजन के प्रव्य बनाये है || गुरुवा
हाथ कमंडल बगल मे पीछी है गुरुवर सारी दुनिया रिझी है पर
आहार कराके नरनारी हर्षाये है। ॥ गुरुवर ॥
नग्न दिगम्बर मुनिवर प्यारा जैन धर्म का थे ही तो सहारा है
॥ गुरुवर ॥
है
आदिनाथ स्वामी जी ज्ञान बरसाये है।
भजन (आँखे बंद करूँ या खोल J 1
आँखे बंद करूँ या खोलूँ, बाबा दर्शन दे देना दर्शन दे देना, बाबा दर्शन दे देना म
मै नाचीज हूँ बंदा तेरा, तू सबका दातार है। तेरे घथ मे सारी दुनियाँ, मेरे तुमको देखूँ जिसमे, ऐसा दर्पण है। घथ में क्या दे देना 11 आँखे
मेरे अंदर तेरी लहरें रिश्ता है सदियो का जैसे इक रिश्ता होता है सागर से नदियों का । करूँ साधना तेरी ऐसा साधन दे देना । आँखे से ए
मेरी माँग बड़ी साधरण मन के अंदर रहियो, हर इक सांस के पीछे अपनी झलक दिखाते रहियो राह निहारे आखिर तक, वो धड़कन दे देना || आँखेआँखे
भजन (मेरे घर के सामने तेरा PATE
मेरे घर के सामने तेरा, इक मंदिर बन जाये जब खिड़की खोलूँ तो, तेरा दर्शन हो जाये ।
जब होगा न्हवन तुम्हारा, झर-झर अमृत बरसेगा इस अमृत की बूँदो से, मन पावन हो जाये जब खिड़की खोलूँ 7 T
जब होगी पूजन तेरी, मुझे अर्ध्य सुनाई देंगे। इन अयों की ध्वनि से, मन कुंदन हो जाये | जब खिड़की खोलूँ
जब होगी आरती तेरी, मुझे दीप दिखाई देंगे 1 दीपो की जलती लौ से, मन रोशन हो जाये # जब खिड़की खोलें '
भजन (जैन धर्म के हीरे मोती DATE । J
जैन धर्म के हीरे मोती, मै बिखराऊ गली-गली - 2 ले लो रे प्रभु का प्यारा, शोर मचाऊँ गली गली - 2 | -
दौलत के दीवानों सुनलो, इक दिन ऐसा आयेगा धन दौलत और महल खजाना, पड़ा यही रह जायेगा । सुंदर काया मिट्टी होंगी, चर्चा होगी गली गली - 2 लेबोरे 1
क्यों कहता तू तेरी मेरी, तज दे इस अभिमान को झूठे जग को छोड़ के प्राणी, भज ले श्री भगवान को जगत का मेला दो दिन का है, अंत मे होगी चला- चली - 2
ले लोरे
i जिन जिनने ये मोती लूटे, वोही माला माल हुए दौलत के जो बने पुजारी, आखिर में कंगाल हुए 1 सोने-चाँदी वाले सुन लो, बात कहूँ मे भली भली - 2
ले-लो रे ।
जीवन मे दुख ही तब तक है, जब तक सम्यजान नही ईश्वर को जो भूला गया है, वह सच्चा इंसान नही दो दिन का यह चमन खिला है, फिर मुरझाई कली - कली - 2 ले- लो रेरे
DATE
मंगलाचरण
45
।
राजस
1" अरिहेत
जय-जय, सिद्ध
प्रभु जय जय । साधु जीवन जय-जय, जिनधर्म जय जय ॥ -
11 अरिहंत मंगल, सिद्ध प्रभु मँगलं । साधु जीवन मंगल, जिनधर्म मंगल ॥
अरिहंत उत्तमा, सिद्ध साधु जीवन उतमा, जिनधर्म प्रभु उतमा
| उतमा "
अरिहंता शरणा, सिद्ध प्रभु शरणा । साधु जीवन शरणा, जिनधर्म शरणा
1
यही चार शरणा, भव दुःख हरणा T शिव सुख करणा, भव्य जीव तरणातरणा
विराग - आरती🙏🙏🙏
हे गुरुवर तेरे चरणों में, हम वंदन करने आये है।
हम वंदन करने आये हैं, हम आरती करने आये हैं ।।
हे गुरुवर तेरे || *******
तुम काम क्रोध, मद, लोभ छोड़, निज आतम को पहचाना है
। घर, कुटुम्ब छोड़कर निकल पड़े, धर लिया दिगम्बर बाना है ।
। हे गुरुवर तेरे........ ||
छोटी सी आयु में स्वामी, विषयों से मन अकुलाया है।
तप, संयम, शील, साधना में, दृढ़ अपने मन को पाया है ।।
हे गुरुवर तेरे---------
कितना भीषण संताप पड़े, हो क्षुधा - तृषा की बाधायें ।
स्थिर मन से सब सहते हो, बाधायें कितनी आ जाये ।।
हे गुरुवर तेरे-----------
नहीं व्याह किया घर बार तजा , समता के दीप जलाये हैं ।
हे गुरुवर तेरे --------+
तुम जैन धर्म के सूरज हो, तप-त्याग की अद्भुत मूरत हो ।
है धन्य धन्य महिमा तेरी, तुम हरने वाले सूरज हो ।
। हे गुरुवर तेरे --------------
. शिवपुर पथ के अनुगामी का, अभिवंदन करने आये हैं ।
हे गुरुवर तेरे चरणों में, हम वंदन करने आये हैं ।।
हे गुरुवर तेरे ।।
भजन नं. 2
बड़े बाबा को मंदिर बीच पहाड़, कोयलिया कूका मार दइयो रे । लागे रास्ते में अमुवा के झाड़, कोयलया कूका मार दइयो रे ।
बड़े बाबा को दोरो दिखत नइयाँ । उ तला के लिगा हैं चरत गइयाँ । जानें कब लो खुले हैं किवार । कोयलिया कूका ************* | |
नंगे पाँव उठाये सें उठत नइयाँ । जुग जुग गोड़ो मोरो पिराय बाबा ले लो कइयाँ । । से घिसट रहे हाड़ । कोयलिया कूका ...... ||
बाबा दर्शन खों तरसें जे दोऊ अँखियाँ । पारस बाबा विराजे संगे दो-दो ठइयाँ ।। तोरी महिमा खो दे हो प्रमाण । कोयलिया कूका ।।
तोय देखत रहो मन भरत नइयाँ । लागे दुखियन असुअन धार । कोयलिया कूका मोरे नैना निहारत थकत नइयाँ ।। ।।
जन्म मरण को भेद मिटत नइयाँ । घिरे करमन कटीली झाड़ कोयलिया कूका बड़े बाबा को मंदिर बीच पहाड़ कोयलिया कूका मार दइयो रे ।। मोह ममता की भूख मिटत नइयाँ ।। ।।
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भजन - १८
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(तुम्हीं हो माता)
हृदय में अपने तुम्हें सजाऊ, तुम्हें न गुरुवर कभी भुलाऊं
'तू जल अगर है तो में हू शीतल
तू हे समुन्दर तो में तेरा जल
तेरे चरण की धूल में पाऊँ
तुम्हें न गुरुवर.........
तू आग जग की तो ऊष्मा में तू ज्योतिमय हे तो है शमा में
तुझे न इक पल में छोड़ पाऊँ
तुम्हें न गुरुवर........
हो तुम महावीर, तो हम है गौतम हो आप चेतन तो आन है हम
तुझसे अलग हो कहीं न पाऊँ
तुम्हें ना गुरुवर......
हृदय में रखु में तेरे चरण को
पाऊं तुम्ही से सम्यक मरण की
हर एक पल में तुम्हीं को ध्याउँ
तुम्हें ना गुरुवर......
ff
भजान - 10
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साधु नही वे चलते फिरते तीरथ समान शुरू वर्धमान सागर जी को मेरा शत शत प्रणाम है
है
है
2) बाहर से तो नग्न है अन्तर से भी नग्न अपनी ही आत्मा मे रहते सदा मग्न है उपयोग अगर घंटे तो पर का कल्याण है गुरु वर्द्धमान
ना राग है ना द्वेष है ये तो है वीतरागी दर्शन मिले है हमको, हम तो है अनुरागी निन्दा और प्रार्थना से, इनको न काम है गुरु वर्धमान
अन्तर को प्यासी बगिया में चरित्र खिल रहा है भोगो मे उलझे जीव को सद्ज्ञान मिल रहा है मुक्ति के पर बढ़ रहा है जीवन महान है
गुरु वर्धमानवर्धमानवर्धमानवर्धमान
9 भजन- मनि बिहार का भजन
DATE
उड़ा जा रहा है पंछी हरी भरी डाल से रोको रोको कोई मुनि को विहार से
1) सोचा न कभी हमने अनगढ़ पत्थरो की
नगर मे आवेगे
मूर्तियाँ बन पायेंगे अनुपम शिष्यों का शत शत नमन है ।
2) सरगम की ताले टूटी, रुक गई खासे आके मनाओ गुरुवर, रो रही राते दीप जला दो सम्यक दीपावली मनायके ,
उड़ा जा रहा
पास तुम्हारे रह के भजन जीवन मे इतने पुष्य और कब कमाएँ पुण्य की वर्षा करो नगर
मैने गाए
पधार के
3)
उड़ा जा रहा
4) शुरू भक्ति कैसे गांऊ मन ही उदास है जीवन मे खोई वाणी टूरी मेरी आस है वीना का वार भी बोले गुरु आगमन से
उड़ा जा रहा
।
1
8.
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रंग मा रंग
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भजन - 8 मा रंग मारे
प्रभु थारा ही रंग मा रंगी गयो रे
आया मंगल दिन मंगल अवसर भक्ति मां थारी हूँ नाच रह्यो रे
प्रभुः थारा
2) गांवो रे गाना आतम राम का आतम देव बुलाई रहयो रे
प्रभु थारा
3) आलम देव को अन्तर माँ देखा सुख सरोवर उछल रह्यो रे
प्रभु थारा
4) भाव भरी हम भावना से भाये आप समान बनाइ लियो रे
प्रभु थारा
5) सुन्दर शांत मनोहर मुद्रा रूप रो यो रूप निढाल कियो रो
प्रभु भारा
सुन्दर थाल मनोहर लेके प्रभु जी की आरती उतार लियो रे
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भजन 7 -
नाम तिहारातारनहारा कब तेरा दर्शन होगा तेरी प्रतिमा इतनी सुन्दर, तु कितना सुन्दर होगा
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(1) जाने कितनी माताओ ने कितने सुठ जन्मे है पर इस वसुधा पर तेरे सम कोई नहीं बने है । पूर्व दिशा मे सूर्यदेवसम सदा तेरा सुमिरन होगा। तेरी महिमा
(2) पृथ्वी के सुन्दर परमाणु सब तुझमे ही समा गये केवल उतने ही अणु बनके मिलकर तेरी रचना बन गये इसलिए तुम सम सुन्दर नहि कोई नर सुन्दर होगा तेरी महिमा
1 (3) मन मे तब सुमिरन करने से पाप सभी नश जाते है यदि प्रत्यक्ष करे तब दर्शन मन वांछित फल पाते हैं आज आदिनाथ प्रभु का अनुपम गुण कीर्तन होगा । तेरी महिमा
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J2J2KiJ2J2 . भजन
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अतीवीर बनके महावीर बनके चले आना
प्रभुजी चले आना SSS
तुम ऋषम रूप मे आना तुम अजित रूप मे आना संभवनाथ बनके,
अभिनन्दन बनके चले आना दरश दे जाना । अतिवीर बनके.......
तुम सुमित रूप मे आना, तुम पद्म रूप मे आना सुपार्श्वनाथ बनके,
चन्दाप्रभु बनके चले आना दरश दे जाना अतिवीर बनके
तुम पुष्प रूप मे आना, तुम धेयांशनाथ बनके वासुपूज्य दरश दे जाना.प्रा
शीतल रूप मे आना बनके चले आना अतिवीर बन के
तुम विमल रूप मे आना, तुम अनंत रूप मे आना धर्मनाथ बनके,
शांतिनाथ बनके दरश दे जाना चले आना । अतिवीर बन के ।
तुम कुन्यु रूप मे आना तुम अरह रूप में आना मल्लिनाथ बनके ,
मुनिसुव्रत बनके चले आना /दरश दे जाना तुम नमि रूप मे
पार्श्वनाथ बनके दरश दे जाना
अतिवीर बन के तुम आना, तुम नेमि रूप मे आना
महावीर बनके चले आना अतिवीर बन के |
शान्ति रूप मे आना
शिवसागर बनके, धर्मसागर दरश दे जाना
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वीर रूप में आना बनके चले आना अतिवीर बन के । , तुम
1
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मे आना
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तुम अजित रूप में आना, तुम श्रुतरूप वर्द्धमान सागर बनके, वीर सागर बन के चले आना दरश दे जाना अतिवीर बन के 7
तुम हित रूप मे आना, तुम सौम्य रूप मे आना पुण्यसागर बनके, चिन्मय सागर बनके चले आना । दरश दे जाना अतिवीर बन के
तुम देवेन्द्र रूप मे आना, तुम देवेश रूप मे आना अपूर्वसागर बनके, अर्पितसागर बनके चले आना दरश दे जाना अतिवीर बन के ।
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