माँ
औषधि का अंबार भी,
हरे न मन के रोग।
माँ ममता की औषधि,
रखे सदा निरोग।।
हृदय रोग उनको नही,
जो माँ हृदय समाय।।
ईश्वर बसता माँ हृदय,
जो सारे रोग नशाय।।
मंदिर मस्जिद तीर्थ गढ,
मनुआ करे उपाय।
माँ में सारे तीर्थ है,
तू तीरथ क्यों जाय।।
गंगा यमुना नर्मदा,
जीवन रक्षक धार।
माँ कहकर ही पुकारे ,
यह सारा संसार।।
ईश्वर अल्ला नाम जप,
या मसीह गुणगान।
माँ की ही तो कृपा से,
प्राणी पाता जवान।।
युग पुरुषो की कथायें,
जग मे बनी अमर।
माँ के ही संस्कार तो,
करते उन्हे अमर।।
माँ माँ माँ माँ नाम रट,
रे प्राणी दिनरात।
क्षमाँ क्षमाँ तब क्रोध न,
होगा शुभ्र प्रभात।।
माँ महिमा गुणगान तो,
कर न सकती जवान।
माँ सागर से अनंत,
प्राणी बूँद समान।।
माँ की ही तो कृपा से,
'अनेकांत कविराय।
कलम चलाना सीखता,
माँ ही राह बताय।।
दो हजार सन ग्यारह,
मंगलमय शुभ वर्ष।
दोहा छंद बनायकर,
अनेकात मन हर्ष।।
ग्यारहबी तारीख तब,
अष्टम माह अगस्त।
'देख पपीहा आसमां,
झरते मेघ समस्त।।