पंच परमेष्ठि
चार घातिया नाश करें,
अरिहंत प्रभु कहलाते हैं।
आठ कर्म जो नाश करें ,
सिद्ध प्रभु कहलाते हैं ।
शिक्षा दीक्षा देते हैं,
वे आचार्य कहलाते हैं।
मुनिवर पढ़े पढ़ाते हैं,
वे उपाध्याय कहलाते हैं ।
रत्नत्रय को ध्याते हैं,
साधु वे कहलाते हैं ।
ये परमेष्ठी कहलाते हैं,
इनको शीश झुकाते हैं ।