जीव संसारी है

पुढविजलतेउवाऊ, वणप्फदी विविहथावरेइंदी।

विगतिगचदुपंचक्खा, तसजीवा होंति संखादी।।११।।

पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु काय, औ वनस्पतिकायिक जानो।

एकेन्द्रिय स्थावर पाँच कहे, इनके सब भेद विविध मानो।।

दो इंद्रिय त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय, और पंचेन्द्रिय त्रस माने हैं।

जो शंख पिपील भ्रमर मानव, आदिक से जाते जाने हैं।।११।।

अर्थ - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पति ये पाँच प्रकार के स्थावर एकेन्द्रय जीव होते हैं। द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय ये त्रस जीव हैं जो कि शंख, चिवटी, भ्रमर, मनुष्य आदि हैं।

प्रश्न - संसारी जीवों के कितने भेद हैं?

उत्तर - संसारी जीवों के २ भेद हैं-१-स्थावर, २-त्रस।

प्रश्न - स्थावर जीव के कितने भेद हैं?

उत्तर - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पतिकायिक जीव ये स्थावर के पाँच भेद हैं।

प्रश्न - त्रस जीव कौन से हैं?

उत्तर - दो इंद्रिय से पाँच इंद्रिय तक के जीव त्रस हैं।

प्रश्न - शंख, चींटी, मक्खी, मनुष्य आदि कितने इंद्रिय वाले जीव हैं?

उत्तर - शंख-दो इंद्रिय जीव (स्पर्शन-रसना)। चींटी-तीन इंद्रिय जीव (स्पर्शन, रसना, घ्राण)। मक्खी-चार इंद्रिय जीव (स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु)। मनुष्य, नारकी, देव, हाथी, घोड़ा आदि पंचेन्द्रिय जीव हैं।

प्रश्न - जीव स्थावर या त्रस जीवों में किस कर्म के उदय से पैदा होता है?

उत्तर - स्थावर नामकर्म के उदय से जीव स्थावर जीवों में उत्पन्न होता है तथा त्रस नामकर्म के उदय से त्रस जीवों में उत्पन्न होता है।