दुग्धा -ब्धिवीचि पय संचित फेन राशि,
पाण्डुत्व कांति मव धीर यताम तीव।
दनां गता जिन पतेःप्रतिमा सुधारा,
सम्पद्य-तां-सपदि वांछित सिद्ध येवः।।30।।
मंत्र - (१) ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्ह वं मं हं सं तं पं वं वं मं मं हं हं सं सं तं तं पं पं झं झं झ्वीं इवीं क्ष्वी क्ष्वी द्रां द्रां द्रीं द्रीं द्रावय द्रावय।ॐ नमोऽर्हते भगवते श्री मते....…जिन मभिषेक यामि स्वाहा।
अर्घ- संसार महा दुख सागर में
प्रभु गोते खाते आया हूँ
अब मक्खन सम मन होने को
इस दधि की धारा देता हूँ।।
उदक चन्दन तंदुल पुष्पकैश्चरु
सुदीप सुधूप फलार्घकैः।
धवल मंगल गान रवा कुले,
जिन गृहे जिन नाथ महं यजे।।
॥५॥मंत्र- ॐहीं............. इति दधि स्नपनम्