भ. मुनिसुव्रतनाथ स्तुति
(चाल-तुमसे लागी लगन..)
दीनोंके दीनानाथ, मुनिसुव्रतनाथ,
जिनेश प्यारा, मेटो मेटोजी संकट हमारा।
मंगल स्तुति करुं मनमें ध्यान धरु,
प्रभु प्यारा, सब संकट तुमने निवारा।।टेक।।
शामाके आखों के तारे, सुमित्रके राज दुलारे,
पैठण में प्रकटें प्रभु, मंगल होवे विभो आनंदसारा।।1।।
राजगृही प्रभु आये, चारो कल्याणिक मन भाये,
पावन भूमि जहां, सम्मेदगिरि महान, निर्वाणपद थारा।।2।।
सुर-नर-मुनि आये प्रभु तव गुण सब गाये,
सम्यक् ज्योति जगे अष्ट कर्म नशे जिनेश प्यारा।।3।।
अंजनसे पापी तारे, राजा श्रीपालका कष्ट निवारे,
मेटो जामन मरण, कर दो दुःखका हनन् मुनिसुव्रत प्यारा।।4।।
भाव भक्तिसे शीस नवाऊं, प्रभुतव पद कैसे पाऊं,
‘राही‘ व्याकुल खडा, तेरे चरणों पडा, करदो भवपार।।5।।