jan 23, 2016 by सुरेन्द्र रतनलाल शहा जैन - श्रीरामपुर, posted in भजनावली
अघ-हर श्री जिनबिंब मनोहर,
चौबीस जिन का करो भजन,
आज दिवस कंचन सम पूजो,
जिन मंदिर चलो सजन .
अघ-हर..||1||
न्हावन स्थापना सहस्र नाम पद,
अष्ट-विधारचन पूज रचन,
जयमाला आरती सुस्वर,
स्तवन सामायिक त्रिकाल पठन.
अघ-हर …||2||
जय जय आरती सुरनर नाचत ,
आनंद दुंदुभी बाज बजन ,
रत्न जड़ित कर-ताल मनोहर ,
ज्योति अनुपम धूम्र-तजन .
अघ-हर…||3||
ऋषभ अजित सम्भव सुखदाता ,
अभिनंदन के नमु चरण ,
सुमति पद्मप्रभु ,देव सुपार्श ,
चन्द्रनाथ वासु शुभ्र वरण
अघ-हर….||4||
पुष्पदंत,शीतल श्रेयास नमी
वासुपूज्य भाव-तार-तरन ,
विमल अनंत धर्म शान्ती ,
जिन कुंथु अरह जन्म-हरण.
अरु मल्लि मुनि सुव्रत ,नमी नेमी,
पार्श्वनाथ हत अष्ट करम ,
नाथवंश उन्नत क्र सप्तम
अंतिम सन्मति देव शरण
अघ-हर…||5||
(1) मुझे तुम मिल गये गुरुवर (भगवन), सहारा
सहारसहारसहारा सहारा हो तो ऐसा हो जिधर देवू, उधर भगवन, नजारा हो तो ऐसा होगुरू का चाँद सा चेहरा, मै दिल केरखती पास रखती हूँ है उनकी मोहनी मूरत, जिन्हें आँखो मे रखती हूँ मेरी तकदीर मे तुम सहारा हो तो ऐसा हो. 1 जिधर
मेरी आँखो मे आँसू हैं, मगर आँसू खुशी के हैं गुरू को पा लिया हमने, ये खेवट जिंदगी के हैं (पालक) हमे तो नाज हैं तुम पर, सहारा
स्वर्ग चाहूँ ना घन चाहूँ, गुरन्दर बस तुम्हे चाहूँ चरण बस पा सकूँ तेरे पुण्य ऐसा किया हमे सेरे चरणो मे जन्नत हो, सहारा हो तो ऐसा 1
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