(3) *कहानी*


*ईश्वर को धन्यवाद*

<br><br>


*एक लड़की अपने पिता को* <br><br>


  *दु:ख व्यक्त करते-करते* <br><br>


 *अपने जीवन को कोसते हुए* <br><br>


 *यह बता रही थी कि ~ उसका* *जीवन बहुत ही मुश्किल दौर से गुज़र रहा है*.<br><br>


*एक दु:ख जाता है, तो ...दूसरा चला* *आता है इन मुश्किलों से लड़-लड़ कर* <br><br>


         *वो अब थक चुकी है*. <br><br>


        *वह करे तो क्या करे* ?<br><br>


*उसके पिता रसोइया (Chef) थे*.<br><br>


     *बेटी के इन शब्दों को सुनने के* बाद <br><br>


       *वह उसे रसोई घर में ले गये, और* <br><br>


  *तीन अलग-अलग कढ़ाई में* <br><br>


 *पानी डाल कर* <br><br>


     *तेज आग पर रख दिया*.<br><br>


 *जैसे ही पानी गरम हो कर उबलने लगा*,<br><br>


 *पिता ने एक कढ़ाई में एक आलू डाला*,<br><br>


 *दूसरे में एक अंडा और तीसरी कढ़ाई में* <br><br>


 *कुछ कॉफ़ी बीन्स डाल दिए*.<br><br>


*वह लड़की बिना कोई प्रश्न किये* *पिता के इस काम को ध्यान से देख* *रही थी. 15-20 मिनट के बाद* *उन्होंने आग बंद कर दिया, और एक कटोरे में* <br><br>


   *आलू को रखा, दूसरे में अंडे को और* <br><br>


*कॉफ़ी बीन्स वाले पानी को कप* *में.पिता ने बेटी को उन तीनों कटोरों को* <br><br>


  *एक साथ दिखाते हुए बेटी से कहा* ~<br><br>


    *पास से देखो इन तीनों चीजों को*.<br><br>



        *बेटी ने आलू को देखा*,<br><br>


         *जो उबलने के कारण* <br><br>


            *मुलायम हो गया था*.


       *उसके बाद अंडा देखा,*

         *जो उबलने के बाद*

        *थोड़ा कठोर हो गयाथा*,

*आखिरी में जब कॉफ़ी बीन्स को* *देखा, तो* ... 

 *उस पानी से बहुत अच्छी* 

             *खुशबू आ रही थी*.

*पिता ने पूछा* ~ 

   *तुमको पता चला* ...

       *इसका मतलब क्या है तब* *पिता ने समझाते हुए कहा* ~ 

    *इन तीनों चीजों ने जो मुश्किल* *झेली,वह एक समान थी, लेकिन* ...

*तीनों के रिएक्शन अलग-अलग हैं*.

       ─⊱━━━━⊱⊰━ हमारी *ज़िन्दगी भी ऐसी ही है*.

 *कष्ट और मुसीबतें* 

 *हम सबको आती हैं, लेकिन इन* *दुखों और कष्टों को* 

*सहने का रिएक्शन हम सबका अलग-अलग होता है*.

👉  *कोई दुःख और तकलीफ देखकर*

     *हताश और मायूस होकर इस उबले* 

   *आलू की तरह नरम हो जाता है*, और 

     *अपने दुःखों और मुसीबतों का* 

     *ढिंढोरा पीटना शुरू कर देता है*.

👉   *दूसरे वो होते हैं, जो* ...

     *दुःख और मुसीबतों को भले ही* 

      *किसी को नहीं बतायें, लेकिन* 

     *अंदर से इतने टूट जाते हैं, जैसे* 

        *उबले अंडे का हाल होता है*.


👉   *और तीसरे वो होते हैं, जो ...*

     *दुखों और मुसीबतों से ना तो* 

     *बाहर से घबराते हैं और ना ही*

  *अंदर से टूट कर उदास होते हैं, बल्कि* 

    *ऐसे लोग दुखों और मुसीबतों को* 

       *मालिक की मौज समझ कर* 

      *बड़ी ख़ुशी से स्वीकार करते हैं.*

    *ऐसे लोग मालिक से अपने दुःख की* 

       *शिकायत नहीं करते, बल्कि* 

        *इन्हें सहने की शक्ति माँगते हैं*.

    *ऐसे लोग ही दुःख और मुसीबतों में* 

    मुस्कुरा कर दूसरों के लिए सबक और 

   मिसाल बन कर कॉफी बीन्स की तरह 

             *खुशबू फैलाते रहते हैं*.

   •┈✤┈┈┈••

  *इस कहानी से सीख लेते हुए हमें भी* 

       ◆  *दु:ख और मुसीबत में*  ◆

      *ईश्वर को कोसना नहीं चाहिए,* 

*बल्कि .. उस की रज़ा में राज़ी रहकर*

     *दु:ख की घड़ी में भी मुस्करा कर*

       *उस का सामना करना चाहिए*, 

        *और* ...   *हर पल ईश्वर का ...*

               *धन्यवाद करना चाहिए *


****************************************

Home pej go