धार्मिक पहेली भाग-1
१.कितना ज्ञान भरा है इसमें,भाव तो ज्ञानी ही जाने
पर अज्ञानी जीव कभी भी, असली रूप ना पहचाने ||
उत्तर - शास्त्र,
2 .तीन लोक में अनुपम है, जो तीन लोक में सार |
उसकी महिमा बढ़ जाती है, जो करता उससे प्यार ||
उत्तर - आत्मा
3 .एक बरस भोजन नहीं पाया, फिर भी भोजन करते थे |
भले ही तन को छोड़ दिया हो, वे तो कभी न मरते थे ||
उत्तर - आदिनाथ,
4. जहाँ वाणी प्रगट वीर की, छः अक्षर का नाम |
गौतम जहाँ गणधर हुए,बतलाओ वह धाम ||
उत्तर - समवशरण
5. चार ड्रायवर एक सवारी, आगे पीछे रिश्तेदारी |
नाम बताओ उस गाडी का, जिसमे आए सबकी बारी | |
उत्तर-अर्थी
6.मुझको लेकर गुन-गुन करते, कुछ सज्जन से लोग |
दुर्जन कभी न हाथ लगाते, न करते मेरा उपयोग | |
उत्तर- जिनवाणी
7. प्रतिवर्ष मै आता हूँ, नई रोशनी लाता हूँ |
उत्सव सभी मनाते है, मिलकर दीप जलाते है | |
उत्तर-दीपावाली
8. पिंडी फटी नाम जपने से, चंद्रा प्रभु प्रगटे उसमे से |
भस्मक व्याधि रोग था भारी, नाम बताओ सब नर नारी | |
उत्तर-समन्तभद्र,
9. ताले अड़तालीस डले थे,पहरेदार लिए भाले थे |
भीतर बंद किया उन मुनि को, नाम बताओ तुम जन-जन को | |
उत्तर-मानतुंगाचार्
10. आठ गुणों को प्राप्त किया है, निराकार पद धार लिया है |
अब न उनको आना जग में, लीन रहे निज चेतन में ||
उत्तर- सिद्ध
11.ऐसे इन्द्र का नाम बताओ, चार पैर अरु पूंछ दिखाओ |
शत इन्द्रों में आने वाला, इन्द्र की शोभा पाने वाला ||
उत्तर-११. शेर,
12. उजला उजला उसका दाना, उसके बिन न अच्छा न खाना |
छ रस में से एक बताया, नाम बताओ उसका प्यारा||
उत्तर-१२. नमक,
13.तीन सौ त्रेसठ मत को चलाया, वीर प्रभु का जीव कहाया |
आदिनाथके समय में आवे, तीर्थंकर की पदवी पावे|
|उत्तर- १३. मारिच,
14.आदि कटे तो दुःख कहाता, मध्य कटे तो खाया जाता |
अंत कटे तो हमें जलाता, पूर्ण रहे तो ज्ञान बढाता ||
उत्तर-आगम,
15.दोनों भाई जुड़वाँ आवे, बहिन को देख विरक्ति पावे |
कुंथलगिरी से मोक्ष पधारें ,हम सब उनका नाम उचारे ||
उत्तर- कुलभूषण एवं देशभूषण
16 .जल में जीव बहुत कहलाए, धर्म और विज्ञान बतलाएं |
एक बूँद में कितने जीव पाए, जीवों की संख्या आप बताएं ||
उत्तर-. ३६४५०,
17.अष्टम नारायण कहलाये, महिमा अदभूत आगम गाये
रुक्मणी जिनकी थी पटरानी ,नाम बताओ कोई ज्ञानी ||
उत्तर-. श्री कृष्ण,
18.श्रीपाल को जिसने सताया, और समंदर मे जिसने गिरवाया |
नाम बताओ उसका प्यारे,उसी सेठ का नाम उचारे ||
उत्तर-. धवल सेठ
19.अरिहंतों से सिद्धों तक की दूरी, कितने राजू तक की |
हमको बतलाओ जल्दी उत्तर ,तुमने क्यों देर की ||
उत्तर. सात राजू
20.पदम् पुराण में राम कथा है, पढ लेंगें तो संसार व्यथा है |
लेखक ग्रंथ के हमें बताओ, नाम बताकर ज्ञान बढाओ ||
उत्तर-. रविसेणाचार्य
21.घर मे नित्य विरक्त रहे जो,सिद्धप्रभु का ध्यान करे जो |
एक दिवस खुद मुनिपद पाया, अंतर मुहूर्त मे केवलज्ञान पाया||
उत्तर- . भरत,
22.णमोकार यह मंत्र है सुंदर, आया प्रथम किस ग्रंथ के अंदर |
लीपिबध यह किसने किया, नाम बताओ जिसने किया ||
उत्तर-. षटखंडागम आ.भूत्बली पुष्पदन्त,
23.युद्ध देख हो गए वैरागी, कैशलोच गजपर कर अनुरागी ||
ऐसे महापुरुष का नाम बतलाओ, जैन धर्म की शान बढाओ ||
उत्तर-. मधु रजा
24.ऐसे गुरु के चरण पखारू, हृदय कमल पर उन्हें बिठा लू ||
सीमंधर को नमन किये थे, प्रभुवर से सक्च्चात मिले थे ||
उत्तर- आचार्य कुंद कुंद,
25.श्रीपाल को जिसने सताया, और समुंदर मे गिरवाया ||
नाम बताओ उसका प्यारे ,उस सेठ का नाम उच्चारे ||
उत्तर-. धवल सेठ
26.ऐसे गेट का नाम बताओ, जिससे कभी न कोई गुजरा|
बना हुआ हड्डी का है, जिसका रंग है उजला उजला||
उत्तर- कोलगेट,
27. ऐसी कौनसी पालिश है, जिसके बनने मे हिंसा होती है|
उस पालिश का नाम बताओ, नाम बताकर इनाम पाओ||
उत्तर-. नैलपोलिश,
28. कौन सी पत्ती है वह, जिसके पीने मे दोष लगता है|
सुबह दोपहर शाम को पी जाती है, सबके मन को भाती है||
उत्तर-. चाय पत्ती,
29. हड्डी को जब पीसा जाता, चिकना चिकना सा बन जाता|
तुम सब अपने मुख मे लगाते, काले से गोरे बन जाते||
उत्तर-२९. पाउडर,
30. जन्म दिवस पर काम मे आती, लेकिन हिंसा बहुत करवाती|
जो भी खाए दांत सडाये, बैचने वाला मौज उड़ाए||
उत्तर-. टॉफ़ी
31. सत्य अहिंसा के अनुरागी, वीतरागता जिनकी नामी|
तीस वर्ष में मुनि पद पाया, देवों तक ने उनको गाया ||
उत्तर-. महावीर,
32. माता तुम्हारी वामा देवी,अश्वसेन पितु हैं सब सेवी|
बाल ब्रम्हचर्य व्रत को धारा, मुनि बनकर के मोक्ष सिधारा||
उत्तर-. पार्श्वनाथ,
33. लघु भाई को मरते देखा, शत्रुंजय से लड़ते देखा|
बोद्ध जनों से किया विवाद, नाम बताओ उनका आज ||
उत्तर-. अकलंक,
34. महिमा जिनकी खूब हुई थी, गिरे शिला चकचुर हुई थी|
दानवता के नाशन हारे, पवन अंजना हितु तुम्हारे ||
उत्तर-. हनुमान,
35. महावीर की मौसी का, अब नाम तुम्हे बतलाना हैं|
प्रसिद्ध हो गई जग मे वह, क्या तुमने पहिचाना है ||
उत्तर-. दना
36. नए ज़माने का मस्तक हूँ, किन्तु हूँ बिल्कुल बेजान|
ज्ञान की बात सिखाता हूँ, यह है मेरी पहचान ||
उत्तर-. कंप्यूटर,
37. चार अक्षर का है मेरा नाम, प्रथम कटे तो वचन कहाता|
मुनियों माताजी द्वारा सब भक्तो को, रोज सम्बोधा जाता ||
उत्तर-. प्रवचन,
38. अंत कटे तो स्वर्ण कहाऊँ, प्रथम कटे तो में गिर जाऊ|
नहीं कटे तो तीर्थ कहाऊँ,सभी साधर्मी के मन को भाऊ ||
उत्तर- सोनागिरी,
40. अग्नि परीक्षा दी सीता ने, छोड़ दिया राम ने उसको|
जिस माताजी से दीक्षा धारी ,उस माताजी का नाम बताओ ||
उत्तर-. प्रिथ्विमती माताजी,
41. राग मोह का नाम नहीं है, भूख प्यास का कम नहीं है|
इस ही तन से मोक्ष जु पावे ,महिमा उनकी सब जन गावे ||
उत्तर- . अरिहंत
41. मंत्रों में जो महामंत्र है, सुख पाने का एक यंत्र है।
उसी मंत्र का नाम बताओ, शुद्ध बोलकर हमें सुनाओ।।
उत्तर — णमोकार महामंत्र । जो इस प्रकार है णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं, णमो उवज्झायाणां, णमो लोए सव्व साहूणं
42. अर्हत् सिद्धाचार्य उपाध्याय, साधु जी को हम नित ध्याँय।
सहीं मूलगुण सबके बोलो, कर्म काट मुक्ती पट खोलो।।
उत्तर— अरिहंत परमेष्ठी-४६, सिद्ध परमेष्ठी ८, आचार्य परमेष्ठी ३६, उपाध्याय परमेष्ठी२५, साधु परमेष्ठी-२८
43. रामचन्द्र की जीवन गाथा, पढ़े सुने जो शिव सुख पाता ।
पद्म पुराण ग्रन्थ पथदाता, किसने रचा बताओ भ्राता।।
उत्तर— श्री रविषेण आचार्य।
44. उमास्वामी मुनिवर की रचना, दशाध्याय पढ़ पाप से बचना।
कुल सूत्रों की गणना गाओ, तथा ग्रन्थ नाम बताअो ।।
उत्तर— तत्वार्थसूत्र कुल सूत्र ३५७
45. फूल गुलाब का कितना प्यारा, कोमल तन है गंध निराला।
कैसे उसका ज्ञान है होता, नाम बता क्यों मौका खोता।।
उत्तर— कितना प्यारा-चक्षु इन्द्रिय से / कोमल तन-स्पर्शन इन्द्रिय से / निराली गंध घ्राण इन्द्रिय से
46. शान्तिसागराचार्य हमारे, भोज ग्राम में जन्म है धारे ।
बालपने का नाम बताओं, उन जैसा तुम भी बन जाओ।।
उत्तर— सातगौंडा।
47. णमोकार है सबसे प्यारा, सब मंत्रों में सबसे न्यारा ।
भाषा और छन्द बतलाओ, रचा किन्होंने नाम बताओ।।
उत्तर— णमोकार मंत्र भाषा-प्राकृत / छन्द -आर्या किन्होंने -अनादिनिधन है।
48. जिन्हें सभी हैं शीश नवाते, परमेष्ठी हैं वे कहलाते।
कितने होते नाम बताएं, सदा शरण में इनकी जाएं।।
उत्तर— परमेष्ठी पाँच होते हैं — अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु ।
49. बालयति तीर्थंकर प्यारे, शौरीपुर में जन्म है धारे।
नाम कौन सा इन्द्र पुकारे, सही बताओ जग के तारे।।
उत्तर— अरिष्ट नेमि।
50. धीर वीर हैं पाण्डव भाई, संख्या पाँच उन्हीं की गाई।
किनने मोक्ष कहाँ से पाया, सही बताओ मेरे भाया
उत्तर— युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन ने शत्रुंजय (पालिताणा) से।
51. चाचा थे जिनके नारायण,युद्ध कला में वे पारायण ।
युगल भाई के नाम बताओ, नाम जपो तुम पुण्य कमाओ।।
उत्तर— अनंग लवण व मदनांकुश अथवा लवकुश।
52. चतुर्णिकायों के सुर आते, अष्टाह्निक का पर्व मनाते।
उसी द्वीप का नाम बताओ, जिन प्रतिमा की महिमा गाओ।।
उत्तर— आठवाँ नन्दीश्वर द्वीप महिमा— ५२ अकृत्रिम चैत्यालय, प्रत्येक चैत्यालय में ५०० धनुष उँची प्रमाणवाली पद्मासन विराजित १०८—१०८ जिन प्रतिमा है।
53. कलिकाल सर्वज्ञ कहाते, सुर भी जिनकी महिमा गाते।
उन गुरुवर का नाम बताओ, शीश नवाकर पुण्य कमाओ।।
उत्तर— आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी ।
54. ओमकार है दुख का हरता, भव्य जनों को शिव में धरता।
रचना इसकी कैसे होती, सत्य बताओ जय—जय होती।।
उत्तर— अरिहन्त का प्रथम अक्षर अ सिद्ध यानि अशरीरी का
प्रथम अक्षर अ आचार्य का
प्रथम अक्षर आ उपाध्याय का
प्रथम अक्षर उ साधु यानि मुनि का
प्रथम अक्षर-म = ॐ
55. जिनपूजा है दुख की नाशा, इससे मिटती जग की आशा।
अष्ट द्रव्य के नाम बताकर , पूजा करना तुम नित आकर।।
उत्तर— अष्टद्रव्य के नाम १ जल २ चन्दन ३ अक्षत ४ पुष्प ५ नैवेद्य ६ दीप ७ धूप ८ फल।
56. कौशल्या के राज दुलारे, सीता जी को सबसे प्यारे।
कौन कहाँ से मोक्ष पधारे, नाम बताओ वरना हारे।।
उत्तर— श्री रामचन्द्र, तुंगीगिरी (मांगीतुंगी) से मोक्ष पधारे।
57. विद्या गुरुवर के जो गुरुवर, गुरु के, गुरु के, गुरु के गुरुवर।
पंचाचार्य सभी के पालक, नाम बताओ उनका बालक।।
उत्तर— पाँच गुरुपरम्परा के आचार्य
१. आचार्य श्री शान्तिसागर जी दक्षिण
२. आचार्य श्री वीरसागर जी
३. आचार्य श्री शिवसागर जी
४. आचार्य श्री ज्ञानसागर जी
५. आचार्य श्री विद्यासागर जी।
58. समयसार छोटा कहलाता , मुक्ति महल का पथ दिखलाता।
कवि का नाम बताओ भईया, छहढाला तो नाव खिवैया ।।
उत्तर— पं. दौलतराम जी ।
59. सम्यग्दृष्टि वो कहलाता, सात तत्व जो उर में लाता।
इन तत्वों के नाम बताओं, कर्म काट मुक्ति पा जाओं।।
उत्तर— सात तत्व— १ जीव २ अजीव ३ आस्रव ४ बन्ध ५ संवर ६ निर्जरा ७ मोक्ष ।
60 . विषयों को जो चखकर जाने, रसना इन्द्रिय वो पहचाने ।
पाँच विषय हैं उसके होते, नाम बताओ अब क्यों सोते।।
उत्तर— रसना इन्द्रिय के पाँच विषय १ खट्टा २ मीठा ३ कड़वा ४ चरपरा ५ कषायला।
61. ऋषभदेव पितु मात सुनन्दा , और दूसरी मात यशस्वती ।
पुत्र—पुत्री के नाम बताओ, किसके कौन हमें समझाओ ।।
उत्तर— माता सुनन्दा की पुत्री— सुन्दरी, पुत्र बाहुबली तथा माता यशस्वती (नन्दा) की पुत्री — बाह्मी, पुत्र भरत आदि सौ ये ऋषभदेव की दो पुत्रियाँ एवं एक सौ एक पुत्र थे।
62. छूकर के जो सबको जाने, स्पर्शन इन्द्रिय पहचाने।
आठ विषय हैं उसके होते , बोलो नाम समय क्यों खोते ।।
उत्तर— स्पर्शन इन्द्रिय के विषय १. हल्का २ भारी ३ कडा ४ नरम ५ रूखा ६ चिकना ७ ठण्डा ८ गरम।
63. पार्श्व प्रभु हैं सबसे न्यारे , कर्म शत्रु भी जिनसे हारे।
प्रभु की कुल आयु बतलाओ, प्रभु चरणों में शीश झुकाओ।।
उत्तर— पार्श्व प्रभु की आयु १०० वर्ष ।
64.कुष्ट रोग क्षण में है भागा , भाग्य सितारा नृप का जागा।
धन्य धन्य मुनि उनकी रचना, नाम कहो जग में ना फसना।।
उत्तर— रचना का नाम एकीभाव स्तोत्र, मुनिवर का नाम श्री वादिराज मुनि ।
65. रानी चेलना ने समझाया, सम्यग्दृष्टि जिसे बनाया।
उस राजा का नाम बताओ, आगे क्या होगा बतलाओ।।
उत्तर— श्रेणिक राजा, जो भविष्यकाल में महापद्म नाम के प्रथम तीर्थंकर होंगे ।
66. कुन्दकुन्द आचार्य हमारे, हम सबको हैं प्राण से प्यारे ।
पाँच ग्रन्थ के नाम उचारे, गुरु रचित हैं हमें सहारे ।।
उत्तर— कुन्दकुन्द आचार्य द्वारा रचित पाँच ग्रन्थ — समयसार, प्रवचनसार, नियमसार,पञ्चास्तिकाय, अष्टपाहुड।
67. कोयल मीठा—मीठा गाती, किन्तु काया काली पाती।
कैसे तुमने ऐसा जाना, किस इन्द्रिय से है पहचाना।।
उत्तर— मीठा गाती — कर्ण इन्द्रिय (कान) से। काली काया — चक्षु इन्द्रिय (नेत्र) से।
68. सती अंजना के थे ललना, हनुरुह द्वीप में डला था पलना ।
हनुमान जी वे कहलाए , नाम दूसरा कौन बताए।।
उत्तर— हनुमान का दूजा नाम— श्री शैल था। (पद्मपुराणजी ग्रंथानुसार)
69. भटक—भटक कर दुख ही पाता , चउगतियों में कहीं न साता।
इन गतियों के नाम बताओ, सबसे पहले इनाम पाओ।।
उत्तर— चार गतियाँ— नरकगति, तिर्यंचगति, मनुष्यगति, देवगति।
70. तीन—तीन पद के हैं धारी, जीती जिनने धरती सारी ।
तीर्थंकर का नाम बताओं, कामदेव पदवी पा जाओ।।
उत्तर— तीर्थंकर, चक्रवर्ती एवं कामदेव पद के धारी शान्तिनाथ जी, कुन्थुनाथ जी व अरहनाथ जी।
71. मानतुंग मुनिवर ने गाया, भक्तिभाव से बंध छुडाया।
उस रचना का नाम बताओ, तथा छन्द की गणना गाओ।।
उत्तर— रचना का नाम— भक्तामर स्तोत्र छन्द संख्या — ४८
72. भव—भव में जो दुख के दाता, गति आगति कर भटकाता।
अष्टकर्म के नाम बताओ, कर्म काट मुक्ती पा जाओ।।
उत्तर— आठ कर्मों के नाम १.ज्ञानावरण २.दर्शनावरण, ३.वेदनीय ,४. मोहनीय ५. आयु, ६. नाम ७. गोत्र ८. अन्तराय।
73. देवों में उत्सव है छाया, जन—जन ने उल्लास मनाया।
कह गये कल्याणक जिन के, पाँच कौन से तीर्थंकर के।।
उत्तर— पाँच कल्याणक निम्न प्रकार के है। गर्भकल्याणक, जन्मकल्याणक, तपकल्याणक, केवलज्ञान कल्याणक, निर्वाण/ मोक्ष कल्याणक।
74.आतम की पहचान कराती, चखें सूंघती और दिखाती।
छूना सुनना और सुनाना, नाम इन्द्रियों के बतलाना।।
उत्तर— पाँच इन्द्रियों के नाम— (१) स्पर्शन इन्द्रिय (त्वचा), (२) रसना इन्द्रिय (जिव्हा) (३) घ्राण (नासिका) (४) चक्षु (नेत्र) (५) कर्ण (कान) इन्द्रिय।
75. योजन एक लाख विस्तारा, जीव द्रव्य से भरा है सारा।
नाम द्वीप का कौन बताएं , बीच सुमेरु उसके पाएं।।
उत्तर— एक लाख विस्तार वाला द्वीप :— जम्बूद्वीप ।
76. नाभिराय मरुदेवी के नन्दन, हरते हैं जन जन का क्रन्दन।
कितनी आयु हमें बताना, ऋषभदेव को शीश नवाना।।
उत्तर— ऋषभदेव जी, कुल आयु:— ८४ लाख पूर्व वर्ष
77. तुंगीगिरी से मोक्ष पधारे,अतिसुंदर जो काया धारे।
हनुमान जी वे कहलायें, मात—पिता थे कौन बताएं।।
उत्तर— हनुमान जी के माता—पिता का नाम:— पिता का नाम:— श्री पवनञ्जय, माता का नाम:— श्रीमति अन्जना।
78. मुकुटबद्ध अन्तिम थे राजा, नाम बताओ लेलो बाजा।
भद्रबाहु से दीक्षा लीनी, नित ही गुरु की भक्ति कीनी।।
उत्तर— अन्तिम मुकुटबद्ध राजा दीक्षाधारी— सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य।
79. सिद्ध पूज्य है जय भगवन्ता, जिनके ज्ञान का कोई न अंता।
हमें छोड़ कर कहाँ विराजे, सत्य बताओ बजेंगे बाजे।।
उत्तर—सिद्ध भगवान का निवास स्थान— ईषत प्राग्भार नाम अष्टम पृथ्वी सिद्ध ऊपर तनु वातावलय के उपरी भाग में ।
80. गिरी सम्मेद शिखर जन—जन का है तारन हारा ।
हैं तीर्थंकर कितने सारे,मोक्ष पधारे हमें सहारे।।
उत्तर— श्री आदिनाथ, श्री वासुपूज्य, श्री नेमीनाथ एवं श्री महावीर भगवान को छोड़कर शेष बीस तीर्थंकर श्री सम्मेद शिखर जी से मोक्ष पधारे।
81. नरक निगोद हमें ले जाता, पाप काम है बुरा कहाता ।
पाँच पाप के नाम बताओं, पाप त्याग कर मुक्ति पाओ।।
उत्तर— पाँच पाप— हिंसा, झूठ , चोरी, कुशील, परिग्रह।
82. देवों के भी देव कहाते, सुर—नर जिनको शीश नवाते।
कौन देव सच्चे कहलाते , पाप ताप से हमें बचाते।।
उत्तर— जो वीतरागी, सर्वज्ञ और हितोपदेशी होते है, वे सच्चे देव कहलाते हैं।
83. कभी मोक्ष ना वो पायेगा, मुनि बन स्वर्ग भले जायेगा।
उसी जीव का नाम बताओ, अपना है पुरुषार्थ जगाओ।।
उत्तर— अभव्य।
84. देखो विराग की माता, छोड़ा घर—द्वारे से नाता।
ज्ञेय जी का नाम बताएं, श्री को शीश झुकाए।।
उत्तर— श्री 105 विज्ञा श्री जी।
85. तीर्थंकर हैं तीर्थ के नायक, भव्य जनों को हैं सुखदायक।
किस आसन से मोक्ष पधारे, तीर्थंकर चौबीस हमारे।।
उत्तर— भगवान आदिनाथ भगवान वासुपूज्य एवं नेमीनाथ पद्मासन से एवं शेष २१ तीर्थंकर खड्गासन से मोक्ष पधारे।
86. अनशन तप है मुक्तिप्रदाता, मोह त्याग वैराग्य बढ़ाता।
विद्यागुरु नौ अनशन कीने, क्षेत्र बताओं बहुत है जीने।।
उत्तर— श्री सिद्धक्षेत्र मुक्तागिर जी।
87. मक्खी का वह वमन कहाता, जीव सैकड़ों है उपजाता।
भूल इसे तुम कभी न खाना, नाम व्यसन का हमें बताना।।
उत्तर— मधु व्यसन (शहद सेवन)।
88. सब अचलों में जो महान है, तीर्थंकरों का मुक्तिधाम है।
भाव सहित वंदन जो करता, नाम बताओ दुख का हरता।।
उत्तर— श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र ।
89. बहुत परिग्रह है जो रखता, भाई—बहन से नित प्रति लड़ता।
दिन में सोता रात में खाता, गति कौन सी है वो पाता।।
उत्तर— नरकगति।
90. हार जीत का खेल कहाता, नरको में निश्चित ले जाता।
व्यसन बड़ा है यह दुखदाई, नाम बताओ मेरे भाई।।
उत्तर— जुआ खेलना।
91. तीर्थक्षेत्र जो सबसे न्यारा, आदिप्रभु जी का मिले सहारा।
रत्नमयी प्रभु चन्द्र विराजे, गुफा में दर्शन कौन करावे।।
उत्तर— अतिशय क्षेत्र श्री चाँदखेड़ी ‘‘खानपुर’’।
92. बुद्धि को है भ्रष्ट बनाता, घर भर में दुख दारिद्र लाता।
भूल इसे तुम कभी न छूना, नाम व्यसन का बताओ जूना ।।
उत्तर— मद्य (मदिरा) पान व्यसन।
93. नेमिनाथ ना राजुल ब्याहा, चलना मोक्षमार्ग पर चाहा।
मोक्ष कहाँ से उनने पाया, दूजा नाम भी बताओं भाया।।
उत्तर— नेमिनाथ भगवान श्री गिरनार जी से मोक्ष गये। दूसरा नाम— श्री ऊर्जयन्तगिरि सिद्धक्षेत्र।
94. उपसर्ग परीषह जिनने जीते, ज्ञानामृत को जो नित पीते।
प्रथमाचार्य जिन्हें सब कहते, नाम बताकर इनाम जीते।।
उत्तर— आचार्य श्री शान्तिसागरजी महाराज।
95. बाहुबली की अतिशयकारी, प्रतिमा देखो बड़ी निराली।
किसने कब प्रतिमा बनवाई, दक्षिण प्रान्त में है पधराई।।
उत्तर— गोमटेश बाहुबली की प्रतिमा सेनापति श्री चामुण्डराय ने सन ९८२ में बनवाई थी।
96. गगन में देखो जिनका यान, चमक से होती है पहचान।
देव कौन से वे कहलाते, कभी—कभी वे यहाँ भी आते।।
उत्तर— ज्योतिष्क देव— सूर्य चन्द्रमा आदि।
97.. पंचम चक्रवर्ती कहलाते , इन्द्र भी जिनको शीश झुकाते।
चक्रवर्ती का नाम बताओ, पुण्य कमाओ पाप खपाओ।।
उत्तर— श्री शान्तिनाथ चक्रवर्ती।
98. मूकमाटि महाकाव्य कहाता, अदभुत अनुपम ज्ञान कराता।
रचना किनकी नाम बताओ, पढ़कर जीवन सफल बनाओ।।
उत्तर— आचार्य विद्यासागर जी महाराज।
99. नगर बनारस खुशियाँ छाई, घर—घर देखो बजी बधाई।
जनमें कौन से हैं तीर्थंकर, पुण्यशाली वे सर्वहिंतकर।।
उत्तर— १ सुपार्श्र्वनाथ २ पार्श्र्वनाथ।
100. बड़े भाई वे नारायण के, युद्ध कला में पारायण वे ।
महापुरुष हैं वे कहलाये, कौन है कितने कुल बतलायें।।
उत्तर— बलदेव या बलभद्र संख्या— नौ ।
101. पारस नाम महासुखदाई, उपसर्गों पर विजय है पाई।
माता—पिता कौन थे उनके, नाम बताओ भाग्य है चमके।।
उत्तर— पता का नाम— विश्वसेन (अश्वसेन)। माता का नाम— ब्राह्मीदेवी (वामादेवी)
102. मध्यम पाण्डव अर्जुन भाई, कीरत सबमें ज्यादा पाई।
मुनि बने और मुक्ति पाई, सिद्ध क्षेत्र बतलाओ भाई।।
उत्तर— अर्जुन ने मोक्ष प्राप्त किया— शंत्रुजय पालिताणा।
103. जिन की वाणी है जिनवाणी, पार हुआ है जिसने मानी।
चार भेद हैं आप बताओं, अनुयोगों को उर में लाओ।।
उत्तर— चार अनुयोग —१. प्रथमानुयोग, २. करणानुयोग, ३. चरणानुयोग, ४. द्रव्यानुयोग।
104. अणुव्रत ब्रह्मचर्य की महिमा, देवों से भी जाय कही ना।
मुनिव्रत सेठ सुदर्शन धारे, कहो कहाँ से मोक्ष पधारे।।
उत्तर— गुलजार बाग (पटना)।
105. एक बार बस पढ़ा सुना हो, कभी न भूले यदि छुआ हो।
उन आचार्य का नाम बताओ, जैन धर्म की शान बढ़ाओ।।
उत्तर— चार्य अकलंक देव ।
106. अष्टकर्म को किया है नाश, रही न जिनको कुछ भी आश ।
परमेष्ठी वे कौन कहाते, बीच हमारे कभी न आते।।
उत्तर— श्री सिद्ध परमेष्ठी।
107. झूठी है संसार की माया, युद्ध क्षेत्र में समझ है आया।
गज पर ही कचलोंच है कीना, राजा कौन सा कहो नवीना।।
उत्तर— राजा मधु।
108. चतुर्दशी को हिंसा त्यागा, लोभ था पत्नि के मन जागा।
देवों ने की उसकी रक्षा, नाम बताओ बच्चों सच्चा।।
उत्तर— यमपाल चाणडाल।
109. पक्ष जिन्होंने धर्म का रक्खा, विद्याधर था नियम का पक्का।
लंका का था राज्य वो पाया कौन वीर था बताओ भाया।।
उत्तर— रावण का भाई विभीषण।
110. कभी जिन्होंने वस्त्र न पहने, और कभी न पहने गहने ।
उन आचार्य का नाम बताओं, जयकारा मिल जोर लगाओ।।
उत्तर— आचार्य जिनसेन स्वामी।
111.. रावण का था मान गलाया, मंदिर की रक्षा है कराया।
मुनिवर कौन अतुल बलशाली, कर्म काट मुक्ति है पाली।।
उत्तर— बालि मुनि।
112. जीता मरता जीव अकेला, संग में चलता गुरु न चेला।
भावना कौन सी है कहलाती, मोह भाव को दूर भगाती।।
उत्तर— एकत्व भावना।
113. जन्म मरण यह जीव है करता, चहु गतियों में दुख ही भरता।
भावना कौन सी है कहलाती, मोक्ष मार्ग में प्रीत जगाती।।
उत्तर— संसार भावना।
114. श्वेताम्बर से बने दिगम्बर, पूज्य सभी के सच्चे गुरुवर।
मानतुंग मुनि वे कहलाये, स्वर्ग कहाँ से थे पधराये।।
उत्तर— भोजपुर ‘‘भोपाल’’।
115. कुम्भकर्ण अरु रावण भाई, बात न उनकी है बन पाई।
बहन के उनका नाम बताओ, भाई विभीषण भूल न जाओ।।
उत्तर— चन्द्रनखा।
116. मल मूत्रों का बना पिटारा, दुर्जन जैसा तन का सहारा।
भावना कौन सी है कहलाती, है वैराग्य भाव उपजाती।।
उत्तर— अशुचि भावना।
117. पद्मपुराण है ग्रन्थ निराला, ग्रन्थ पढ़ा हो तो बतलाना।
कुम्भ कर्ण रावण का भाई, मुक्ति कहाँ से उनने पाई।।
उत्तर— चूलगिरि बावनगजा ‘बडवानी’ (म.प्र)।
118. कठिन है मिलना मानव काया, फिर मिलना है धर्म की छाया।
भावना कौन सी है कहलाती, सफल करो जीवन बतलाती।।
उत्तर—बोधि दुर्लभ भावना।
119. आहारौषध वा आहारा, अभयदान का करो विचारा।
धर्म कौन सा हमें बताता, उभयलोक में सुख दिलवाता।।
उत्तर— उत्तम त्याग धर्म।
120. स्वर्ग नरक की रचना सारी, नर तिर्यंच करे संचारी |
भावना कौन सी है कहलाती, सिद्धशिला की याद दिलाती।।
उत्तर— लोक भावना।
121. तन जर्जर उपसर्ग हुआ हो, अतिभयंकर रोग हुआ हो।
काय कषाय को कृश है करना, व्रत है कौन सा हमें बताना।।
उत्तर— सल्लेखना व्रत।
122. शत्रु भरा क्रोध भाव से, असभ्य बोले बहुत ताव से।
मारे पीटे सब कुछ सहना, धर्म कौन सा अपना गहना।।
उत्तर— उत्तम क्षमा धर्म।
123. क्षत्रिय राजपुत्र कहलाता , पर चोरी का नाम था भाता।
दृढ़ श्रद्धालु कौन सा भाई, णमोकार पढ़ सिद्धी पाई।।
उत्तर— अञ्जनचोर ।
124. सात भूमि में कहीं न साता, दुख ही दुख मिलता है भ्राता।
अष्टमभूमि का नाम बताओ, प्राप्त करो तो सुख पा जाओ।।
उत्तर— ईषत प्राग्भार नाम की अष्टम वसुधा है।
125. जिनवर की भक्ति है करना, अष्ट द्रव्य से थाल है भरना।
आवश्यक है क्या कहलाता, पाप नशाता पुण्य को लाता।।
उत्तर— देवपूजा आवश्यक।
126. पाँच महाव्रत के हैं धारी, पच्चीस मूलगुण के अधिकारी।
परमेष्ठी वे कौन कहाते, सत्य असत्य का ज्ञान कराते।।
उत्तर— उपाध्याय परमेष्ठी ।
127. ठंड लगे तन कप—कप कपता, अरु गर्मी में खूब है तपता।
कैसे अनुव हमको होता, है आतम का चिन्ह ना खोता।।
उत्तर— स्पर्शन इन्द्रिय से ।
128. चार घातिया कर्म नशाया, प्रभु ने केवल ज्ञान है पाया ।
नाम घातिया के बतलाँए, अरिहन्त प्रभु जयकार लगाएँ।।
उत्तर— घातिया कर्म के नाम:— १.ज्ञानावरण, २. दर्शनावरण, ३. मोहनीय , ४. अन्तराय।
129. तन का मोह महादुखदायी, निज चेतन ही एक सहायी।
व्रत उपवास किये थे कितने, शान्तिसागराचार्य गुरु ने।।
उत्तर— आचार्य श्री शान्तिसागर महाराज जी ने ३५ वर्ष के मुनि जीवन में २७ वर्ष २ माह २३ दिन अर्थात ९९३८ उपवास किये थे।
130. धर्म चक्र को जिनने धारा, तीर्थंकर पद भव दुख हारा ।
एक साथ है कितने होते, कहाँ—कहाँ सुख बीज वे बोते।।
उत्तर— एक साथ १७० तीर्थंकर हो सकते हैं। एक विदेह में ३२ अत: ५ में ३२X५=१६०, पाँच भरत एवं पाँच ऐरावत में १—१ अत: =१० ।
131. मन वा इन्द्रिय में न फंसना, वध से जीवों के है बचना।
बंधना भी मुक्ति का कारण, धर्म कौन सा दुख का वारण।।
उत्तर— उत्तमसंयमधर्म ।
132. तीर्थंकर पद है दिलवाती, भव—भव की बाधा मिटवाती।
भावना कौन सी है कहलाती, घर में भी शोभा है पाती।।
उत्तर— सोलहकारण भावना।
133. कुण्डलपुर में बजी बधाई, जन—जन में खुशियाँ है छाई।
मात—पिता का नाम बताओ, वीर प्रभु को शीश नवाओ।।
उत्तर— वीरप्रभु के पिता— श्री सिद्धार्थ जी वीरप्रभु की माता— श्रीमति त्रिशला रानी।
134. बीच सरोवर ध्यान लगाया, मुक्ति को उनने है पाया।
सिद्ध क्षेत्र है कहो कहाँ पर, शासन नायक हैं तीर्थंकर।।
उत्तर— भगवान महावीर— पावापुर सिद्धक्षेत्र (बिहार)।
135. तीर्थंकर अंतिम कहलाते, स्वर्णमयी काया है पाते।
कितनी उँची काया भाई, जग में होती सदा बढाई।।
उत्तर— भगवान महावीर की ऊँचाई ७ हाथ।
136. राजा राम अरु सीता रानी, पद्मपुराण में इनकी कहानी ।
दूजा नाम है कौन बताए, प्राण जाए पर वचन निभाए।।
उत्तर— श्री राम— श्री पद्म एवं सीता का जानकी।
137. छटवे पद्मप्रभु जी स्वामी, धारण पिता सुशीला नामी।
जन्मभूमि का नाम बताओ, शीश झुकाकर पुण्य कमाओ।।
उत्तर— जन्मनगरी — कौशाम्बी।
138. देवों ने जयकार लगाई, नगर कम्पिला बजी बधाई।
तीर्थंकर है कौन से जन्में, नाम बताओ सोच के क्षण में।।
उत्तर— कम्पिलाजी में श्री विमलनाथ जी (तेरहवें) तीर्थंकर जन्में।
139. चार मास अरु दो व तीन में, व्रत पालन में नर प्रवीण वे ।
मुनिवर आठ बीस गुणधारी, गुण का नाम बताओ भारी।।
उत्तर— केशलोंच नामक मूलगुण।
140. लघु सम्मेदशिखर कहलाता, मध्यप्रदेश की शान बढ़ाता।
तीर्थ कौन सा सबको भाता, सिद्ध जिनों को शीश नवाता।।
उत्तर— श्री द्रोणागिरी जी सिद्धक्षेत्र।
141. मिथिला नगरी में हैं जनमें, देव ले गया भाई को वन में ।
भाई—बहन का नाम बताना,युगल जन्म है जिनका जाना।।
उत्तर— सीता एवं भामण्डल।
142. कुटिल भाव है विष का प्याला,खुले न इससे सुख का ताला।
बालक सम है भाव बनाना, धर्म कौन सा है समझाना।।
उत्तर— उत्तम आर्जवधर्म ।
143. लोभ पाप का बाप बखाना, इसके चक्कर में न आना।
संतोष भाव ही श्रेष्ठ कहाता, धर्म कौन सा है बतलाता।।
उत्तर— उत्तम शौच धर्म।
144. देखो सती वो सीतारानी, अग्निपरीक्षा भय ना मानी।
किस आर्यिका से दीक्षा लीना, नाम बताओ सही सही ना।।
उत्तर— आर्यिका पृथ्वीमति।
145. आदि दिगम्बर हैं कहलाया, गिरनारी पर ध्वज लहाराया।
उन आयार्य का नाम बताएं,देवी अम्बिका भूल न जाए।।
उत्तर— आचार्य कुन्दकुन्द महाराज।
146. शान्ति भक्ति का पाठ रचाया, नयनों की ज्योति प्रगटाया।
उन आचार्य का नाम बताओ, अपना जीवन सफल बनाओ।।
उत्तर— आचार्य पूज्यपाद स्वामी।
147. देव देवियाँ नित ही आकर, वंदन नर्तन करते जहाँ पर।
महिमा जिनशासन की बढ़ाते, क्षेत्र कौन सा शीश झुकाते।।
उत्तर— श्री अतिशय क्षेत्र।
148. देव—देवी तिर्यंच्च जहाँ पर, और मनुज की शोभा वहाँ पर।
तीर्थंकर है बीच विराजे , नाम सभा का बताओ राजे।।
उत्तर— समवसरण।
149. चउकर भूमि देख के चलना, इधर—उधर दृग कभी न करना ।
मूलगुण कौन सा है कहलाता, मुनिवर को है पूज्य बनाता।।
उत्तर— ईर्यापथ समिति।
150. जन्म जहाँ पर मोक्ष वहाँ पर, दीक्षा धारी कौन धरा पर।
तीर्थंकर की पदवी धारे, नाम बताओ वरना हारे।।
उत्तर— श्री वासुपूज्य स्वामी चम्पापुर में जन्में एवं वहीं से मोक्ष गये।
151. णमोकार शुभ मन्त्र कहाता, पढ़े सुने जो सुख वो पाता।
किसने हैं णमोकार सुनाया, मरकर कुत्ता स्वर्ग में जाया।।
उत्तर— श्री जीवन्धरकुमार ने मरते हुये कुत्ते को णमोकार मन्त्र सुनाया।
152. क्षुल्लक ऐलक पद है धरना, घर गृहस्थी के काम ना करना।
उत्तम श्रावक वे कहलाते ,प्रतिमा कौन सी कर्म खपाते।।
उत्तर— क्षुल्लक, ऐलक ११ वीं प्रतिमा उदिद्ष्टत्याग
153. शांतिनाथ शान्ति के कर्ता, पाप ताप सब दुख के हर्ता।
जन्म कहाँ पर प्रभु ने पाया,शीघ्र बताओ मेरे भाया।।
उत्तर— हस्तिनापुर में ।
154. वरदत्तादिक मोक्ष पधारे, पार्श्र्व सभा में जहाँ विराजे।
सिद्ध क्षेत्र का नाम बताएं, नाम बताकर इनाम पाएं।।
उत्तर— नैनागिरी जी अथवा ‘रेशिन्दीगिरि’।
155. दृढ़ श्रद्धा धर शीश नवाया, पिण्डी से प्रभु को प्रगटाया।
चन्द्रप्रभु को शीश झुकाओं, उन मुनिवर का नाम बताओं।।
उत्तर— आचार्य समन्तभद्र स्वामी
156. कृष्ण वर्ण पर सुन्दर काया, देखो अद्भुत पुण्य की माया।
तीर्थंकर के नाम बताओं, पुण्य कमाकर सुर सुख पाओ।।
उत्तर— १ मुनिसुव्रतनाथ २ नेमीनाथ भगवान श्याम वर्ण अथवा कृष्ण वर्ण के थे।
157. जिव्हा इन्द्रिय के वश खोया, प्राण नरक में जाकर रोया।
चक्री का तुम नाम बताओ, विजयी होकर सब सुख पाओ।।
उत्तर— सुभौम चक्रवर्ती।
158. छह मास तक ध्यान लगाया, कई मास आहार ना पाया।
प्रथम दाता है कौन बताओ, विजयी होकर सब सुख पाओ।।
उत्तर— आदिनाथ जी को प्रथम आहार दान — राजा सोमप्रभ व राजा श्रेयांस ने दिया।
159. मंगलमय है चिन्ह कहाता , स्वस्तिक कलश सभी मनभाता ।
तीर्थंकर का नाम बताओ, चिन्ह है किनका इनाम पाओ।।
उत्तर— सुपार्श्र्वनाथ जी का— स्वस्तिक, मल्लिनाथ जी का—कलश ।
160 . जन्मभूमि है पूज्य कहाती, तीर्थंकर सम ख्याति पाती।
कितने तीर्थंकर है जन्में, नगर अयोध्या ख्यात है जग में।।
उत्तर— पाँच तीर्थंकर:— आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदननाथ,सुमतिनाथ, अनंतनाथ।
161. अरहनाथ स्वामी जग नामी, रही न उनमें कुछ भी खामी।
पदवी तीन कौन सी धारे, मोक्ष कहाँ से हैं वे पधारे।।
उत्तर— अरहनाथ भगवान तीर्थंकर, चक्रवर्ती एवं कामदेव तीन पद के धारी थे। श्री सम्मेदशिखर जी से मोक्ष गये।
162. शेर ने जिनको शीश नवाया,
दूध जलेबी खा हर्षाया।
धर्मवीर का नाम बताओ,
मार्ग अहिंसा का अपनाओ।।
उत्तर— दीवान अमरचन्द्र जी।
163. ऋषभदेव की पुत्री प्यारी,
सबसे पहले दीक्षा धारी।
उन दोनों का नाम बताओ,
मार्ग अहिंसा का अपनाओ।।
उत्तर— सुनन्दा से सुन्दरी, नन्दा से ब्राह्मी।
164. तीर्थंकर की जय—जय गाएं,
मुनियों के नायक कहलाएं।
वीर प्रभु के कितने गणधर,
कौन बताए संयम धरकर।।
उत्तर— कुल ११ (ग्यारह ) गणधर।
165. पिता पुत्र की देखो जोड़ी,
पुत्र ने संग में माया छोड़ी।
ऋषभदेव बाहुबली स्वामी,
कितनी ऊँची काया नामी।।
उत्तर— बाहुबली भगवान की ऊँचाई ५२५ धनुष।
166. पृथ्वीकायिक जीव कहाता,
बच्चों का उससे है नाता।
चिन्ह कौन सा कौन बताए,
तीर्थंकर की जय—जय गाए।।
उत्तर— चन्द्रप्रभु का चन्द्रमा।
`167. स्वर्गो से भी देव हैं आते,
कल्याणक प्रभु का है मनाते।
लौकान्तिक वैराग्य सराहे,
कौन सा जिसको योगी चाहे।।
उत्तर— तप कल्याणक।
168. स्वर्गलोक से देव हैं आते,
अष्टाह्निक का पर्व मनाते ।
कब और कितने बार मनाते,
सब मिलकर जयकार लगाते।।
उत्तर— तीन बार अष्टाह्निक पर्व मनाते हैं :— कार्तिक, फाल्गुन एवं आषाढ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक।
169. मनवांछित वस्तु का दाता ,
मांगे से मिलती है साता ।
तीर्थंकर का नाम बताओ,
चिन्ह बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— दसवें शीतलनाथ भगवान का कल्पवृक्ष का चिह्न।
170. शत इन्द्रों में नाम है आता,
तीर्थंकर का चिन्ह कहाता।
नाम प्रभु का है बतलाओ,
चिन्ह कौन सा है समझाओ।।
उत्तर— भगवान महावीर का चिह्न :— सिंह (शेर)।
171. नहीं प्रभु थे फिर भी मनाया,
देवों ने जयकार लगाया।
महामहोत्सव कौन सा भाई,
तीर्थंकर है सदा सहाई।।
उत्तर- निर्वाण / मोक्ष कल्याणक।
172. बड़ी मस्त है चाल वो चलता,
कान है देखो जिसका हिलता।
चिन्ह कौन सा वह कहलाता,
तीर्थंकर की याद दिलाता।।
उत्तर— अजितनाथ जी का हाथी।
173. लाल वर्ण है सुन्दर काया,
मन में धरते कभी न माया।
तीर्थंकर का नाम बताओ,
उन जैसा तुम पुण्य कमाओ।।
उत्तर— पद्मप्रभ एवं वासुपूज्य भगवान।
174. उछलकूद में सबसे आगे,
देख सिहं को दूर से भागे।
है शाखा मृग वो कहलाता,
किस नायक का चिन्ह कहलाता ।।
उत्तर— अभिनन्दन नाथ भगवान का चिन्ह बंदर।
175. जिनशासन का ध्वज लहराया,
बौद्धों को जिनने था हराया।
उन आचार्य का नाम बताओ,
नाम बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— आचार्य अकलंक देव।
176. नगर बनारस खुशिया छाई,
घर—घर देखो बजी बधाई।
जनमें कौन से हैं तीर्थंकर,
पुण्य शाली वे सर्वहितंकर।।
उत्तर— सुपार्श्र्वनाथ एवं पार्श्र्वनाथ।
177. हिंसा पाप है बड़ा कहाता,
दुर्गतियों में वो ले जाता।
चार भेद हैं कौन बताए,
त्यागी बन कर सुख पा जाए।।
उत्तर— हिंसा के चार भेद:— १. संकल्पी हिंसा, २. उद्योगी हिंसा, ३. आरंभी हिंसा, ४. विरोधी हिंसा।
178. पृथ्वी पर ना जीवन पलता,
जल में सोता जल में चलता।
चिन्ह कौन सा कौन बताए,
तीर्थंकर की जय—जय गाए।।
उत्तर— अरहनाथ भगवान का मछली चिह्न।
179. सुन्दर रुप मनोहर काया,
श्वेत वर्ण है जिनने पाया ।
तीर्थंकर को शीश झुकाओ,
फिर उनका है नाम बताओ।।
उत्तर— चन्द्रप्रभ एवं पुष्पदन्त भगवान।
180. मैं मैं करता प्राण गँवाता,
तीर्थंकर का चिन्ह कहाता।
नम्बर कौन से प्रभु का आता,
सच बतलाना इनाम पाता।।
उत्तर— सत्रहवें कुन्थूनाथ जी का बकरा।
181. ‘अ’ से अच्छा काम है करना,
अरिहन्तों का ध्यान है धरना।
तीर्थंकरों के नाम बताओ,
‘अ’ अक्षर से शुरु कराओ।।
उत्तर— १. आदिनाथ २. अजितनाथ ३. अभिनन्दननाथ ४. अनन्तनाथ ५. अरहनाथ ६. अतिवीर
182. ऋषभदेव नेमीश्वर स्वामी,
वेद पुराणों में भी नामी।
किस आसन से मोक्ष पधारे,
शीश नवाते बच्चे सारे।।
उत्तर— पद्मासन।
183. विमलनाथ तीर्थंकर जनमें,
त्याग तपस्या की है वन में।
जन्मभूमि का नाम बताओ,
शीश झुकाकर पुण्य कमाओ।।
उत्तर— कम्पिला (कम्पिला पुरी)
184. वंश हमारा कितना प्यारा,
सिद्धारथ का राज दुलारा।
वीर प्रभु का वंश बताओ,
अपना जीवन सफल बनाओ।।
उत्तर— नाथ वंश।
185. सियालनी ने तन को खाया,
स्वर्ग सम्पदा उनने पाया।
मुनिवर तीन दिवस वे ध्यानी,
नाम बताओ उनका ज्ञानी।।
उत्तर—सुखमाल मुनि।
186. दस—दस दो दो जिनकी गणना,
हम तुम लेते जिन की शरणा।
श, ष, स से नाम गिनाओ,
तीर्थंकर कितने बतलाओ।।
उत्तर— १. संभवनाथ २. सुमतिनाथ ३. सुपार्श्र्वनाथ ४. सुविधिनाथ ५. शीतलनाथ ६. श्रेयांसनाथ ७. शान्तिनाथ ८. सन्मति
187. सिद्ध चक्र का पाठ रचाया,
कुष्ट पति का जिसने भगाया।
महासती का नाम बताओ
पिता—पति का ज्ञान कराओ।।
उत्तर— मैनासती के पिता का नाम— पुहुपाल राजा पति का नाम— कोटिभटट् श्रीपाल
188. श्रावक का आचार पढ़ाता,
ग्रन्थ श्रावकाचार कहाता।
रत्नकरण्डक नाम है पाया,
किन आचार्य ने इसे बनाया।।
उत्तर— स्वामी समन्तभद्राचार्य जी।
189. पाप नशाता पुण्य बुलाता,
चउगतियों से हमें छुड़ाता ।
कितने मंगल कौन बताए,
नाम सभी के हमें गिनाएं।।
उत्तर— मंगल चार होते है:— १. अरिहन्त मंगल है। २. सिद्ध मंगल है। ३. साधु मंगल है। ४. जिनेन्द्र भगवान द्वारा प्रतिपादित धर्म मंगल है।
190. देव लोग ही जहाँ हैं जाते,
हम तुम केवल भाव बनाते ।
नंदीश्वर में कितने मंदिर ,
कौन बताए पहुँच के अन्दर।।
उत्तर— कुल ५२ मंदिर।
191. बिना छना जल कभी न पीना,
जलगालन ही मोक्ष का जीना।
कितने जीव हैं कौन बताए,
व्यर्थ बूँद न कभी बहाए।।
उत्तर— धार्मिक दृष्टिकोण — १. बूँद में असंख्यात। वैज्ञानिक दृष्टिकोण— १ बूँद में ३६४५०।
192. त्रस हिंसा का त्याग कराया,
पर थावर से बच ना पाया।
कौन सा व्रत है वह कहलाता,
मोक्ष मार्गं में हमें बढ़ाता।।
\ उत्तर— अहिंसा अणुव्रत ।
193. गिरी पड़ी वस्तु ना उठाना,
ना ही उसका दान कराना।
कौन सा व्रत है वह कहलाता,
मोक्षमार्ग में हमें लगाता।।
उत्तर— अचौर्य अणुव्रत।
194. गगन में उड़ते पर फैलाते,
यहाँ वहाँ वे जाते आते।
जीव कौन सा नाम हैं पाते,
पंचेन्द्रिय के भेद कहाते।।
उत्तर— नभचर जीव।
195. जल में चलते जल में फैलाते,
यहाँ वहाँ न जीवन पाते।
जीव कौन सा नाम है पाते,
पंचेन्द्रिय के भेद कहाते।।
उत्तर— जलचर जीव ।
196. पृथ्वी पर ही जीवन पाया,
धरा पे चलती सारी माया।
जीव कौन सा नाम है पाते,
पंचेंन्द्रिय के भेद कहाते।।
उत्तर— थलचर जीव।
197. मल्लप्पा का राज दुलारा,
विद्याधर है सबने पुकारा।
प्रतिमा ब्रह्मचर्य सुखदाई,
ग्रही कहाँ पर किससे भाई।।
उत्तर— देशभूषण जी महाराज से खानिया (चूलगिरी) में।
198. दर्शन से शुभ भाव है जागा,
कौए का फिर माँस है त्यागा।
भील युगल का नाम बताओ,
त्याग की महिमा खूब बढ़ाओ।।
उत्तर— पुरुरवा भील एवं कालिका भीलनी।
199. कोई किसी का सगा न होता,
विषयों में क्यों जीवन खोता ।
पिता को जिसने जेल में डाला,
नाम बताओ कर्म का मारा।।
उत्तर— राजा श्रेणिक का पुत्र कुणिक।
200. धर्म का जिनने ज्ञान कराया,
भूल सिकन्दर को बतलाया।
उन गुरुवर का नाम बताओ,
धन्य है मुनिवर शीश नवाओ।।
उत्तर— श्री कल्याण मुनिराज।
'201. गिल्ली डण्डा बालक खेले,
खेल—खेल में शिक्षण ले लें।
गुफा में कौन से मुनि विराजे,
विद्याधर को ज्ञान पढ़ावे।।
उत्तर— श्री महाबल मुनिराज।
'202 . झूठ का जिसने फल है पाया,
नरक गति की मिली है माया।
दोनों मित्र का नाम बताओ,
नारद को पर भूल न जाओ।।
उत्तर— नाारद के दोनों मित्र का नाम १. पर्वत— गुरु पुत्र २. वसु—राजा।
203. पूज्य मुनिवर महाव्रतधारी ,
नमन करे जग जनता सारी ।
प्रथम है दीक्षा कहाँ पे दीनी,
विद्यागुरु से किसने लीनी।।
उत्तर— आचार्य श्री विद्यासागर जी ने प्रथम मुनि दीक्षा ऐलक श्री समयसागरजी को द्रोणगिरी सिद्धक्षेत्र में दी थी।
204 . तीर्थंकर है प्रथम कहाते,
ऋषभदेव जयकार लगते।
मात—पिता का नाम बताओ,
सही बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— ऋषभदेव के पिता का नाम— नााभिराय माता का नाम— मरुदेवी
205. कुन्दकुन्द आचार्य हमारे,
भव्य जनों के एक सहारे।
कितनी वय में दीक्षा धारी,
पूज्य बने सबके अनगारी।।
उत्तर— ग्यारह वर्ष की उम्र में
206 . सोलम तीर्थंकर कहलाते,
शान्तिनाथ शुभ नाम है पाते।
मात—पिता का नाम बताओ,
विनय से उनको शीश नवाओ।।
उत्तर— श्री शान्तिनाथ तीर्थंकर के पिता का नाम— राजा विश्वसेन। माता का नाम— रानी ऐरादेवी।
208 . दण्डक वन में आहार लीना,
रामचन्द्र शुभ धर्म है कीना।
युगल मुनि का नाम बताओ,
महिमा उनकी खूब है गाओ।।
उत्तर— गुप्ति और सुगुप्ति नाम के दो चारण ऋद्धिधारी मुनिराज।
209 . जंगल में जब आग है छाई,
ग्रन्थ मिला ग्वाले को भाई।
उस ग्वाले का नाम बताओ,
कुन्दकुन्द मुनि शीश नवाओ।।
उत्तर— मणिरत्न नाम का ग्वाला अथवा कौण्डेश ग्वाला।
210. शांति सागराचार्य हमारे,
जन—जन को हैं प्राण से प्यारे ।
कब औ कहाँ पर जन्म है पाया,
दीक्षा लेकर छोड़ी माया।।
उत्तर— आ. शान्तिसागरजी महाराज का जन्म सन १८७२ में स्थान बेलगाँव जिले के भोजग्राम के अन्तर्गत येलगुल गा्म में।
211 . देखो कितनी सुन्दर काया,
दुषमा—सुषमा काल में जाया।
महापुरुष वे कौन कहाते,
बीस चार की संख्या पाते।।
उत्तर— कामदेव महापुरुष।
212. महावीर अष्टक है बनाया,
ख्याती खूबहै जिसने पाया।
कवि का पक्का नाम बताओ,
नाम बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— श्री भागेन्दु अर्थात भागचन्द्र कवि।
213 . सीताजी को हर कर लाया,
पापी रावण वह कहलाया।
किसने उसका मान गलाया,
चक्ररत्न से प्राण गँवाया।।
उत्तर— नाारायण श्री लक्ष्मण।
214 . सरस्वती पूजा है बनाया,
दशलक्षण भी आपने गाया।
कवि का पक्का नाम बताओ
, नाम बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— श्री द्यानतराय कविवर।
215 . कुन्दकुन्द आचार्य हमारे,
भव्य जनों के एक सहारे।
कितना जीवन उनने पाया,
उम्र बताओ मेरे भाया।।
उत्तर— ९५ वर्ष १० माह १५ दिन।
216. लोहा भी सोना बन जाता,
जिनके चरण स्पर्श है पाता।
उन आचार्य का नाम बताओ,
सब जन मिलकर शीश नवाओ।।
उत्तर— आचार्य पूज्यपाद महाराज।
217. वृषभदत्त के पुत्र कहावे,
ब्रह्मचर्य की महिमा गावे।
सपूत का तुम नाम बताओ,
सिद्ध क्षेत्र पटना है जाओ।।
उत्तर— सेठ सुदर्शन।
218. मोह का कैसा उदय है
आया, मृत काया में राग जगाया।
बोधज्ञान अब कौन है देवे,
रामचन्द्र जी शिवपथ लेवे।।
उत्तर— जटायु पक्षी एवं सेनापति कृतान्त वक्र के जीव जो कि देव की पर्याय में थे, स्वर्ग से आकर श्रीराम को सम्बोधित किया।
219 . शान्ति सागराचार्य हमारे,
जन—जन को हैं प्राण से प्यारे।
कब औ कहाँ पर तन को त्यागा,
व्रत समाधि ले धर्म निभाया।।
उत्तर— भादो सुदी दूज सन् १९५५ को महाराष्ट्र के कुंथलगिरी सिद्धक्षेत्र में ।
220 . महापुण्य का फल है पावें,
तीर्थंकर नेमि कहलावे ।
मात—पिता का नाम बताओ,
नाम बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— श्री नेमिनाथ जी के पिता का नाम— समुद्रविजय राजा। माता का नाम— शिवादेवी रानी।
221. व्रत ले जीवन सफल बनाया,
माँ सीता ने शिव पथ पाया।
जन्म उन्होंने कहाँ है पाया,
कर समाधि जब छूटी काया।।
उत्तर— सोलहवें स्वर्ग में प्रतीन्द्र देव।
222. नरक है जिसको निश्चित जाना,
भव्य जीव क्षुल्लक का बाना।
महापुरुष का नाम बताओ,
नाम बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— नारद महापुरुष ।
223. ध्यान में लीन मुनिवर ठाड़े,
कर्म आ गये उनके आड़े ।
दूर किया उपसर्ग राम ने,
कौन से मुनिवर खड़े ध्यान में ।।
उत्तर—देशभूषण व कुलभूषण मुनि।
224 . तीर्थंकर ने आहार पाया,
हम सबने मिल पर्व मनाया।
पर्व कौन सा मिल के मनाते,
ऋषभदेव को शीश नवाते।।
उत्तर— अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल—३)
225. मुनिवर देखो पिच्छी धारे
, जीव दया का व्रत है पालें।
पिच्छी के तुम गुण है बताओ
, कम से कम है पाँच गिनाओं।।
उत्तर— पिच्छी के पाँच गुण:·—१ लघुता , २. मृदुता, ३. हल्कापन, ४. धूल पसीना अग्राह्यता ५. सुन्दरता।
226. पार्श्र्व प्रभु हैं सबसे न्यारे,
तीर्थंकर की पदवी धारे।
कब औ कहाँ से मुक्ति पाई,
सही बताओ मेरे भाई।।
उत्तर— श्रावण शुक्ला सप्तमी (मुकुट सप्तमी) को सम्मेद शिखरजी से ।
227. पार्श्र्व प्रभु ने ध्यान लगाया,
शत्रु ने पत्थर बरसाया।
शत्रु का तुम नाम बताओ,
समता से सब कर्म नशाओ।।
उत्तर— शम्बर नामक ज्योतिषी देव।
228. णमोकार का मान बढ़ाया,
जीवन्धर शुभ नाम है पाया।
मोक्ष कहाँ से उनने पाया,
कामदेव का पद ललचाया।।
उत्तर— सिद्धवर कूट।
229 . केवलज्ञान जिन्होंने पाया,
भरत क्षेत्र में प्रथम कहाया।
प्रथम प्रभु का नाम बताओ,
केवलज्ञानी तुम बन जाओ।।
उत्तर— अनन्तवीर्य।
230 . सड़ा—सड़ा कर जिसे बनाया,
सकल कंद का फल जो खाया ।
खाद्य वस्तु का नाम बताओ,
कभी भूलकर इसे न खाओ।।
उत्तर— साबूदाना।
231 . आँतो को है शीघ्र गलाता,
सुन्दर जीवन नाश कराता।
ऐसे पेय का नाम बताओ,
बचकर जीवन सफल बनाओ।।
उत्तर— कोल्डड्रिंक्स (पेप्सी, कोको कोला आदि)
232 . खट्टा मीठा स्वाद कहाय,
साल—साल का मन को भाय।
खाद्य वस्तु का नाम बताओ,
इसे त्याग कर नरक न जाओ।।
उत्तर— आचार।
233. जहरीला श्रृंगार कहाता,
दूषित भोजन को भी बनाता।
कभी न उसको भूल लगाना,
मिला है इसमें रक्त भी माना।।
उत्तर— नेलपॉलिश।
234. कीड़ों की वो लार कहाता,
धर्म अहिंसा शीघ्र नशाता।
वस्त्र कौन सा वह कहलाता,
नाम बताओं मिलें न साता।।
उत्तर— रेशम का वस्त्र ।
235 . सनत कुमार चक्री कहलाये,
चन्द्रप्रभु की पूजा रचायें।
मोक्ष उन्होंने कहाँ से पाया,
कामदेव का पद ललचाया।।
उत्तर—सिद्धवर कूट ।
236. सेनापति में रत्न कहाया,
भरत सभा में शोभा पाया।
एक पत्नी व्रत जिसने धारा,
नाम बताओ उसका प्यारा।।
उत्तर— जय कुमार।
237. पीठ के दर्शन ही कर पाते
, तुंगीगिरी पर ध्यान लगाते।
कौन से मुनिवर नाम बताएँ,
स्वर्ग पाँचवे में है जाएँ।।
उत्तर— बलदेव मुनि।
238. अनन्तकायिक जीव कहाता,
नरक निगोद हमें ले जाता।
वनस्पति का नाम बताओ,
त्याग के जीवन सफल बनाओ।।
उत्तर— जमीकंद— आलू, प्याज आदि|
239. बैल की आँत में जिसे लगाया,
पीट पीट कर उसे बनाया।
उस वस्तु का नाम बताओ,
उसे त्याग कर पुण्य कमाओ।।
उत्तर— चाँदी का वर्क।
240. बच्चों को मोटा है बनाती,
आँख नशाती दाँत सड़ाती ।
खाद्य वस्तु का नाम बताओ
, बच्चों को न कभी खिलाओ।।
उत्तर— चॉकलेट ।
241. हड्डी से है जिसे बनाया,
दाँतों में फिर उसे लगाया।
उस पदार्थ का नाम बताओ,
सुबह—सुबह क्यों पाप कमाओ।।
उत्तर— टूथ पेस्ट— कोलगेट , सिबाका।
242. नाभिराय के पुत्र कहाय,
तीर्थंकर का पद है पाय।
कब और कहाँ से मोक्ष है पाया,
सही—सही बतलाओ भाया।।
उत्तर— प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान माघ कृष्ण चौदस कैलाश पर्वत से।
243 . मुनि सात सौ ज्ञानी ध्यानी,
बाली ने बदले की ठानी।
झट उपसर्ग दूर है कीना,
मुनिवर का शुभनाम कहो ना।।
उत्तर— मुनि विष्णुकुमार ।
244 . जीवन को है शीघ्र नशाती,
मूर्ख मनुज के काम है आती।
लम्बी—लम्बी जिसकी काया,
नाम बताओ मेरे भाया।।
उत्तर— सिगरेट , बीडी।
245 . शक्कर चर्बी से है बनाया,
गोंद दवा भी जिसमें मिलाया।
खाद्य वस्तु का नाम बताओ,
प्राण जाएँ पर कभी न खाओ।।
उत्तर— अाइस्क्रीम [डब्बा बंद]।
246. पशु झिल्ली से जिसे है पाया,
तथा जिलेटिन से है बनाया।
खाद्य वस्तु का नाम बताओ,
प्राण जाएँ पर कभी न खाओ।।
उत्तर— कैप्सूल ।
247. सदा जीव उत्पन्न है होते,
प्राणी की क्यों लाश है ढोते।
कभी न इससे तन को सजाना,
व्यर्थ में क्यूं है पाप कमाना।।
उत्तर— चमडे की बनी वस्तुएँ।
248. चतुर्दशी का पर्व है आया,
दशलक्षण भी हमने मनाया।
आज कौन में मोक्ष पधारे,
तीर्थंकर जो हमको प्यारे।।
उत्तर— श्री वासुपूज्य भगवान।
249. देखो सबका मान गलाया,
सम्यक दृष्टि शीश नवाया।।
कृति का सुन्दर नाम बताओं,
जिनमन्दिर के सामने पाओ।।
उत्तर— मानस्तम्भ।
250 . जिनशासन का गौरव गाता,
मन्दिर की पहचान कराता ।
दूर से जिसको शीश नमावें,
कृति का सुन्दर नाम बतावें।।
उत्तर— मन्दिर जी का शिखर।
251. जिन प्रतिमा पर जल की धारा,
नित प्रति करना हमें सहारा।
कार्य कौन सा है कहलाता,
श्रावक का कर्तव्य कहाता।।
उत्तर— जिन प्रतिमाभिषेक (अभिषेक)।
252. ऋषभदेव ने ज्ञान कराया,
वंश कौन सा हमें बताया।
कौन—कौन से तीन बताए,
नाम बताकर इनाम पाए।।
उत्तर— ऋषभदेव ने तीन वंश की स्थापना की । १. क्षत्रिय वंश २. वैश्य वंश ३. शूद्रवंश ।
253 . महावीर का जीव कहाया,
सिंह की जिसने पाई काया।
सम्यग्दर्शन गुण है धारा,
किन गुरुवर का मिला सहारा।।
उत्तर— अमितकीर्ति अथवा अमितप्रभू / अजितच्चय एवं अमित देव नामक दो मुनिराज।
254. पहली मछली जिसने त्यागा,
लोभ किया न बन्धा है तागा।
धीवर का तुम नाम बताओ,
दृढ़ संकल्प को सदा निभाओ।।
उत्तर— मृगसेन धीवर ।
255. देखो कैसा कर्म है आया,
मुनि होकर भी नगरी जलाया।
मुनि का सच्चा नाम बताना,
कभी क्रोध न मन में लाना।।
उत्तर— द्बीपायन मुनि।
256 . मन्दिर जी है हमको जाना,
दर्शन करके वापस आना।
क्या बोलना हमें बताना,
जिनशासन के नियम निभाना।।
उत्तर— मन्दिरजी में प्रवेश करते समय ऊँ जय जय, निस्सही निस्सही निस्सही नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु, बोलना चाहिए एवं लौटते समय अस्सहि अस्सहि अस्सहि बोलना चाहिए।
257. रहने को है भवन बनाया,
झाडा पोंछा जीव नशाया।
कौन सी हिंसा वो कहलाती,
कर विवेक से काम बताती।।
उत्तर— आरम्भी हिंसा।
258. परम पूज्य हैं देव हमारे,
भवसागर से हमको तारे।
कैसे अर्घ है उन्हें चढ़ाना,
खाली हाथ न मन्दिर जाना।।
उत्तर— जिनेंन्द्र देव के समक्ष पाँच परमेष्ठी के प्रतीक पाँच अर्घ चढाना चाहिए।
२२०. ऋषभदेव की जिसमें गाथा,
आदि पुराण है ग्रन्थ कहाता।
रचा है किसने हमें बताना,
गुरुवर को है शीश नवाना।।
उत्तर— श्री जिनसेन आचार्य।
२२१. खेती करना धन है कमाना,
जान बूझ न जीव सताना ।
कौन सी हिंसा हमें बताना,
दान पुण्य कर पाप नशाना।।
उत्तर— ऊद्योगी हिंसा।
२२२. जिनवाणी है मार्ग बताती,
शिवपथ पर है हमें चलाती।
कैसे अर्घ है उन्हें चढ़ाना,
खाली हाथ न शीश नवाना।।
उत्तर— जिनवाणी के समक्ष प्रथमानुयोग, करणानुयोग, द्रव्यानुयोग एवं चरणानुयोग के प्रतीक चार अर्घ चढ़ाना चाहिए।
२२३. जन्म मरण से दुख ही पाता,
जरा में मिलती कभी न साता।
द्रव्य कौन सी चरण चढ़ाते,
रोग है सारे भव के नशाते।।
उत्तर— जल द्रव्य।
२२४. पूज्य दिगम्बर गुरु हमारे,
भवसागर से हमको तारे।
कैसे अर्घ हैं उन्हें चढ़ाते
, क्षण में सारे पाप नशाते।।
उत्तर— मुनिराज को सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान एवं सम्यक्चारित्र के प्रतीक तीन अघ्र्य चढ़ाते हैं।
२२५. निज तन धन की रक्षा करना,
भले शत्रु से पड़ेगा लडना।
वध कर राम ने सीता लाया,
कौन सा हिंसा पाप कहाया।।
उत्तर— विरोधी हिंसा।
२२६. मैं मारुँगा भाव बनाना,
मन में बदला लेना ठाना।
कौन सा भेद है वह कहलाता,
हिंसा का फल नरक वो पाता।।
उत्तर— संकल्पी हिंसा।
२२७. अष्ट कर्म है दुख के दाता,
छूटे इनसे मेरा नाता।
पूजा में है द्रव्य चढ़ाते,
कौन सी भइया फल तब पाते।।
उत्तर— धूप।
२२८. जन्म महोत्सव इन्द्र मनाया,
मेरु पर अभिषेक कराया।
जल है उसने कहाँ से लाया,
नाम उदधि का बताओ भाया।।
उत्तर— क्षीरसागर से ।
२२९. अंधकार है मोह कहाता,
मोही प्राणी सुख न पाता।
द्रव्य कौन सी चरण चढ़ाते,
मोह नाशकर ज्ञान है पाते।।
उत्तर— दीप।
२३०. प्रभु सम निर्मल पद है पाना,
छोड़ के सब संसार है जाना।
द्रव्य कौन सी चरण चढ़ाते,
खण्ड खण्ड न जीवन पाते।।
उत्तर— अक्षत।
२३१. है संसार दुखों का सागर,
सुख खाली मेरी गागर ।
द्रव्य कौन सी चरण चढ़ाते,
मुक्ति का फिर धाम है पाते।।
उत्तर— फल ।
२३२. मोक्षमार्ग में साथ निभाता,
सुख का दाता दुक्ख नशाता।
पवित्र आतम को है बनाता,
कर्म कौन सा शुभ कहलाता।।
उत्तर— पुण्य कर्म।
२३३. काम दाह है सदा जलाती,
आतम का शुभ ज्ञान नशाती।
द्रव्य कौन सी चरण चढ़ाते,
काम भाव को शीघ्र नशाते।।
उत्तर— पुष्प ।
२३४. मोक्ष मार्ग न जिसने जाना,
मिथ्यादृष्टि जीव कहाना।
भेद कौन से दो बतलाना,
छहढाला तो ज्ञान खजाना।।
उत्तर— मिथ्यात्व के दो भेद ·— १ अगृहीत मिथ्यात्व, २. गृहीत मिथ्यात्व।
२३५. दुर्गतियों में है ले जाता,
सदा—सदा वह दु:ख का दाता।
कर्म कौन सा वह कहलाता,
है पदार्थ का भेद कहाता।।
उत्तर— पाप कर्म।
२३६. महापुरुष है जिनको पाले,
पाँच पाप को पूर्ण निकाले।
मुनिवर कौन से व्रती कहाते,
पथ पर चलते मुक्ति पाते।।
उत्तर— महाव्रती।
२३७. नारी का तन जिसने पाया,
इन्द्र है उसका स्वामी कहाया।
अगले भव से मोक्ष है जाना,
उसका सच्चा नाम बताना।।
उत्तर— सौधर्म इन्द्र की इन्द्राणी शची।
२३८. सम्यग्दृष्टि वे कहलाते,
मुनि को पर न शीश नवाते।
महापुरुष वे कौन कहाए,
हमको सच्चा मार्ग बताए।।
उत्तर— तीर्थंकर।
३९. पक्ष में दो अरु माह में चार,
पर्व हैं आते सदाबाहर ।
नाम पर्व का हमें बताना,
संयम धर जीवन सफल बनाना।।
उत्तर— अष्टमी और चतुर्दशी पर्व।
२४०. ज्ञान ध्यान का ग्रन्थ कहाता,
गुरु की गौरव गाथा गाता।
ज्ञानार्णव शुभ नाम है पाया,
गुरु का नाम बताओ भाया।।
उत्तर— श्री शुभचन्द्र आचार्य ।
२४२. भक्ति से ही मुक्ति मिलती,
भव—भव की आपद है टलती।
भक्ति कौन सी मुनिवर पढ़ते
, जब आचार्य को वंदन करते।।
उत्तर— आचार्य श्री की वन्दना में तीन भक्ति करते १. श्री सिद्ध भक्ति। २. श्री श्रुत भक्ति। ३. श्री आचार्य भक्ति ।
२४३. सब कुछ पाकर सब कुछ त्यागा,
तन पर रखा न इक भी धागा।
तीन युद्ध है कौन से कीने,
भरत भाई मुख भये मलीने।।
उत्तर— भरत—बाहुबली के मध्य तीन युद्ध १. जल युद्ध , २. दृष्टि युद्ध, ३. मल्ल युद्ध ।
२४४. चार प्रकार का दान है होता,
निर्मल जल सम पाप को धोता।
दानों के तुम नाम बताओ,
दान देय दाता बन जाओ।।
उत्तर— चार प्रकार के दान— १. आहार दान २. औषध दान ३. अभय दान ४. उपकरण दान
२४५. दुख से उठाकर सुख में धरता,
धरम वही सच्चा हित करता।
दश धर्मों के नाम बताओ,
धर्मात्मा तुम भी बन जाओ।।
उत्तर— दश धर्मो के नाम १. उत्तम क्षमा २. उत्तम मार्दव ३. उत्तम आर्जव ४. उत्तम शौच ५. उत्तम सत्य ६. उत्तम संयम ७. उत्तम तप ८. उत्तम त्याग ९. उत्तम आकिं'चन्य १०. उत्तम ब्रह्मचर्य
२४६. नित परिवर्तन जग में करता,
जीव जगत में दुख ही सहता।
परिवर्तन के नाम बताओ,
पाँचों से छुटकारा पाओ।।
उत्तर— पाँच परिवर्तन के नाम:— १. द्रव्य, २. क्षेत्र, ३. काल , ४. भाव, ५. भव।
२४७. हम सबके गुरु विद्यासागर,
भरते सबकी ज्ञान से गागर।
राज्य में कितने बिहार कीना,
वीर प्रभु का नाम है लीना।।
उत्तर— १. मध्य प्रदेश, २. राजस्थान, ३. उत्तर प्रदेश, ४. महाराष्ट्र, ५. गुजरात,६.बिहार,७. छत्तीसगढ़ ,८. उडीसा,९. पश्चिम बंगाल अर्थात १०. राज्यों में आवागमन किया है।
२४८. अवश का है कर्तव्य कहाता,
पाप बन्ध से सदा बचाता।
षट् आवश्यक मुनिवर पाले,
कौन से भैया भव से तारे।।
उत्तर— मुनिराज के षट् आवश्यक, १. समता, २. स्तुति, ३. वन्दना, ४. प्रत्याख्यान, ५. प्रतिक्रमण, ६. कायोत्सर्ग।
२४९. श्रावक रसी का व्रत है पाले,
व्रत संयम ही सुख के सहारे।
सात रसी का नाम बताना,
दिन अनुसार है हमें गिनाना।।
उत्तर— १. सोमवार हरी का त्याग २. मंगलवार मीठा का त्याग ३. बुधवार घी का त्याग ४. गुरुवार दूध का त्याग ५. शुक्रवार दही का त्याग ६. शनिवार तेल का त्याग ७. रविवार नमक का त्याग
२५३. हरिवंश के सूर्य कहावे,
मिथ्यातम को दूर भगावे।
तीर्थंकर वो कौन हमारे,
भवसागर से हमको तारें।।
उत्तर— श्री मुनिसुव्रतनाथ जी एवं नेमीनाथ जी।
२५६. ब्रह्मचर्य व्रत है दृढ़ पाला,
सूली सिंहासन कर डाला।
सेठ का सच्चा नाम बताना,
श्रावक जीवन सफल बनाना।।
उत्तर— सेठ सुदर्शन।
२५७. णमोकार न कंठ समाया,
मुक्तिरमा फिर भी परिणाया।
उन मुनिवर का नाम बताओ,
उज्ज्वल अपने भाव बनाओ।।
उत्तर— मुनि शिवभूति।
२५८. णमोकार सम मंत्र न दूजा,
सदा करो तुम इसकी पूजा।
दृढ़ श्रद्धा धर विद्या पाई,
गगन गमन है कौन वो भाई।।
उत्तर— अंजन चोर।
२५९. न्हवन का जल है रोग भगावे,
कन्या को है लक्ष्मण भावे।
संयम का फल जिसने पाया,
नाम बताओ उसका भाया।।
उत्तर— विशल्या।
२६०. जिन शासन की शान बढ़ाया,
भले ही अपने प्राण गंवाया।
बालक का तुम नाम बताओ,
धर्म ध्वजा को शीश नवाओ।।
उत्तर— निकलंक।
२६१. टूट गये थे ताले सारे,
सभी लगाते जय—जय नारे ।
मुनिवर का तुम नाम बताना,
उनकी रचना ज्ञात करना।।
उत्तर— मुनि श्री मानतुंग आचार्य, रचना भक्तामर स्तोत्र।
२६२. चरण धूल जब शिला पे मारी,
सोने की वह बन गई सारी।
उस मुनिवर का नाम बताओ,
मोक्षमार्ग सच्चा अपनाओं।।
उत्तर— आचार्य शुभचन्द्र जी।
२६३. नगर हस्तिनापुर वे आये,
विक्रिया से है रुप धराये।
मुनि उपसर्ग दूर है कीना,
नाम मुनि का कहो नगीना।।
उत्तर— मुनि श्री विष्णुकुमार जी।
२६४. नित सामायिक पाठ है पढ़ाना,
कर्म शत्रु से जम के लड़ना।
रचना किसकी हमें बताएं,
ध्यान लगाकर मुक्ति पाएं।।
उत्तर— श्री अमितगती आचार्य।
२६५. रविवार को व्रत है कीना,
बिना नमक का भोजन लीना।
सेठ—सेठानी नाम बताओ,
व्रत में स्वर्ग मुक्ति है पाओ।।
उत्तर— मतिसागर सेठ और गुणसुंदरी सेठानी।
२६६. देवों ने आहार कराया ,
पर मुनि को न पता बताया।
मुनिवर कौन महाव्रत धारी,
शीश झुकाएँ जनता सारी।।
उत्तर— मुनि श्री चन्द्रगुप्त ।
२६७. राजपुत्री का कुष्ट मिटाया,
ब्रह्मचर्य महिमा प्रकटाया।
पति—पत्नि का नाम बताओ,
व्रत धर जीवन सफल बनाओ।।
उत्तर— जिनदत्त सेठ व जिनदत्ता सेठानी।
२६८. व्यापारी ने घाटा खाया,
कागज फाड़ के धैर्य दिलाया।
जोहरी का तुम नाम बताओ,
कभी किसी का दिल न दुखाओ।।
उत्तर— जोहरी रायचन्द्र जी (शतावधानी) ।
२६९. देख बहिन को राग है जागा,
पता चला तब मोह है भागा।
युगल भाई का नाम बताना,
दीक्षा लेकर कर्म नशाना।।
उत्तर— कुलभूषण व देशभूषण मुनि महाराज।
२७०. पाप का कैसा उदय है आया,
पोटली में भी छेद है पाया।
उस बालक का नाम बताओ,
पात्रदान कर पुण्य बढ़ाओ।।
उत्तर— अकृतपुण्य ।
२७१. खून की बावड़ी तुम्हें बनाना,
पर मेरा जीवन है बचाना ।
कौन वो राजा पाप कमाता,
पाप कमाकर नरक है जाता।।
उत्तर— राजा अरविन्द।
२७२. पति का जिसने कुष्ट मिटाया,
भक्ति की महिमा प्रकटाया।
सती का सच्चा नाम बताना,
बड़ी बहन को भूल न जाना।।
उत्तर— मैनासुन्दरी, बड़ी बहिन सुरसुन्दरी।
२७३. दीक्षा ले झट ज्ञान है पावे,
केवलज्ञानी वे कहलावें।
चक्री का तुम नाम बताओ,
वैरागी को शीश नवाओ।।
उत्तर— भरत चक्रवर्ती ।
२७४. पाप कर्म का उदय है आया,
जेल में पुत्र ने बंद करावया।
श्रेणिक पुत्र का नाम बताओ,
झूठे जग का मोह नशाओ।।
उत्तर— राजा कुणिक ।
२७५. प्रतिमा उपाध्याय की न्यारी,
नदी बेतवा तट है किनारी।
अनगिन प्रतिमा कौन गिनाए,
तीर्थक्षेत्र का नाम बताए।।
उत्तर— देवगढ़ तीर्थक्षेत्र जि. ललितपुर।
२७६. सिरीभूवलय ग्रन्थ कहाया,
सब ग्रन्थों का सार समाया।
रचा किन्होंने हमें बताना,
खोज सको तो खोज के लाना।।
उत्तर— कुमुदेन्दु आचार्य।
२७७. सहज व्याकरण ज्ञान करता,
जैनाचार्य का ग्रन्थ कहाता।
उसी ग्रन्थ का नाम बताओ,
संस्कृत भाषा पढ़ो पढ़ाओ।।
उत्तर— कातन्त्ररुपमाला।
२७८. सीताराम के पुत्र कहावे,
पाप नशावे मोक्ष है जावे।
सिद्धक्षेत्र का नाम बताओ,
लवकुश मुनि को शीश नवाओ।।
उत्तर— श्री सिद्धक्षेत्र पावागढ़ जी।
२७९. नर—नारी संग जन्में भाई,
कल्पवृक्ष है एक सहाई।
संज्ञा उनकी कौन बताए,
भोग भूमि के जीव कहाए।।
उत्तर— भोगभूमि के जीव— आर्य और आर्या कहलाते हैं।
२८०. कुण्डलपुर जी तीर्थ है न्यारा,
विद्या गुरु का जहाँ सहारा।
उच्चासन पर कब है विराजे,
बड़ेबाबा जी बजे थे बाजे।।
उत्तर— १७ जनवरी २००६।
२८१. नाम चिरोंजा बाई माता,
धर्म से जिसका जुडा था नाता ।
क्षुल्लक जी का नाम बताओ,
सम्यग्ज्ञान की जोत जलाओ।।
उत्तर— श्री गणेश प्रसाद वर्णी जी।
२८२. राजपाट को ना स्वीकारा,
सदा—सदा होती जयकारा।
बालयती तीर्थंकर ध्याओ,
नाम सभी के हमें बताओं।।
उत्तर— बालयति तीर्थंकर पाँच हैं :— १. श्री वासुपूज्य भगवान २. श्री मल्लिनाथ भगवान ३. श्री नेमीनाथ भगवान ४. श्री पार्श्वनाथ भगवान ५. श्री महावीर भगवान
२८३. महावीर ने पथ बतलाया,
अंगुलि पकड चलना सिखलाया।
जैनी के लक्षण बतलाओ,
सच्चे जैनी तुम बन जाओ।।
उत्तर— जैनी के तीन लक्षण होते है :— १. प्रतिदिन देवदर्शन करना। २. रात्रि में भोजन नहीं करना। ३. पानी छानकर पीना।
२८४. कहाँ—कहाँ से मोक्ष पधारे,
तीर्थंकर जो हमको प्यारे।
सिद्धक्षेत्र का नाम बताओ,
कर्म काट सिद्धि पा जाओ।।
उत्तर— श्री ऋषभदेव— कैलासपर्वत (अष्टापद) श्री वासुपूज्य— चम्पापुर, श्री नेमीनाथ — गिरनार (ऊर्जयन्त गिरी) , श्री महावीर — पावापुर शेष २० तीर्थंकर श्री सम्मेदशिखर जी से मोक्ष पधारे।
२८५. नश्वर है जीवन की माया,
कभी किसी ने सुख ना पाया।
विद्याधर ने दीक्षा पाई,
कहाँ और किससे अब भाई।।
उत्तर— घर का नाम:— विद्याधर दीक्षा का नाम — मुनि श्री विद्यासागर कब — आषाढ़ शुक्ल पंचमी ३० जून १९६८ कहाँ — अजमेर, (राजस्थान) किससे — मुनि श्री ज्ञानसागरजी ।
२८६. पुण्य प्रकृति तीर्थंकर नामा,
मोक्ष उन्हें है निश्चित जाना।
चिन्ह सहित सब नाम बताओ,
प्रभु की भक्ति में रम जाओ।।
उत्तर— चौबीस तीर्थंकरों के चिह्न। १. ऋषभ देव जी का बैल (वृषभ
२. अजितनाथ जी का हाथी
३. संभवनाथ जी का घोड़ा
४. अभिनंदन नाथ जी का बंदर
५. सुमतिनाथ जी का चकवा
६. पद्मप्रभजी का कमल
७. सुपार्श्र्व नाथ जी का सॉथिया (स्वस्तीक)।
८. चन्द्रप्रभ जी का चाँद (चन्द्रमा)।
९. पुष्पदन्त नाथ जी का मगर ।
१०.शीतलनाथ जी का कल्पवृक्ष ।
११.श्रेयांसनाथ जी का गेंडा।
१२.वासूपूज्य नाथ जी का भैंसा ।
१३.विमलनाथ जी का सूकर ।
१४.अनंतनाथ जी का सेही।
१५.धर्मनाथ जी का वज्रदण्ड ।
१६. शान्तिनाथजी का हिरण।
१७. कुन्थुनाथ जी का बकरा।
१८. अरहनाथ जी का मत्सय (मछली)।
१९. मल्लिनाथ जी का कलश।
२०. मुनिसुव्रत नाथ जी का कछुवा।
२१. नमिनाथ जी का नील कमल।
२२. नेमिनाथ जी का शंख ।
२३. पार्श्र्वनाथ जी का सर्प ।
२४. महावीर स्वामी का सिंह ।
२८७. कुन्दकुन्द आचार्य हमारे,
सब गुरुओं में सबसे न्यारे।
उनके पाँचों नाम बताएँ ,
नाम बताकर इनाम पाएँ।।
उत्तर— आचार्य पद्मनन्दि, वक्रग्रीवाचार्य, गृद्धपिच्छाचार्य, एलाचार्य, कुन्दकुन्दाचार्य।
२८८. पूज्य यही आराध्य सही हैं,
सब श्रावक के साध्य वही हैं।
नव देवों के नाम बताओ,
पूजा कर उनकी सुख पाओ।।
उत्तर— नव देवों के नाम— १. अरिहन्त जी २. सिद्ध जी ३. आचार्य जी ४. उपाध्याय जी ५. सर्वसाधुजी ६. जिनधर्म ७. जिनागम। ८. जिनचैत्य (प्रतिमा) ९. जिन चैत्यालय (मन्दिर)
२८९. नरक गति में दु:ख ही पाता,
पेप्सी पीता ब्रेड जो खाता।
सात नरक के नाम बताओ,
इन्हें त्याग फिर नरक न जाओ।।
उत्तर— सात नरक भूमियों के नाम १. रत्नप्रभा 2. शर्कराप्रभा ३. बालुका प्रभा ४. पंक प्रभा ५. धूमप्रभा ६. तम प्रभा ७. महातम प्रभा
२९०. एकेन्द्रिय का तन है धारा,
दुखमय जीवन रहता सारा।
स्थावर हैं वे कहलाते ,
पाँच भेद हैं कौन बताते।।
उत्तर— पाँच स्थावरों के नाम १. पृथ्वीकायिक
२. जल या अप कायिक
३. अग्नि या तेज कायिक
४. वायुकायिक
५. वनस्पति कायिक
२९१. णमोकार को जो नित जपता,
पाप पंक में कभी न फसता ।
अक्षर, मात्रा, पद बतलाओ,
कर्म नाश कर मुक्ति पाओ।।
उत्तर— इस मंत्र में पद ५, अक्षर ३५, मात्रा ५८ है।
२९२. वर्तमान के शासन नायक,
जिनवाणी के हैं जो दायक।
उनके पाँचों नाम बताए,
महावीर बन मुक्ती पाएँ ।।
उत्तर— भगवान महावीर के पाँच नाम— १. वीर २. अतिवीर ३. वर्धमान ४. सन्मति ५. महावीर
२९३. चक्ररत्न के हैं वे धारी,
नमन करे हैं धरती सारी।
महापुरुष हैं वे कहलाये,
कौन हैं कितने कुल बतलाये।।
उत्तर— चक्रवर्ती कुल १२ होते हैं । नारायण कुल ९ होते हैं। प्रतिनारायण कुल ९ होते हैं।
२९४. धर्म तीर्थ के हैं जो करता,
मुक्ति वधु के बने है भरता।
तीर्थंकरो के वर्ण बताओ,
वर्ण रहित पद तुम पा जाओ।।
उत्तर— तीर्थंकरों के वर्ण
चन्द्रप्रभ एवं पुष्पदन्दसफेद वर्ण (श्वेत)मुनिसुव्रत एवं नेमिनाथश्याम वर्ण (कृष्ण)पद्मप्रभ एवं वासुपूज्यलाल वर्ण (रक्त)सुपाश्र्व एवं पाश्र्वनाथहरित वर्ण (हरा)शेष सोलह तीर्थंकरपीत वर्ण (स्वर्ण)
२९५. गृहस्थों में सदृहस्थ कहाता,
षट् आवश्यक जो कर पाता।
देवपूजा के अंग बताएँ,
आवश्यक की महिमा गाएँ ।।
उत्तर— देवपूजा के छह अंग होते हैं — १.अभिषेक २.आह्वानन ३.स्थापन ४.सन्निधिकरण ५.पूजन ६.विसर्जन
२९६. पूज्य दिगम्बर जिनकी काया,
लेश ना रहती मन में माया।
साधु परमेष्ठी कहलाते,
कैसे हम पहचान हैं पाते।।
उत्तर— दिगम्बर साधु की पहचान के चिह्न :— १. मयुर पिच्छिका २. कमण्डलु ३. नग्रता।
२९७. नारायण का पद है पाया,
श्री कृष्ण शुभ नाम कहाया।
जन्म कौन सी धरा पे पावे,
यदुवंशी सब शीश नमावे ।।
उत्तर— मथुरानगरी ।
२९८. समवसरण में शोभा पाते,
तीर्थंकर की महिमा गाते।
प्रातिहार्य के नाम बताओ,
आठ की संख्या पूर्ण कराओ।।
उत्तर— आठ प्रातिहार्यों के नाम
१. अशोक वृक्ष
२. तीन छत्र
३. चँवर
४. भामण्डल
५. सिंहासन
६. देवदुन्दुभि
७. दिव्यध्वनि
८. पुष्पवृष्टि
२९९. श्रावक ही साधु बन पाता,
साधु बनकर मोक्ष है पाता।
श्रावक का तुम अर्थ बताओ,
सीधा सच्चा ज्ञान कराओ।।
उत्तर— श्र से श्रद्धावान , व से विवेकवान और क से क्रियावान इस प्रकार श्रद्धा और विवेक के साथ क्रिया करने वाला पुरुष श्रावक कहलाता है।
300. अष्टकर्म को किया है नाश
रही न जिनको कुछ भी आश
परमेष्ठी वे कौन कहाते
बीच हमारे कभी न आते।।
उत्तरःश्री सिद्ध परमेष्ठी
301. नरक है जिसको निश्चित जाना
भव्य जीव क्षुल्लक का बाना।
महापुरुष का नाम बताओ
नाम बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर: नारायण महापुरुष
302. मिथिला नगरी में हैं जनमें
देव ले गया भाई को वन में ।
भाई—बहन का नाम बताना
युगल जन्म है जिनका जाना।।
उत्तर: सीता एवं भामण्डल।
303 दृढ़ श्रद्धा धर शीश नवाया
पिण्डी से प्रभु को प्रगटाया।
चन्द्रप्रभु को शीश झुकाओं
उन मुनिवर का नाम बताओं।।
उत्तर: आचार्य समन्तभद्र स्वामी जी
304. कृष्ण वर्ण पर सुन्दर काया
देखो अद्भुत पुण्य की माया।
तीर्थंकर के नाम बताओं
पुण्य कमाकर सुर सुख पाओ।।
उत्तर: १ मुनिसुव्रतनाथ २ नेमीनाथ भगवान श्याम वर्ण अथवा कृष्ण वर्ण के थे।
305 तीर्थंकर की जय—जय गाएं
मुनियों के नायक कहलाएं।
वीर प्रभु के कितने गणधर
कौन बताए संयम धरकर।।
उत्तरः कुल ११ (ग्यारह ) गणधर
306. जन्मभूमि है पूज्य कहाती
तीर्थंकर सम ख्याति पाती।
कितने तीर्थंकर है जन्में
नगर अयोध्या ख्यात है जग में।।
उत्तरः पाँच तीर्थंकर:
307श्री आदिनाथ भगवान् जी,
श्री अजितनाथ भगवान जी,
श्री अभिनंदननाथ भगवान् जी ,
श्री सुमतिनाथ भगवान् जी,
श्री अनंतनाथ भगवान् जी।
अरहनाथ स्वामी जग नामी
रही न उनमें कुछ भी खामी।
पदवी दो कौन सी धारे
मोक्ष कहाँ से हैं वे पधारे।।
उत्तरःअरहनाथ भगवान तीर्थंकर एवं चक्रवर्ती दो पद के धारी थे। श्री सम्मेदशिखर जी से मोक्ष गये।
308 ऋषभदेव की पुत्री प्यारी
सबसे पहले दीक्षा धारी।
उन दोनों का नाम बताओ
मार्ग अहिंसा का अपनाओ।।
उत्तरः सुन्दरी, ब्राह्मी
309 स्वर्गो से भी देव हैं आते
कल्याणक प्रभु का है मनाते।
लौकान्तिक वैराग्य सराहे
कौन सा जिसको योगी चाहे।।
उत्तरः लौकान्तिक देव और दीक्षा कल्याणक
310. मनवांछित वस्तु का दाता
मांगे से मिलती है साता ।
तीर्थंकर का नाम बताओ
चिन्ह बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर:श्री शीतलनाथ भगवान का कल्पवृक्ष का चिह्न
12. बड़ी मस्त है चाल वो चलता
कान है देखो जिसका हिलता।
चिन्ह कौन सा वह कहलाता
तीर्थंकर की याद दिलाता।।
उत्तर: श्री अजितनाथ भगवान् जी का हाथी
13. लाल वर्ण है सुन्दर काया
मन में धरते कभी न माया।
तीर्थंकर का नाम बताओ
उन जैसा तुम पुण्य कमाओ।।
उत्तरः श्री वासुपूज्य स्वामी । श्री पद्मप्रभु स्वामी
14. पार्श्र्व प्रभु हैं सबसे न्यारे
तीर्थंकर की पदवी धारे।
कब औ कहाँ से मुक्ति पाई
सही बताओ मेरे भाई।।
उत्तरः श्रावण शुक्ला आठम को सम्मेद शिखरजी से
15. पार्श्र्व प्रभु ने ध्यान लगाया
शत्रु ने पत्थर बरसाया।
शत्रु का तुम नाम बताओ
समता से सब कर्म नशाओ।।
उत्तरःशम्बर नामक देव।( कमठ का जीव)
16. नेमिनाथ ना राजुल ब्याहा
चलना मोक्षमार्ग पर चाहा।
मोक्ष कहाँ से उनने पाया
दूजा नाम भी बताओं भाया।।
उत्तरः श्री नेमिनाथ भगवान श्री गिरनार जी से मोक्ष गये। दूसरा नाम- श्री ऊर्जयन्तगिरि सिद्धक्षेत्र।
17. बाहुबली की अतिशयकारी
प्रतिमा देखो बड़ी निराली।
किसने कब प्रतिमा बनवाई
दक्षिण प्रान्त में है पधराई।।
उत्तरः बाहुबली की प्रतिमा सेनापति श्री चामुण्डराय ने सन ९८२ में बनवाई थी।
18. गगन में देखो जिनका यान
चमक से होती है पहचान।
देव कौन से वे कहलाते
कभी—कभी वे यहाँ भी आते।।
उत्तर: ज्योतिष्क देव ~ सूर्य चन्द्रमा आदि।
19. नगर बनारस खुशियाँ छाई
घर—घर देखो बजी बधाई।
जनमें कौन से हैं तीर्थंकर
पुण्यशाली वे सर्वहिंतकर।।
उत्तरः १ श्री सुपार्श्र्वनाथ भगवान् जी , २ श्री पार्श्र्वनाथ भगवान जी।
20. बड़े भाई वे नारायण के
युद्ध कला में पारायण वे ।
महापुरुष हैं वे कहलाये
कौन है कितने कुल बतलायें।।
उत्तर: रामचन्द्र जी संख्या 4 भाई
21. पक्ष जिन्होंने धर्म का रक्खा
विद्याधर था नियम का पक्का।
लंका का था राज्य वो पाया
कौन वीर था बताओ भाया।।
उत्तरः रावण का भाई विभीषण
22. जिन की वाणी है जिनवाणी
पार हुआ है जिसने मानी।
चार भेद हैं आप बताओं
अनुयोगों को उर में लाओ।।
प्रथमनुयोग,करणानुयोग,चरणानुयोग,द्रव्यानुयोग
23. ऐसे शास्वत पर्व बताओ
महीने में 2,2,आते
संयम समता भाव जगाते
श्रावक के मन को है भाते
अष्टमी.,चतुर्दशी
24. काम किसी के कभी न आता
पर अपना अस्तित्व जगाता
उसको हम स्वीकार रहे हैं
पर कर्ता नही मन रहे हैं
में आपको थोडा हिंट देती हु यदि आप कोई काम कर रहे हैं और कोई आपकी मदद करे तो वो क्या है उस कार्य में
निमित्त
25. बुद्धि को है भ्रष्ट बनाता
घर भर में दुख दारिद्र लाता।
भूल इसे तुम कभी न छूना
नाम व्यसन का बताओ जूना ।।
उत्तर: मद्य (मदिरा) पान व्यसन।
26. आँतो को है शीघ्र गलाता
सुन्दर जीवन नाश कराता।
ऐसे पेय का नाम बताओ
बचकर जीवन सफल बनाओ।।
उत्तरः कोल्डड्रिंक्स (पेप्सी, कोको कोला आदि..,
27. पिता पुत्र की देखो जोड़ी
पुत्र ने संग में माया छोड़ी।
ऋषभदेव बाहुबली स्वामी
कितनी ऊँची काया नामी।।
उत्तरः पिता की ५०० धनुष एवं पुत्र की ५०० धनुष
28. शत इन्द्रों में नाम है आता
तीर्थंकर का चिन्ह कहाता।
नाम प्रभु का है बतलाओ
चिन्ह कौन सा है समझाओ।।
उत्तरः भगवान महावीर का चिह्न :सिंह (शेर)
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*आज की पहेली*==⁉️
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🚩 *मानतुंग मुनिवर ने गाया*=
🚩 *भक्ति भाव से बंध छुड़ाया*=
🚩 *उस रचना का नाम बताओ*=
🚩 *तथा छंद की गणना गाओ*=⁉️⁉️
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🅰️ *श्री भक्तांमर स्तोत्र जी*📕
*छंद,48,192पंक्तियां*
( *बसंततिलका छंद*)
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धार्मिक पहेली भाग-1
१. कितना ज्ञान भरा है इसमें, भाव तो ज्ञानी ही जाने|
पर अज्ञानी जीव कभी भी, असली रूप ना पहचाने ||
उत्तर- शास्त्र,
२. तीन लोक में अनुपम है, जो तीन लोक में सार |
उसकी महिमा बढ़ जाती है, जो करता उससे प्यार ||
उत्तर- आत्मा,
३. एक बरस भोजन नहीं पाया, फिर भी भोजन करते थे |
भले ही तन को छोड़ दिया हो, वे तो कभी न मरते थे ||
उत्तर- आदिनाथ,
४. जहाँ वाणी प्रगट वीर की, छः अक्षर का नाम |
गौतम जहाँ गणधर हुए, बतलाओ वह धाम ||
उत्तर-समवशरण
५. चार ड्रायवर एक सवारी, आगे पीछे रिश्तेदारी |
नाम बताओ उस गाडी का, जिसमे आए सबकी बारी ||
उत्तर-अर्थी
🌹धार्मिक पहेली भाग-2
६. मुझको लेकर गुन-गुन करते, कुछ सज्जन से लोग |
दुर्जन कभी न हाथ लगाते, न करते मेरा उपयोग||
७. प्रतिवर्ष मै आता हूँ, नई रोशनी लाता हूँ |
उत्सव सभी मनाते है, मिलकर दीप जलाते है ||
८. पिंडी फटी नाम जपने से, चंद्रा प्रभु प्रगटे उसमे से |
भस्मक व्याधि रोग था भारी, नाम बताओ सब नर नारी ||
९. ताले अड़तालीस डले थे, पहरेदार लिए भाले थे |
भीतर बंद किया उन मुनि को, नाम बताओ तुम जन-जन को ||
१०. आठ गुणों को प्राप्त किया है, निराकार पद धार लिया है |
अब न उनको आना जग में, लीन रहे निज चेतन में ||
पहेली के उत्तर
६. जिनवाणी, ७. दीपावाली, ८. समन्तभद्र, ९. मानतुंगाचार्य, १०. सिद्ध
[15:30, 5
धार्मिक पहेली भाग-3
११. ऐसे इन्द्र का नाम बताओ, चार पैर अरु पूंछ दिखाओ |
शत इन्द्रों में आने वाला, इन्द्र की शोभा पाने वाला ||
१२. उजला उजला उसका दाना, उसके बिन न अच्छा न खाना |
छ रस में से एक बताया, नाम बताओ उसका प्यारा||
१३. तीन सौ त्रेसठ मत को चलाया, वीर प्रभु का जीव कहाया |
आदिनाथके समय में आवे, तीर्थंकर की पदवी पावे||
१४. आदि कटे तो दुःख कहाता, मध्यकटे तो खाया जाता |
अंत कटे तो हमें जलाता, पूर्ण रहे तो ज्ञान बढाता ||
१५. दोनों भाई जुड़वाँ आवे, बहिन को देख विरक्ति पावे |
कुंथलगिरी से मोक्ष पधारें ,हम सब उनका नाम उचारे ||
पहेली के उत्तर
११. शेर, १२. नमक, १३. मारिच, १४ आगम, १५. कुलभूषण एवं देशभूषण
[15:30, 5/30/2020] pavankirtigi: धार्मिक पहेली भाग-4
१६. जल में जीव बहुत कहलाए, धर्म और विज्ञान बतलाएं |
एक बूँद में कितने जीव पाए, जीवों की संख्या आप बताएं ||
१७. अष्टम नारायण कहलाये, महिमा अदभूत आगम गाये |
रुक्मणी जिनकी थी पटरानी नाम बताओ कोई ज्ञानी ||
१८. श्रीपाल को जिसने सताया, और समंदर मे जिसने गिरवाया |
नाम बताओ उसका प्यारे,उसी सेठ का नाम उचारे ||
१९. अरिहंतों से सिद्धों तक की दूरी, कितने राजू तक की |
हमको बतलाओ जल्दी उत्तर तुमने क्यों देर की ||
२०. पदम् पुराण में राम कथा है, पढ लेंगें तो संसार व्यथा है |
लेखक ग्रंथ के हमें बताओ, नाम बताकर ज्ञान बढाओ ||
पहेली के उत्तर
१६. ३६४५०, १७. श्री कृष्ण, १८. धवल सेठ, १९. सात राजू , २०. रविसेणाचार्य
[15:30, 5/30/2020] pavankirtigi: धार्मिक पहेली भाग-5
२१. घर मे नित्य विरक्त रहे जो, सिद्धप्रभु का ध्यान करे जो |
एक दिवस खुद मुनिपद पाया, अंतर मुहूर्त मे केवलज्ञान पाया||
२२. णमोकार यह मंत्र है सुंदर, आया प्रथम किस ग्रंथ के अंदर |
लीपिबध यह किसने किया, नाम बताओ जिसने किया ||
२३. युद्ध देख हो गए वैरागी, कैशलोच गजपर कर अनुरागी ||
ऐसे महापुरुष का नाम बतलाओ, जैन धर्म की शान बढाओ ||
२४. ऐसे गुरु के चरण पखारू, हृदय कमल पर उन्हें बिठा लू ||
सीमंधर को नमन किये थे, प्रभुवर से सक्च्चात मिले थे ||
२५. श्रीपाल को जिसने सताया, और समुंदर मे गिरवाया ||
नाम बताओ उसका प्यारे ,उस सेठ का नाम उच्चारे ||
पहेली के उत्तर
२१. भरत, २२. षटखंडागम आ.भूत्बली पुष्पदन्त, २३. मधु रजा, २४. आचार्य कुंद कुंद, २५. धवल सेठ
[15:30, 5/30/2020] pavankirtigi: धार्मिक पहेली भाग-6
२६. ऐसे गेट का नाम बताओ, जिससे कभी न कोई गुजरा|
बना हुआ हड्डी का है, जिसका रंग है उजला उजला||
२७. ऐसी कौनसी पालिश है, जिसके बनने मे हिंसा होती है|
उस पालिश का नाम बताओ, नाम बताकर इनाम पाओ||
२८. कौन सी पत्ती है वह, जिसके पीने मे दोष लगता है|
सुबह दोपहर शाम को पी जाती है, सबके मन को भाती है||
२९. हड्डी को जब पीसा जाता, चिकना चिकना सा बन जाता|
तुम सब अपने मुख मे लगाते, काले से गोरे बन जाते||
३०. जन्म दिवस पर काम मे आती, लेकिन हिंसा बहुत करवाती|
जो भी खाए दांत सडाये, बैचने वाला मौज उड़ाए||
पहेली के उत्तर
२६. कोलगेट, २७. नैलपोलिश, २८. चाय पत्ती, २९. पाउडर, ३०. टॉफ़ी
[15:30, 5/30/2020] pavankirtigi: धार्मिक पहेली भाग-7
३१. सत्य अहिंसा के अनुरागी, वीतरागता जिनकी नामी|
तीस वर्ष में मुनि पद पाया, देवों तक ने उनको गाया ||
३२. माता तुम्हारी वामा देवी, अश्वसेन पितु हैं सब सेवी|
बाल ब्रम्हचर्य व्रत को धारा, मुनि बनकर के मोक्ष सिधारा||
३३. लघु भाई को मरते देखा, शत्रुंजय से लड़ते देखा|
बोद्ध जनों से किया विवाद, नाम बताओ उनका आज ||
३४. महिमा जिनकी खूब हुई थी, गिरे शिला चकचुर हुई थी|
दानवता के नाशन हारे, पवन अंजना हितु तुम्हारे ||
३५. महावीर की मौसी का, अब नाम तुम्हे बतलाना हैं|
प्रसिद्ध हो गई जग मे वह, क्या तुमने पहिचाना है ||
पहेली के उत्तर
३१. महावीर, ३२. पार्श्वनाथ, ३३. अकलंक, ३४. हनुमान, ३५. चंदना
[15:31, 5/30/2020] pavankirtigi: धार्मिक पहेली भाग-8
३६. नए ज़माने का मस्तक हूँ, किन्तु हूँ बिल्कुल बेजान|
ज्ञान की बात सिखाता हूँ, यह है मेरी पहचान ||
३७. चार अक्षर का है मेरा नाम, प्रथम कटे तो वचन कहाता|
मुनियों माताजी द्वारा सब भक्तो को, रोज सम्बोधा जाता ||
३८. अंत कटे तो स्वर्ण कहाऊँ, प्रथम कटे तो में गिर जाऊ|
नहीं कटे तो तीर्थ कहाऊँ,सभी साधर्मी के मन को भाऊ ||
३९. अग्नि परीक्षा दी सीता ने, छोड़ दिया राम ने उसको|
जिस माताजी से दीक्षा धारी ,उस माताजी का नाम बताओ ||
४०. राग मोह का नाम नहीं है, भूख प्यास का कम नहीं है|
इस ही तन से मोक्ष जु पावे ,महिमा उनकी सब जन गावे ||
पहेली के उत्तर