ऋषभनाथ वंदन
श्री नाभिराय नंदनं, मरूदेवी कंदकुम् ।
अयोध्या जन्मकं, ऋषभ देव वंदनम् ॥ 1॥
प्रथम नृपं देव त्वं सर्व क्षिति राज्य त्वम् ।
नंदा सुनन्दा राज्ञी ते, ऋषभ देव वंदनम् ॥ २॥
भरत तव आद्य सुतं, चक्रवर्ती प्रसिद्धकम् ।
येन प्रसिद्ध भारत, ऋषभ देव वंदनम् ||3||
बाहुबली द्वितिय, पुत्र, योग साधने प्रसिद्ध 1
वर्ष एक अवस्थितं, ऋषभ देव वंदनम् ॥41]
नीलांजनान्त दर्शकं, प्रयाग दीक्षा धारकम् ।
अखण्ड योग साधक ऋषभ देव वन्दनम् ॥5॥
सप्तमाह नव दिनं, विधि बिना विघ्नकम् ।
वैशाख तृतीया ऋषभदेव वंदनम् 1611
कायोत्सर्ग ध्यान लीन, नागवम्हि पादकम् ।
बेलिल देवच्छादकं प्रामदेव वंदनम् ॥7॥
योग साधने भवान, धातिकर्म विनाशकम् ।
कैवल्य ज्ञान लाभक, ऋषभदेव
सर्व भू. प्रबोधक अंसख्यजन तारकम् ।
बिराग कैलाश मुक्ति, ऋषभदेव वंदनम् ॥ 9 ॥
ऋषभे देवेदं स्तोत्रं, नित्यं पठन्ति श्रद्धया |
विघ्नौद्या प्रशमं यान्ति, यांति ते परमा गतिम् ||10||