गणिनी प्रमुख ज्ञानमती माताजी की पूजन
गणिनी प्रमुख ज्ञानमती माताजी की पूजन
-स्थापना-
तर्ज ….लाल दुपट्टा उड़ गया रे….
आज माता हो.हो .हो
आज माता की पूजा, करना है सभी मिल के |
ज्ञानमती माता की पूजा करना सभी मिल के |
चलो आव्हानन स्थापन करे, और सन्निधिकरण भी करे -२
पुष्पो की अंजलि भरकर के , माता करूं अब थापना |
आव्हानन स्थापन करके पूर्ण होगी कामना |
थोड़ी लौंग पुष्प भी लेते चलो , और सन्निधिकरण भी करते चलो |
आज माता की पूजा, करना है सभी मिल के |
दिव्यशक्ति माता की पूजा करना सभी मिल के |
माता की पूजा रचायेंगे माता के गुण को गायेंगे -२ |
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मातः ! अत्र अवतर-२ संवौषट् आह्वाननं|
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मातः ! अत्र तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठःस्थापनं|
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मातः ! अत्र मम सन्निहितो भव-भव वषट् सन्निधिकरणं स्थापनं|
-अष्टक-
आज माता की पूजा करना हमें ,ज्ञानमती माँ की पूजा करना हमें |
चलो माता की पूजा करते चले , अज्ञान तिमिर को नशते चले |
चलो कलशों में जल लेते चले , प्रासुक और निर्मल लेते चले |
ज्ञानामृत जल को पीते चले , माँ के पद में नमन करते चलो |
जन्म और मृत्यु से मुक्ति मिले हमको ,माता हमें ऐसा आशीष दो |
ज्ञान और अमृत का जल पीने से ,इच्छाओ की उपशांती हो |
चलो चरणों का प्रक्षालन करे ,और अपना जीवन धन्य करे |
आज माता की पूजा करना हमें ,मात चरणों का प्रक्षालन करना हमें |
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मात्रे जन्म जरा मृत्यु विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा |
चलो भक्त सभी चन्दन लेकर ,माँ के चरणों में लेपन करें
आज माता की पूजा करना हमें ,भारत गौरव माँ की पूजा करना हमें
स्वर्ण कटोरी में चन्दन को घिस करके ,माँ के चरण में लगाये चलो |
चन्दन गुरुपद में लेपन से भवताप की ,उपशांती होगी चलो |
चलो चन्दन चर्चन करते चले ,पूजन से सुख की प्राप्ति मिले |
आज माता की पूजा करना हमें ,संसार का ताप नाश करना हमें |
चलो भक्त सभी चन्दन लेकर ,माँ के चरणों में लेपन करें |
आज माता की पूजा करना हमें ,भारत गौरव माँ की पूजा करना हमें |
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मात्रे संसारताप विनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा|
आज माता की पूजा करना हमें ,ज्ञानमती माँ की पूजा करना हमें |
थोड़े अक्षत तंदुल लेते चले ,और पुंज बना के चढ़ाते चलो |
आज माता की पूजा ……
संसार के परिभ्रमण से मुक्ति मिल जाये हमको आशीष दो |
अक्षय पद प्राप्त हो जाये हमको भी ,ज्ञान के कुछ अंश भी प्राप्त हो |
अब अक्षत के पुंज लेते चलो , और थाल सजाकर लेते चलो |
थोड़े अक्षत तंदुल लेते चले ,और पुंज बना के चढ़ाते चलो |
आज माता की पूजा ……
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मात्रे अक्षयपद प्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा|
आज माता की पूजा करना हमें ,दिव्यशक्ति माँ की पूजा करना हमें |
चलो पुष्प सुगंधित लेते चले और थाल सजाकर लेते चले |
आज माता की पूजा ……
घर के सारे सुख वैभव तजकरके ,माता ने विषयाशा नाश किया |
पुष्प सुगंधित लेकर के भक्तों ने , मात चरण में अर्पण किया |
हे माता हमें ऐसा आशीष दो , हम मन से विषयों को शांत करे |
थोड़े पुष्प तो लेकर माँ के निकट ,उनके चरणों में अर्पण करे |
आज माता की पूजा करना हमें , दिव्यशक्ति माँ की पूजा करना है हमें |
थोड़े पुष्प सुगंधित लेते चले और थाल में भरकर चढ़ाते चले |
आज माता की पूजा …..
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मात्रे कामवाण विध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामिति स्वाहा|
आज माता की पूजा करना हमें , आज माता की भक्ति करना हमें |
नैवेद्य बनाकर लेते चले , माता के सम्मुख अर्पण करें |
आज माता की पूजा …..
न जाने कितने व्यंजन है खाये , न भूख की तृष्णा शांत हुई |
तुमने क्षुधा को वश में किया , और आत्मा के ज्ञान का स्वाद लिया |
क्षुध रोग मिटे अब हमारा हे माँ , यह आशा लेकर आये हे माँ |
चलो लड़डू बरफी लेते चले , और रोग क्षुधा का नाश करें |
आज माता की पूजा …..
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मात्रे क्षुधारोग विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामिति स्वाहा|
आज माता की पूजा करना हमें , भारत गौरव माँ की पूजा करना हमें |
चलो आरति करने भक्तों चलो , दीपक के थाल सजाये चलो |
आज माता की पूजा …..
घृत के लघु दीपको से भी माता की , आरती मोह नशायेंगी |
ज्ञान का दीपक लेकर के सबको ,आरति शांति दिलाएगी |
चलो आरति करने भक्तों चलो , दीपक का थाल सजाये चलो |
आज माता की पूजा …..
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मात्रे मोहान्धकार विनाशनाय दीपं निर्वपामिति स्वाहा|
आज माता की पूजा करना हमें , आज माता की भक्ति करना हमें |
चलो धूप अग्नि में दहन करें और अष्टकर्म को नष्ट करे |
आज माता की पूजा …..
कहतें हैं कर्मो के कारण ही हम , सुख और दुःख को पाते है |
लेकिन जब हम प्रभु के निकट में ,धूप खेय कर्म नश जाते हैं |
सब कर्म अष्ट को नष्ट करे , आगे का मार्ग प्रशस्त करें |
आज माता की पूजा करना हमें , सरस्वती माँ की पूजा करना हमें |
चलो धूप अग्नि में दहन करें , और अष्टकर्म को नाश करें |
आज माता की पूजा …..
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मात्रे अष्टकर्म दहनाय धूपं निर्वपामिति स्वाहा|
आज माता की पूजा करना हमें ,दिव्यशक्ति माँ की पूजा करना हमें |
चलो फल का थाल सजाये , और माता के निकट चढ़ाये चलो |
आज माता की पूजा …..
अंगूर ,अनार ,आम आदि फल का थाल ,हम भी सजाये चलो |
फल मोक्ष की अभिलाषा हेतू ,माता को शीश नमाये चलो |
चलो शिवफल की प्राप्ति करते चले , और गणिनी माता की अर्चा करे |
आज माता की पूजा …..
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मात्रे मोक्ष फल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा |
आज माता की पूजा करना हमें ,दिव्यशक्ति माँ की पूजा करना हमें |
चलो अर्घ्य का थाल सजाये चलो , और मात चरण में चढ़ाये चलो |
आज माता की पूजा …..
अष्ट द्रव्य की थाली सजाकर के माता के सम्मुख चढ़ाये चलो |
गुरु माँ की पूजा से , गुरु माँ की भक्ति से , खुशियों के दीप जलाये चलो |
चलो चरणों में अभिवंदन करे , और अर्घ समर्पण करते चले |
आज माता की पूजा करना हमें , आज माता की भक्ति करना हमें |
चलो अर्घ का थाल सजाये चलो ,और मात चरण में चढ़ाये चलो |
आज माता की पूजा …..
ऊँ ह्रीं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती मात्रे अनर्घ्यपद प्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा|
सोने की कलशों से त्रयधारा करना है , माता के चरणों में भक्ति करना है |
सारी उमर इनकी भक्ति करना है , सोने की कलशों से त्रयधारा करना है |
शांतये शांतिधारा|
सोने के पुष्पों से पुष्पांजलि करना है , माता के चरणों में भक्ति करना है |
सारी उमर इनकी भक्ति करना है , सोने के पुष्पों से पुष्पांजलि करना है |
दिव्य पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
-जयमाला-
तर्ज -छोटे -छोटे भाइयो के बड़े भैय्या….
जयमाल
मात की गाये चलो , अर्घ्य का थाल सजाये चलो -२
आज माता की पूजा करना हमें , मात चरणों का चर्चन करना हमें -२
माता मोहिनी की कन्या मैना , जब से बनी ज्ञानमती है |
सबको पिलाती ये ज्ञान का अमृत , और बनी जग की माता है |
चलो माता की पूजा करते चलो हो -हो -हो -हो -हो
चलो माता की पूजा करते चलो , ज्ञान का अमृत लेते चलो |
आज माता की पूजा करना हमें , मात चरणों का चर्चन करना हमें |
जयमाल मात की गाये चलो ……||१ ||
इनके गुरु शांतिसागर जी थे , दीक्षा गुरु वीरसागर जी थे |
गुरु जी की शिक्षा ,दीक्षा से , पाया जो संस्कार उनसे भी थे |
चलो भक्त सभी मिल गाये चलो , माता के गुणों को गाये चलो |
आज माता की पूजा करना हमें , मात चरणों का चर्चन करना हमें |
जयमाल मात की गाये चलो ……||२ ||
ज्ञानमती माताजी ने , तीर्थो का निर्माण किया |
जिनवर जन्मभूमियों को विकसित कर उपकार किया |
चलो चेतन तीर्थ को नमते चलो …..हो ,हो ,हो ,हो ,हो,
चलो चेतन तीर्थ को नमते चलो ,ज्ञानमती जी की पूजन करते चलो |
आज माता की पूजा करना हमें , मात चरणों का चर्चन करना हमें |
जयमाल मात की गाये चलो ……||३ ||
इनके चरणों में प्रार्थना करें , आत्म सिद्धि की कामना करे |
“दीपा” की है ये कामना ,पूरी हो हर मनोकामना |
चलो ज्ञानमती जी को नमन करें , आध्यात्मिक सुख -शान्ति वरें|
आज माता की पूजा करना हमें , मात चरणों का चर्चन करना हमें |
जयमाल मात की गाये चलो , अर्घ्य का थाल सजाये चलो -२
आज माता की पूजा करना हमें , मात चरणों का चर्चन करना हमें ||