जाप करने की तीन विधियाँ हैं-
कमल जाप, हस्ताङ्गली जाप और माला जाप।
1.कमल जाप विधि :- अपने हृदय में आठ पाँखुड़ियों के एक श्वेत कमल का विचार करें। उसकी प्रत्येक पाँखुड़ी पर पीतवर्ण के बारह-बारह बिन्दुओं की कल्पना करें तथा - मध्य की गोलवृत-कर्णिका में बारह बिन्दुओं का चिन्तन करें। इन 108 बिन्दुओं के प्रत्येक बिन्दु पर एक-एक मन्त्र का जाप करते हुए 108 बार इस मन्त्र जाप करें।
2. हस्ताङ्गली जाप विधि :-तर्जनी, मध्यमा एवं अनामिका तीनों अंगुली का उपयोग करके जाप करना। चित्र में दिए गए एक-एक भाग के ऊपर अंगूठे को रखते हुए 9 बार मन्त्र जपते हुए बारह बार में 108 बार होते हैं। तब पूरी जाप होती है।
3. माला जाप :-108 दाने की मालाद्वारा जापकरें। (मङ्गल मन्त्र णमोकार एकअनुचिन्तन, पृ.72-74)
19. आचार्यों ने उच्चारण के आधार पर मन्त्र जाप कितने प्रकार से कहा है?
चतुर्विधा हि वाग्वैखरी मध्यमा पश्यन्ती सूक्ष्माश्चेति । (त.अ.पृ.66)
वैखरी - जोर-जोर से बोलकर णमोकार मन्त्र का जाप करना जिसे दूसरे लोग भी सुन लें।मध्यमा - इसमें होठ नहीं हिलते किन्तु अन्दर जीभ हिलती रहती है।
पश्यन्ति - इसमें न होठ हिलते हैं और न जीभ हिलती है, इसमें मात्र मन में ही चिन्तन करते हैं।
सूक्ष्म - मन में जो णमोकार मन्त्र का चिन्तन था वह भी छोड़ देना सूक्ष्म जाप है। जहाँ पास्यउपासक भेद समाप्त हो जाता है। अर्थात् जहाँ मन्त्र का अवलम्बन छूट जाए वो ही सूक्ष्म जाप है।
✋शुभाशीर्वाद