अज्जीवो पुण णेओ, पुग्गल धम्मो अधम्म आयासं।
कालो पुग्गल मुत्तो, रूवादिगुणो अमुत्ति सेसादु।।१५।।
पुद्गल औ धर्म, अधर्म तथा, आकाश काल ये हैं अजीव।
इन पाँचों में पुद्गल मूर्तिक, रूपादि गुणों से युत सदीव।।
बाकी के चार अमूर्तिक हैं, स्पर्श वर्ण रस गंध रहित।
चैतन्य प्राण से शून्य अत:, ये द्रव्य अचेतन ही हैं नित।।१५।।
अर्थ — पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल ये अजीव द्रव्य पाँच प्रकार का है ऐसा जानो। इनमें से पुद्गल द्रव्य मूर्तिक है क्योंकि वह रूप, रस, गंध और स्पर्श गुण वाला है, बाकी शेष द्रव्य अमूर्तिक हैं।
प्रश्न - मूर्तिक किसे कहते हैं?
उत्तर - जिसमें रूप, रस, गंध और स्पर्श-ये गुण पाये जायें, उसे मूर्तिक कहते हैं।
प्रश्न - अमूर्तिक किसे कहते हैं?
उत्तर - जिसमें रूप, रस, गंध और स्पर्श-ये गुण नहीं पाये जाते हैं, उसे अमूर्तिक कहते हैं।
प्रश्न - परमाणु में रूपादि बीस गुणों में से कितने गुण पाये जाते हैं?
उत्तर - परमाणु में एक रस, एक गंध, एक वर्ण और दो स्पर्श पाये जाते हैं।
प्रश्न - अजीव द्रव्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर - पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल-ये पाँच द्रव्य अजीव द्रव्य हैं।
प्रश्न - अमूर्तिक कितने हैं? मूर्तिक द्रव्य कितने हैं?
उत्तर - जीव, धर्म, अधर्म, आकाश और काल-ये अमूर्तिक द्रव्य हैं और पुद्गल द्रव्य मूर्तिक है।
प्रश्न - पुद्गल किसे कहते हैं ?
उत्तर -पूरण-गलन स्वभाव वाला द्रव्य पुद्गल कहलाता है-या जिसमें वर्ण (रंग) गंध, स्पर्श, रस पाए जाते हैं, जो इन्द्रियों के गोचर हैं, उसे पुद्गल कहते हैं। दृश्यमान अखिल जगत पुद्गल है।
प्रश्न - जीव सर्वथा अमूत्र्तिक है क्या ?
उत्तर - त्रिकाल ध्रुवस्वभाव की अपेक्षा निश्चयनय से जीव अमूत्र्तिक है और अनादिकाल से मूत्र्तिक कर्मों से बंधा हुआ है, अत: व्यवहारनय से मूत्र्तिक है। इसलिए कथंचित् मूत्र्तिक है और कथंचित् अमूत्र्तिक है।