W(1)
*श्री आदिनाथ भगवान*
आ-आदिकाल था कर्म भूमि का,
जब आपका हुआ जन्म।
दि-दिया उपदेश षट कर्मो का, करें आपको नित नमन।
ना-नाम आपका तारनहारा,
तर जाता जो करता वन्दन।
थ-थम जाता कर्मो का बंधन, रुक जाता आवागमन।
भ-भव भृमण दूर करो,
मिटाओ चौरासी लाखा उलझन।
ग-गति चारों में दुःख अपार हैं, मेटो मरुदेवी नन्दन।
वा-वार करूँ अष्ट कर्मो पर
और करूँ तुम्हें नमन।
न-नत है मानव पद पंकज में, कर दो मम मोह शम
(2)
*श्री अजितनाथ भगवान*
अ-अजित प्रभु के चरणों में, मेरा शत शत वन्दन।
जि-जितशत्रु पिता मां विजया, हो गए धन्य देकर जन्म।
त-तर जाते हैं वो सब,
करते जो नित नमन।
ना-नाथ आपके चरणों में, मेरा बारम्बार नमन।
थ-थक जाता जब प्राणी,
कर गति चारों में आवागमन।
भ-भग जाते हैं रोग शोक,
भक्ति से मिटता भवभृमण।
ग-गर तुम भी चाहो सिद्ध पद, कर दो सब कुछ अर्पण।
वा-वासनायें तजकर मनुवा की,कर दो सर्वस्व समर्पण।
न-नमन आपको बारम्बार, मेरे अजित जिननवर।
(3)
*श्री सम्भवनाथ भगवान*
सम्-सम्भव है सब कुछ, मिलेगी मंजिल आज नही तो कल।
भ-भगवान भी बन सकता है, करके प्रभु भजन।
व-वसन दिगम्बर धारण करके, मनुज जन्म करूँ सफल।
ना-नाश करूँ अष्ट कर्मो का, आत्मा बने विमल।
थ-थर थर कांपै है, पापों से यह मन।
भ-भगवत भजन कर ले, मनवा तू हर पल।
ग-गति चारों में भटकाता है
मोह माया का मल।
वा-वार सप्ताह माह बरस ,
जा रहे निष्फल।
न-नमन सम्भवनाथ जी,
कर दो जीवन सफल।
4(4)
*श्री अभिनन्दननाथ भगवान*
अ-अभिनन्दननाथ जी के चरणों में कोटि कोटि नमन।
भि-भिग जाता अंतर्मन, आँखे हो जाती नम।
नं-नन्हे नन्हे दीप सजाकर करते आपका वन्दन।
द-दमन करूँ राग द्वेष का,मोह शत्रु का करूँ शमन।
न-नन्ही सी कलम मेरी, अनन्त आपके गुणों का वर्णन।
ना-ना करो अब तनिक भी देरी,मिटाओ भव भृमण।
थ-थक जायेगा राही, कर प्रभु चरणों में सर्वस्व समर्पण।
भ-भगवान आपकी महिमा निराली है।
ग-गति चारों से छुटकारा दिलाने वाली है।
वा-वासनाएं जब मन की सब मिट जाती है।
न- नष्ट हो जाता मिथ्यात्व, मुक्ति मिल जाती है।
*श्री अभिनन्दननाथ भगवान की जय*
(5)
*श्री सुमतिनाथ भगवान*
सु-सुबुद्धि दो कुबुद्धि हरो ,है! सुमतिनाथ भगवान
म-मद मत्सर मोह मिटा दो सुमतिनाथ भगवान
ति-तिरस्कार ही तिरस्कार है संसार में भगवान
ना-नाम आपका तारनहारा सुमतिनाथ भगवान
थ-थम जा मानव अब तो,
अंतहीन है यह दौड़
भ-भक्ति में रम जा, बाकी भगवान भरोसे छोड़
ग-गलती हुई सो हुई, अब दृष्टि को मोड़
वा-वारि जाऊं प्रभु आप पर सुमतिनाथ भगवान
न-नमन आपको कोटि कोटि सुमतिनाथ भगवान
*श्री सुमतिनाथ भगवान की जय*
(6)
*श्री पद्मप्रभ भगवान*
प-पर में ही अटका रहा मैं पद्मप्रभ भगवान
द-दर पर आकर आपके हुआ आज भेद विज्ञान
म-मम अपराध क्षमा करो दयासिन्धु कृपानिधान
प्र-पश्नचिन्ह मिटाकर सुलझाते गुत्थी तमाम
भ-भव सागर पार लगाता आपका शुभकारी नाम
भ-भग जाते रोग शोक और मिट जाते संकट तमाम
ग-गधामजूरी की आज तक नही पाया कही विश्राम
वा-वासनाएं मिटाकर मन की पहुंचूं अब शिवधाम
न-नमन आपके चरणों में बारम्बार पद्मप्रभ भगवान
*श्री पद्मप्रभ भगवान की जय*
(7)
*श्री सुपार्श्वनाथ भगवान*
सु-सुपार्श्वनाथ जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
पार्श्व-पार्श्व छवि नासा दृष्टि, शांत मुद्रा नयनाभिराम।
ना-नाम आपका लेने से
मिलता मन को आराम
थ-थल नभ जल में फैल रही कीर्ति अविरल अविराम।।
भ-भव वन में भटक रहा, कैसे कांटू कर्म जंजाल
ग-गल जायेंगे पाप सभी, नित झुकाऊँ भाल
वा-वारिधि सम गुण विशाल हैं और उपमाएं लघु तमाम
न-नतमस्तक होकर मानव करता,प्रभु चरणों में प्रणाम
*श्री सुपार्श्वनाथ जी की जय*
(8)
*श्री चन्द्रप्रभ भगवान*
चं-चन्द्रमा की चंचल किरणें, करती जैसे मन को विह्वल
द्र-द्रव्य आठ से पूजा करके,थम जाती मन की हलचल
प्र-प्रहर अष्ट बन प्रहरक, प्रसून समर्पण प्रभु चरणो में
भ-भला बुरा तुम जानो, मैं तो शीश झुकाता चरणों में
भ-भगवान तेरे भरोसे मेरी नैया,भवसागर से कर दो पार
ग-गर चाहे मानव तू भी, कर सकता है अपना उद्धार
वा-वासनाएं मिटाओ मन की,हो जाएगा बेड़ा पार
न-नमन प्रभु चरणों में करके, करूँ आत्म कल्याण।।
*श्री चन्द्रप्रभ भगवान की जय*
(9)
*श्री पुष्पदंत भगवान*
पुष्-पुष्प चढ़ाकर अर्घ सजाकर पुष्पदंत जी को प्रणाम
प- पर निंदा तज कर,निज
पद में करो विश्राम
दं- दन्त नख केश अति सुंदर,प्रतिमा नयनाभिराम
त-तम मिथ्यात्व दूर करो,पुष्पदंत भगवान।।
भ-भर कर भक्तिभाव से पूजा करता पुष्पदन्त भगवान की
ग-गले लगाते दीन दुखियों को पुष्पदन्त भगवान जी
वा-वारे न्यारे हो जायेंगे, जो हो जाय हमे भेद विज्ञान
न-नतमस्तक मानव आपके चरणों में, पुष्पदन्त भगवान।।
*श्री पुष्पदन्त भगवान की जय*
(10)
*श्री शीतलनाथ भगवान*
शी- शीत हो या ग्रीष्म,साधु निरन्तर तपस्या करते हैं।
त- तनिक नही घबराते वीर,संकट चाहे जितने आते हैं।
ल-लख चौरासी में भटक रहे जो,आप उन्हें दिशा दिखाते हैं।
ना-नाथों के नाथ शीतलनाथ, सबके कष्ट मिटाते हैं।
थ-थक जाते जो करके भव भृमण, उन्हें मुक्ति दिलाते हैं।।
भ-भगवान शीतलनाथ जी सबको गले लगाते हैं।
ग-गल जाते हैं पाप सभी, अंजन से तर जाते हैं।
वा-वामपंथ को छोड़कर, सीधे रस्ते जो जाते हैं।
न-नमन उनके चरणों में,
हम करते नहीं अघाते हैं।।
*श्री शीतलनाथ भगवान की जय*
(11)
*श्री श्रेयांसनाथ भगवान*
श्रे-श्रेयस्कर मार्ग जीवन का आपने अपनाया था।
यां-यानि सबकों मोक्ष का सच्चा मार्ग दिखलाया था।
श-शक नहीं कोई,भव बन्धन कट जाते हैं।
ना-नाम आपका लेने से,सब संकट मिट जाते हैं।
थ-थम जाता आवागमन,अष्ट कर्म नष्ट हो जाते हैं।
भ-भव वन में भटके जीवों को आपने सच्चा मार्ग बताया।
ग-गलत कार्य करने वालों को आपने सन्मार्ग दिखाया।
वा-वाहन तैयार खड़ा, सिद्धशिला तक जाना है।
न-नतमस्तक होकर श्रेयांस नाथ जी को ध्याना है।।
*श्री श्रेयांसनाथ भगवान की जय*
(12)
*श्री वासुपूज्य भगवान*
वा-वाणी हितकारी, सर्वज्ञ वीतरागी वासुपूज्य भगवान
सु-सुंदर मूरत,सलोनी सूरत,प्रतिमा नयनाभिराम
पूज्- पूज्य हो आप,पूज्य आपकी गाथा वासुपूज्य भगवान
य-यशगान आपका गा रहा, आज समस्त जहान
भ-भटक रहा भव वन में, वेग निकारो वासुपूज्य भगवान
ग-गलतियां हमारी क्षमा करो, दयासिंधु कृपानिधान
वा-वार करकें अष्ट कर्मों पर बन गए आप भगवान
न-नमन आपके चरणों मे,सहस्त्रो वासुपूज्य भगवान।
*श्री वासुपूज्य भगवान* *की जय*
(13}
*श्री विमलनाथ भगवान*
वि- विमल कीर्ति फैल रही
आपकी सारे जग में।
म-मम दोष दूर करो,
माथ झुकाऊँ चरणों में।
ल-लग जाती जब तुमसे लगन, कट जाते संकट तमाम
ना-नाथ तुम्हारी भक्ति से, मिट जाते भृम तमाम।
थ-थक जाता जब प्राणी,सम्बल देता आपका नाम।।
भ-भग जाती आधि व्याधि, जो करते आपको प्रणाम।
ग-गल जाते रोग शोक,
मद मत्सर मोह तमाम।
वा-वारि जाऊं आपके चरणों में, विमलनाथ भगवान।
न-नमन कोटि कोटि आपको,विमलनाथ भगवान।।
*श्री विमलनाथ भगवान
(14)
*श्री अनन्तनाथ भगवान*
अ-अचल अमर अविनश्वर
अनन्त गुणों की खान।
नं-नन्हे नन्हे हाथ,नन्ही कलम,कैसे करूँ गुणगान।
त-तम सब विनश जाता, जब लेते आपका नाम।
ना-नाथ आपके चरणों में, कोटि कोटि प्रणाम।
थ-थक कर चूर हुआ ,बेड़ा पार करो दयानिधान
भ-भव भव में भटक रहा, एक तेरा ही सहारा है।
ग-गमन आगमन रुक जाता, जिसने तुम्हें पुकारा है।
वा-वासना तजो प्रभु नाम जपो,अनन्त नाम प्यारा है।
न-नमन अनन्तनाथ के चरणों में बारम्बार हमारा है।
*श्री अनन्तनाथ भगवान की जय*
(15)
*श्री धर्मनाथ भगवान*
ध-धर्म धुरंधर धर्म गुरु
धर्म अवतारी धर्मनाथ ।
र-रख भरोसा रख हौसला ,हो जायेंगे कर्म राख।
म-मधुर रस भक्ति का मैंने पिया है।
ना-नाथ आपके ही सहारे, मानव अब तक जिया है।
थ-थल नम जल में आपका नाम गूंज रहा है।
भ-भटक रहा भव सागर में, बेड़ा पार करो।
ग-गल जाय मिथ्यात्व सारा,भव भव की पीर हरो।
वा-वार करो कर्म शत्रू पर, पृभु चरणों में शीश धरो।
न-नतमस्तक होकर धर्मनाथ जी को नमन करो।
*श्री धर्मनाथ भगवान की जय*
(16)
श्री शांतिनाथ भगवान
शां-शांति कर दो समस्त जगत में, शांतिनाथ भगवान।
ति-तिमिर मिथ्यात्व दूर करो,शांतिनाथ भगवान।
ना-नाम तुम्हारा तारणहारा,शान्तिनाथ भगवान।
थ-थम जाता आवागमन जपने से आपका नाम।
भ-भग जाते रोग शोक,जो आपको ध्याते हैं।
ग-गल जाते हैं अष्टकर्म,जो नाम आपका जपते हैं।
वा-वास्ता तुम्हें मेरी भक्ति का, बेड़ा पार लगा दो।
न-नत हूँ तुम चरणों में, शांतिनाथ जी की जय हो।
(17)
*श्री कुन्थनाथ भगवान*
कुं-कुंद हो जाते हैं कर्म,जब नाम तुम्हारा जपते हैं।
थ-थम जाता है आवागमन, संकट सब कटते हैं।
ना-नाम आपका लेते हैं जो, भव सागर से तर जाते हैं वो।
थ-थल नभ जल में फैल रही कीर्ति,कुन्थनाथ की जय हो।
भ-भर जाती झोली, आशा सब पूरी होती।
ग-गति चारों की चकरी भी फिर रुक जाती।
वा-वाहन सम्यग्दर्शन का सिद्धालय तक पहुंचाता।
न-न हो सम्यग्ज्ञान चारित्र, भव सागर पर नहीं होता।
*श्री कुन्थनाथ भगवान की जय*
(18)
*श्री अरहनाथ भगवान*
अ-अरहनाथ का नाम जपो,
यह जग है एक सपना।
र-रम जा स्व में, छोड़ दे
पर का कर्ता बनना।
ह-हस्तिनापुर में जन्म लिया, थे तीन पद के धारी।
ना-नाथों के नाथ अरहनाथ को ,नित नित धोक हमारी।
थ-थल नभ जल में गूँज रही जय जयकार तुम्हारी।
भ-भगवान का नाम जो जपता है, वो भगवान बन जाता है।
ग-गर्त हो जाते हैं अठारह दोष,जब जीव अरिहंत बन जाता है।
वा-वार करो अष्ट कर्मों पर,अरहनाथ की जय बोलो।
न-नमन प्रभु चरणों में कर,
जीवन सफल बना लो।
*श्री अरहनाथ भगवान की जय*
(19)
*श्री मल्लिनाथ भगवान*
मल्-मल दूर करो मिथ्यात्व का,हे!मल्लिनाथ भगवान।
लि-लिखूं क्या आपके बारे में,मल्लिनाथ भगवान।
ना-नाथ आपके गुण अनन्त और मम ज्ञान अति अल्प है।
थ-थम ना जाना चलते जाना,मंजिल अब निकट है।
भ-भगवान आपकी प्रतिमा न्यारी,भेदविज्ञान कराती है।
ग-गमन भृमण दूर हटाकर,
सम्यकत्व जगाती है।
वा-वासनाएं मन की, भव
भव में भटकाती हैं।
न-नष्ट करो कर्म अष्ट,
जिनवाणी यह समझाती है।
{20}
*श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान*
मु-मुनिसुव्रतनाथ जी की सब मिलकर जय बोलो रे जय बोलो।
नि-निकाल फेंकों अन्तर की कलुषता और सुव्रतनाथ जी की जय बोलो।
सु-सुन्दर तन मन वचन मुनि सुव्रतनाथ जी की जय बोलो।
व्र-व्रत पाँच अणु धारण करके,मुनिसुव्रतनाथ जी की जय बोलो।
त-तम अज्ञान विनश जाएगा, मुनिसुव्रतनाथ जी की जय बोलो
ना-नाव किनारे लग जाएगी, मुनिसुव्रतनाथ जी की जय बोलो।
थ-थल नभ जल में गूँज रही कीर्ति,मुनिसुव्रतनाथ जी की जय बोलो।
भ-भवभृमण मिटाने वाले सब संकट हरने वाले मुनिसुव्रतनाथ भगवान।
ग-गलती माफ करने वाले अज्ञान हरने वाले मुनिसुव्रतनाथ भगवान।
वा-वार करके कर्मो पर बन गये अरिहंत, मुनिसुव्रतनाथ भगवान।
न-नत है समस्त संसार आपके चरणों में मुनिसुव्रतनाथ भगवान
*श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान की जय*
(21)
*श्री नमिनाथ भगवान*
न-नमन नमिनाथ जी के चरणों में बारम्बार है।
मि -मिटाओ रागद्वेष ,यही मोक्ष का द्वार है।
ना-ना तेरा ना मेरा,यह जगत स्वार्थ का फंदा है।
थ-थर्राता है विषयों से मन,
चौरासी का गौरखधंधा है।
भ-भटक रहा क्यूं भवसागर में,
नमिनाथ पार लगाएंगे।
ग-गल जाएगा मिथ्यात्व,जब प्रभु के चरणों में शीश झुकायेंगे।
वा-वारिश बनना है अरिहंत प्रभु का, सिद्धालय चलना है।
न-नमन करो नमिनाथ जी को,यह जगत एक सपना है।
*श्री नमिनाथ भगवान की जय*
(22)
*श्री नेमिनाथ भगवान*
ने-नेह स्नेह शत शत, नेमिनाथ जी के चरणों में।
मि-मिलकर अर्घ चढ़ाओ नेमिनाथ जी के चरणों में।
ना-नाथों के नाथ नेमिनाथ,
शीश झुकाओ चरणों में।
थ-थम जाएगा आवागमन,
शीश झुकाओ चरणों में।
भ-भगवान बनना चाहो अगर तुम भी ,राग द्वेष मिटा दो।
ग-गल जाएंगे पाप सभी, प्रभु चरणों से लगन लगा लो
वा-वार करो अष्ट कर्मो पर और नेमिनाथ जी की जय बोलो।
न-नमन प्रभु चरणों में बारम्बार, नेमिनाथ जी की जय बोलो।
*श्री नेमिनाथ भगवान की जय*
(23)
*श्री पारसनाथ भगवान*
पा-पवन भूमि काशी की,
जहां आपने जनम लिया।
र-रम गया जो चरणों में,
उसने जीवन सफल किया।
स-सत्य के पथ पर चलो,पारस प्रभु की जय बोलो।
ना-नाथों के नाथ चिंतामणि
पारस प्रभु की जय बोलो।
थ-थर्राता है पापों से मन,पारस प्रभु की जय बोलो।
भ-भग जायेंगे रोग शोक,
पारस प्रभु की जय बोलो।
ग-गल जाएगा अहंकार,
पारस प्रभु की जय बोलो।
वा-वामा देवी अश्वसेन के सुत, पारस प्रभु की जय बोलो।
न-नमन करके पारस के चरणों में, स्वयं पारस हो लो।
*श्री पार्श्वनाथ भगवान की जय
(24)
*श्री महावीर भगवान*
म-मस्तक झुका कर, जय बोलो महावीर की।
हा-हाला भक्ति का पीकर
जय बोलो महावीर की
वी-वीर अतिवीर सन्मति वर्धमान, जय बोलो महावीर की।
र-रखो सदा सन्तोष और
जय बोलो महावीर की।
भ-भला करेंगे वीर प्रभु,
जय बोलो महावीर की।
ग-गमन चौरासी में रुक जाएगा, जय बोलो महावीर की।
वा-वार करो अष्ट कर्मों पर,
जय बोलो महावीर की।
न-नमन चौबीसों के चरणों में, जय बोलो महावीर की।
*श्री महावीर स्वामी की जय*