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*आज श्रुत पंचमी महापर्व है*
*श्रुत पंचमी पर्व = अपनी माँ का जन्मदिन*🙏🏻😘🙏🏻
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तीर्थंकर भगवान दिव्य ध्वनि से मुक्ति के मार्ग का रहस्य बताते हैं, संसार में 84 लाख योनियों में तड़पते हुए जीवो का अनंत उपकार करने वालों को ही तीर्थंकर कहते हैं
उस दिव्यध्वनि को गणधर और आचार्य द्वारा झेला जाता है और वह दिव्य ध्वनि को एक आचार्य से दूसरे आचार्य को मुख (मौखिक) के द्वारा दिया जाता था
परंतु पंचम काल का प्रभाव होने लगा और ज्ञान कम होने लगा तो आचार्य धरसेन ने यह विचार किया की यह दिव्य ध्वनि को, भगवान के वाणी का सार को शास्त्रों में लिखा जाए
उन्होंने आचार्य पुष्पदंत और भूतबली को यह विद्या दी और उन्होंने उसको लिखना प्रारंभ किया उस ग्रंथ का नाम था षटखंडागम, *जिस दिन यह ग्रंथ की रचना पुर्ण हुई थी उस दिन की तिथि को ही "श्रुत पंचमी पर्व" कहते है, इसी ग्रंथ में मंगलाचरण में जो पांच लाइन लिखी है उसी को हम *णमोकार मंत्र* कहते है
जिसमें जीव को कर्मों की जेल क्यो मिली और उससे छूटते कैसे हैं यह बताया है उसके बाद लाखों शास्त्र लिखे गए उसी को ही हम जिनवाणी माँ कहते हैं
*जिसमें सुखी होने का और मुक्त होने का पूर्ण रहस्य लिखा हुआ है, हजारों वर्षों से हमारे आचार्यो के शास्त्र भव्य जीवो का उपकार कर रहे हैं जिनेंद्र भगवान की दिव्यध्वनि को हमारे तक पहुंचाते आए हैं*
इसीलिए आज पंचम काल मे भी भगवान की वाणी को सुनने का अवसर हमें जिनवाणी देती है
*जो शास्त्रों को नहीं पढ़ते वह भगवानजी की ध्वनि को नहीं सुनते उनके 84 लाख योनियों में जन्म मरण चलते ही रहेंगे*
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