*देवस्तुती-अहोजगत*
पं. भूधरदासकृत
अहो! जगतगुरुदेव, सुनिएअरजहमारी।
तुमप्रभुदीनदयाल, मैंदुखियासंसारी॥१॥
इसभव-वनकेमाहिं, कालअनादिगमायो।
भ्रमतचहुँगतिमाहिं, सुखनहिं, दुखबहुपायो॥२॥
कर्ममहारिपुजोर, एकनकानकरैंजी।
मनमानेदुखदेहिं, काहूसोंनाहिंडरैंजी॥३॥
कबहूँइतरनिगोद, कबहूँ, नर्कदिखावै।
सुरनरपशुगतिमाहिं, बहुविधिनाच-नचावै॥४॥
प्रभु! इनकेपरसंग, भव-भवमाहिंबुरोजी।
जेदुखदेखेदेव! तुमसोंनाहिंदुरोजी॥५॥
एकजनमकीबात, कहिनसकौंसुनिस्वामी।
तुमअनन्तपरजाय, जानतअन्तरजामी॥६॥
मैंतोएकअनाथ, येमिलदुष्ïटघनेरे।
कियोबहुतबेहाल, सुनियोसाहिबमेरे॥७॥
ज्ञानमहानिधिलूटि, रंकनिबलकरिडार्यो।
तुमहीइनमुझमाहिं, हेजिन! अन्तरपार्यो॥८॥
पापपुण्यमिलदोय, पाँयनिबेरीडारी।
तनकारागृहमाहिं, मोहिदियोदुखभारी॥९॥
इनकोनेकबिगार, मैंकछुनाहिंकियोजी।
बिनकारनजगवंद्य! बहुविधिबैरलियोजी॥१०॥
बिनकारनजगवंद्य
बिनकारनजगवंद्य
अबआयोतुमपाससुनकर
अबआयोतुमपाससुनकर ! सुजसतिहारो।
नीति-निपुणमहाराज! कीजेन्यायहमारो॥११॥
दुष्टनदेहुनिकार, साधुनकोरखलीजे।
विनवै ‘भूधरदास’ हेप्रभु! ढीलनकीजे॥१२॥