रंग
लाल पद्य प्रभु वासुपूज्य हैं,
नीले पार्श्व सुपार्श्व रहे।
श्वेतचन्द्र प्रभु पुष्पदन्त हैं,
काले सुव्रत नेमि कहे।
शेष रहे सोलह तीर्थंकर,
स्वर्ण रंग के वे जिनवर।
मन वच तन से उनको पूर्जें,
वे देवें हमको शिवपुर ॥