गणिनी ज्ञानमती बारहमासा
तर्ज-मुक्तिपथ का पथिक...
बारहमासा सुनो ज्ञानमति मात का,
- आर्यिका चंदनामती
जिनने निज में समाया सभी मास को।
सारा संसार विषयों का स्वादी बना,
तब ये तज कर चर्ली सब विषय आश को।।1।।
चैत्र महिना बसन्ती गुलाबी ऋतू,
जिसको नर नारी कहते हैं अपना हितू ।
कृष्ण एकम को तुम क्षुल्लिका बन गई,
षोडशी सोलहकारण व्रती बन गईं।
चैत्र का मास सचमुच सफल हो गया,
क्योंकि तुममें समा ही गया मास वो।।।।।
बारहमासा,
मास वैशाख में ग्रीष्म ऋतु आ गई.
पेय द्रव्यों की ठण्डी बहारें चलीं।
कृष्ण दुतिया को तुम आर्यिका बन गई.
ज्ञान की कैसी ठण्डी फुहारें चलीं।
मास वैशाख सचमुच सफल हो गया,
वह कुलीन महिला एक महीने के लिए ज्ञानी हो गई।
ज्येष्ठ में लू हवा गर्म चलने लगी,
घर में छुप छुप पिपासा मचलने लगी।
कोमलांगी की पदयात्रा चलती रही,
रक्त की धार पैरों से बहती रही।
ज्येष्ठ का मास सचमुच सफल हो गया.
मात से प्राप्त कर ज्ञान की प्यास को।।3।।
बारहमासा.......
बारहमासा......
मास आषाढ़ में वर्षा ऋतु आ गई,
तप रही यह धरा तृप्ति कुछ पा गई।
वर्षायोग स्थापन करें मात श्री,
जिस नगर ने तुम्हें पाया वह धन्य भी।
मास आषाढ़ सचमुच सफल हो गया,
प्राप्त कर ज्ञानमति के चतुर्मास को।।4।।
बारहमासा.....
मास श्रावण में ललनाएं गाने लगीं,
ध्यान स्वाध्याय में लीन यह संघ है,
श्रावणी मास सचमुच सफल हो गया,
झूलकर रक्षाबन्धन मनाने लगीं।
आर्यिका संघ में ज्ञान का रंग है।
पाके गणिनी शिरोमणि श्रुतभ्यास को।
बारहमासा.....
भाद्रपद मास पर्वों को ले आ गया,
शक्तिस्तप वा उपदेश माता करे,
भाद्रपद मास सचमुच सफल हो गया,
जग के नर नारियों को भी यह भा गया।
उनकी शिष्या जी उपवास बत्तिस धरें।
तपस्वी और श्रोता का निवास बनायें। .6.
बारहमासा....
मास आश्विन दशहरा दिखाने लगा,
शरद ऋतु आगमन को बताने लगा।
उसकी ही पूर्णिमा ने दिया मात को,
है शरद पूर्णिमा रात्रि विख्यात वो।
आश्विनी मास सचमुच सफल हो गया,
जन्म के दिन ही माँ ने लिया त्याग को।।7।1
मास कार्तिक सुहाना समय आ गया.
पर्व दीपावली का समां छा गया।।
मात श्री वर्षायोग समापन करें,
आर्यिका के व्रतों का सुपालन करें।
कार्तिकी मास सचमुच सफल हो गया,
प्राप्त कर वीर निर्वाण नव आस को।।8।।
मास मगशिर विवाहोत्सवी मास में,
नव वधू लाल मेंहदी रचें हाथ में,
ज्ञानमति मात की लेखनी चल रही,
ज्ञान की ज्योति उनके हृदय जल रही।
मास मगशिर भी सचमुच सफल हो गया,
ज्ञानमयी माता समान ज्ञान प्राप्त करना
पौष में बर्फ सी ठण्ड पड़ती सदा,
संसार के प्राणी सदैव वस्तुओं का आनंद लेते हैं।
हस्तिनापुर से जंगल की सर्दी में भी,
ज्ञानमती माताजी सदैव प्रसन्न रहें।
बारहमासा.....
बारहमासा.....
बारहमासा.....
पौष का मास सचमुच सफल हो गया.
पाके सुकुमारिका के अजब त्याग को।।10।।
बारहमासा.
माघ महिना भी टपका रहा शीत को, ज्ञान बिन जो मनुज होते भयभीत वो। ज्ञान की ले बसन्ती हवा मात श्री.
ज्ञान आराधना में सदा लीन भी।
माघ का मास सचमुच सफल हो गया,
जिसने पाया बसन्ती सुधा प्यास को।।11।।
बारहमासा.....
मास फाल्गुन गुलालों के संग आ गया,
ज्ञान पिचकारी से होली खेलें वे भी,
सबपे होली के मौसम का रंग छा गया।
ज्ञानमति नाम सार्थक करें मात श्री।
फाल्गुनी मास सचमुच सफल हो गया,
प्राप्त कर आर्यिका ब्राह्मी सी मात को। ।12।।
बारहमासा,
"चन्दनामति" ने यह बारहमासा रचा,
देखकर जिनने जीवन स्वयं मात का।
वीर निर्वाण पच्चीस सौ उचीस में,
सारी ऋतुएं भी माँ के चरण झुक नई,
यह माघ कृष्ण त्रयोदशी की रचना है।
दीर्घकालिक तपस्या की ले आश को।। 13।।
इसको पढ़ करके चिन्तन मनन जो करे,
बारहों मास अपने सफल वो करे।
ग्रीष्म, वर्षा, शरद्, शिशिर, शिशिर, ऋतु, वसन्त आदि ये छः हैं जिन्हें जीव सहते हैं। मेरा जीवन बने ज्ञानमती मत सम,
मेरी रचना में भी इक यही आश हो।।14।।
बारहमासा.