आरती - भगवान श्री आदिनाथ जी
जगमग जगमग आरती कीजे, आदिश्वर भगवान की, प्रथम देव अवतारी प्यारे, तीर्थकर गुणवान की।
जगमग जगमग.....।
अवधपुरी में जन्मे स्वामी, राजकुंवर वो प्यारे थे (2), मरु माता बलिहार हुई, जगती के तुम उजियारे थे, द्वार द्वार बजी बधाई, जय हो दयानिधान की।
जगमग जगमग.....।
बड़े हुए तुम राजा बन गये, अवधपुरी हरषाई थी (2), भरत बाहुबली सुत मतवारे, मंगल बेला आई थी, करें सभी मिल जय जयकारे, भारत पूत महान की।
जगमग जगमग.....।
नश्वरता को देख प्रभुजी, तुमने दीक्षा धारी थी (2), देख तपस्या नाथ तुम्हारी, यह धरती बलिहारी थी, प्रथम देव तीर्थकर की जय, महाबली बलवान की।
जगमग जगमग.....।
बारापाटी में तुम प्रकटे, वादंखेड़ी मन भाई है (2), जगह जगह के आवे यात्री, चरणन शीश झुकाई है। फैल रही जगती में नमजी, महिमा उसके ध्यान की।
जगमग जगमग आरती कीजे, आदिश्वर भगवान की, प्रथम देव अवतारी प्यारे, तीर्थकर गुणवान की। जगमग जगमग.....।