*पंडित दौलतराम जी कृत छहढाला - छठी ढाल*
*शुद्धोपयोग की निश्चल दशा*
*जहं ध्यान ध्याता ध्येय को,न विकल्प वच भेद न जहां।*
*चिद्भाव कर्म चिदेश करता, चेतना किरिया तहां।।*
*तीनों अभिन्न अभिन्न सुध, उपयोग की निश्चल दसा।*
*प्रगटी जहां दृग ज्ञान-व्रत,ये तीनधा एकै लसा।।9।।*
*अन्वयार्थ -* *जहं -* _जिस स्वरुपाचारण में_ *ध्यान ध्याता ध्येय का विकल्प न -* _ध्यान,ध्याता और ध्येय का अंतर नहीं होता और_ *जहां वच भेद न -* _जहां वचन का विकल्प नहीं होता_ *तहां चिद्भाव -* _वहां पर तो आत्मा का स्वभाव ही_ *कर्म चिदेश करता -* _कर्म आत्मा ही कर्त्ता_ *चेतना किरिया -* _चेतना युक्त आत्मा ही क्रिया हो जाती है अर्थात्_ *तीनों -* _ये तीनों कर्ता, कर्म और क्रिया_ *अभिन्न अखिन्न -* _भेद रहित परस्पर बाधा रहित हो जाते है अर्थात्_ *सुध उपयोग की -* _शुद्धोपयोग की_ *निश्चल दसा -* _अटल हालत होती है और_ *जहां दृगज्ञान व्रत -* _जिसमें सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक् चारित्र_ *ये तीनधा एकै -* _ये तीनों एकरूप_ *लसा -* _शोभायमान होते है।_
*🅿️ स्वरुपाचारण चारित्र में क्या होता हैं ⁉️*
_🅰️ स्वरुपाचारण चारित्र में ध्यान,ध्याता, ध्येय का अंतर नहीं रहता। जहां वचन का भेद का नहीं होता वहां पर तो आत्मा का स्वभाव ही कर्म, आत्मा ही कर्त्ता और चेतना ही क्रिया हो जाती है। ये तीनों कर्त्ता, कर्म, क्रिया भेद रहित परस्पर बाधाहीन एक हो जाते है जहां पर शुद्धोपयोग की निश्चल दशा प्रकट होती और रत्नत्रय एक हो जाते है।_
*🅿️ ध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ अपने चित्त की वृत्ति को सब ओर से रोककर एक ही विषय में लगाना ध्यान है।_
*🅿️ ध्याता किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ ध्यान करने वाले को ध्याता कहते है।_
*🅿️ ध्येय किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ जिसका ध्यान किया जाता है वह ध्येय है।_
*🅿️ ध्यान के चार भेद कौन-कौन से हैं ⁉️*
_🅰️ आर्त्तध्यान, रौद्रध्यान,धर्मध्यान और शुक्ल ध्यान।_
*🅿️ आर्त्तध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ दुःख में होने वाले ध्यान को आर्त्तध्यान कहते है।_
*🅿️ आर्त्तध्यान के चार भेद कौन-कौन से हैं ⁉️*
_🅰️ अनिष्ट संयोग, इष्ट संयोग, वेदना और निदान।_
*🅿️ अनिष्ट संयोग आर्त्तध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ अनिष्ट पदार्थ का संयोग होने पर उसे दूर करने के लिए बार-बार विचार करना अनिष्ट संयोग आर्त्तध्यान है।_
*🅿️ इष्ट वियोग आर्त्तध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ स्त्री-पुत्र आदि इष्ट जनों का वियोग होने पर उनके संयोग के लिए बार-बार चिंतवन करना इष्ट वियोग आर्त्तध्यान है।_
*🅿️ वेदना आर्त्तध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ वात आदि के विकार से शरीर में पीड़ा होने पर रात-दिन उसकी चिंता करना वेदना आर्त्तध्यान है।_
*🅿️ निदान आर्त्तध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ भोगों की तृष्णा से पीड़ित होकर रात-दिन आगामी भोगों को प्राप्त करने की ही चिंता करते रहना निदान आर्त्तध्यान है।_
*🅿️ रौद्रध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ क्रूर परिणामों के होते हुए जो ध्यान होता है, उसे रौद्रध्यान कहते है।_
*🅿️ रौद्रध्यान के चार भेद कौन-कौन से हैं ⁉️*
_🅰️ हिंसानंद,मृषानंद,स्तेयानंद और विषय संरक्षणानंद (परिग्रहानंद)।_
*🅿️ हिंसानंद रौद्रध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ तीव्र कषाय के उदय से हिंसा में आनंद मनाना हिंसानंद रौद्रध्यान है।_
*🅿️मृषानंद रौद्रध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ झूठ बोलने में आनंद मानकर उसी का चिंतन करना मृषानंद रौद्रध्यान है।_
*🅿️ स्तेयानंद रौद्रध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ चोरी में आनंद मनाकर उसी का चिंतवन करना स्तेयानंद रौद्रध्यान है।_
*🅿️ परिग्रहानंद रौद्रध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ चेतन अचेतन रूप अपने परिग्रह में यह मेरा परिग्रह है। मैं इसका स्वामी हूं। इस प्रकार ममत्व रखकर उसके अपहरण करने वाले का नाश कर उसकी रक्षा करने के संकल्प का बार-बार चिंतवन करना परिग्रहानंद रौद्रध्यान है।_
*🅿️ धर्मध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ धर्म युक्त ध्यान को धर्म ध्यान कहते है।_
*🅿️ धर्मध्यान के चार भेद कौन-कौन से हैं ⁉️*
_🅰️ आज्ञाविचय धर्म ध्यान, अपायविचय धर्मध्यान,विपाकविचय धर्मध्यान और संस्थानविचय धर्मध्यान।_
*🅿️ आज्ञाविचय धर्मध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ उपदेश देने वाले का अभाव होने से स्वयं मंदबुद्धि होने से कर्मों का उदय होने से तथा पदार्थों के सूक्ष्म होने से तत्त्व के समर्थन में हेतु और दृष्टांत का अभाव होने पर सर्वज्ञ प्रणीत आगम को प्रमाण करके यह इस प्रकार है क्योंकि जिनेन्द्र भगवान् अन्यथावादी नहीं होते इस प्रकार गहन पदार्थ के श्रद्धान द्वारा अर्थ का अवधारण करना आज्ञाविचय धर्मध्यान है।_
*🅿️ अपायविचय धर्मध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ जो लोग मोक्ष के अभिलाषी होते हुए भी कुमार्ग में पड़े हुए हैं,उनका विचार करना कि वे मिथ्यात्व से कैसे छूटे,अपायविचय धर्मध्यान है।_
*🅿️ विपाकविचय धर्मध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ कर्मों के फल का विचार करना विपाकविचय धर्मध्यान है।_
*🅿️ संस्थानविचय धर्मध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ लोक के आकार तथा उसकी दशा का विचार करना संस्थान विचय धर्मध्यान है।_
*🅿️ शुक्ल ध्यान किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ रागादि रहित स्वसंवेदन ज्ञान को आगम भाषा में शुक्ल है।_
*🅿️ शुक्ल ध्यान के चार भेद कौन-कौन से हैं ⁉️*
_🅰️ पृथकत्व वितर्क, एकत्व वितर्क, सूक्ष्म क्रिया प्रतिपाती,व्युपरत क्रिया निवृत्ति।_
*🅿️ ध्यान का फल क्या हैं ⁉️*
_🅰️ आर्त्तध्यान रौद्रध्यान दोनों संसार के कारण है तथा धर्मध्यान परम्परा से मोक्ष का कारण और शुक्ल ध्यान साक्षात् मोक्ष का कारण है।_
*🅿️ विकल्प किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ ऊहापोह या मन में अनेकों प्रकार की आकांक्षाओं की उत्पत्ति होने को विकल्प कहते है।_
*🅿️ उपयोग किसे कहते हैं ⁉️*
_🅰️ जीव का जो भाव वस्तु के ग्रहण करने के लिए प्रवृत्त होता है, उसे उपयोग कहते है।_
*🅿️ उपयोग के तीन भेद कौन-कौन से हैं ⁉️*
_🅰️ अशुभोपयोग, शुभोपयोग और शुद्धोपयोग_
*🅿️ शुद्धोपयोग की स्थिर दशा कब प्रकट होती हैं ⁉️*
_🅰️ जिस आत्मध्यान की अवस्था में ध्यान,ध्याता और ध्येय का कोई भेद नहीं रहता है,उसी समय शुद्धोपयोग की स्थिर दशा प्रकट होती है।_
*🅿️ शुद्धोपयोग और शुभोपयोग में अंतर बताइए ⁉️*
_🅰️ शुभोपयोग तो परम्परा से मोक्ष का कारण है किन्तु शुद्धोपयोग साक्षात् मोक्ष का कारण है। यही दोनों में अंतर है।_
*🅿️ अशुभ,शुभ तथा शुद्धोपयोग का फल क्या हैं ⁉️*
_🅰️ अशुभोपयोग से यह जीव नरक और तिर्यंच गति के दुःखों को प्राप्त करता है तथा शुभोपयोग से स्वर्ग एवं मनुष्य गति के सुखों को प्राप्त करता है तथा परम्परा से मोक्ष सुख भी प्राप्त करता है, जबकि इन दोनों से भिन्न शुद्धोपयोग से मोक्ष सुख की साक्षात् प्राप्ति होती है।_
🙏📚🙏📚🙏📚🙏📚