3) *कहानी*


एक व्यक्ति बहुत नास्तिक था उसको भगवान पर विश्वास नहीं था एक बार उसके साथ दुर्घटना घटित हुई, वो रोड पर पड़ा सबकी ओर मदद के लिए देख रहा था, पर कोई भी व्यक्ति मदद के लिए नहीं आया... 


        तभी उसके नास्तिक मन से प्रभु को गुहार लगाई उसी समय एक ठेले वाला वह से गुजरा उसने उसको गोद में उठाया और चिकित्सा हेतु अस्पताल ले गया, उसने उनके परिवार वालो को फ़ोन किया और अस्पताल बुलाया सभी आये उस व्यक्ति को बहुत धन्यवाद दिया, फिर उसके घर का पता भी लिखवा लिया, और कहा कि जब यह ठीक हो जायेगा तो आप से मिलने आयेंगे, वो इन्सान ठीक हो गए, कुछ दिन बाद वो अपने परिवार के साथ उस व्यक्ति से मिलने का इरादा बनाते है और उसे मिलने के लिए निकल पड़ते है... 


       वो बांके बिहारी का नाम पूछते हुए उस पते पर जाते है, उनको वहा पर प्रभु का मंदिर मिलता है, वो अचंभित से उस भवन को देखते है और उसके अन्दर चले जाते जाते है, वहा पर जाकर पुजारी से नाम लेकर पूछते है की यह बांके बिहारी कहा मिलेगा, पुजारी हाथ जोड़ मूर्ति की ओर इशारा कर के कहता है की यहाँ यही एक बांके बिहारी है, वह सब लोग मंदिर से लौटने लगते है तो उनकी निगाह एक बोर्ड पर पड़ती है उसमे एक वाक्य लिखा दिखता है, "इंसान ही इंसान के काम आता है" उस से प्रेम करते रहो मै तो तुम्हे स्वयं मिल जाऊंगा... 



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