मैं तो आरती उतारूं रे,
सम्भव जिनेश्वर की,
जय जय जिनेन्द्र प्रभु,
जय जय जय-२।।टेक.।।
इस युग के तृतीय प्रभू,
तुम्हीं तो कहलाए, तुम्हीं……
पिता दृढ़रथ सुषेणा मात,
पा तुम्हें हरषाए, पा………
अवधपुरी धन्य-धन्य, इन्द्रगण प्रसन्नमन,
उत्सव मनाएं रे
हो जन्म उत्सव मनाएँ रे।।१।।
मैं तो आरती उतारूं रे,
सम्भव जिनेश्वर की,
जय जय जिनेन्द्र प्रभु,
जय जय जय-२।।टेक.।।
मगशिर सुदी पूनो तिथी,
हुए प्रभु वैरागी, हुए………..
सिद्ध प्रभुवर की ले साक्षी,
जिनदीक्षा धारी, जिन…….
श्रेष्ठ पद की चाह से, मुक्ति पथ की राह ले,
आतम को ध्याया रे
प्रभू ने आतम को.।।२।।
मैं तो आरती उतारूं रे,
सम्भव जिनेश्वर की,
जय जय जिनेन्द्र प्रभु,
जय जय जय-२।।टेक.।।
वदि कार्तिक चतुर्थी तिथि,
केवल रवि प्रगटा, केवल…..
इन्द्र आज्ञा से धनपति ने,
समवसरण को रचा, समवसरण……
दिव्यध्वनि खिर गई, ज्ञानज्योति जल गई,
शिवपथ की ओर चले,
अनेक जीव शिवपथ की ओर चले।।३।।
मैं तो आरती उतारूं रे,
सम्भव जिनेश्वर की,
जय जय जिनेन्द्र प्रभु,
जय जय जय-२।।टेक.।।
चैत्र सुदि षष्ठी तिथि को,
मोक्ष कल्याण हुआ, मोक्ष…….
प्रभू जाकर विराजे वहाँ,
सिद्ध समूह भरा, सिद्ध………..
सम्मेदगिरिवर का, कण-कण भी पूज्य है,
मुक्ति जहां से मिली,
प्रभू को मुक्ति जहाँ से मिली।।४।।
मैं तो आरती उतारूं रे,
सम्भव जिनेश्वर की,
जय जय जिनेन्द्र प्रभु,
जय जय जय-२।।टेक.।।
स्वर्ण थाली में रत्नदीप ला,
आरति मैं कर लूँ, आरति……
करके आरति प्रभो तेरी,
मुक्ति वधू वर लूँ, मुक्ति………
त्रैलोक्य वंद्य हो, काटो जगफंद को,
‘चंदनामती’ ये कहे
प्रभूजी ‘‘चंदनामती’’ ये कहे।।५।।
मैं तो आरती उतारूं रे,
सम्भव जिनेश्वर की,
जय जय जिनेन्द्र प्रभु,
जय जय जय-२।।टेक.।।