*(3)*कहानी*
*बुजुर्गों को समय चाहिए*
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*छोटे ने कहा," भैया, दादी कई बार कह चुकी हैं कभी मुझे भी अपने साथ होटल ले जाया करो." गौरव बोला, " ले तो जायें पर चार लोगों के खाने पर कितना खर्च होगा. याद है पिछली बार जब हम तीनों ने डिनर लिया था, तब सोलह सौ का बिल आया था. हमारे पास अब इतने पैसे कहाँ बचे हैं." पिंकी ने बताया," मेरे पास पाकेटमनी के कुछ पैसे बचे हुए हैं." तीनों ने मिलकर तय किया कि इस बार दादी को भी लेकर चलेंगे, पर इस बार मँहगी पनीर की सब्जी की जगह मिक्सवैज मँगवायेंगे और आइसक्रीम भी नहीं खायेंगे.*
*छोटू, गौरव और पिंकी तीनों दादी के कमरे में गये और बोले," दादी इस' संडे को लंच बाहर लेंगे, चलोगी हमारे साथ." दादी ने खुश होकर कहा," तुम ले चलोगे अपने साथ." " हाँ दादी " .*
*संडे को दादी सुबह से ही बहुत खुश थी.* *आज उन्होंने अपना सबसे बढिया वाला सूट पहना, हल्का सा मेकअप किया, बालों को एक नये ढंग से बाँधा. आँखों पर सुनहरे फ्रेमवाला नया चश्मा लगाया. यह चश्मा उनका मँझला बेटा बनवाकर दे गया था जब वह पिछली बार लंदन से आया था. किन्तु वह उसे पहनती नहीं थी, कहती थी, इतना सुन्दर फ्रेम है, पहनूँगी तो पुराना हो जायेगा. आज दादी शीशे में खुद को अलग अलग एंगिल से कई बार देख चुकी थी और संतुष्ट थी.*
*बच्चे दादी को बुलाने आये तो पिंकी बोली,"* *अरे वाह दादी, आज तो आप बडी क्यूट लग रही हैं".* *गौरव ने कहा," आज तो दादी ने गोल्डन फ्रेम वाला चश्मा पहना है. क्या बात है दादी किसी ब्यायफ्रैंड को भी बुला रखा है क्या." दादी शर्माकर बोली, " धत. "*
*होटल में सैंटर की टेबल पर चारो बैठ गए.*
*थोडी देर बाद वेटर आया, बोला, " आर्डर प्लीज ".* *अभी गौरव बोलने ही वाला था कि दादी बोली," आज आर्डर मैं करूँगी क्योंकि आज की स्पेशल गैस्ट मैं हूँ."*
*दादी ने लिखवाया__ दालमखनी, कढाईपनीर, मलाईकोफ्ता, रायता वैजेटेबिल वाला, सलाद, पापड, नान बटरवाली और मिस्सी रोटी. हाँ खाने से पहले चार सूप भी.*
*तीनों बच्चे एकदूसरे का मुँह देख रहे थे.* *थोडी देरबाद खाना टेबल पर लग गया. खाना टेस्टी था, जब सब खा चुके तो वेटर फिर आया, "डेजर्ट में कुछ सर". दादी ने कहा, " हाँ चार कप आइसक्रीम ".तीनों बच्चों की हालत खराब, अब क्या होगा, दादी को मना भी नहीं कर सकते पहली बार आईं हैं.*
*बिल आया, इससे पहले गौरव उसकी तरफ हाथ बढाता,* *बिल दादी ने उठा लिया और कहा," आज का पेमेंट मैं करूँगी. बच्चों मुझे तुम्हारे पर्स की नहीं, तुम्हारे समय की आवश्यकता है, तुम्हारी कंपनी की आवश्यकता है. मैं पूरा दिन अपने कमरे में अकेली पडे पडे बोर हो जाती हूँ. टी.वी. भी कितना देखूँ, मोबाईल पर भी चैटिंग कितना करूँ. बोलो बच्चों क्या अपना थोडा सा समय मुझे दोगे," कहते कहते दादी की आवाज भर्रा गई.*
*पिंकी अपनी चेयर से उठी, उसने दादी को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर दादी के गालों पर किस करते हुए बोली," मेरी प्यारी दादी जरूर." गौरव ने कहा, " यस दादी, हम प्रामिस करते हैं कि रोज आपके पास बैठा करेंगे और तय रहा कि हर महीने के सैकंड संडे को लंच या डिनर के लिए बाहर आया करेंगे और पिक्चर भी देखा करेंगे."*
*दादी के होठों पर 1000 वाट की मुस्कुराहट तैर गई, आँखों में फ्लैशलाइट सी चमक आ गई और चेहरे की झुर्रियाँ खुशी के कारण नृत्य सा करती महसूस होने लगीं...-*
*बूढ़े मां बाप रूई के गटठर समान होते है, शुरू में उनका बोझ नहीं महसूस होता, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ रुई भीग कर बोझिल होने लगती है.*
*बुजुर्ग समय चाहते हैं पैसा नही, पैसा तो उन्होंने सारी जिंदगी आपके लिए कमाया-की बुढ़ापे में आप उन्हें समय देंगे।*
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*(4)*कहानी*
😏 *घमंड से पतन की और* 😌
*कितना घमंड है आज के इंसान को। क्या समझता है खुद को ?आखिर किस बात का घमंड है इंसान को.?*
*सुंदरता पर घमंड*
*एक मामूली दुर्घटना में दो मिनट में ही इंसान की सुंदरता गायब हो जाती है। वो रोगी बन जाता है।चमड़ी देखने लायक नहीं होती।*
*बदन पर घमंड*
*जब इंसान को लकवा हो जाता है तब वो खुद उठ नहीं सकता हिल नहीं सकता बार बार उसे सहारे की जरूरत पड़ती है।तब कहाँ जाता है उसका ये बदन।*
*पैसे का घमंड*
*दो मिन्ट में इंसान का व्यापार ठप हो जाता है, पाई पाई का मोहताज बन जाता है।*
*औलाद का घमंड*
*बेटा हो या बेटी कब कोई ऐसा कदम उठा ले कि सारा अहंकार धरा का धरा रह जाए। कब घर छोड़कर चला जाए*
*सत्ता का घमंड*
*सता कभी भी पलट सकती है। आप किसी भी समय हीरो से जीरो हो सकते हो। आपके साथ चलने वाले आपकी हाँ में हाँ मिलाने वाले दो ही पल में पलटी खायेगें। फिर सत्ता नहीं तो क्या करोगे।फिर भी इंसान को इतना घमण्ड क्यों?*
*इंसान क्या लेकर आया था क्या लेकर जाएगा कुछ भी नहीं खाली हाथ ही जाएगा।*
*कोई साथ नहीं जाएगा*
*एक सुई तक भी साथ नही जाएगी। बस जाता है नाम,आपका नाम, आपका काम,आपके गुण, आपका प्यार,आपका अच्छा व्यवहार,और आपके अच्छे प्यारे बोल।*
*छोड दें - दूसरों को नीचा दिखाना।*
*छोड दें - दुसरो की सफलता से जलना।*
*छोड दें - दूसरों के धन से जलना।*
*छोड दें - दूसरों की चुगली करना।*
*छोड दें - दूसरों की सफलता पर इर्ष्या करना।*
*ये सब मिथ्या है।*
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(5) *कहानी*
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*🟠👉🏿दया पर संदेह➖*
*एक बार एक अमीर सेठ के यहाँ एक नौकर काम करता था।अमीर सेठ अपने नौकर से तो बहुत खुश था,लेकिन जब भी कोई कटु अनुभव होता तो वह ईश्वर को अनाप शनाप कहता और बहुत कोसता था*
*एक दिन वह अमीर सेठ ककड़ी खा रहा था।संयोग से वह ककड़ी कच्ची और कड़वी थी।सेठ ने वह ककड़ी अपने नौकर को दे दी।नौकर ने उसे बड़े चाव से खाया जैसे वह बहुत स्वादिष्ट हो*
*अमीर सेठ ने पूछा– “ककड़ी तो बहुत कड़वी थी।भला तुम ऐसे कैसे खा गये?*
*नौकर बोला–आप मेरे मालिक है।रोज ही स्वादिष्ट भोजन देते है।अगर एक दिन कुछ बेस्वाद या कड़वा भी दे दिया तो उसे स्वीकार करने में भला क्या हर्ज है ?*
*अमीर सेठ अपनी भूल समझ गया।अगर ईश्वर ने इतनी सुख–सम्पदाएँ दी है,और कभी कोई कटु अनुदान या सामान्य मुसीबत दे भी दे तो उसकी सद्भावना पर संदेह करना ठीक नहीं,वह नौकर और कोई नहीं,प्रसिद्ध चिकित्सक हकीम लुकमान थे*
*असल में यदि हम समझ सकें तो जीवन में जो कुछ भी होता है,सब ईश्वर की दया ही है।ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए ही करता है..,*
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