पद्मावती माता की आरती
पद्मावती माता दर्शन की अलिहारीया।
पार्श्वनाथ महाराज विराजे मस्तक ऊपर थारे।
इन्द्र फणीन्द्र नरेन्द्र सभी खड़े रहे नित द्वारे। पद्मावति।।
जो जिय थारो शरणों लीनों सब संकट हर लीनो।
पुत्र पौत्र धन संपति देकर मंगलमय करि दीनो।।2।। पद्म.
डाकिनी शाकिनी भूत भवानी नाम लेत भग जावे।
वात पित्त कफ रोग मिटे अरु तन मन सुख हो जावे।।3।। पदम.
दीप धुप अरु पुष्प हार ले मै दर्शन को आया |
दर्शन भरके माता तुम्हारे मनवांछित फल पाया।।4।। पदम.