3. महावीर की माता का नाम क्या था ?
उत्तर. त्रिशाला
4. श्वेताम्बर का अर्थ क्या है ?
उत्तर. जो श्वेत वस्त्र धारण करते थे
6. पाशर्वनाथ का प्रतिक चिन्ह क्या था ?
उत्तर. सर्फ़
7. जैनियों का प्रसिद्ध मदिर का नाम क्या है ?
उत्तर. दिलवाड़ा मंदिर
8. जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थकर कौन थे ?
उत्तर. महावीर स्वामी
9. महावीर के धार्मिक उपदेश का संकलन किस पुस्तक में है ?
उत्तर. पूर्व पुस्तक में
10. महावीर के पिता का क्या नाम था ?
उत्तर. सिद्धार्थ
12. महावीर के बड़े भाई का नाम क्या था ?
उत्तर. नंदिवर्धन
13. महावीर का देहांत कहाँ हुआ था ?
उत्तर. राजगृह (नालन्दा जिला)
14. महावीर को किस नदी के तट पर ज्ञान की प्राप्ति हुई ?
उत्तर. ऋजुपालिका
16. महावीर ने अपना उपदेश किस भाषा में दिया ?
उत्तर. प्राकृत (अर्द्धमागधी)
17. दिलवाड़ा मंदिर कहाँ स्थित है ?
उत्तर. माउन्ट आबू
21. जैन धर्म सर्वाधिक किस वर्गों के बीच फैला था ?
उत्तर. व्यापारी वर्ग
22. जैन धर्म को मानने वाले राजा कौन-कौन थे ?
उत्तर. चन्द्रगुप्त मौर्य, कलिंग नरेश खारवेल, चंदेल शासक, वंद राजा एवं राजा अमोघवर्ष
23. महावीर का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर. 540 ई०पू० वैशाली के कुण्डग्राम में
24. चन्द्रगुप्त मौर्य किससे प्रेरणा लेकर जैन धर्म को अपनाया ?
उत्तर. भद्रबाहु
25. महावीर के माता का नाम क्या था ?
उत्तर. त्रिशाला
26. महावीर के मृत्यु के बाद जैन धर्म कितने भागो में विभक्त हो गया ?
उत्तर. दो (1. श्वेताम्बर 2. दिगंबर)
27. मोक्ष प्राप्ति के बाद महावीर ने किसको जैन संघ का प्रमुख बनाया था ?
उत्तर. सुधर्मन
28. महावीर ने अपने शिष्यों को कितने गणधरों में बंटा था ?
उत्तर. 11
29. जैन धर्म के आध्यात्मिक विचार किससे प्रेरित है ?
उत्तर. सांख्य दर्शन
30. महावीर के दामाद का नाम क्या था ?
उत्तर. जमाली
31. दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रचार किसने किया था ?
उत्तर. भद्रबाहु
32. महावीर की पुत्री एवं पत्नि का क्या नाम था ?
उत्तर. पुत्री का नाम अनोज्जा प्रियदर्शनी तथा पत्नि का नाम यशेदा था
33. महावीर के मुख्य शिष्य को क्या कहा जाता था ?
उत्तर. गणधर
34. दिगंबर का अर्थ क्या है ?
उत्तर. जो पूर्णतः नग्न रहत थे
35. महावीर ने तिने वर्षों तक तपस्या की थी ?
उत्तर. 12 वर्षों तक
36. जैन मंदिर हाथी सिंह किस राज्य में स्थित है?
उत्तर. गुजरात
38. महावीर की 72 वर्ष की अवस्था में कब देहांत हुआ ?
उत्तर. 468 ई०पू०
39. महावीर को ज्ञान कहां प्राप्त हुआ था ?
उत्तर. ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे
40. खजुराहो में जैन मंदिरों का निर्माण किसने करवाया था ?
उत्तर. चंदेल शासकों ने
41. मथुरा कला का संबंध किस धर्म से है ?
उत्तर. जैनधर्म
42. श्रषभदेव ने कितनी वर्ष की आयु में सन्यास लिया था ?
उत्तर. 30 वर्ष की आयु में
43. महावीर को कितने वर्ष की अवस्था में ज्ञान की प्राप्ति हुई ?
उत्तर. 42 वर्ष
44. महावीर को जिस वृक्ष के निचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी उस वृक्ष का नाम क्या है ?
उत्तर. साल
45. अनोज्जा प्रियदर्शनी किसके पुत्री का नाम है ?
उत्तर. महावीर
46. पार्श्वनाथ किसके पुत्र थे ?
उत्तर. राजा अश्वसन के
47. महावीर के अनुयायी को किस रूप में जाना जाता है ?
उत्तर. निर्ग्रन्थ
48. जैन धर्म का संस्थापक कौन थे?
उत्तर. ऋषभदेव
49. जैन धर्म का उदय का कारण क्या था ?
उत्तर. ब्राह्मणों के बढ़ते जटिल कर्मकाण्डों की प्रक्रिया के खिलाफ
50. जैन धर्म किसको मानता था ?
उत्तर. पुनर्जन्म को
51. महावीर की मृत्यु के बाद कौन जैन धर्म का प्रथम मुख्य उपदेशक हुआ?
उत्तर. सुधर्मन
52. जैन धर्म में कितने तीर्थकर हुए ?
उत्तर. 24
53. प्रसिद्ध जैन-तीर्थस्थल का नाम क्या है और किस राज्य में स्थित है ?
उत्तर. श्रवणवेलगोला, कर्नाटक
54. जैन धर्म का उदय कब हुआ ?
उत्तर. 6ठी शताब्दी ई०पू०
55. महावीर का जन्म कब और कहां हुआ था ?
उत्तर. 599 ई.पू. में कुंडग्राम (वैशाली) में
56. जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर एवं प्रवर्तक कौन थे ?
उत्तर. ऋषभदेव
57. पाशर्वनाथ ने भिक्षुओं को किस रंग का वस्त्र पहनने को कहा ?
उत्तर. सफ़ेद
58. महावीर के पहले अनुयायी कौन बने थे ?
उत्तर. जामिल
59. महावीर केपिता कौन थे ?
उत्तर. सिद्धार्थ ( ज्ञातृक कुल के शासक )
60. महाकुम्भ मेला कितने वर्ष के बाद लगता है?
उत्तर. बारह वर्ष
61. प्रवृत्ति में प्रमाद के अभाव को क्या कहते हैं?
*उत्तर* समिति।
62. तप की वृद्धि के लिए 46 दोष रहित भोजन लेना कौन सी समिति है?
*उत्तर* एषणा समिति।
63. पिच्छी,कमंडल,शास्त्र आदि उपकरण देखकर उठाना या देख कर रखना कौन सी समिति है?
*उत्तर* आदान– निक्षेपण समिति।
64. तप किसे कहते हैं?
*उत्तर* इच्छा के रोकने को।
65. तप कितने प्रकार के होते हैं?
*उत्तर* 12( बारह)।
66. जीव रहित स्थान देखकर सावधानीपूर्वक मल, मूत्र आदि विकारों का विसर्जन करना कौन सी समिति है
*उत्तर* व्युत्सर्ग या प्रतिष्ठापन समिति।
67. एषणा समिति के कितने दोष होते हैं?
*उत्तर* 46 (छयालीस)।
68. ज्ञान का उपकरण क्या है?
*उत्तर* शास्त्र।
69. संयम का उपकरण क्या है?
*उत्तर* पिच्छी।
70. मणिपुर की राजधानी का नाम बताओ?
*उत्तर* इम्फाल।
71. कौनसें तीर्थंकर परमात्मा को केवलज्ञान शकटमुख उद्यान मे हुआ था ??
ans. श्री आदिनाथ जी
72. नवकार मंत्र का शास्त्रीय नाम क्या है ??
ans. पंचमंगल महाश्रुतस्कंध ॥
73. अनार्य देश में कितने तीर्थंकर परमात्मा जी ने विचरण किया ??
ans. चार तीर्थंकर परमात्मा जी ने अनार्य देश मे विचरण किया ॥
74. लोगस्स के पाठ में वन्दे और वंदामि शब्द कितनी बार आता है ??
ans. वन्दे शब्द तीन बार व वंदामि शब्द दो बार आता है ॥
75. दो दण्डक के जीव ही कर सकते है वह क्या ??
ans. सामायिक ॥
76. प्रतिक्रमण में विश्व मैत्री का मुख्य कौनसा पाठ है ??
ans. खामेमि~सव्वजीवे ॥
77. दर्शन मोह की तीन प्रकृतियाँ कौन~कौनसी है ??
ans.
१. सम्यक्त्व मोहनीय
२. मिथ्यात्व मोहनीय
३. मिश्र मोहनीय. ॥
78. नाम कर्म की जघन्य व उत्कृष्ट स्थिति कितनी है ??
ans. नाम कर्म की स्थिति
जघन्य :- 8 मुहूर्त
उत्कृष्ट :- 20 क्रोडाक्रोड सागरोपम ॥
79. तीन लोक में शाश्वत मंदिर कितने है ??
ans. 8,57,00,282 मंदिर ॥
80. समवशरण में कितने गढ़ होते है ??
ans. तीन गढ़ होते है ॥
81. एक इन्द्र के इंद्राणियों की संख्या कितनी है ??
ans. एक इन्द्र के एक भव में 2 क्रोडा क्रोड, 85 लाख करोड़, 71 हजार करोड़, 400. करोड़, 28 करोड़, 57 लाख, 14 हजार, 285 इन्द्राणियाँ उत्पन्न हो कर मृत्यु प्राप्त करती है ॥
82. भोजन के समय साधु~साध्वी जी की भावना न भावे तो क्या प्रायश्चित आता है ??
ans. 400 गाथा की स्वाध्याय ॥
83. बिना हड्डी माँस के सन्नी पंचेन्द्रिय कौन. ??
ans. नारकी देवता ॥
84. पंद्रह कर्म दान में से दसवाँ कर्मदान कौनसा है ??
ans. विष वाणिज्य ॥
85. मुंहपत्ती पडिलेहण के 50 बोल में से 14, 15,16, बोल कौनसा है ??
ans. 14:- ज्ञान, 15:- दर्शन, 16:- चारित्र आदरुं ॥
86. आचार्यश्री जिनकुशल सुरि जी का गृहस्थावस्था में क्या नाम था
ans. श्री करमण जी
87. चार प्रकार के आहार का त्याग कौन सा तप हे ?
ans. अनशन
88. कुंकुमवर्णा पार्श्व प्रभु किस तीर्थ में बिराजमान हे ?
ans. अजाहरा तीर्थ
89 . अष्टापदजी तीर्थ के भव्य प्रासाद का नाम ?
ans. सिंह निषदा प्रासाद
90. अनार्य देश से आ के अणगार कौन बने ?
ans. आद्र कुमार
91. 5,68,99,584 रोग कौन सी नारक में हे ?
ans. सातवी (७)
92. कुमारपाल महाराजा की जन्मभूमि ?
ans. दधिस्थली
93. चारित्र प्राप्ति के लिए 60,000 साल आयम्बिल किसने किये ?
ans. सुंदरी
94. वीरासन में कौन सा सूत्र बोला जाता हे ?
ans. वंदित्तु
95. जहा पर्युषण महापर्व मनाये जाते हे ऐसे ?
ans. भरत, ऐरावत
96 . सर्व प्रथम कल्पसूत्र श्रवण करने वाले राजा ?
ans. ध्रुवसेन
97. कल्पसूत्र में ९ वे व्याख्यान का नाम
ans. सामाचारी
98. प्रभु वीर ने २ बार वासक्षेप किया उन गणधर का नाम ?
ans. श्री सुधर्मा स्वामीजी
99. पुण्य पाप का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. विपाक सूत्र
100. पूज्य धनेशसूरीश्वरजी ने पालिताना पर लिखा हुआ ग्रन्थ ?
ans. शत्रुंजय माहात्म्य
101. वर्तमान में क्या खाना और क्या ना खाना इस विषय पर प्रसिद्द किताब कौन सी हे ?
ans. रिसर्च ओन डाइनिंग टेबल
102. कौन सी नई नवेली दुल्हन को 22 साल का विरह सहना पड़ा ?
ans. सती अंजना
103. हरिभद्रसूरिजी का गुस्सा जिस 9 भव की वैर परंपरा के किरदार के नाम सुनने से शांत हुआ वो पुस्तक का नाम ?
ans. समरादित्य
104. किस ग्रंथ में 36000 सवाल और जवाब हे ?
ans. श्री भगवती सूत्र
105. अपनी हर पुस्तक के अंत में “याकिनी महत्तरा सुनु” लिखने वाले महात्मा कौन ?
ans. श्री हरिभद्रसूरिजी
107. जीवो के बारे में विस्तृत रूप से वर्णन किस ग्रंथ में किया गया हे ?
ans. जीव विचार
108. 100 गाथा का कौन सा पुस्तक वैराग्य का बोध देता हे ?
ans. वैराग्य शतक
109. राजदरबार में जाते समय पेथडशा घोड़े पर कौन सा पुस्तक पढ़ते थे ?
ans. उपदेशमाला
110. 12 भावना पे विनयविजयजी द्वारा रचित ग्रंथ का नाम ?
ans. शांत सुधारस
111. सिद्ध हेम शब्दानुशासन ग्रंथ के रचयिता कौन ?
ans. हेमचन्द्राचार्य जी
112. द्रष्टिवाद पूर्व का कुछ अंश किस ग्रंथ में आता हे ?
ans. कर्मग्रंथ
113. जैन भूगोल के ग्रंथ कौन से ?
ans. लघु संग्रहणी और बृहद संग्रहणी
114. प्रभु वीर ने किस श्राविका को धर्मलाभ कहलवाया ?
ans. सुलसा
115. पिताजी के मुख से चले जाओ शब्द सुनते ही किसे वैराग्य हुआ ?
ans. अभयकुमार
116. दशवैकालिक सूत्र की रचना किसने की ?
ans. शय्यंभव सूरिजी
117. नयसार जिस राज्य में रहते थे वहा का राजा कौन ?
ans. शत्रु मर्दन राजा
118. निर्दोष बिजोरापाक के लिए प्रभु वीर ने किसे याद किया ?
ans. रेवती श्राविका
119. प्रभु वीर के प्रथम मासक्षमण का पारणा करवाने का लाभ किसे मिला ?
ans. विजय शेठ
120. प्रभु वीर के कान से खिले निकालने का कार्य किसने किया ?
ans. खरक वैध
121. प्रभु वीर जब से त्रिशला माता की कुक्षी में आये तब से राज्य में धन धान्य की वृद्धि करवाने का कार्य किसने किया ?
ans. तिर्यंजृम्भक देव
122. हम तीनो प्रभु वीर को मिले फिर ही अभवी ही रहे – कौन ?
ans. संगम देव, कालसौरिक कसाई, कपिला दासी
123. वर्षीदान के समय कौन प्रभु वीर को थकान ना हो इसका ध्यान रखता था ?
ans. सौधर्म इंद्र
124. प्रभु वीर जिस दिशा में हो वहा सात कदम चल के सोने के अक्षत से साथिया कर के ही नवकारशी करने वाले कौन ?
ans. श्रेणिक राजा
125. श्रेणिक राजा को प्रभु वीर से मिलाकर धर्म में जोड़ने वाले कौन ?
ans. अनाथी मुनि
126. भरत क्षेत्र के लोगो के लिए मोक्ष का द्वार किसने बंध किया ?
ans. जम्बू स्वामी
127. नरकगति में जानेवाला था लेकिन वीर को मिल के आठवे देवलोक में पहुंच गया – कौन ?
ans. चंडकौशिक सर्प
128. प्रभु वीर के 14000 साधु में सब से उत्कृष्ट तपस्वी कौन ?
ans. धन्ना अणगार
129. प्रभु वीर का गर्भ परिवर्तन किसने किया ?
ans. हरीणगमेषी देव
130. प्रभु वीर ने दीक्षा लेने के बाद प्रथम पारणा मेरे घर किया ?
ans. बाहुल ब्राह्मण
131. दीक्षा के बाद प्रभु वीर को निंद्रा में आये स्वप्न का फल किसने बताया ?
ans. उत्पल निमितिया और सिद्धार्थ व्यंतर
132. प्रभु वीर के शासन में श्रुत लेखन का प्रारम्भ किसने किया ?
ans. देवर्धिगणी क्षमाश्रमण
133. प्रभु वीर के पास से देव दूष्य की मांग मेने की ?
ans. सोमदेव ब्राह्मण
134. मोक्ष प्राप्ति के 2 उपाय कौन से ?
ans. ज्ञान ,क्रिया
135. धर्म के 2 प्रकार कौन से ?
ans. श्रुत धर्म, चारित्र धर्म
137. एक दोष, जिसकी वजह से १४ पूर्वीधर भी निगोद की यात्रा कर लेते हे ?
ans. प्रमाद
138. एक कर्म जो जीवन में सिर्फ एक बार ही बंधता हे ?
ans. आयुष्य
140. रसपरित्याग तप किसने किया ?
ans. सुंदरी
141. कायोत्सर्ग तप किसने किया ?
ans. गजसुकुमाल मुनि
142. महाविदेह में सदा कौन सा आरा रहता हे ?
ans. 4 था
143. केवली समुद्घात कितने समय का होता हे ?
ans. 8
144. इन्द्रिय संलीनता तप किसने किया ?
ans. चंडकौशिक
145. जातिस्मरण ज्ञान किसका भेद हे ?
ans. धारणा श्रुतनिश्रित मतिज्ञान का
146. स्वाध्याय तप किसने किया ?
ans. माषतुष मुनि
147. किस सूत्र में गुणस्थानक का नाम जीवस्थान हे ?
ans. समवायांग सूत्र
148. कौन से आचार्य ने अष्ट प्रकरण में सामायिक के लक्षण बताये हे ?
ans. आचार्य हरिभद्रसूरिजी
149. स्थानांग सूत्र में प्रतिक्रमण के कितने निर्देश दिए हे ?
ans. 6
150. मोक्ष का परिक्षेत्र कितने योजन का हे ?
ans. 14230249 योजन
151. चरवला कितने अंगुल प्रमाण होता हे ?
ans. 32 अंगुल
152. वंदन करने से कौन से कर्म का क्षय होता हे ?
ans. नीच गौत्र
153. जिस तप में मानसिक साधना की प्रधानता होती हे उसे क्या कहते हे ?
ans. अभ्यंतर तप
154. सेवा रूप वैयावच्च के कितने भेद हे ?
ans. 10
155. अव्यक्तवाद के प्रवर्तक कौन थे ?
ans. आचार्य आषाढ़ के शिष्य
156. गुरु के पास स्वयं विधि पूर्वक पच्चक्खाण लेना क्या कहलाता हे ?
ans. फासियम
157. कर्म दलिको में तीव्र या मंद रस किसमे पैदा होता हे ?
ans. अनुभाग बंध
158. में मेरे पिता की मृत्यु का कारण बना ?
ans. कोणिक
159. आपको पशु की दया आती हे पर मेरी दया नहीं आती – ऐसा किसने कहा ?
ans. राजुल
160. सुख या दुःख कर्म के आधीन हे – किसने कहा ?
ans. मयणा सुंदरी
161. चौद पूर्वधर भी मुझे अंत समय में याद करते हे ?
ans. नवकार
162. अक्षर वाले कपडे पहनने से किसका बंध होता हे ?
ans. ज्ञानवरणीय कर्म
163. आनेवाली चौवीसी में पहले तीर्थंकर कौन बनेंगे ?
ans. श्रेणिक राजा
164. किसके प्रभाव से सर्प धरणेन्द्र बना ?
ans. नवकार
165. मेने अष्टापद पर्वत पर तीर्थंकर नामकर्म उपार्जन किया ?
ans. रावण
166. देव और गुरु श्री हिरसूरीश्वरजी की कृपा से तप करती हु ऐसा किसने कहा ?
ans. चंपा श्राविका
167. समयं मा गोयम पमायए – अर्थ क्या ?
ans. हे गौतम, एक क्षण का भी प्रमाद नहीं करना चाहिए
168. मकोड़े की रक्षा हेतु किसने अपनी चमड़ी काट कर रख दी ?
ans. कुमारपाल
169. में वादी बन के गया और विनयी बन गया ?
ans. गौतम स्वामी
200. 6 द्रव्य का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. ठाणांग सूत्र
201. इन्द्रो के वैभव का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. देवेन्द्र सूत्र
102. ५ ज्ञान का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. नंदी सूत्र
203. सूर्य मंडल के स्वरूप का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. सूर्य प्रज्ञप्ति
204. ज्ञान – ज्ञान का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. सूयगडांग
205. नरकगामी राजाओ का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. निर्यायवालिका
206. मुनि समाचारी का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. ओघ निर्युक्ति
207. श्रमण क्रिया की करणी का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. दश वैकालिक सूत्र
208. वो कौन से राजा थे जिनकी ५०० रानी ६ भाषा में काव्य लिखने में पारंगत थी ?
ans. शालिवाहन राजा
209. समरशाह ने शत्रुंजय के जिर्णोद्धार के समय कौन सी प्रतिज्ञा ली थी ?
ans. जब तक तीर्थ का उद्धार ना हो तब तक हर रोज दो टाइम ही भोजन करूँगा – तेल अादि से स्नान का त्याग – एक विगई का त्याग और भूमि शयन करूँगा।
210. सब पर्वो में कौन सा पर्व सर्वश्रेष्ठ हे ?
ans. पर्युषण
111. कल्पसूत्र के रचयिता कौन ?
ans. भद्रबाहु स्वामीजी
112. कल्पसूत्र का मूल नाम क्या हे ?
ans. पज्जोसणा सूत्र
113. पर्युषण पर्व के प्रथम तीन दिन किसका वांचन होता हे ?
ans. अष्टान्हिका प्रवचन
114. अष्टान्हिका प्रवचन में किसका वर्णन हे ?
ans. श्रावक के कर्तव्यों का
115. पर्युषण पर्व में चौथे दिन से सातवे दिन तक किसका वांचन होता हे ?
ans. कल्पसूत्र
116. संवत्सरी के दिन किसका वांचन होता हे ?
ans. बारसा सूत्र
117. श्रावक को पर्युषण में कितने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए ? कौन से ?
ans. 5 – अमारी प्रवर्तन, साधर्मिक भक्ति, क्षमापना, अट्ठम तप, चैत्य परिपाटी
72. श्रावक के वार्षिक कर्तव्य कितने हे ? कौन से ?
ans. 11 – संघ पूजा, साधर्मिक भक्ति, यात्रा त्रिक, स्नात्र पूजा, देव द्रव्य वृद्धि, महा पूजा, धर्म जागरण, श्रुत पूजा, उपधान, तीर्थ प्रभावना, प्रायश्चित
73. कल्पसूत्र की प्रथम वाचना कहा प्रारंभ हुई थी ?
ans. आनंदपुर
74. श्रावक के 11 कर्तव्यों में से सब से मुख्य कौन सा हे ?
ans. प्रायश्चित (आलोचना)
75. श्रावक का गुणस्थान कौन सा हे ? नाम ?
ans. 5 – देशविरति गुणस्थान
76. कल्पसूत्र में किसकी तरह अट्ठम तप करने को कहा गया हे ?
ans. नागकेतु
77. अमारी प्रवर्तन का पालन किस राजा के जैसे करना चाहिए ?
ans. कुमारपाल
78. उपवास कर के भी साधर्मिक भक्ति का लाभ कौन लेते थे ?
ans. पुणीया श्रावक
79. गंगा नदी पार करते समय देव द्वारा उपसर्ग से शरीर के गिरते खून से अपकाय जीव की विराधना देख कर कांप उठे और केवलज्ञान प्राप्त हुआ – वो कौन ?
ans. अरणिकापुत्र आचार्य
80. श्री हिरसूरीश्वरजी की प्रेरणा से किसने अपने राज्य में अमारी का पालन करवाया ?
ans. अकबर
81. किस राजा के जैसी क्षमापना करनी चाहिए जिसने जीता हुआ राज्य भी लौटा दिया ?
ans. उदयन नरेश
82. कल्पसूत्र कौन सी भाषा में हे ?
ans. अर्धमागधी
83. कल्पसूत्र में कितने अधिकार हे – कौन से ?
ans. 3 – तीर्थंकर चरित्र, स्थविरावली, साधु सामाचारी
84. कल्पसूत्र में कुल कितने श्लोक हे ?
ans. 1215
85. कौन से राजा के समय कल्पसूत्र सर्व संघ के समक्ष पढ़ा गया ?
ans. ध्रुवसेन
86. कल्पसूत्र कौन से आगम का आठवा अध्ययन हे ?
ans. दशाश्रुतस्कंध
87. शुद्ध मन वचन काय से कल्पसूत्र कितनी बार सुनने से मोक्ष मिलता हे ?
ans. 21
88. वर्तमान में किनके द्वारा हिंदी भाषा में अनुवादित कल्पसूत्र का वांचन होता हे ?
ans. महोपाध्याय विनयविजयजी
89. कौन कौन से तीर्थंकर के आचार समान होते हे ?
ans. पहले और चोविसवे तीर्थंकर के और 2 से 23 वे तीर्थंकर के
90. कल्प का मतलब क्या ?
ans. आचार
91. कल्प कितने होते हे ?
ans. 10
92. प्रथम तीर्थंकर के साधु कैसे थे ?
ans. रुजू और जड़
93. अंतिम तीर्थंकर के साधु कैसे थे ?
ans. वक्र और जड़
94. 2 से 23 तीर्थंकर के साधू कैसे थे ?
ans. रुजू और प्राज्ञ
95. महाविदेह के साधु कैसे होते हे ?
ans. रुजू और प्राज्ञ
96. 10 कल्प के नाम ?
ans. अचेलक, उद्देशिक, शय्यातर, राजपिंड, कृतिकर्म, व्रत, जयेष्ठ, प्रतिक्रमण, मासकल्प, पर्युषण
97. 2 से 23 वे तीर्थंकर के साधु कैसे वस्त्र धारण करते हे और क्यों ?
ans. विविध रंगो के मूल्यवान वस्त्र क्युकी रुजू और प्राज्ञ होने से उन्हें वस्त्रो की मूर्च्छा – आसक्ति नहीं होती
98. साल में २ बार श्री संघ समक्ष शाश्वती आराधना में पढ़ा जाने वाला ग्रंथ ?
ans. श्रीपाल राजा का रास
99. कौन सा ग्रन्थ श्री सीमंधर स्वामी की देशना हे ?
ans. उपमितिभव प्रपंचा
प्रश्न १. पूजन के अष्ट द्रव्य कौन—कौन से हैं ? ‘
ans. (१) जल, (२) चंदन, (३) अक्षत, (४) पुष्प, (५) नैवेद्य, (६) दीपं, (७) धूप, (८) फल इन अष्ट द्रव्यों से भगवान की पूजा करना चाहिए।
प्रश्न २. पूजा कितने प्रकार की है ? ‘
ans. पूजा के चार भेद हैं—(१) नित्यमह, (२) चतुर्मुख (सर्वतोभद्र) (३) कल्पद्रुम, (४) आष्टान्हिक इसके अतिरिक्त एक इन्द्रध्वज महायज्ञ भी है जिसे इन्द्र किया करता है।
प्रश्न ३. निक्षेपों की अपेक्षा पूजा के कितने भेद हैं ? ‘
ans.नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की अपेक्षा पूजा के ६ भेद हैं।
प्र. ४ नााम पूजा किसे कहते हैं ?
ans. अर्हन्तादिक का नाम उच्चारण करके विशुद्ध प्रदेश में जो पुष्प क्षेपण किये जाते हैं वह नाम पूजा कहलाती है।
प्र.५ गंधोदक क्या है इसे शरीर में कहाँ लगाना चाहिए ?
ans. श्री जिनेन्द्र भगवान के दिव्य स्नान (अभिषेक) के बाद संग्रहित जल को गन्धोदक कहते हैं । इसे मस्तक, नेत्र और कंठ में लगाना चाहिए।
प्र.६ गन्धोदक का क्या महत्व है ?
ans. गन्धोदक हमारे पाप कर्मों का नाश करता है तथा इसके लगाने से हमारे भावों में निर्मलता आती है तथा शरीर के रोग दूर हो जाते हैं। जैसे श्रीपाल का कुष्ट रोग गन्धोदक से दूर हुआ था।
प्र.७ गंधोदक कब प्रभावकारी होता है ?
ans. जिस प्रकार पारस लोहे को सोना बना देता है परन्तु जंग लगे हुए लोहे को नहीं। उसी प्रकार अविश्वास /अनास्था रूपी जंग से जो ग्रसित होता है उस पर गंधोदक अपना चमत्कारिक प्रभाव नहीं दिखा पाता है। अत: विषय कषाय रूपी जंग हटाना जरूरी है।
प्र.८ अभिषेक पूजन आदि का वैज्ञानिक महत्व क्या है ?
ans.अभिषेक, पूजा या मन्त्रोचार से ऋणायन में वृद्धि होती है। ऋणायन का आवेश ऑक्सीजन को हीमोग्लोबिन से मिलाने में सहायक होता है।
प्र.९ प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्सटाइन के धर्म के बारे में क्या विचार हैं ?
ans. विज्ञान धर्म के बिना पंगु है और धर्म विज्ञान के बिना अंधा है। जैन धर्म के सिद्धान्त विज्ञान की कसौटी पर खरे उतरे हैं।
नई छहढला प्रवचन
प्रथम ढाल
चदुगति में हैं जीव अनंत पंच परावर्तन नहिं अन्त।
तीन लोक में अति घन भरे ज्यों डिबिया काजल को धरे।।१।।
अर्थ - तीन लोक है, जिसमें अनंत जीव अतिघने रुप में भरे हैं, जैसे कि डिबिया में काजल भरा होता है। यह जीव चार गति में पंच परावर्तन करते हुए भ्रमण करते रहते हैं। इस परिभ्रमण का अंत नहीं है।
चार गतियां कौन कौन सी है ?
ans.देवगति, मनुष्य गति,तिर्यंच गति और नरक गति।
गति किसे कहते हैं ?
ans. एक भव से दूसरे भव को जाने को गति कहते हैं *अथवा* जिसके द्वारा जीव नरक आदि चारों गतियों में गमन करता है वह गति नाम कर्म कहलाता है।
*🅿️ जीव किसे कहते हैं
ans. जिसके चेतना पाई जाती है वह जीव है *अथवा* जो 10 प्राणों में से अपनी पर्याय के अनुसार यथा योग्य प्राणों के द्वारा जीता है, जीता था और जिएगा उसे जीव कहते हैं ।
*🅿️ अनन्त किसे कहते हैं
ans. जिसका कभी अंत नहीं होता है उसे अनंत कहते हैं । *अथवा* जिस राशि में आय नहीं होकर केवल व्यय होता रहे फिर भी जो राशि समाप्त नहीं होती है वह अनंत है ।
*🅿️ जीव चारों गतियों में क्या करते हुआ भ्रमण करता रहता है
ans. पंच परावर्तन करते हुए।
*🅿️ पंच परावर्तन कौन कौन से हैं
ans. द्रव्य परावर्तन, क्षेत्र परावर्तन, काल परावर्तन, भव परावर्तन और भाव परावर्तन।
*🅿️ चारों गतियों में जो अनंत जीव है वह कहां पर और किस प्रकार भरे हुए हैं
ans. तीनों लोकों में में अति घने रुप में भरे हुए हैं, जैसे कि डिबिया में काजल भरा होता है।
*🅿️ आचार्य भगवन् ने गति का क्या अर्थ बताया है
ans. आचार्य कहते हैं कि - जहां पर हमारी मरने के बाद में गति होती है उसका नाम गति कहा जाता है। जो अभी गति चल रही है उसका नाम गति नहीं है। मरने के बाद हम कहां जाएंगे तब पता चलेगा कि हम कौनसी गति में गये है।
*🅿️ यह जीव चारों गतियों में भ्रमण कबसे कर रहा है
ans. अनंतकाल से।
*🅿️ पंचम गति का नाम बताइए
ans. सिद्ध गति
*🅿️ कौनसी गति में जाना तो होता हैं, लेकिन आना नहीं होता हैं
ans. सिद्ध गति से
*🅿️ सिद्ध गति को सिद्धांत ग्रंथों में कौनसी गति कहां गया है
ans. पंचम गति
*🅿️जो जी पंचम गति में जाने की सोचता है वह क्या कहता है
ans. हे भगवन् ! इस पंचम गति (सिद्ध गति) को मुझे प्राप्त करना है, इन चारों गतियों में भ्रमण करते - करते में थक गया हूं, जो जीव ऐसे सोचता है वहीं सिद्ध गति में जाने की सोचता है।
*🅿️ जब यह जीव मनुष्य बना तो क्या सोचता है ⁉️*
ans. मनुष्य बना तो ये समझता है कि मैं मनुष्य हूं और मनुष्य के अलावा न मैं पहले कभी था और न कभी आगे कुछ बनूंगा। जो कुछ हैं बस इतना ही है और इसके अलावा कुछ भी नहीं है।_
*🅿️ चारों गतियों में नरक गति भी है और देवगति भी है इसका विश्वास कौन कर सकता है ⁉️*
ans. जो व्यक्ति जिनवाणी को जानेगा,उसका स्वाध्याय करेगा वहीं व्यक्ति विश्वास कर पायेगा।_
*🅿️ यह संसार कैसा है ⁉️*
ans. यह संसार महावन एक भयंकर जंगल की तरह हैं (यह संसार महावन भीतर) ।_
*🅿️ इस संसार में कितनी योनियों के जीव भ्रमण करते हैं ⁉️*
ans.चौरासी लाख योनियों के जीव भ्रमण करते हैं और नित्य जन्म और मरण को प्राप्त करते हैं और दुःखों को प्राप्त करते हैं।_
*🅿️ चारों गतियों में भ्रमण करते हुए इस जीव को क्या कभी सुख और शांति प्राप्त हुई ⁉️*
ans. नहीं प्राप्त हुईं यह जीव सभी गतियों में दुःखी ही हुआ है।_
*🅿️ कबहूं जाय नरक थिति भुंजै,छेदन भेदन भारी, कबहूं पशु परजाय धरै तहं,बध बंधन भयकारी।। का अर्थ बताइए ⁉️*
ans.कभी नरक गति में यह जीव जाता है, तो वहां पर अनेक प्रकार के दुःख पाता है तो कभी पशु गति में जाता है तो वहां पर अनेक प्रकार के दुःख पाता है।_
कभी देवगति भी प्राप्त होती है तो यह जीव क्या दुःख प्राप्त करता है ⁉️*
ans. देवगति में भी राग के उदय से जब दूसरे देवों का वैभव देखने को मिलता है तो वहां पर भी दु:खी होता है और सोचता है कि हम देव तो बने लेकिन हमारे पास ऐसी फेसेलिटि नहीं है जैसी सामान्य देवों के पास है।_
*🅿️ संसार में अभी हमारी स्थिति कैसी है ⁉️*
ans."गाणी हूं बरदो"* _अर्थात् कोल्हु के बैल जैसी।_
*🅿️ तीन लोक का आकार किसके समान है ⁉️*
ans. पुरुषाकार_
*🅿️ इस तीन लोक के चारों ओर कितने हजार योजन मोटे तीन वातवलय है ⁉️*
ans. 20-20 हजार योजन मोटे तीन वातवलय है।_
*🅿️ यह लोक किस पर टिका हुआ है ⁉️*
ans.घनोदधि वातवलय,घनवात वलय, और तनुवातवलय पर जो हमेशा वायु और जल से भरें हुए,घुमते रहते हैं।_ _उनके माध्यम से यह लोक टिका हुआ है।_
*🅿️ इस लोक को किसने बनाया है ⁉️*
ans.किसी ने नहीं बनाया यह अनादिकाल से हैं और अनंत काल तक रहेगा और यह शाश्वत है।_
*🅿️ किसके माध्यम से यह अनंत जीव हमेशा संसार में भ्रमण करते रहते हैं ⁉️*
ans. पंच परावर्तन के माध्यम से_
प्रश्न 1 -जैनधर्म के ऊपर सातों भंग घटित करें ?
ans.१. जैनधर्म नित्य, शाश्वत है।
२. जैनधर्म परमत की अपेक्षा-नास्ति रूप है।
३. जैनधर्म क्रमानुसार स्वसत्ता से अस्ति है और परसत्ता से नास्ति भी है।
४. जैनधर्म युगपत् एक साथ अस्ति-नास्ति रूप नहीं कहा जा सकता है।
५. जैनधर्म अपने रूप है और युगपत् की अपेक्षा अवक्तव्य है।
६. जैनधर्म पररूप से नास्ति है और युगपत् की अपेक्षा अवक्तव्य है।
७. जैनधर्म स्व की अपेक्षा अस्ति, पर की अपेक्षा नास्ति और युगपत् की अपेक्षा अवक्तव्य है।
प्रश्न 2 -ईर्यापथ शुद्धि किसे कहते हैं ?
ans.चार हाथ आगे जमीन देखकर चलना ईर्यापथ शुद्धि है।
प्रश्न 3 -एक बार णमोकार मंत्र में कितने श्वासोच्छ्वास होना चाहिए ?
ans.तीन स्वासोच्छ्वास।
प्रश्न 4 -तीन अग्नि के क्या नाम हैं ?
ans.१. गार्हपत्य २.आह्वनीय ३. दक्षिणाग्नि।
प्रश्न 5 -रामचंद्र और बाहुबली कौन-कौन से केवली हैं ?
ans. सामान्य केवली।
प्रश्न 6 -श्रावकों को दिन में कितनी बार पूजन करने का विधान है ?
ans. तीन बार पूजन करने का विधान है।
प्रश्न 7 -सर्वतोभद्र पूजन कौन करते हैं ?
ans. ‘महामंडलीक राजा’ सर्वतोभद्र पूजन करते हैं।
प्रश्न 8 -चौदह जीवसमास कौन-कौन से हैं ?
ans. एकेन्द्रिय के दो भेद-बादर, सूक्ष्म। विकलेन्द्रिंय के तीन भेद-दो इन्द्रिंय, त्रीन्द्रिंय, चतुरिन्द्रिंय। पंचेन्द्रिंय के दो भेद-संज्ञी-असंज्ञी, इन सातों को पर्याप्त-अपर्याप्त से गुणा करने पर ७x२=·१४ जीवसमास होते हैं।
प्रश्न 9 -५७ जीवसमास कैसे होते हैं ?
ans. पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, नित्यनिगोद, इतर निगोद। इन छह के बादर और सूक्ष्म से १२ भेद हुए। प्रत्येक वनस्पति के २ भेद सप्रतिष्ठित, अप्रतिष्ठित। त्रस के ५ भेद-ये सब मिला देने पर १२+२+५=·१९ भेद हुए। इनमें पर्याप्त, लब्ध्यपर्याप्त, निर्वृत्यपर्याप्त इन ३ से गुणा करने पर ५७ जीवसमास हुए।
प्रश्न 10 -९८ जीवसमास कैसे होते हैं ?
ans. उक्त ५७ भेद में से पंचेन्द्रिंय संबंधी ६ निकालने से ५१ बचे। कर्मभूमि पंचेन्द्रिंय तिर्यंचों के गर्भज-सम्मूच्र्छन ये २ भेद हैं। गर्भज के जलचर, थलचर, नभचर ये ३ भेद हैं इनमें संज्ञी-असंज्ञी से २ भेद, तो ३x२=६ हुए पुन: इनके पर्याप्त, निर्वृत्यपर्याप्त दो भेद करने से ६x२=१२ भेद हुए। पंचेन्द्रिंय सम्मूच्र्छन के जलचर, थलचर, नभचर। इनके संज्ञी-असंज्ञी दो भेद, ३x२=६ हुए। इन ६ को पर्याप्त, निर्वृत्यपर्याप्त, लब्ध्यपर्याप्त इन ३ से गुणा करने पर ६x३·=१८ हुए। इस प्रकार कर्मभूमिज पंचेन्द्रिय तिर्यंचों के १२+१८·=३० भेद हुए । भोगभूमि तिर्यंच के स्थलचर, नभचर २ भेद, इनके पर्याप्त-निर्वृत्यपर्याप्त २ से गुणा करने पर ४ हुए। पुन: आर्यखंड में मनुष्यों के पर्याप्त, निर्वृत्यपर्याप्त, लब्ध्यपर्याप्त ये ३ भेद होते हैं। म्लेच्छ खंड में लब्ध्यपर्याप्त नहीं होते हैं। इसी प्रकार भोगभूमि, कुभोगभूमि के मनुष्यों में भी २ भेद होते हैं। देव और नारकियों के भी ये दो ही भेद होते हैं। इस तरह सब मिलकर ५१+३०+४+३+२+२+२+२+२=·९८ जीवसमास हुए।
प्रश्न 11 -प्राण कितने होते हैं ?
ans.प्राण दस होते हैं-५ इन्द्रिय, ३ बल, आयु, श्वासोच्छ्वास। प्रश्न ४२३ -पंचेन्द्रिय संज्ञी अपर्याप्तक के कितने प्राण हैं ?
उत्तर -८ प्राण हैं। प्रश्न ४२४ -अधर्म द्रव्य का क्या लक्षण है ?
ans.जो जीव और पुद्गल को ठहराने में समर्थ हो, उसे अधर्म द्रव्य कहते हैं।
प्रश्न 12 -कालद्रव्य के कितने भेद हैं ?
ans.२ भेद हैं-व्यवहार काल और निश्चयकाल।
प्रश्न 13 -ग्यारह प्रतिमा कौन धारण करते हैं ?
ans.क्षुल्लक, क्षुल्लिका और ऐलक।
प्रश्न 14 -आचार्य के ३६ मूलगुण के नाम क्या हैं ?
ans.१२ तप, १० धर्म, ५ आचार, ६ आवश्यक, ३ गुप्ति ये आचार्यों के ३६ मूलगुण हैं।
प्रश्न 15 -सम्यग्दर्शन का क्या स्वरूप है ?
ans.‘‘तत्त्वार्थश्रद्धानं सम्यग्दर्शनं’’ सात तत्त्व एवं नौ पदार्थों का श्रद्धान करना सम्यग्दर्शन है। सच्चे देव, सच्चे शास्त्र एवं सच्चे गुरु पर श्रद्धान करना भी सम्यग्दर्शन है।
प्रश्न 16 -सम्यग्दर्शन किसको होता है ?
ans.सम्यग्दर्शन भव्य, पर्याप्तक, पंचेन्द्रिय, संज्ञी जीव को ही होता है।
1- भूमि से भारी कौन है
ans. 1-पाप
2- सबसे बड़ा वाद कौन सा है
ans. अनेकांतवाद
3-किसमें ह्दय नही होता है
ans. पत्थर
4-विष से भी अधिक जहरीला है
ans. अपमान
5-अरिहंत क्या नही करते।
ans.आलस्य
6-बिना माचिश के आग लगाने बाला कौन है ।
ans.चुगलखोर
7- ऐसा कौन सा पक्षी है जो नीले रंग को देख सकता है
ans.उल्लू
8- क्रोध के त्याग से कौन सा गुण प्रकट होता है
ans.क्षमा
9- परिग्रह के त्याग से कौन सा गुण प्रकट होता है
ans.आकिंचन
10- एक गोरी स्त्री जो हर समय रोती रहती है
ans.मोमबत्ती
11- एक ऐसा नाम बताइए जो कोड है लेकिन नंबर नहीं
ans.कोडरमा
12- सबसे ज्यादा वासुपूज्य भगवान की प्रतिमा कहां है
ans.चम्पापुर
13- व्यक्ति का प्रति समय जो मरण चल रहा है वह कौन सा मरण है
ans.आवीचि
14-50 किलो मीटर की एरिया में कौन से तीन क्षेत्र में मूलनायक वासुपूज्य है
ans.मांगरगिरी,भागलपुर,चम्पापुप
15- एक कल्पकाल भारत व ऐरावत क्षेत्र में कितने तीर्थंकर होते हैं
ans.480
16- विदेह क्षेत्र में कितने तीर्थंकर एक कल्पकाल में होंगे
ans.असंख्यात
17- एक कौन सा स्थान है जहां मनुष्यों की संख्या ना घटती है ना बढ़ती है
ans.भोगभूमि
18-" इसे ना मारो " में कौन सी कषाय छिपी है
ans.मान
19- ऐसे पुत्र का नाम बताओ जिसने अपने पिता को बंदी बनाया था
ans.राजा श्रेणिक का पुत्र को कुणिक
20- णमोकार मंत्र में "ण"कितनी बार आया है
ans.10बार
21- ऐसा कौन सा अक्षर है जो तत्वार्थ सूत्र में नहीं है
ans.झ"
22- मान स्तंभ को देखने से क्या गलता है
ans.मान
2३- अजितनाथ भगवान के माता पिता का नाम क्या है
ans.विजया ,जितशत्रु
24- बालक तीर्थंकर का जन्माभिषेक से कौन से जल से होता है
ans.क्षीर सागर
25- सम्यक दृष्टि जी कौन से नरक तक जा सकते हैं
ans.तीसरे नाथ तक यह कोई भी नाक में नहीं
26- आम के वृक्ष में कितनी कषाय का आश्रव होता है
ans.२३
27- समवसरण में कितने कोठे होते हैं
ans.12
28- चश्मा पहना क्यों नहीं ,गीत गाया क्यों नहीं
ans.सो गया था
29- मुसाफिर प्यासा क्यों , गधा उदास क्यों
ans.लोटा न था
30- समवसरण का पर्यायवाची नाम बताइए
ans.मंदिर ,चैत्यालय
31- प्रत्येक अक्रत्रिम जिनबिम्ब की ऊँचाई कितनी है
ans.500धनुष
32- नंदीश्वर द्वीप में एक दिशा में कितने आकृत्रिम चैत्यालय हैं
ans.13
33- गणाचार्य विगाग सागर जी महाराज के सानिध्य में युग प्रतिक्रमण किस तिथि को हुआ
ans.वैशाख शुक्ला 14
34- ह्रीं में क्या छिपा है
ans.24 तीर्थंकर
35- ऊँ ह्रीं र्हं क्या है
ans.बीजाक्षर
36- 16 वे स्वर्ग से ऊपर के देव क्या कहलाते हैं
ans.कल्पातीत
37- चतुर्थ काल में कुल कितने तीर्थंकर है
ans.23
38- भारत में कुल कितने सिद्ध क्षेत्र है
ans.22
39- आचार्य विद्यासागर ने सबसे पहले कौन सी पुस्तक लिखी उस का विमोचन कहां हुआ
ans.श्रमणशतक (अजमेर)
40- गुरु क्या दे सकते हैं लेकिन क्या नहीं
ans.दीक्षा दे सकते हैं चरित्र नहीं
41- शिष्य का उत्थान किसके हाथों में है
ans.गुरू के
42- णमोकार मंत्र को कितने प्रकार से बोला जा सकता है
ans.18,432
43- शरीर कितने प्रकार के होते हैं
ans.5 प्रकार के
44- स्पर्श कितने प्रकार के होते हैं
ans.8 प्रकार का
45- शब्द कितने प्रकार के होते ह
ans.7 प्रकार का
(1)अनादिकाल पूजन के रचियता का नाम
ans.श्री सच्चिदानंदजी
(2) नव देवता पूजन के रचितया का नाम
ans.*पूज्य आर्यिका ज्ञानमती माताजी*
(3)केवल रवि किरणों बाली पुजन के रचितया का नाम
ans.पंडित जुगल किशोरजी "युगल"*
(4) प्रथम देव बाली देव शास्त्र गुरु पूजन के रचितया का नाम
ans.पं. द्यानतरायजी*
(5) चोवीसी पूजन के रचितया का नाम
ans.श्री वृंदावनदासजी*
(6) पंचमेरु पूजन के रचितया का नाम
ans.पं. द्यानतरायजी*
(7)रवि व्रत पूजन के रचितया
ans.मतिसागर सेठ (हो सकते है )किसी को सही उत्तर मील तो हमे अवगत कराएं
(8) सरस्वती पूजन के रचयिता
ans.*पं. द्यानतरायजी*
(9) सोलहकारण पूजन के रचितया
ans.*पं.द्यानतरायजी*
*कामदेव चौबीस होते हैं,कामदेवों के नाम*💦
ans. 1. श्री बाहुबली 2. अमित तेज 3. श्री धर 4 यशोभ्रद्र 5. प्रसेनजित 6 चन्द्रवर्ण 7. अग्निमुक्त 8 सनत्कुमार 9 वत्सराज 10 कनकप्रभ 11 सिद्धवर्ण 12 शांतिनाथ 13 कुंथुनाथ 14 अरहनाथ 15 विजयराज 16 श्रीचन्द 17 राजानल 18 हनुमान 19 बलगंज 20 वसुदेव 21 प्रद्युम्न 22 नागकुमार 23 श्रीपाल 24 जम्बूस्वामी।
तेरहद्वीप प्रश्नावली
प्रश्न १ – तेरहव्दीप तीनों लोकों में से किस लोक में निर्मित है?
ans.मध्यलोक में।
प्रश्न २ – तेरहद्वीपों में किस-किस द्वीप में अकृत्रिम जिनमंदिर हैं?
ans. जम्बूद्वीप, धातकीखण्डद्वीप, पुष्करार्धद्वीप, नंदीश्वरद्वीप, कुण्डलवरद्वीप और रुचकवरद्वीप।
प्रश्न ३ – पूरे तेरहद्वीप में कितने अकृत्रिम जिनमंदिर हैं?
ans.४५८ अकृत्रिम जिनमंदिर हैं।
प्रश्न ४ – तेरहद्वीप रचना में पंचमेरु पर्वत कहाँ-कहाँ हैं?
ans. जम्बूद्वीप, पूर्वधातकीखण्डद्वीप, पश्चिम धातकीखण्डद्वीप, पूर्व पुष्करार्धद्वीप और पश्चिम पुष्करार्धद्वीप।
प्रश्न ५ – पांचों मेरु पर्वत के नाम बताओ?
ans. १. सुदर्शनमेरु २. विजयमेरु ३. अचलमेरु ४. मंदरमेरु और ५. विध्युन्माली मेरु।
प्रश्न ६ – जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में निर्मित १०१ फूट ऊँचे पर्वत का क्या नाम है?
ans. सुमेरुपर्वत।
प्रश्न ७ – हस्तिनापुर की तेरहद्वीप रचना में तीर्थंकर भगवन्तों के कितने समवसरण बनाये गये हैं?
ans. १७० समवसरण।
प्रश्न ८ – तेरहद्वीप में कहाँ-कहाँ कितनी भोगभूमियाँ हैं?
ans. ३० भोगभूमि हैं-एक मेरु संबंधी-हिमवत्, हरि, रम्यक्, हैरण्यवत्, देवकुरु, उत्तर-कुरु, ऐसी ६, इस प्रकार पाँच मेरु संबंधी ६x५=·३० भोगभूमि हैं।
प्रश्न ९ – तेरहद्वीप रचना में विदेहक्षेत्र कहाँ-कहाँ और कितने हैं?
ans. १६० विदेहक्षेत्र हैं-जम्बूद्वीप में ३२, पूर्वधातकीखण्ड मे ३२, पश्मिच धातकीखण्ड में ३२, पूर्व पुष्करार्धद्वीप में ३२,पश्चिम पुष्करार्धद्वीप में ३२, इस प्रकार ३२²५·१६० विदेहक्षेत्र हैं।
प्रश्न १० – तेरहद्वीप रचना पूज्य ज्ञानमती माताजी के ध्यान में किस सन् में प्रगट हुई थी?
ans. सन् १९६५ में।
प्रश्न ११ – तेरहद्वीपों में मनुष्यों का आवागमन किस द्वीप तक रहता है?
ans. ढाईद्वीप तक।
प्रश्न १२ – तेरहद्वीप मे पाँचवें द्वीप और समुद्र का नाम क्या है?
ans. क्षीरवर द्वीप और क्षीरवर समुद्र।
प्रश्न १३ – तेरहवें रुचकवर द्वीप में कितने जिनमंदिर हैं?
ans. ४ अकृत्रिम जिनमंदिर हैं।
1- प्रश्न- श्रीदेवी के भवन की लंबाई चौड़ाई एवं ऊँचाई बतलाओ?
ans. श्री देवी का भवन १ कोश लंबा, आधा कोश चौड़ा और पौन कोस ऊँचा है। इसमें श्रीदेवी निवास करती है। इसकी आयु एक पल्यप्रमाण है।
2-प्रश्न – श्रीदेवी के परिवार कमलों की संख्या बतलाओ?
ans. श्रीदेवी के परिवार कमल (१,४०,११५) १ लाख ४० हजार एक से पन्द्रह इन कमलों का विस्तार आदि मुख्यकमल से आधा है इनमें रहने परिवार देवो भवनो का प्रमाण भी श्री देवी के प्रमाण से आधा है।
3-प्रश्न - महापभ सरोवर किस पर्वत पर है, तथा चौड़ाई लम्बाई गहराई बतलाइये?
ans. यह सरोवर महाहिमवान पर्वत पर है यह १००० हजार योजन चौड़ा, २००० योजन लम्बा, और २० योजन गहरा है।
4-प्रश्न - कमलपत्र का विस्तार कितना है?
ans. महापभसरोवर के मध्य जो कमल है वह दो योजन विस्तृत है
5-प्रश्न- कमल की कर्णिका पर कौनसी देवी निवास करती है?
ans. कमल की कर्णिका दो कोस की है और इसमें ह्री देवी का भवन है। वह दो कोश लम्बा, डेढ़ कोश ऊँचा, और १ कोश चौड़ा है।
6-प्रश्न - ह्री देवी के परिवार कमल संख्यादि बतलाओ?
ans. ह्री देवी के परिवार कमल २,८०,२३० है। इन परिवार कमलों का एवं इनके भवनो का प्रमाण मुख्य कमल से आधा आधा है। इसके मुख्य कमल ह्री देवी का निवास है इस की आयु भी एक पल्यप्रमाण है।
7-प्रश्न – सिगिंध सरोवर कहा है उसकी लम्बाई आदि का प्रमाण बतलाओ?
ans. तिगिंध सरोवर निषधपर्वत के मध्य में है। यह २००० योजन चौड़ा, ४००० योजन लम्बा, ४० योजन गहरा है। इस सरोवर में मुख्य कमल है वह ४ योजन विस्तृत है। इसकी कर्णिका ४ कोश की है उसमें घृति देवी का भवन चारकोश लम्बा, २ कोश चौड़ा और ३ कोश ऊँचा है।
8-प्रश्न – श्रीदेवी के परिवार कमल की संख्या आदि प्रमाण बतलाओ?
ans. श्रीदेवी के परिवार कमल ५,६०,४६० है। इन कमलों का प्रमाण तथा इनके भवनो का विस्तार आदि मुख्य कमल से आधा आधा है। इसके मुख्य कमल में धृति देवी रहती है। इनकी आयु भी एक पल्य की है।
9-प्रश्न - पभसरोवर का क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर- पभसरोवर ५०० योजन चौड़ा १००० योजन गहरा ५ लाख योजन क्षेत्रफल है
10-प्रश्न – केशरी सरोवर पर कौनसी देवी निवास करती है?
ans. इस सरोवर का सारा वर्णन सिगिंछ सरोवर के समान हैं अन्तर इतना ही है यहाँ बुद्धि नाम की देवी निवास करती है।
11-प्रश्न – पुंडरीक सरोवर का वर्णन किसके समान है वहाँ निवास करने वाली देवी एवं परिवार कमल की संख्या बतलाओ?
ans. इस सरोवर का सारा वर्णन महापभ के समान है। अन्तर इतना ही है कि इसके कमल पर कीर्ति देवी निवास करती है
13-प्रश्न – महापुंडरीक सरोवर का वर्णन किसके समान है वहाँ निवास करने वाली देवी का नाम बतलाओ?
ans. इस सरोवर का सारा वर्णन पभसरोवर के समान है अन्तर इतना ही है कि यहाँ लक्ष्मी नाम की देवी निवास करती है।
विशेष- सरोवर के चारों और वेदिका से वेष्टित वनखण्ड है वे आधा योजन चौड़े है ।सरोवर के कमल पृथ्वीकायिक है वनस्पतिकायिक नहीं है इनमें बहुत ही उत्तम सुगंधि आती है।
जिनमन्दिर इन सरोवर में जिसने कमल कहे गये है वे महाकमल है इनके अतिरिक्त क्षुद्रकमलों की संख्या बहुत है इन सब कमलों के भवनों में एक एक जिनमन्दिर है। इसलिये जितने कमल है उतने ही जिनमन्दिर है। उन सब जिनमन्दिरों को मरा नमस्कार है
14-प्रश्न – भरतवर्ष का भरतक्षेत्र क्यो है?
ans. भरतक्षत्रिय के योग से इसे भरत क्षेत्र कहते है। अयोध्या नगरी में सर्व राजलक्षणो से सम्पन्न भरान नाम चक्रवर्ती हुआ है। इस अवसर्पिणी के राज्य विभाग काल में उसने ही इस क्षेत्र का उपभोग किया । इसलिये उसके अनुशासन के कारण इस क्षेत्र का नाम भरतक्षेत्र पड़ा है
15-प्रश्न – विजयार्ध पर्वत कहाँ है? उसकी लम्बाई आदि का प्रमाण बतलाओ?
ans. इस भरतक्षेत्र के बिल्कुल मध्यभाग में रजतमय नानाप्रकार के उत्तम रत्नों से रमणीय, विजयार्ध नाम का उन्नत पर्वत स्थित है। इस पर्वत की ऊँचाई २५ योजन, मूलविस्तार ५० योजन एवं नीवं ६- १४ योजन है
16-प्रश्न – विजयार्धपर्वत के दक्षिण तरफ क्या है?
ans. इस पर्वत के दक्षिण उत्तर दोनो तरफ पृथ्वीतल से १० योजन, ऊपर जाकर १० योजन विस्तीर्ण उत्तमश्रेणी है उनमें से दक्षिण श्रेणी में ५० और उत्तम श्रेणी में ६० ऐसे विद्याधरों की ११० नगरियाँ है। उसके ऊपर दोनो तरफ १० योजन जाकर १० योजन विस्तीर्ण श्रेणियाँ है इनमें आभियोग्य जाति के देवो के नगर है। इन आभियोग्य पुरो से पाँच योजन ऊपर जाकर १० योजन विसपीर्ण विजयार्ध पर्वत का उत्तम शिखर है।
❓17-प्रश्न – विजयार्ध पर्वत की समभूमि भाग में क्या है?
ans. समभूमि भाग में सुवर्ण मण्यिों से निर्मित दिव्य नौ कूट है। उन कूटो में पूर्व की और सिद्धकूट, भरतकूट, खंडप्रपात , विजयार्ध, कुमार, पूर्णभद्र, भरतकूट और वैश्रवण और तिमिश्रगुहकूट ऐसे नौ कूट है। ६ योजन योजन ऊँचे, मूल में इतने ही चौड़े और ऊपर भाग में कुछ अधिक तीन योजन चौड़े है ।
❓18-प्रश्न – विजयार्ध पर्वत ९ के कूट में जिनभवन कहाँ है?
ans. सिद्धकूट में जिनभवन एवं शेषकूटो के भवनो में देव देवियो के निवास है।
❓19-प्रश्न – विजयार्ध पर्वत पर कितनी गुफाये है?
ans. इस पर्वत पर दो महागुफायें है इस विजयार्धपर्वत में ८ योजन मोटी, ५० योजन लम्बी और १२ योजन विस्तृत दो गुफायें है। इन गुफाओं के दिव्य युगल कपाट ८०० योजन ऊँचे, ६०० योजन विस्तीर्ण है।
❓20-प्रश्न – विजयार्ध नाम की सार्थकता बतलाइये?
ans. गंगा सिन्धु नदियाँ इन गुफाओं से निकलकर बाहर आकर लवणसमुद्र में प्रवेश करती है। इन गुफाओं के दरवाजे को चक्रवर्ती अपने दंड रत्न से खोलते है। और गुफा के भीतर काकीणी रत्न ये प्रकाश करके सेना सहित उत्तर म्लेच्छो में जाते है चक्रवर्ती की विजयक्षेत्र की अद्र्धसीमा इस पर्वत से मिर्धारित होती है। अत: इसका नाम विजयार्ध सार्थक है। गुण से यह रतसाचल है अर्थात् चाँदी से निमित्त शुभ्रवर्ण है। ऐसी ही ऐरावत क्षेत्र में विजयार्धपर्वत है।
प्रश्न ८४—उत्तम क्षमा धर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर—मूर्ख जनों के द्वारा बन्धन, हास्य आदि के होने पर तथा कठोर वचनों के बोलने पर जो अपने निर्मल धीर—वीर चित्त से विकृत नहीं होता उसी का नाम उत्तम क्षमा है।
प्रश्न ८५—उत्तम क्षमाधारी क्या विचार करते हैं ?
उत्तर—राग—द्वेषादि से रहित होकर उज्ज्वल चित्त से हम रहेंगे, कोई हमें कितना भला या बुरा कहे, समस्त जगत सुख से रहे किन्तु किसी भी संसारी को मुझसे दुख न पहुँचे, जो हमारे साथ द्वेषरूप तथा प्रीतिरूप परिणाम करेगा उसका फल उसको अपने आप मिल जावेगा।
प्रश्न ८६—मार्दव धर्म क्या सिखाता है ?
उत्तर—जाति, बल, ज्ञान, कुल आदि गर्वों के त्याग को मार्दव धर्म कहते हैं, यह धर्मों का अंगभूत है।
प्रश्न ८७—आर्जव धर्म का लक्षण बताइये ?
उत्तर—मन में जो बात होवे उसी को वचन से प्रकट करना आर्जव धर्म कहलाता है। आर्जव धर्म से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
प्रश्न ८८—मायाचारी करने से क्या फल मिलता है ?
उत्तर—यदि एक बार भी किसी के साथ मायाचारी की जावे तो वह कठिनता से संचित किए हुए पुण्य को फीका बना देती है और मायाचार से उत्पन्न हुए पाप से जीव नाना प्रकार के दुर्गति मार्गों में भ्रमण करता रहता है।
प्रश्न ८९—सत्य धर्म का लक्षण क्या है ?
”उत्तर—जो वचन हित, मित, प्रिय हो, सर्वथा सत्य होते हुए भी जीवों को पीड़ा न पहुँचाए अथवा कटु न हो वह सत्य धर्म है।
प्रश्न ९०—सत्य व्रत के पालन से क्या फल मिलता है ?
उत्तर—सत्य व्रत का पालन करने वाले मनुष्य के सभी व्रतों का पालन हो जाता है और सरस्वती भी उसके आधीन हो जाती है। वे परभव में श्रेष्ठ चक्रवर्ती राजा बनते हैं, इन्द्रादि फल को प्राप्त कर लेते हैं। चन्द्रमा के समान उत्तम कीर्ति को प्राप्त कर लेते हैं और एक दिन उत्कृष्ट मोक्षरूपी फल को भी प्राप्त कर लेते हैं।
प्रश्न ९१—शौचधर्म का लक्षण बताओ ?
उत्तर—जो परस्त्री तथा पराए धन में इच्छा रहित है तथा किसी जीव को मारने की जिसकी भावना नहीं है, जो अत्यन्त दुर्भेद्य लोभ, क्रोधादि मल का हरण करने वाला है ऐसा चित्त ही शौचधर्म है।
प्रश्न ९२—उत्तम संयम धर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर—जिसका चित्त दया से भीगा हुआ है, जो ईर्या, भाषा, एषणा आदि पांच समितियों का पालन करने वाला है ऐसे साधु के जो षट्काय के जीवों की हिंसा का तथा इन्द्रियों के विषयों का त्याग है वह संयम धर्म है।
प्रश्न ९३—तप धर्म का लक्षण बताओ ?
उत्तर—सम्यग्ज्ञान रूपी दृष्टि से भले प्रकार वस्तु के स्वरूप को जानकर ज्ञानावरण आदि कर्ममल के नाश की बुद्धि से जो तप किया जाता है वही तप कहलाता है।
प्रश्न ९४—उस तप के कितने भेद हैं ?
उत्तर—उस तप के बाह्य और अभ्यंतर ऐसे दो भेद हैं।
प्रश्न ९५—बाह्य तप कितने प्रकार का है ?
उत्तर—बाह्य तप छ: प्रकार का है—१. अनशन, २. अवमौदर्य, ३. वृत्तिपरिसंख्यान, ४. रसपरित्याग, ५. विविक्तशय्यासन, ६. कायक्लेश।
प्रश्न ९६—अन्तरंग तप के भेद बताओ ?
उत्तर—अन्तरंग तप भी छ: प्रकार का है—१. प्रायश्चित्त, २. विनय, ३. वैयावृत्य, ४. स्वाध्याय, ५. व्युत्सर्ग और ६. ध्यान।
प्रश्न ९७—त्याग धर्म का लक्षण बताइये ?
उत्तर—शास्त्रों का भलीभाँति व्याख्यान करना, मुनियों को पुस्तके तथा स्थान और संयम के साधन पिच्छी— कमण्डलु आदि का देना सदाचारियों का उत्कृष्ट त्याग धर्म है।
प्रश्न ९९—आकिञ्चन्य धर्म का स्वरूप बताओ ?
उत्तर—जिनका मोह सर्वथा गल गया है, जो अपनी आत्मा के हित में निरन्तर लगे रहते हैं, सुन्दर चारित्र के धारण करने वाले हैं, घर, स्त्री, पुत्रादि को छोड़कर मोक्ष के लिए तप करते हैं अर्थात् जिन्होंने अपनी आत्मा से समस्त वस्तुओं को भिन्न जानकर सबका त्याग कर दिया है वह आकिञ्चन्य धर्म के धारी हैं।
प्रश्न १००—ब्रह्मचर्य धर्म का पालन किस प्रकार सम्भव है ?
उत्तर—मोक्ष के अभिलाषी स्त्री अथवा पुरुष को अन्य स्त्री पुरुष को माता, बहन, पुत्री, भाई, पिता, पुत्र आदि के समान समझना चाहिए तभी उत्कृष्ट ब्रह्मचर्य धर्म का पालन सम्भव है।
प्रश्न १. जिनालय (मंदिर) किसे कहते हैं ?
उत्तर—जिस स्थान पर जिनेन्द्र भगवान की स्थापना की जाती है, उसे जिनालय कहते हैं।
प्रश्न २. जिनालयों की स्थापना क्यों की जाती है ?
उत्तर—जिनबिम्ब दर्शन को सम्यदर्शन की प्राप्ति में बहिरंग साधन माना है। अत: जिनबिम्ब के दर्शन करने से हमारे परिणाम शुभ बनते हैं, श्रद्धान निर्मल होता है, इसलिए जिनबिम्ब दर्शन हेतु जिनालयों की स्थापना की जाती है। भगवान की प्रतिमा से हमें वीतराग बनने की शिक्षा मिलती है।
प्रश्न ३. जिनालय किसका प्रतीक है ?
उत्तर—जिनालय समवसरण का प्रतीक है। जिस प्रकार समवसरण में सभी जीव आपसी वैरभाव भूलकर परस्पर मैत्रीभाव धारण कर भगवान के दर्शन कर उपदेश श्रवण कर अपना आत्मकल्याण करते हैं, उसी प्रकार जिनालय में भी हम सभी प्रकार के विकारीभावों का त्याग कर प्रभु के दर्शन करते हैं। जिनप्रतिमा से हमें भगवान बनने का परम उपदेश मिलता है।
प्रश्न ४. तीर्थंकर भगवान की प्रतिमा के ऊपर कितने छत्र लगाते हैं और क्यों ?
उत्तर—भगवान तीनों लोक के नाथ हैं। अत: तीन छत्र लगाते हैं। नीचे सबसे बड़ा उससे ऊपर क्रमश: छोटे—छोटे छत्र लगाते हैं।
प्रश्न ५. तीर्थंकर प्रतिमा के दोनों तरफ चँवर क्यों लगाते हैं ?
उत्तर—समवसरण में भगवान के समक्ष ६४ चँवर ढुराये जाते हैं जो कि ६४ प्रकार की ऋद्धियों के प्रतीक हैं। इसीलिए प्रतीक स्वरूप भगवान की प्रतिमा के समक्ष चँवर रखे जाते हैं।
प्रश्न ६. मंदिर में शिखर क्यों बनाते हैं ?
उत्तर—मकान और मंदिर में विशेषता अंतर दिखाने के लिए शिखर का निर्माण किया जाता है। शिखर का आकार पिरामिड के समान होता है, जिससे ध्वनि तरंगें एकत्रित होती हैं। शिखर के नीचे बैठकर जाप, पाठ करने से मन में शांति मिलती है। जितनी दूर से शिखर दिखने लगता है उतनी ही दूर से हमारे भाव शुभ बनने लगते हैं।
प्रश्न ७. मंदिर जी में प्रवेश करते समय निस्सहि—निस्सहि क्यों बोलते हैं ?
उत्तर—निस्सहि—नस्सहि बोलने का निम्न कारण है कि भगवान के समक्ष कोई अदृश्य देवगण अथवा श्रावक दर्शन कर रहे हों तो वे मुझे दर्शन के लिए स्थान दें।
प्रश्न ८. मंदिर जी में घंटा क्यों बजाते हैं ?
उत्तर—मंदिर समवसरण का प्रतीक है, समवसरण में देवगण दुन्दुभि बजाते हैं, अत: दुन्दुभि का प्रतीक होने से घंटा बजाया जाता है। दूसरा कारण यह भी है कि घंटा बजाने से जो ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं वे वहाँ के वातावरण को निर्मल बनाती हुई हमारे मन में शांति प्रदान करती हैं।
प्रश्न ९. मंदिर जी में अक्षत (चावल) क्यों चढ़ाते हैं ?
उत्तर—चावलों के ऊपर का छिलका अलग हो जाने से अंकुरण शक्ति समाप्त हो जाती हैं। उसी प्रकार हे भगवन! हमारा जन्म मरण भी समाप्त हो जावे एवं हम भी चावलों जैसे उज्जवल, अखण्ड बन जावें इस भावना से चावल चढ़ाते हैं।
प्रश्न १०. प्रदक्षिणा किसकी दी जाती है और क्यों ?
उत्तर—वीतराग देव, जिनालय, तीर्थक्षेत्र, सिद्धक्षेत्र एवं निग्र्ँथ गुरुकी तीन—तीन प्रदक्षिणा दी जाती हैं। समवसरण में भगवान का मुख चारों दिशाओं में होता है, अत: सब आरे से भगवान के दर्शन हो जावें इसलिए प्रदक्षिणा (परिक्रमा) देते हैं। जन्म, जरा, मृत्यु से छुटकारा मिले अथवा रत्नत्रय की प्राप्ति हो इसलिए तीन प्रदक्षिणा देते हैं।
प्रश्न ११. जिनालय में दर्शन करते समय कैसी भावनायें रखना चाहिए ?
उत्तर—भगवान के दर्शन करते समय ऐसा विचार करना चाहिए कि मेरे समस्त पापों का क्षय हो जावे, दु:खों का नाश हो जावे, कर्मों का क्षय हो जावे, रत्नत्रय की प्राप्ति हो, सल्लेखना पूर्वक मरण हो इत्यादि भावनायें भाना चाहिए।
प्रश्न १२. जिनालय में दर्शन करते समय किन—कन भावनाओं का त्याग करना चाहिए ?
उत्तर—भगवान के दर्शन करते समय निम्न भावों का त्याग करना चाहिए—मुझे सांसारिक वैभव, धन सम्पत्ति, स्त्री पुत्र आदि की प्राप्ति हो। किसी के जीत हार, धन हानि आदि का विचार नहीं करना चाहिए।
प्रश्न १३. भगवान के दर्शन से क्या लाभ हैं ?
उत्तर—भगवान के दर्शन करने से निम्न लाभ हैं— १. सम्यक्त्व की प्राप्ति होती है, यदि है तो वह दृढ़ होता है। २. मन के अशुभभाव नष्ट हो जाते हैं। ३. असंख्यातगुणी कर्मों की निर्जरा होती है। ४. अनेक उपवासों का फल मिलता है। ५. पुण्यास्रव होता है। ६. वीतरागता प्राप्त करने की भावना दृढ़ होती है। ७. प्रात: दर्शन करने से पूरे दिन के लिए ऊर्जा मिलती है।
प्रश्न १४. गंधोदक क्या है, गंधोदक किस प्रकार लेना चाहिए ?
उत्तर—जिनेन्द्र भगवान के शरीर से स्पर्शित जल गंधोदक कहलाता है। मंत्रों एवं प्रतिबिम्ब के सम्पर्क़ से पवित्रता एवं पूज्यता को प्राप्त हो जाता है। अपने दाहिने हाथ की मध्यमा और अनामिका अंगुलियों से गंधोदक लगाकर उत्तमांग (माथे) पर निम्न श्लोक पढ़ते हुए लगावें। निर्मलं निर्मलीकरणं, पवित्रं पाप नाशनम्। जिन गंधोदकं वंदे, अष्टकर्म विनाशकं।।
प्रश्न १५. मंदिर जी में कौन कौन से कार्य नहीं करना चाहिए ?
उत्तर—मंदिर जी में निम्न कार्य नहीं करना चाहिए— १. देव, शास्त्र, गुरु से ऊँचे आसन पर नहीं बैठना चाहिए। २. कोई श्रावक दर्शन, पूजन कर रहा हो तो उसके सामने से नहीं निकलना चाहिए। ३. नाक, कान और आँख का मैल नहीं निकालना चाहिए। ४. हिंसाजन्य अशुद्ध पदार्थ जैसे चमड़े के जूते चप्पल, पर्स बगैरह एवं लिपिस्टिक, नेलपॉलिश, क्रीम आदि लगाकर काले वस्त्र, लाल वस्त्र, अपवित्र वस्त्र आदि पहनकर मंदिर में नहीं जाना चाहिए। ५. लड़ाई—झगड़े गाली आदि मंदिर में नहीं देना चाहिए। ६. सगाई—विवाह, खान—पान, व्यापार, राजनीति की चर्चा भी मंदिर में नहीं करना चाहिए। ७. पूजन, भजन, स्तुति आदि इतनी जोर से नहीं पढ़ना चाहिए कि दूसरों को बाधा आवे। जिनदर्शन विधि
प्रश्न १६. देवदर्शन की विधि क्या है ?
उत्तर—प्रात:काल स्नानादि कार्यों से निर्वृत्त होकर शुद्ध धुले हुए वस्त्र पहनकर तथा हाथ में स्वच्छ द्रव्य लेकर मन में प्रभु दर्शन की तीव्र भावना से युक्त होकर शुभभावनाओं के साथ घर से मंदिर की ओर जाना चाहिए। रास्ते में अन्य कोई कार्य करने का विकल्प न करें। दूर से ही मंदिर जी का शिखर दिखते ही जिनालय को सिर झुकाकर नमस्कार करें। जिनालय के द्वार पर पहुँचकर छने जल से पैर धोना चाहिए। मंदिर के प्रवेशद्वार पर पहुँचते ही ॐ जय, जय, जय, निस्सहि निस्सहि, निस्सहि, नमोऽस्तु, नमोऽस्तु बोलते हुए घंटे को बजाना चाहिए। भगवान की वेदिका के सामने पहुँचकर हाथ जोड़कर सिर झुकावें।
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं।
णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं।।
चत्तारि मंगलं, अरिहंता मंगलं, सिद्धा मंगलं, साहू मंगलं, केवलि पण्णत्तो धम्मो मंलगं। चत्तारि लोगुत्तमा, अरिहंता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा, साहू लोगुत्तमा, केवलि पण्णत्तो, धम्मो लोगुत्तमा। चत्तारि सरणं पव्वज्जामि, अरिहंते सरणं पव्वज्जामि, सिद्धे सरणं पव्वज्जामि, केवलि पण्णत्तं धम्मं सरणं पव्वज्जामि। णमोकार मंत्र, चत्तारिदण्डक पढ़कर अक्षत आदि पुञ्ज चढ़ाकर एकटक (अपलक दृष्टि) से भगवान को निहारते हुए गवासन से बैठकर जुड़े हुए हाथों को तथा मस्तक को जमीन से झुकाते हुए तीन बार नमस्कार करके खड़े हो जावें। पश्चात् दर्शनपाठ अथवा अन्य कोई स्तुति पढ़ते हुए वेदी की तीन परिक्रमा करें। कायोत्सर्ग करें, अन्य वेदियों के दर्शन करें। गंधोदक विधिपूर्वक लें। जिनवाणी के समक्ष भी पुञ्ज चढ़ाकर नमस्कार करें। कुछ समय निकालकर स्वाध्याय करें। अंत में दरवाजे से बाहर अस्सहि, अस्सहि, अस्सहि बोलकर निकल जाना चाहिए।
भक्तामर स्तोत्र काव्य प्रश्नोत्तर
भक्तामर स्तोत्र प्रश्नोत्तर काव्य – 1 से 12
काव्य-1
प्रश्न १. भक्त किसे कहते हैं ?
उत्तर—पंचपरमेष्ठी के गुणों में अनुराग करने वाला भक्त कहलाता है।
प्रश्न २. ‘प्रणत मौलि’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर—झुके हुये / नम्रीभूत मुकुट।
प्रश्न ३. ‘पाप तम: वितानम्’ को स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर—पाप रूपी अंधकार का विस्तार।
प्रश्न ४. ‘जिन पाद युगं’ को बताइये ?
उत्तर—जिनेन्द्र भगवान के द्वय चरण।
प्रश्न ५. ‘जिन’ का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर—अरिहंत भगवान को ‘जिन’ भी कहते हैं।
प्रश्न ६. अरिहंत भगवान कैसे हैं ?
उत्तर—चार घतिया कर्मों को नष्ट करने वाले एवं देवों के द्वारा पूज्य हैं वे अरिहंत हैं।
प्रश्न ७. परमेष्ठी किसे कहते हैं ?
उत्तर—जो परम/श्रेष्ठ पद में स्थित हैं उन्हें परमेष्ठी कहते हैं।
प्रश्न ८. परमेष्ठी कितने हैं ?
उत्तर—५ हैं।
प्रश्न ९. कौन—कौन से है ? कृपया नाम बताइये।
उत्तर—१ अरिहंत, २. सिद्ध, ३. आचार्य, ४. उपाध्याय, ५. सर्वसाधु।
प्रश्न १०. सिद्ध परमेष्ठी किसे कहते हैं ?
उत्तर—जिन्होंने आठों कर्मों को नष्ट कर अशरीरदशा को प्राप्त कर लिया है। वे सिद्धभगवान/ परमेष्ठी हैं।
प्रश्न ११. प्रथम काव्य में कौन से भगवान की स्तुति की गई है ?
उत्तर—आदिनाथ भगवान की।
प्रश्न १२. स्तुति किसके द्वारा की गई हैं ?
उत्तर—देवों द्वारा।
प्रश्न १३. देवों को क्या कहा है ?
उत्तर—अमर।
प्रश्न १४. भगवान आदीश्वर के चरणों को किसकी उपमा दी है ?
उत्तर—कमलों की।
प्रश्न १५. चरण कमल कैसे हैं ?
उत्तर—पापनाशक व संसार समुद्र में डूबते प्राणियों के लिये आलम्बन स्वरूप है।
प्रश्न १६. आचार्य मानतुंग स्वामी ने भक्तामर की रचना कब की ?
उत्तर—लगभग १३०० वर्ष पूर्व सातवीं शताब्दी में।
प्रश्न १७. प्रथम काव्य में भक्त किसको कहा है ?
उत्तर—देवों को।
प्रश्न १८. ‘सम्यक्’ शब्द का आशय बताइये ?
उत्तर—समीचीन/भलीप्रकार/मन—वचन—काय से।
काव्य-2
प्रश्न १. द्वितीय काव्य का प्रारम्भ कैसे किया है?
उत्तर—मानतुंग स्वामी ने काव्य का प्रारम्भ संकल्पपूर्वक किया।
प्रश्न २. स्तुति किसके द्वारा की गई ?
उत्तर—देवलोक के इन्द्र द्वारा।
प्रश्न ३. कैसे स्तोत्र के द्वारा स्तुति की गई ?
उत्तर—तीनों लोकों के जीव के चित्तहरण करने वाले उत्कृष्ट/प्रशंसनीय/श्रेष्ठ स्तोत्र के द्वारा प्रभु की स्तुति की गई।
प्रश्न ४. ‘सकल वांग्मय’ का अर्थ बताइये ?
उत्तर—सम्पूर्ण/समस्त/पूर्ण द्वादशांग।
प्रश्न ५. द्वादशांग किसे कहते हैं ?
उत्तर—अरिहंत देव द्वारा अर्थ रूप से प्रतिपादित, गणधर द्वारा सूत्र ग्रंथ रूप से रचित बारह (१२) अंग वाले अंग प्रविष्ट श्रुत को द्वादशांग कहते हैं।
प्रश्न ६. अंग प्रविष्ट के १२ अंग बताइये ?
उत्तर— १. आचारांग” २. सूत्रकृतांग” ३. स्थानांग” ४. समवायांग” ५. व्याख्या प्रज्ञप्ति” ६. ज्ञातृ धर्मकथांग” ७. उपासकाध्यानांग” ८. अन्तकृत दशांग” ९. अनुत्तरौपपादिक दशांग। १०. प्रश्नव्याकरणांग। ११. विपाक सूत्रांग। १२. दृष्टिवादांग।
प्रश्न ७. क्या द्वादशांग के कोई भेद भी हैं ?
उत्तर—हाँ ! दो (२) भेद हैं। (१) ग्यारह अंग, (२) चौदह पूर्व।
प्रश्न ८. द्वादशांग के सम्पूर्ण पद की संख्या बताइये ?
उत्तर—‘‘एक सौ बारह करोड़ तिरासी लाख अट्ठावन हजार पाँच’’ है।
प्रश्न ९. क्या इसे संख्या में भी बता सकते हैं ?
उत्तर—हाँ ! हाँ ! क्यों नहीं, ११२ करोड़ ८३ लाख ५८ हजार ५।
प्रश्न १०. ‘त्रितय—चित्त—हरै’’ का आशय बताइये ?
उत्तर—तीनों लोक के जीवों के चित्त / मन को हरने वाले।
प्रश्न ११. ‘बुद्धि पटुभि:’ का अर्थ बताइये ?
उत्तर—बुद्धि की चतुरता से।
प्रश्न १२. मुनिमानतुंग स्वामी कैसे प्रभु को नमस्कार कर रहे हैं ?
उत्तर—जिनके वीतरागता, हितोपदेशिता एवं सर्वज्ञता ये तीन लक्षण है, ऐसे अरिहंत देव/सच्चे देव को नमस्कार किया है।
प्रश्न १३. सच्चे देव कोन हैं कैसे हैं ?
उत्तर—जो १८ दोषों से रहित वीतरागता आदि लक्षण युक्त हैं।
प्रश्न १४. १८ दोषों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर—१. भूख, २. प्यास, ३. बुढ़ापा, ४. रोग, ५. जन्म, ६. मरण, ७. भय, ८. गर्व, ९. राग, १०. द्वेष, ११. मोह, १२. आश्चर्य, १३.
आरत/अरति, १४. खेद, १५. शोक, १६. निद्रा, १७. चिंता, १८. स्वेद।
प्रश्न १५. प्रथम एवं द्वितीय काव्य की उपासना किसके द्वारा की गई ?
उत्तर—श्रेष्ठी हेमदत्त के द्वारा।
प्रश्न १६. उपासना के फलस्वरूप कौन सी देवी उपस्थित हुयीं ?
उत्तर—विजया देवी।
प्रश्न १७. चौर्य (चोरी) कला में सिद्धहस्त कौन था।
उत्त—रसुदत्त चोर।
प्रश्न १८. प्रथम, द्वितीय काव्य का ऋद्धिमंत्र बता दीजिए ?
उत्तर—‘‘ ॐ ह्रीं अर्हं णमो, जिणाणं’’। ‘‘णमो ओहि जिणाणं।।
काव्य-3
प्रश्न १. मानतुंगाचार्य ने स्वयं को कैसा बताया ?
उत्तर—बुद्धिहीन/अल्पज्ञ एवं लघु बताया।
प्रश्न २. ‘पादपीठ’ का अर्थ बताइये ?
उत्तर—पैरों के रखने का आसन।
प्रश्न ३. ‘विगतत्रप:’ का आशय क्या हैं ?
उत्तर—लज्जा को छोड़कर/लज्जा रहित होकर।
प्रश्न ४. आचार्य मानतुंग स्वामी ने कैसे भक्ति की है ?
उत्तर—मान/अभिमान/अहंकार/घमण्ड/गर्व को छोड़कर भक्ति की है।
प्रश्न ५. अहंकार छोड़कर भक्ति करने को क्यों कहा है ?
उत्तर—सच्ची भक्ति निरहंकारी होने पर ही होती है। ‘
प्रश्न ६. भगवान के चरणों में कैसे जाना चाहिए ?
उत्तर—प्रभु चरणों में किंकर/दास/सेवक/अनुचर बनकर जाना चाहिए।
प्रश्न ७. विनय गुण किसका प्रतीक है ?
उत्तर—विनय गुण महानता का प्रतीक है।
प्रश्न ८. काव्य नं. ३ का ऋद्धि मंत्र बता दीजिए ?
उत्तर—‘‘ॐ ह्रीं अर्हं णमो परमोहि—जिणाणं’’।
काव्य-4
प्रश्न १. गुण समुद्र की व्याख्या कीजिए ?
उत्तर—जैसे समुद्र अपार, असीम, अपरिमित होता है उसी प्रकार भगवान भी अपार, असीम, अपरिमित, अनन्त गुण के धारी हैं।
प्रश्न २. गुण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर—ज्ञान, दर्शन, चारित्र आदि आत्मा के अनंत गुणों से है।
प्रश्न ३. कल्पान्तकाल का अर्थ बताइये ?
उत्तर—प्रलयकाल, जो काल के अन्त में होता है।
प्रश्न ४. काल के भी कोई भेद हैं क्या ?
उत्तर—हाँ ! काल के २ भेद किये हैं। (१) उत्र्सिपणी, (२) अवर्सिपणी।
प्रश्न ५. उत्सर्पिणी काल किसे कहते हैं ?
उत्तर—जिस काल में मनुष्य /तिर्यंचादि की आयु, बल, अवगाहना एवं विभूति आदि बढ़ती जाती है वह उत्र्सिपणी काल है।
प्रश्न ६. अवर्सिपणी काल भी बता दीजिए ?
उत्तर—जिसमें आयु आदि घटती रहे वह अवर्सिपणी काल है।
प्रश्न ७. एक काल कितने समय तक रहता है ?
उत्तर—१० कोड़ाकोड़ी सागर तक।
प्रश्न ८. एक कोड़ा—कोड़ी का प्रमाण बता दीजिए ?
उत्तर—एक करोड़ में एक करोड़ का गुणा करने पर जो गुणनफल आये वो एक कोड़ाकोड़ी जानना चाहिए।
प्रश्न ९. कल्पकाल किसे कहते हैं ?
उत्तर—उत्र्सिपणी—अवर्सिपणी दोनों के मिलने/पूर्णता पर कल्पकाल होता है।
प्रश्न १०. कल्पकाल कितने समय वाला होता है ?
उत्तर—एक कल्पकाल २० कोड़ाकोड़ी सागर का होता है।
प्रश्न ११. दोनों कालों के कोई भेद हैं क्या ?
उत्तर—प्रत्येक के ६—६ भेद होते हैं, इसे षटकाल परिवर्तन कहते हैं।
प्रश्न १२. षटकाल के नाम बता दीजिए ?
उत्तर—अवर्सिपणी काल के नाम—(१) सुखमा—सुखमा, (२) सुखम, (३) सुखमा—दुखमा, (४) दुखमा—सुखमा, (५) दुखमा, (६) दुखमा—दुखमा।
प्रश्न १३. इन कालों की समय स्थिति क्या है ?
उत्तर—प्रथमादि क्रमश: काल स्थिति—४ कोड़ाकोड़ी सागर, ३ कोड़ाकोडी सागर, २ कोड़ाकोड़ी सागर। ४२ हजार वर्ष कम १ कोड़ाकोड़ी सागर। २१ हजार वर्ष, २१ हजार वर्ष।
प्रश्न १४. काव्य ३ एवं ४ की आराधना किसने कहां की ?
उत्तर—वणिक पुत्र सुदत्त ने जहाज में की।
प्रश्न १५. आराधना के प्रभाव से कौन सी देवी प्रगट हुई ?
उत्तर—प्रभावती देवी।
प्रश्न १६. इस काव्य का ऋद्धि मंत्र कौन सा है ?
उत्तर—ॐ ह्री अर्हं णमो सव्वेहि जिणाणं’’।
काव्य-5
प्रश्न १. स्तवन किसे कहते है ?
उत्तर—भक्ति के साथ भगवान के गुणों का कीर्तिन करना स्तवन कहलाता है।
प्रश्न २. ‘‘विगत शक्ति: अपि’’ का अर्थ लिखिए ?
उत्तर—शक्तिहीन होते हुए भी।
प्रश्न ३. ‘मृगेन्द्रम्’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-सिंह / शेर।
प्रश्न ४. काव्य नं. ५ की आराधना किसने कहाँ की ?
उत्तर—सुभद्रावती नगरी के देवल ने की थी।
प्रश्न ५. आराधना से कौन सी देवी प्रकट हुई ?
उत्तर—अजिता नाम की देवी।
प्रश्न ६. ‘स्तवं कत्र्तुं’ का आशय लिखिए ?
उत्तर—स्तुति करने के लिए।
प्रश्न ७. काव्य नं. ५ का ऋद्धि मंत्र बताइये ?
उत्तर—‘‘ॐ ह्री अर्हं णमो अणंतोहि—जिणाणं’’।।
प्रश्न ८. किसकी रक्षा के लिए किसने किसका सामना किया ?
उत्तर—निज शिशु की रक्षार्थ हिरणी ने शेर का सामना किया।
प्रश्न ९. वह हिरणी कैसी थी ?
उत्तर—सद्य प्रसूता थी।
काव्य-6
प्रश्न १. आचार्य मानतुंग स्वामी का अल्पश्रुत से क्या आशय था?
उत्तर—अल्पज्ञान या अल्पज्ञानी से अर्थात् श्रुत (ग्रंथों) का अल्प अभ्यायी हूँ यद्यपि उनके ज्ञान का पता तो उनकी बहु आयामी स्तोत्र रचना से ही होता है, फिर भी अपनी लघुता का दिग्दर्शन ऐसा कहकर कराया है। विद्वानों की यही लघुता उनकी विद्वता की सूचक है।
प्रश्न २. श्रुत किसे कहते हैं ?
उत्तर—भगवान जिनेन्द्र की वाणी को श्रुत कहते हैं अथवा जिनेन्द्रदेव की वाणी जिनशास्त्रों में निहित है, निबद्ध है उन शास्त्रों को श्रुत कहते हैं।
प्रश्न ३. ‘श्रूतवतां परिहास धाम’ का क्या आशय हैं ?
उत्तर—विद्वानों / मनीषियों के द्वारा हँसी का पात्र हूँ।
प्रश्न ४. कोयल कब कूकती / बोलती हैं?
उत्तर—बसन्त ऋतु में।
प्रश्न ५. कोयल के बोलने में क्या कारण है ?
उत्तर—आम मंजरी का समूह।
प्रश्न ६. ज्ञान के कितने भेद हैं ?
उत्तर—८ भेद हैं।
प्रश्न ७. कौन—कौन से हैं ?
उत्तर—(१) मतिज्ञान, (२) श्रुतज्ञान, (३) अवधिज्ञान, (४) मन:पर्यायज्ञान, (५) केवलज्ञान।
प्रश्न ८. क्या ये ही ज्ञान सम्यग्ज्ञान कहलाते हैं ?
उत्तर—हाँ ! सम्यग्दृष्टि के ज्ञान को सम्यग्ज्ञान कहते हैं।
प्रश्न ९. मिथ्याज्ञान किसे कहते हैं ?
उत्तर—मिथ्यादृष्टि के ज्ञान को मिथ्याज्ञान कहते हैं।
प्रश्न १०. मिथ्याज्ञान के भी कोई भेद हैं ?
उत्तर—उपर्युक्त पांच ज्ञान में से आदि के तीन ज्ञान मिथ्या भी होते हैं।
प्रश्न ११. तो कृपया उन मिथ्याज्ञान के नाम बता दीजिए ?
उत्तर—१. कुमतिज्ञान, २. कुश्रुतज्ञान, ३. कुअवधिज्ञान।
प्रश्न १२. इस काव्य से सम्बन्धित कथा के कथानायक कौन हैं ?
उत्तर—सम्राट हेमवाहन के पुत्र भूपाल कथानायक है।
प्रश्न १३. हेमवाहन कहाँ के सम्राट थे ?
उत्तर—काशी नगरी के।
प्रश्न १४. हेमवाहन के कितने पुत्र थे ?
उत्तर—दो पुत्र थे।
प्रश्न १५. उनके नाम भी बता दीजिये ?
उत्तर—(१) भूपाल, (२) भुजपाल।
प्रश्न १६. राजपुत्रों का अध्ययन किसके द्वारा हुआ था ?
उत्तर—श्रुतधर पंडित के द्वारा।
प्रश्न १७. युगल पुत्र कितने वर्ष में विद्या पारंगत हुये ?
उत्तर—छोटा पुत्र भूपाल १२ वर्षों में समस्त शास्त्रों में पारंगत हो गया।
प्रश्न १८. बडा पुत्र भूपाल क्या शास्त्र निष्णात नहीं हुआ ?
उत्तर—भूपाल जाति मंदबुद्धि था।
प्रश्न १९. भूपाल ने कुशाग्र बुद्धि के लिए क्या किया ?
उत्तर—छठवें काव्य का ऋद्धि मंत्र सहित जाप्य किया।
प्रश्न २०. मंत्र जाप कितने दिन तक किया ?
उत्तर—२१ दिन तक।
प्रश्न २१. छठवें काव्य का ऋद्धि मंत्र कौन सा है ?
उत्तर—ॐ ह्रीं अर्हं णमो कोट्ठबुद्धीणं’’।
प्रश्न २२. मंत्र की आराधना से कौन सी देवी प्रगट हुई ?
उत्तर—ब्राह्मी नाम की देवी।
प्रश्न २३. मंत्राराधना से भूपाल विद्वान बन गया क्या ?
उत्तर—हाँ ! मंत्राराधना से धुरन्धर विद्वान बन गया।
काव्य-7
प्रश्न १. ‘भव सन्तति’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर—जन्म, जरा और मृत्यु की सनातन परम्परा से है।
प्रश्न २. पाप किसे कहते हैं ?
उत्तर—बुरे कार्यों को पाप कहते हैं।
प्रश्न ३. पाप कितने व कौन—कौन से होते हैं ?
उत्तर—पाप पाँच होते हैं ? (१) िंहसा, (२) झूठ, (३) चोरी, (४) कुशील, (५) परिग्रह इनके अलावा जितने प्रकार के परिणामों की संक्लेशता है वह सब पाप कहलाते हैं।
प्रश्न ४. ‘‘सूर्यांर्शुिभन्न’’ का आशय बताइये ?
उत्तर—सूर्य की किरणों से छिन्न—भिन्न।
प्रश्न ५. ‘‘अलिनीलम्’’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर—भ्रमर के समान काले।
प्रश्न ६. काव्य नं. ८ का ऋद्धि मंत्र बताइये ?
उत्तर—‘‘ॐ ह्रीं अर्हं णमो बीज बुद्धीणं।’’
प्रश्न ७. इस मंत्र की आराधना किसने की ?
उत्तर—सम्यक्त्वी रति शेखर ने की।
प्रश्न ८. मंत्राराधना से कौन सी देवी प्रगट हुयी ?
उत्तर—जिनशासन अधिष्ठात्री जृम्भादेवी।
काव्य-8
प्रश्न १. आचार्य श्री मानतुंग स्वामी क्या मानकर भगवान जिनेन्द्र का स्तवन प्रारम्भ कर रहे हैं ?
उत्तर—प्राणियों के अनेक जन्मों में उर्पािजत किए हुये पाप कर्म श्री जिनेन्द्र देव के सम्यक स्तवन करने से क्षणभर में नष्ट हो जाते हैं। ऐसा मानकर प्रभु का स्तवन प्रारम्भ कर रहे हैं।
प्रश्न २. भक्तामर स्तोत्र कैसा है ?
उत्तर—सज्जनों के चित्त को हरण करने वाला है।
प्रश्न ३. सज्जन और दुर्जन में अन्तर बताइये ?
उत्तर—जो मोक्षमार्गी संतों की चरण वंदना करते हैं, उनके आचरण की कामना करते हैं तथा सत्य के उपासक होते हैं। ऐसे सदाचारी जीवों को सज्जन कहते हैं। जो मोक्षमार्गी संत चरणों से दूर उनकी निंदा िंनदा के उपासक होते हैं, सत्य से कोसों दूर होते हैं ऐसे दुराचारी जीवों को दुर्जन कहते हैं।
प्रश्न ४. जल बिंदु किस पर कैसी कांति को प्राप्त होती हैं ?
उत्तर—कमलिनी के पत्तों पर मोती की कांति को प्राप्त होती हैं।
प्रश्न ५. काव्य नं. ८ का ऋद्धि मंत्र बताइये ?
उत्तर—‘‘ॐ ह्रीं अर्हं णमो पदाणु सारीणं।’’
प्रश्न ६. इस मंत्र की आराधना किसने और क्यों की ?
उत्तर—धनपाल वैश्य ने, निर्धन एवं नि:संतान होने के कारण की।
प्रश्न ७. किनके द्वारा आराधना करने का मार्ग बताया गया ?
उत्तर—चन्द्रर्कीित एवं महीर्कीित दिगम्बर मुनिराज के द्वारा।
प्रश्न ८. आराधना के फलस्वरूप कौन सी देवी प्रकट हुयीं ?
उत्तर—मंत्र की अधिष्ठात्री महिमा देवी प्रकट हुई।
प्रश्न ९. धनपाल ने धन की प्राप्ति होने पर क्या संकल्प लिया ?
उत्तर—जिनेन्द्र देव के जिनालय निर्माण कराने का संकल्प लिया।
काव्य-9
प्रश्न १. भगवान का नामोच्चारण क्या दूर करता है ?
उत्तर—समस्त दोषों को दूर करता है।
प्रश्न २. आचार्य मानतुंग भगवन् ने पवित्र कथा का वर्णन किस प्रकार किया है ?
उत्तर—आचार्य श्री कहा है–कि हे जिनेन्द्र ! आपका निर्दोष स्तोत्र तो दूर रहे, आपके गुणों की चर्चा मात्र से ही पापों का समूल नाश हो जाता है।
प्रश्न ३. सूर्य किरणें दूर रहने पर भी क्या करती हैं ?
उत्तर—सरोवरों में कमलों को विकसित करती हैं।
प्रश्न ४. सूर्य किरणें कितनी होती है ?
उत्तर—सूर्य में १२,००० किरणें होती हैं।
प्रश्न ५. कथा किसे कहते है ?
उत्तर—महापुरुषों के जीवन चरित्र के ऐसे कथानक जो मोक्षमार्ग को प्रशस्त करने वाले हैं तथा मोक्ष पुरुषार्थ में कारणभूत सातिशय पुण्य का संचय कराने वाले धर्म, अर्थ, काम, पुरुषार्थ का सम्यक् निरूपण करते हैं वे कथा संज्ञा को प्राप्त होते हैं।
प्रश्न ६. तो क्या पुण्य भी मोक्ष का कारण है ?
उत्तर—हाँ ! भगवान जिनेन्द्र के स्तवन, गुणगान से संचित निदान रहित पुण्य परम्परा से मुक्ति का कारण है।
प्रश्न ७. निदान किसे कहते हैं ?
उत्तर—धर्म /पुण्य/ स्तवन आदि करते—करते सांसारिक सुखों की इच्छा करना ही निदान बंध कहलाता है?
प्रश्न ८. काव्य नं. ९ की आराधना से किसको क्या फल मिला ?
उत्तर—सम्राट हेमब्रह्म एवं रानी हेमश्री को पुत्र की प्राप्ति हुई।
प्रश्न ९. हेमब्रह्म कहां के सम्राट थे ?
उत्तर—कामरूप देश की भद्रावती नगरी में।
प्रश्न १०. बिना श्रद्धा की भक्ति किस प्रकार की है ?
उत्तर—मुर्दे का शृंगार के समान, रेत से तेल निकालने के समान, पानी को मथकर मक्खन निकालने की इच्छा करने के समान है।
काव्य-10
प्रश्न १. आचार्य मानतुंग स्वामी ने काव्य नं १० में जिनेन्द्र प्रभु को किन विशिष्ट विशेषणों से संबोधित किया है ?
उत्तर—जिनेन्द्र भगवान के लिए भुवन भूषण और भूतनाथ विशेषणों से संबोधित किया है।
प्रश्न २. भुवन भूषण का अर्थ बताइये ?
उत्तर—भुवन यानि लोक, भूषण यानि अलंकार / शृंगार/ आभूषण अर्थात् लोक के अलंकार यही भुवन भूषण का अर्थ है।
प्रश्न ३. ‘भुवि’ का अर्थ बताइये ?
उत्तर—पृथ्वी।
प्रश्न ४. भूतनाथ का अर्थ बताइये ?
उत्तर—भूतयानि प्राणी, नाथ यानि स्वामी अर्थात् प्राणियों के स्वामी।
प्रश्न ५. काव्य नं १० का ऋद्धि मंत्र बताइये ?
उत्तर—ॐ ह्रीं अर्हं णमो सयं बुद्धाणं।’’
प्रश्न ६. इस मंत्र की अधिष्ठात्री देवी का नाम बताइये ?
उत्तर—रोहिणी देवी।
प्रश्न ७. इस मंत्र की आराधना किसने ? कहाँ ? कितने दिन की ?
उत्तर—श्री दत्त वैश्य ने अंध कूप में तीन दिन तक की।
प्रश्न ८. अंधकूप में क्यों गिरा?
उत्तर—लोभ के कारण।
काव्य-11
प्रश्न १. अपलक या अनिमेष का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर—एकटक अर्थात् बिना पलक झपाये देखना।
प्रश्न २. तीर्थंकर प्रभु को देखने के बाद क्या विशेषता प्रगट की गई है ?
उत्तर—परमात्मा को देखने के बाद अन्य देवी—देवताओं के रूप से संतोष नहीं होता। अर्थात् देवाधि देव वीतराग प्रभु को देखने पर ही संतोष होता है।
प्रश्न ३. अन्य देवों के रूप में मन संतोष को क्यों नहीं प्राप्त होता है ?
उत्तर—क्योंकि अन्य देवों का रूप शाश्वत नहीं है, अन्य देवों में रागद्वेष की प्रचुरता भी पाई जाती है, जबकि देवाधिदेव रागद्वेष से रहित है।
प्रश्न ४. ‘जलनिधेक्षारं’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर—समुद्र के खारे।
प्रश्न ५. काव्य नं ११ का ऋद्धि मंत्र बताइये ?
उत्तर—ॐ ह्रीं अर्हं णमो पत्तेय बुद्धाणं।।’’
प्रश्न ६. इस मंत्र की आराधना किसने ? कहाँ की ?
उत्तर—तुरंग कुमार ने रत्नापुरी नगरी में की।
प्रश्न ७. तुरंग कुमार के पिता श्री कौन थे ?
उत्तर—सम्राट रूपद्रसेन थे।
प्रश्न ८. आराधना के प्रेरणा स्रोत कौन थे ?
उत्तर—दिगम्बर मुनि चन्द्रर्कीित जी थे।
काव्य-12
प्रश्न १. आचार्य मानतुंग भगवन् ने प्रभु की देह कैसे परमाणु से निर्मापित कही है ?
उत्तर—देह को मोह, ममता, राग आदि के क्षय से उत्पन्न एवं प्रशांत रस की कांति वाले अर्थात् वीतराग भावना के उत्पादक परमाणुओं से निर्मापित कही है।
प्रश्न २. वीतराग अर्हंत प्रभु का कैसा शरीर होता है ?
उत्तर—परम औदारिक।
प्रश्न ३. शरीर कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर—५ प्रकार का होता है। प्रश्न ४. कृपया नाम बताइये ?
उत्तर—(१) औदारिक, (२) वैक्रियक, (३) आहारक, (४) तैजस, (५) कार्माण।
प्रश्न ५. अधिक से अधिक एक साथ एक जीव के कितने शरीर हो सकते हैं ?
उत्तर—चार शरीर।
प्रश्न ६. कौन—कौन से कृपया नाम बताइये ?
उत्तर—औदारिक, आहारक, तैजस, कार्माण।
प्रश्न ७. कम से कम कितने शरीर हो सकते हैं ?
उत्तर—दो शरीर।
प्रश्न ८. क्या आप बता सकते हैं कि दो शरीर कौन—कौन से होते हैं ?
उत्तर—हाँ ! हाँ ! तैजस और कार्मण। (विग्रह गति की अपेक्षा)
प्रश्न ९. औदारिक आदि शरीर किसके कौन सा होता है ??
उत्तर—एकेद्रिय से पंचेन्द्रिय तक सभी तिर्यंच और मनुष्य के औदारिक, तैजस और कार्मण ये तीन शरीर होते हैं।
प्रश्न १०. फिर वैक्रियक शरीर के स्वामी कौन हैं ?
उत्तर—देव और नारकी।
प्रश्न ११. क्या देव और नारकियों के एक ही शरीर होता है ?
उत्तर—नहीं ! तीन शरीर होते हैं, वैक्रियक, तैजस और कार्मण।
प्रश्न १२. अधिकाधिक चार शरीरों के स्वामी कौन हैं ?
उत्तर—संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तक विशिष्ट संयमी छठे गुणस्था वर्ती ऋद्धिधारी मुनिराज के चार शरीर हो सकते हैं। १. औदारिक, २. आहारक, ३. तैजस, ४. कार्माण।