भ. मुनिसुव्रतनाथ की आरती
(चाल - ऊँ जय जगदीश हरे)
ऊँ जयमुनिसुव्रत स्वामी, प्रभु जय मुनिसुव्रत स्वामी।
भक्ति भावसे प्रणमूं, जय अंतरयामी।।
ऊँ जय मुनिसुव्रत स्वामी।।1।।
राजगृहीमें जन्म लिया प्रभु आनन्द भयो भारी।
सुर नर मुनिगुण गाये, आरती करी थारी।।
ऊँ जय मुनिसुव्रत स्वामी।।2।।
पिता तिहारे, सुमित्र राजा, शामाके जाया।
श्यामवर्ण मूरत तेरी, पैठणमें अतिशय दर्शाया।।
ऊँ जय मुनिसुव्रत स्वामी।।3।।
जो ध्यावे सुख पावे, सब संकट दूर करें।
मन वांछित फल पावे, जो प्रभु चरण धरें।।
ऊँ जय मुनिसुव्रत स्वामी।।4।।
जन्म मरण, दुःख हरो प्रभु, सब पाप मिटे मेरे।
ऐसी कृपा करो प्रभु, हम दास रहे तेरे।।
ऊँ जय मुनिसुव्रत स्वामी।।5।।
जिनगुण ज्ञानका, दीपक ले आरती करुं थारी।
सम्यग्यान दो सबको, जय त्रिभुवनके स्वामी।।
ऊँ जय मुनिसुव्रत स्वामी।।6।।