श्रीजी के प्रत्येक अंग व उपांग में केशर, चन्दनादि से निर्मित लेप लगाये:-
संशुद्ध शुद्धया परया विशुद्धया,
कर्पूर सम्मिश्रित चन्दनेन।
जिनस्य देवा सुर पूजि तस्य
विलेपनं चारु करोमि भक्त्या।।32।।
मंत्र - (१) ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्ह वं मं हं सं तं पं वं वं मं मं हं हं सं सं तं तं पं पं झं झं झ्वीं इवीं क्ष्वी क्ष्वी द्रां द्रां द्रीं द्रीं द्रावय द्रावय।ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते....…जिन मभिषेक यामि स्वाहा।
अर्घ- संसार महा दुख सागर में
प्रभु गोते खाते आया हूँ।
संसार ताप विनाशन को,
प्रभु चंदन लेपन करता हूँ।।
उदक चन्दन तंदुल पुष्पकैश्चरु
सुदीप सुधूप फलार्घकैः।
धवल मंगल गान रवा कुले,
जिन गृहे जिन नाथ महं यजे।।
मंत्र- ॐही......... इति चन्दन लेपनं करो मीति स्वाहा।