आप के लिये जिनवाणी
श्री महावीर स्वामी की आरती
(तर्ज : कंचन की थाली लाया...)
रत्नों के दीप जलाए, चरणों में तेरे आए।
भावों से करने थारी आरती, हो वीरा हम सब...
कुण्डलपुर में जन्म लिए प्रभु, मात पिता हर्षाए।
धन कुबेर ने खुश होकर के, दिव्य रत्न वर्षाए ।।
इन्द्र भी महिमा गावे, भक्ति से शीश झुकावे ।
भवि जन करते हैं तेरी आरती, हो वीरा..... ।॥1 ॥
चैत शुक्ल की त्रयोदशी को, जन्म जयन्ती आवे ।
नगर-नगर के नर-नारी सब, मन में हर्ष बढ़ावें ।।
प्रभु को रथ पे बैठावें, नाचे गावें हर्षावें ।
सब मिल उतारे थारी आरती, हो वीरा..... ।।2 ।।
मार्ग शीर्ष कृष्णा तिथि दशमी, तुमने दीक्षा धारी।
युवा अवस्था में संयम धर, हुए आप अनगारी ।।
आतम का ध्यान लगाया, कर्मों को आप नशाया।
श्रावक करते है थारी आरती... हो बीरा ॥3 ॥
दशें शुक्ल वैशाख माह में, केवल ज्ञान जगाये ।
कार्तिक कृष्ण अमावश को प्रभु, 'विशद' मोक्ष पद पाए ॥
पावापुर है मनहारी, सिद्ध भूमि है प्यारी।
जिनबिम्बों की करते है हम आरती... हो वीरा ।।4 ।।