मानस्तम्भ की आरती
आप के लिये जिनवाणी
मानस्तम्भ की आरती
मानस्तम्भ की आरती
मानस्तम्भ की आरति कीजे,
अपना जन्म सफल कर लीजे ॥ टेक ॥
जिनवर चारों दिश में सोहें,
भवि जीवों के मन को मोहें ॥
मानस्तम्भ..
पूर्व दिशा में जिनवर गाए,
वीतरागता जो दर्शाए ।
मानस्तम्भ..
दक्षिण दिश की प्रतिमा प्यारी,
देखत लागे अतिमनहारी ॥
मानस्तम्भ..
पश्चिम दिश के श्री जिन स्वामी,
गाए पावन अन्तर्यामी ॥
मानस्तम्भ..
उत्तर के जिनबिम्ब निराले,
भव्यों का मन हरने वाले ॥
मानस्तम्भ..
.
मानस्तम्भ का दर्शन पाए,
क्षण में मान गलित हो जाए ॥
मानस्तम्भ..
'विशद' भावना हम ये भाएँ,
बार-बार जिन दर्शन पाएँ ।
मानस्तम्भ..
दीप जलाकर के यह लाए,
आरति के सौभाग्य जगाए ।
मानस्तम्भ..