आप के लिये जिनवाणी
"श्री भरतेश्वर स्वामी की आरती"
(तर्ज - इह बिधि मंगल आरती कीजे....)
भरतेश्वर की आरति कीजे, अपना जन्म सफल कर लीजे ॥ टेक ॥
आदिनाथ के पुत्र कहाए, माता नन्दा के सुत गाए।
भरतेश्वर की आरति कीजे, अपना जन्म सफल कर लीजे ॥1 ॥
नगर अयोध्या जन्म लिया है, वंश इक्ष्वाकू धन्य किया है।।2।।
चक्ररत्न तुमने प्रगटाया, प्रथम चक्रवर्ती पद पाया ।।3।।
छह खण्डों का वैभव पाए, किन्तू जग के भोग ना भाए ॥4॥
जल में कमल रहे ज्यों भाई, जीवन में यह वृत्ती पाई ॥5॥
राज त्याग कर संयम पाए, अन्तर्मुहूर्त में ज्ञान जगाए ॥6॥
अष्टापद से कर्म नशाए, परम मोक्ष पदवी जो पाए ।।7 ।।
'विशद' भावना हम ये भाएँ, कर्म नाशकर ज्ञान जगाएँ ॥8॥
अष्ट मूल गुण हम प्रगटाएँ, अष्टापद से मुक्ती पाएँ ।॥9॥
भरतेश्वर की आरति कीजे, अपना जन्म सफल कर लीजे ॥ टेक ॥