आप के लिये जिनवाणी
चौबीस जिन की आरती
चौबीस जिन की आरती करने, दीप जलाकर लाए।
विशद आरती करने के शुभ, हमने भाग्य जगाए ॥
जिनवर के चरणों में नमन्, प्रभुवर के चरणों में नमन् ॥ टेक ॥
ऋषभ नाथ जी धर्म प्रवर्तक, अजित कर्म के जेता।
सम्भव जिन अभिनन्दन स्वामी, अतिशय कर्म विजेता ॥
सुमति नाथ जिनवर के चरणों, मति सुमति हो जाए।विशद आरती ...
पद्म प्रभु जी पद्म हरे हैं, जिन सुपार्श्व जी भाई।
चन्द्र प्रभु अरु पुष्पदन्त की, धवल कांति सुखदाई ।।
शीतल जिन के चरण शरण में, शीतलता मिल जाए। विशद आरती ...
श्रेयनाथ जिन श्रेय प्रदायक, वासुपूज्य जिन स्वामी।
विमलानन्त प्रभु अविकारी, जग में अन्तर्यामी ।।
धर्मनाथ जी धर्म प्रदाता, इस जग में कहलाए।विशद आरती ...
शांति कुन्थु अरु अरह नाथ जी, तीन-तीन पद पाए।
चक्री काम कुमार तीर्थंकर, बनकर मोक्ष सिधाए ।।
मल्लिनाथ जी मोह मल्ल को, क्षण में मार भगाए।विशद आरती ...
मुनिसुव्रत जी व्रत को धारे, नमि धर्म के धारी।
नेमिनाथ जी करुणा धारे, पार्श्वनाथ अविकारी ।।
वर्धमान सन्मति वीर अति, महावीर कहलाए। विशद आरती ...