आप के लिये जिनवाणी
अतिशय क्षेत्र चूलगिरि जी की आरती
(तर्ज : भक्ति बेकरार है....)
पार्श्वनाथ दरबार है, अतिशय मंगलकार है ।
चूलगिरि जी तीर्थराज की, हो रही जय-जयकार है ॥ टेक ॥
पार्श्वनाथ की मूरत प्यारी, खड्गासन में सोहे जी -2
नेमिनाथ अरु वीर प्रभु जी, जन-जन का मन मोहे जी-2 ॥पार्श्वनाथ दरबार है . . ॥ 1 ॥
पद्मासन चौबीसी पावन, मंगल करने वाली जी -2
खड्गासन की चौबीसी भी, सोहे अजब निराली जी-2 ॥ पार्श्वनाथ दरबार है.. ॥ 2 ॥
बीर प्रभू जी खड्गासन में, सोहें अतिशयकारी जी-2
चरण कमल भी हैं मन भावन, जो हैं मंगलकारी जी-2 ॥ पार्श्वनाथ दरबार है.. ॥3॥
आदिनाथ अरु भरत बाहुबली, खड्गासन में गाए जी-2
रत्नमयी प्रतिमाएँ पावन, महिमा जो दिखलाएँ जी-2 ॥ पार्श्वनाथ दरबार है.. ॥ 4 ॥
देशभूषण गुरु यहाँ पे आके, तीर्थ नया बनवाए जी-2
'विशद' तीर्थ के दर्शन पाने, के सौभाग्य जगाए जी-2 ॥ पार्श्वनाथ दरबार है.. ॥5॥