आप के लिये जिनवाणी
पदमावती माता की आरती (तर्ज : भक्ति बेकरार है..)
माता का दरबार है, अतिशय मंगलकार है।
आज यहाँ पद्मावति माँ की, हो रही जय-जयकार है॥ टेक ॥
माँ पद्मावति पार्श्वनाथ को, मस्तक ऊपर धारे जी-2 ।
इन्द्र नरेन्द्र सुरेन्द्र खड़े हैं, माँ पद्मा के द्वारे जी-2 ।।
माता का दरवार है... ।।1।।
जो भी माँ की शरण में आए, वह सौभाग्य जगाए जी-2 ।
पुत्र-पौत्र धन सम्पत्ति माँ के, दर पे आके पाए जी-2 ॥
माता का दरबार है... ।।2।।
शाकिन-डाकिन भूत भवानी, की बाधा हट जाए जी-2 ।
वात-पित्त कफ रोगादिक से, प्राणी मुक्ती पाए जी-2 ॥
माता का दरबार है... ॥३॥
त्रय नेत्री हे पद्मा देवी, तिलक भाल पे सोहे जी-2 ।
मुख की कान्ती अनुपम माँ की, भविजन का मन मोहे जी-2 ॥
माता का दरबार है... ।।4।।
दैत्य कमठ का मान गलाया, सुयश विश्व में छाया जी-2 ।
आदि दिगम्बर धर्म बताकर, जिनमत को फैलाया जी-2 ॥
माता का दरबार है... ।।5।।
कुक्कुट सर्प बाहिनी माँ के, सहस्र नाम बतलाए जी-2 ।
मथुरा में जिन दत्तराय जी, रक्षा तुमसे पाए जी-2 ॥
माता का दरबार है... ।।6।।
आरति करने आए जी-2 । दीप धूप फल पुष्प हार ले,
मनवांछित फल पाए जी-2 ॥ दर्शन करके विशद आपके,
माता का दरबार है... ॥7॥