अमृत से गगरी भरो
अमृत से गगरी भरो कि न्हवन प्रभु आज करेंगे खुशी-खुशी मिलके चलो कि न्हवन प्रभु आज करेंगे ||
सब साथी मिल कलश सजाओ, मंगलकारी गीत सुनाओ मन में आनंद भरो, कि न्हवन प्रभु आज करेंगे ॥
इन्द्र-इन्द्राणी हर्ष मनावें, प्रभु चरणों में शीश झुकावें प्रभुजी की छवि निरखो, कि न्हवन प्रभु आज करेंगे ||
स्वर्ण कलश प्रभु उदक निधारा, अंग नहावे जिनवर प्यारा स्वामी जगत को खरो कि न्हवन प्रभु आज करेंगे ॥
है सुखकारी, सब दुखहारी, सेवा जिन की प्यारी-प्यारी लेकर कलश को चलो, कि न्हवन प्रभु आज करेंगे ॥