प्रश्नोत्तर
१. विश्व किसे कहते हैं ?
उत्तर :- छह द्रव्यों के समूह को विश्व कहते हैं।'
२. द्रव्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :- गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं।
३. गुण किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जो द्रव्य के सम्पूर्ण भागों में और उसकी सम्पूर्ण अवस्था में रहता है, उसे गुण कहते हैं ।
४. पर्याय किसे कहते हैं ?
उत्तर :- गुणों के कार्य (परिणमन) को पर्याय कहते हैं।
५. गुणों के कितने भेद हैं ?
उत्तर :- दो भेद हैं - 1. सामान्य और 2. विशेष ।
६. सामान्य गुण किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जो सब द्रव्यों में रहते हैं, उन्हें सामान्य गुण कहते हैं।
७. विशेष गुण किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जो सब द्रव्यों में न रहकर अपने-अपने द्रव्यों में रहते हैं, उन्हें विशेष गुण कहते हैं।
८. सामान्य गुण कितने हैं ? परन्तु
उत्तर :- अनन्त हैं, उनमें छह मुख्य हैं -
1. अस्तित्व
2. वस्तुत्व
3. द्रव्यत्व
4. प्रमेयत्व
5. अगुरुलघुत्व और
6. प्रदेशत्व |
1. द्रव्य जाति अपेक्षा छह और संख्या अपेक्षा अनन्त हैं ।
९. अस्तित्व गुण किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिस शक्ति के कारण द्रव्य का कभी नाश नहीं होता और किसी से उत्पन्न भी नहीं होता, उसे अस्तित्व गुण कहते हैं।
१०. वस्तुत्व गुण किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिस शक्ति के कारण द्रव्य में अर्थ क्रिया कारित्व होता है, उसे वस्तुत्व गुण कहते हैं
११. द्रव्यत्व गुण किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिस शक्ति के कारण द्रव्य की अवस्थायें निरन्तर बदलती रहती हैं, उसे द्रव्यत्व गुण कहते हैं ।
१२. प्रमेयत्व गुण किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिस शक्ति के कारण द्रव्य किसी न किसी ज्ञान का विषय हो, उसे प्रमेयत्व गुण कहते हैं ।
१३. अगुरुलघुत्व गुण किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिस शक्ति के कारण द्रव्य में द्रव्यपना कायम रहता है।
अर्थात् एक द्रव्य दूसरे द्रव्यरूप नहीं होता है,
एक गुण दूसरे गुणरूप नहीं होता है और द्रव्य में रहनेवाले
अनन्त गुण बिखरकर अलग-अलग नहीं हो जाते हैं, उसे अगुरुलघुत्व गुण कहते हैं।
१४. प्रदेशत्व गुण किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिस शक्ति के कारण द्रव्य का कोई न कोई आकार अवश्य रहता है, उसे प्रदेशत्व गुण कहते हैं ।
१५. द्रव्यों के कितने भेद हैं ?
उत्तर :- द्रव्यों के छह भेद हैं- 1. जीव 2. पुद्गल 4. अधर्म 5. आकाश और 6. काल । 3. धर्म
१६. प्रत्येक द्रव्य में कौन-कौन से विशेष गुण हैं ?
उत्तर :- जीव द्रव्य में चैतन्य ( दर्शन - ज्ञान), सम्यक्त्व, चारित्र, सुख,
क्रियावतीशक्ति ' इत्यादि, पुद्गल द्रव्य में स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण, क्रियावतीशक्ति इत्यादि धर्म द्रव्य में गतिहेतुत्व इत्यादि, अधर्म द्रव्य में स्थितिहेतुत्व इत्यादि, आकाश द्रव्य में अवगाहनहेतुत्व इत्यादि एवं काल द्रव्य में परिणमनहेतुत्व इत्यादि विशेष गुण हैं ।
१७. जीव द्रव्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिसमें चेतना अर्थात् ज्ञान-दर्शनरूप शक्ति है, उसे जीव द्रव्य कहते हैं ।
१८. पुद्गल द्रव्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिसमें स्पर्श, रस, गंध और वर्ण – ये विशेष गुण होते हैं, उसे पुद्गल द्रव्य कहते हैं ।
१९. पुद्गल के कितने भेद हैं ?
उत्तर :- दो भेद हैं 1. परमाणु और 2. स्कन्ध । -
२०. परमाणु किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिसका दूसरा विभाग नहीं हो सकता पुद्गल को परमाणु कहते हैं । - ऐसे सबसे सूक्ष्म
२१. स्कन्ध किसे कहते हैं ?
उत्तर :- दो या दो से अधिक परमाणुओं के बन्ध को स्कन्ध कहते हैं ।
२२. बन्ध किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिस सम्बन्धविशेष से अनेक वस्तुओं में एकपने का ज्ञान होता है उस सम्बन्धविशेष को बन्ध कहते हैं ।
1. जीव और पुद्गल में क्रियावतीशक्ति नाम का गुण नित्य है, उसके कारण अपनी-अपनी योग्यतानुसार कभी क्षेत्रान्तररूप पर्याय होती है, कभी स्थिर रहनेरूप पर्याय होती है । कोई द्रव्य ( जीव या पुद्गल) एक-दूसरे को गमन या स्थिरता नहीं करा सकते, दोनों द्रव्य अपनी-अपनी क्रियावतीशक्ति की उस समय की योग्यता के अनुसार स्वतः गमन करते हैं या स्थिर होते हैं ।
२३. स्कन्ध के कितने भेद हैं ?
उत्तर :- आहार वर्गणा, तैजस वर्गणा, भाषा वर्गणा, मनो वर्गणा, कार्माण वर्गणा इत्यादि 22 भेद हैं।
२४. आहार वर्गणा किसे कहते हैं ?
- उत्तर :- जो पुद्गलस्कन्ध (वर्गणा) औदारिक, वैक्रियक और आहारक इन तीन शरीररूप से परिणमन करता है, उसे आहार वर्गणा कहते हैं।
२५. तैजस वर्गणा किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिस पुद्गलस्कन्ध (वर्गणा) से तैजस शरीर बनता है, उसे तैजस वर्गणा कहते हैं ।
२६. भाषा वर्गणा किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जो पुद्गलस्कन्ध (वर्गणा) शब्दरूप से परिणमित होता है, उसे भाषा वर्गणा कहते हैं ।
२७. मनो वर्गणा किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिस पुद्गलस्कन्ध (वर्गणा) से अष्टदल कमल के आकाररूप द्रव्यमन की रचना होती है, उसे मनो वर्गणा कहते हैं।
२८. कार्माण वर्गणा किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिस पुद्गलस्कन्ध (वर्गणा) से कार्माण शरीर वर्गणा बनता है, उसे कार्माण वर्गणा कहते हैं ।
२९. शरीर कितने हैं ?
उत्तर :- शरीर पाँच हैं - 1. औदारिक 2. वैक्रियक 3. आहारक हैं. 4. तैजस और 5. कार्माण ।
३०. औदारिक शरीर किसे कहते हैं ?
उत्तर :- मनुष्य और तिर्यञ्च के स्थूल शरीर को औदारिक शरीर कहते हैं ।
३१. वैक्रियक शरीर किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जो छोटी-बड़ी, पृथक - अपृथक् आदि अनेक क्रियाओं को करे ऐसे देव और नारकियों के शरीर को वैक्रियक शरीर कहते हैं। -
३२. आहारक शरीर किसे कहते हैं ?
उत्तर :- आहारक ऋद्धिधारी छठवें गुणस्थानवर्ती मुनी को तत्त्वों के सम्बन्ध में कोई शंका होने पर अथवा जिनालय आदि की वंदना करने के लिए उनके मस्तक से एक हाथ प्रमाण स्वच्छ, सफेद, सप्तधातुरहित पुरुषाकार जो पुतला निकलता है, उसे आहारक शरीर कहते हैं।
३३. तैजस शरीर किसे कहते हैं ?
उत्तर :- औदारिक, वैक्रियक और आहारक इन तीन शरीरों में कान्ति उत्पन्न करनेवाले शरीर को तैजस शरीर कहते हैं ।
३४. कार्माण शरीर किसे कहते हैं ?
उत्तर :- आठ कर्मों के समूह को कार्माण शरीर कहते हैं।
३५. एक जीव के एक साथ कितने शरीर हो सकते हैं?
- उत्तर :- एक जीव के एक साथ कम से कम दो और अधिक से अधिक चार शरीर हो सकते हैं।
खुलासा इसप्रकार है विग्रहगति में तैजस और कार्माण; मनुष्य और तिर्यञ्च के औरादिक, तैजस और कार्माण; देवों और नारिकियों के वैक्रियक, तैजस और कार्माण; तथा आहारकऋद्धिधारी मुनि के औदारिक, आहारक, तैजस और कार्माण शरीर होते हैं।
३६. धर्म द्रव्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :- स्वयं गमन करते हुए जीव और पुद्गल को गमन करने में जो निमित्त हो, उसे धर्म द्रव्य कहते हैं। जैसे गमन करती हुई मछली को गमन करने में पानी ।
३७. अधर्म द्रव्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :- स्वयं गतिपूर्वक स्थितिरूप परिणमन करने वाले जीव और पुद्गल को ठहरने में जो निमित्त हो, उसे अधर्म द्रव्य कहते हैं । जैसे पथिक को ठहरने में वृक्ष की छाया ।
३८. आकाश द्रव्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जो जीवादिक पाँचों द्रव्यों को रहने के लिए स्थान देता है, उसे आकाश द्रव्य कहते हैं। आकाश द्रव्य सर्वव्यापक है, सर्वत्र है ।
३९. आकाश के कितने भेद हैं ?
उत्तर :- यद्यपि आकाश एक ही अखण्ड द्रव्य है, तथापि छह द्रव्यों की उपस्थिति व अनुपस्थिति के कारण उसके लोकाकाश व अलोकाकाश - ये दो भेद हैं।
४०. लोकाकाश किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जिसमें जीवादिक समस्त द्रव्य पाये जाते हैं, उसे लोकाकाश कहते हैं ।
४९. अलोकाकाश किसे कहते हैं ?
उत्तर :- लोकाकाश के बाहर अनन्त आकाश को अलोकाकाश कहते हैं ।
४२. काल द्रव्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :- अपनी-अपनी अवस्थारूप से स्वयं परिणमते हुए जीवादिक द्रव्यों के परिणमन में जो निमित्त हो, उसे काल द्रव्य कहते हैं। जैसे कुम्हार के चाक को घूमने के लिए लोहे की कीली ।
४३. काल के कितने भेद हैं ?
उत्तर :- दो भेद हैं 1. निश्चय काल और 2. व्यवहार काल । -
४४. निश्चय काल किसे कहते हैं ?
उत्तर :- काल द्रव्य को निश्चय काल कहते हैं तथा लोकाकाश के एक - एक प्रदेश पर एक-एक काल द्रव्य (कालाणु) स्थित है।
४५. व्यवहार काल किसे कहते हैं ?
उत्तर :- वर्ष, महीना, दिवस, घड़ी, पल वगैरह को व्यवहार काल कहते हैं।
४६. जीव - पुद्गलादि द्रव्य कितने-कितने हैं और उनका क्षेत्र क्या है ?
उत्तर :- जीव द्रव्य अनंतानंत हैं और संपूर्ण लोकाकाश में भरे हुए हैं । पुद्गल द्रव्य जीव द्रव्य से अनन्तगुने अधिक हैं और वे भी सम्पूर्ण लोक में भरे हुए हैं। धर्म और अधर्म द्रव्य एक-एक हैं और सम्पूर्ण लोक में व्याप्त हैं। आकाश द्रव्य एक और लोक व अलोक में व्याप्त है । काल द्रव्य असंख्यात हैं और वे सम्पूर्ण लोकाकाश के एक-एक प्रदेश में स्थित हैं ।
४७. प्रत्येक जीव कितना बड़ा है ?
उत्तर :- प्रत्येक जीव प्रदेशों की संख्या - अपेक्षा से लोकाकाश के बराबर असंख्य प्रदेशवाला है, परन्तु संकोच - विस्तार के कारण अपने-अपने शरीर प्रमाण हैं और मुक्त जीव अन्तिम शरीर प्रमाण है ।
४८. लोकाकाश के बराबर प्रमाणवाला जीव कौन हैं ?
उत्तर :- मोक्ष जाने के पहले केवली - समुद्घात करने वाला जीव लोकाकाश के बराबर प्रमाण वाला होता है ।
४९. समुद्घात किसे कहते हैं ?
उत्तर :- मूल शरीर को न छोड़कर आत्म-प्रदेशों के बाहर निकलने को समुद्घात कहते हैं, यह प्रदेशत्व गुण की पर्याय है । ।
५०. अस्तिकाय किसे कहते हैं ?
उत्तर :- बहुप्रदेशी द्रव्य को अस्तिकाय कहते हैं ।
५१. कितने द्रव्य अस्तिकाय हैं ?
उत्तर :- जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म और आकाश अस्तिकाय हैं । - ये पाँच द्रव्य
५२. काल द्रव्य अस्तिकाय क्यों नहीं हैं ?
उत्तर :- काल द्रव्य एकप्रदेशी है, इसलिये वह अस्तिकाय नहीं हैं।
५३. पुद्गल परमाणु भी एकप्रदेशी है, फिर भी वह अस्तिकाय कैसे है ?
उत्तर :- यद्यपि पुद्गल परमाणु एकप्रदेशी है, फिर भी उसमें स्कन्धरूप होकर बहुप्रदेशी होने की शक्ति है; इसलिये उपचार से उसको अस्तिकाय कहा जाता है।
५४. प्रदेश किसे कहते हैं ?
उत्तर :- आकाश के जितने भाग को एक पुद्गल परमाणु घेरता है, उसे प्रदेश कहते हैं ।
५५. किस द्रव्य के कितने प्रदेश हैं ?
उत्तर :- जीव, धर्म, अधर्म और लोकाकाश के असंख्यात प्रदेश हैं । पुद्गल स्कन्ध के संख्यात, असंख्यात और अनन्त इसतरह तीनों प्रकार के प्रदेश हैं। काल द्रव्य और पुद्गल परमाणु एकप्रदेशी हैं। -
५६. उत्पाद किसे कहते हैं ?
उत्तर :- द्रव्य में नवीन पर्याय की उत्पत्ति को उत्पाद कहते हैं ।
५७. व्यय किसे कहते हैं ?
उत्तर :- द्रव्य में पूर्व पर्याय के त्याग को व्यय कहते हैं ।
५८. ध्रौव्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :- प्रत्यभिज्ञान के कारणभूत द्रव्य की किसी अवस्था की नित्यता को धौव्य कहते हैं ।
५९. पर्याय के कितने भेद हैं ?
उत्तर :- दो भेद हैं- 1. झुंजन पर्याय और 2. अर्थ पर्याय ।
६०. व्यंजन पर्याय किसे कहते है ? (गुण)
उत्तर :- द्रव्य के प्रदेशत्व गुण के विकार (विशेष कार्य) को व्यंजन पर्याय कहते हैं ।
६१. व्यंजन पर्याय के कितने भेद हैं ?
उत्तर :- दो भेद हैं 1. स्वभाव व्यंजन पर्याय और 2 विभाव व्यंजन पर्याय ।
६२. स्वभाव व्यंजन पर्याय किसे कहते हैं ?
उत्तर :- परनिमित्त के सम्बन्ध से रहित द्रव्य का जो आकार हो, उसे स्वभाव व्यंजन पर्याय कहते हैं। जैसे जीव की सिद्ध पर्याय |
६३. विभाव व्यंजन पर्याय किसे कहते हैं ?
उत्तर :- परनिमित्त के सम्बन्ध से द्रव्य का जो आकार हो, उसे विभाव व्यंजन पर्याय कहते हैं। जैसे जीव की नर-नारकादि पर्याय ।
६४. अर्थ पर्याय किसे कहते हैं ?
उत्तर :- प्रदेशत्व गुण को छोड़कर बाकी गुणों के कार्य (परिणमन) को अर्थ पर्याय कहते हैं ।
६५. अर्थ पर्याय के कितने भेद हैं ?
उत्तर :- दो भेद हैं- 1. स्वभाव अर्थपर्याय और 2 विभाव अर्थपर्याय ।
६६. स्वभाव अर्थ पर्याय किसे कहते हैं ?
उत्तर :- परनिमित्त के सम्बन्ध से रहित जो अर्थ पर्याय होती है, उसे स्वभाव अर्थ पर्याय कहते हैं। जैसे जीव की केवलज्ञान पर्याय ।
६७. विभाव अर्थ पर्याय किसे कहते हैं ?
उत्तर :- परनिमित्त के सम्बन्ध से जो अर्थ पर्याय हो, उसे विभाव अर्थ पर्याय कहते हैं। जैसे जीव के राग-द्वेष आदि ।
६८. किस-किस द्रव्य में कौन-कौनसी पर्यायें होती हैं ?
उत्तर :- जीव और पुद्गल द्रव्य में स्वभाव अर्थ पर्याय विभाव अर्थ पर्याय, स्वभाव व्यंजन पर्याय और विभाव व्यंजन पर्याय इसप्रकार चारों पर्यायें होती हैं। धर्म, अधर्म, आकाश और काल द्रव्य में स्वभाव अर्थ पर्याय और स्वभाव व्यंजन पर्याय - इसतरह केवल दो पर्यायें होती हैं।